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काफल (कट्फल) के अनेक फायदे और सेवन के तरीके (Kaafal ke Anek Fayde aur Sevan ke Tarike)

Contents

काफल का परिचय (Introduction of Kaafal)

काफल कहे या कट्फल (Kafal fruit), इस जड़ी-बूटी का नाम शायद बहुत कम लोगों नें सुना होगा। लेकिन आयुर्वेद में सदियों से काफल का प्रयोग औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। काफल एक प्रकार का सदाबहार झाड़ी होता है जिसका फल थोड़ा-बहुत ब्लैकबेरी के तरह देखने में होता है। चलिये आगे काफल के बारे में विस्तार से जानते हैं कि आखिर ये होता क्या है और किन-किन रोगों के इलाज के लिए इसका प्रयोग किया जाता है।

काफल क्या होता है?(What is Kafal in Hindi?)

कायफल प्रकृति से कड़वा, तीखा, गर्म और लघु होता है। यह कफ और वात को कम करने वाला तथा रुचिकारक होता है। इसके साथ ही यह शुक्राणु के लिए फायदेमंद और दर्दनिवारक भी होता है।

कायफल सांस संबंधी समस्या, प्रमेह या डायबिटीज, अर्श या पाइल्स, कास, अरुचि यानि खाने में रुचि न होना, कण्ठरोग, कुष्ठ, कृमि, अग्निमांद्य या अपच, मेदोरोग या मोटापा, मूत्रदोष, तृष्णा, ज्वर, ग्रहणी (Irritable bowel syndrome), पाण्डुरोग या एनीमिया, धातुविकार, मुखरोग या मुँह में छाले या सूजन, पीनस (Rhinitis), प्रतिश्याय (Coryza), सूजन तथा जलन में फायदेमंद होता है।

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इसकी तने की त्वचा  सुगंधित, उत्तेजक, बलकारक, पूयरोधी (Antiseptic), दर्दनिवारक, जीवाणुरोधी (बैक्टिरीया को रोकने वाला), विषाणुरोधी (वायरस को रोकने वाला) होती है।

अन्य भाषाओं में काफल के नाम (Name of Kafal  Fruit in Different Languages)

काफल का वानास्पतिक नाम Myrica esculenta Buch Ham. ex D.Don (मिरिका एस्कुलेन्टा) Syn-Myrica nagi Hook.f. (non Thumb.) Myrica sapida Wall है। काफल Myricaceae (मिरीकेसी) कुल का है। अंग्रेजी में काफल को Box myrtle (बॉक्स मिर्टल्) कहते हैं लेकिन भारत के विभिन्न प्रांतों में काफल को भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-

Sanskrit-कट्फल, सोमवल्क, महावल्कल, कैटर्य :, कुम्भिका, श्रीपर्णिका, कुमुदिका, भद्रवती, रामपत्री;

Hindi-कायफर, कायफल, काफल;

Urdu-कायफल (Kaiphal);

Kannada-किरिशिवनि (Kirishivani);

Gujrati-कारीफल (Kariphal);

Tamil-मरुदम पट्टई (Marudam pattai);

Telegu-कैदर्यमु (Kaidaryamu);

Bengali-कायफल (Kaiphal), कट्फल (Katphal);

Nepali-कोबुसी (Kobusi), कायफल (Kaiphal);

Punjabi-कहेला (Kahela), कायफल (Kaiphal);

Malayalam-मरुता (Maruta);

Marathi-कायाफल (Kayaphala)।

English-बे-बैरी (Bay-berry);

Arbi-औदुल (Audul), अजूरी (Azuri);

Persian-दरेशीशमकन्दु (Dareshishamkandul)

काफल के फायदे (Kafal Fruit Uses and Benefits in Hindi)

आयुर्वेद में काफल के बीज, फूल और फल का प्रयोग किया जाता है जिसमें सबसे ज्यादा पत्तियों का इस्तेमाल उपचार के रुप में किया जाता है। चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं कि कैसे काफल बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

सिरदर्द में फायदेमंद काफल (Kafal Benefits in Headache in Hindi)

अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो काफल का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होगा।

  • कायफल के छाल का चूर्ण बनाकर नाक से सांस लेने पर कफ जनित सिरदर्द से राहत मिलता है।
  • कटफल चूर्ण तथा मरिच चूर्ण को मिलाकर सूंघने से भी सिरदर्द कम होता है।
  • कायफल के तेल को 1-2 बूंद नाक में डालने से आधासीसी का दर्द तथा प्रतिश्याय (Coryza) से राहत मिलती है।

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और पढ़ेंः सिर दर्द से राहत पाने के लिए घरेलू उपाय

आँखों के रोग में लाभकारी काफल (Kafal Fruit Beneficial in Eye Disease in Hindi)

आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, रतौंधी, आँख लाल होना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में काफल से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। गोमूत्र, घी, समुद्रफेन, पीपल, मधु तथा कायफल को सेंधानमक के साथ मिलाकर बांस की नली में संग्रह करके आँखों में काजल की तरह लगाने से आँखों के बीमारी से राहत मिलती है।

नाक संबंधी समस्याओं में लाभकारी काफल ( Benefits of Kafal for Nose Disease in Hindi)

नकछिकनी तथा कट्फल के चूर्ण को मिलाकर नाक से सांस लेने से नाक संबंधी रोगों में लाभ होता है। (इसका नस्य लेने से छींक आती है।)

कान के रोग से दिलाये राहत काफल (Kafal Benefits for Ear Pain in Hindi)

अगर सर्दीखांसी या  किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर कान में दर्द होता है तो काफल से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है। कटफल को तेल में पकाकर-छानकर, 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल (कान का दर्द) से आराम मिलता है।

दांत दर्द में फायदेमंद काफल (Kafal Beneficial in Tooth ache in Hindi)

अगर दांत दर्द से परेशान हैं तो काफल का इस तरह से सेवन करने पर जल्दी आराम मिलता है।

  • कायफल के तने के छाल को चबाकर दांतों के बीच दबाकर रखने से दांत दर्द दूर होता है।
  • कायफल चूर्ण को सिरके में पीसकर दांतों पर रगड़ने से दांतों का दर्द ठीक हो जाता है।
  • कायफल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से गलगण्ड या घेंघा, दांतदर्द तथा गले का संक्रमण का शमन होता है।

और पढ़ेंः दांत दर्द के लिए घरेलू नुस्खे

सांस संबंधी समस्या को करे कम काफल (Kafal  Beneficial in Breathing Problem in Hindi)

अगर किसी कारणवश सांस लेने में  समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए काफल का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। 1 ग्राम बृहत्कट्फलादि चूर्ण में 500 मिली अदरक का रस तथा मधु मिलाकर सेवन करने से कफ जनित  रोग, वात जनित रोग, दर्द, खाना खाने की इच्छा में कमी, श्वास-कास तथा क्षय रोग यानि टीबी रोग में लाभ होता है।

खाँसी से दिलाये राहत काफल (Kafal Benefit to Get Relief from Cough in Hindi)

अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो काफल से इसका इलाज किया जा सकता है।

  • कट्फल, पुष्कर की जड़, पिप्पली तथा काकड़ा शृंगी से बने चूर्ण (1-2 ग्राम) में मधु मिलाकर चाटने से खांसी, बुखार तथा कफ संबंधी रोगों में लाभ होता है।
  • कायफल, धनिया, मोथा, कर्कट शृंगी, वच, हरीतकी, भारंगी, पर्पट, सोंठ तथा देवदारु आदि से बने काढ़े (10-20 मिली) में 500 मिग्रा हींग तथा 2 चम्मच मधु मिलाकर पीने से खांसी, सांस संबंधी रोग, मुखरोग, बुखार तथा कफज-विकारों में लाभ होता है।
  • 10-20 मिली कायफल की त्वचा के काढ़े को पीने से सांस संबंधी समस्या, फूफ्फूस-संक्रमण तथा सांस की नली में सूजन में लाभ होता है।
  • 1 ग्राम कटफल चूर्ण में 2 ग्राम गुड़ तथा 5 मिली तेल मिलाकर चाटने से सांस संबंधी समस्या तथा खांसी से राहत मिलता है।

और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू नुस्खे

दस्त से दिलाये राहत काफल (Kafal to Treat Diarrhoea in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो काफल का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा।

-1-2 ग्राम कायफल चूर्ण को दो गुना मधु के साथ मिलाकर सेवन करने से दस्त में लाभ होता है।

-10-30 मिली कायफल के छाल का काढ़ा बनाकर का सेवन करने से दस्त, प्रवाहिका तथा जठरांत्र संक्रमण में लाभ होता है।

-कटफल तथा बेल गिरी का काढ़ा बनाकर, 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से दस्त से राहत मिलता है।

और पढ़ेंः दस्त रोकने के लिए घरेलू उपचार

मस्से में फायदेमंद काफल (Kafal Benefits to Ease Warts  in Hindi)

काफल का पेस्ट मस्सों पर लगाने से तुरन्त आराम मिलता है। कटफल को महीन पीसकर उसमें घी मिलाकर मस्सों पर लगाने से मस्से नष्ट हो जाते हैं।

श्वेत प्रदर या सफेद पानी में फायदेमंद काफल (Kafal Beneficial in Leucorrhoea  in Hindi)

कायफल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से डिलीवरी होने के बाद ब्लीडिंग, अतिमासिकस्राव तथा श्वेत प्रदर के परेशानी से लाभ मिलता है।

और पढ़ेंः ल्यूकोरिया में फायदेमंद घरेलू इलाज

नपुंसकता में लाभकारी काफल (Kafal Fruit Beneficial in Impotency in Hindi)

कटफल छाल को भैंस के दूध में पीसकर रात को इन्द्रिय (कामेन्द्रिय) पर लेप करने के बाद सुबह धो लेना चाहिए। इसका प्रयोग कई दिनों तक करने से नपुंसकता मिटती है। कटफल छाल तेल को कामेन्द्रिय पर मलने से भी नपुंसकता दूर होती है।

और पढ़ेंः नपुसंकता में फायदेमंद बहेड़ा का प्रयोग

अल्सर की परेशानी करे कम काफल (Kafal Heals in Ulcer in Hindi)

कायफल तने के छाल से घाव को धोने के बाद समान भाग अर्जुन, गूलर, पीपल, लोध्र, जामुन तथा काफल छाल से बने चूर्ण को व्रण या घाव पर डालने से अल्सर का घाव जल्दी भरता है।

और पढ़ेंः अल्सर के लिए घरेलू इलाज

पेट दर्द में लाभकारी काफल (Kafal Fruit to Treat Stomach Pain in Hindi)

अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। 1 ग्राम कटफल चूर्ण में चुटकी भर नमक मिलाकर खिलाने से पेट दर्द दूर होता है।

और पढ़ेंः पेट दर्द के लिए घरेलू उपचार

लकवा के परेशानी से दिलाये राहत काफल (Kafal Beneficial in Paralysis in Hindi)

कटफल तेल की मालिश करने से पक्षाघात (लकवा) में भी लाभ होता है।

और पढ़ेंः लकवा के लिए डाइट प्लान

रक्तपित्त (नाक-कान से खून बहना) की परेशानी करे कम काफल (Kafal Benefit to Get Relief from Haemoptysis ya Raktpitta in Hindi)

1-2 ग्राम उशीरादि चूर्ण अथवा 1-2 ग्राम कायफल चूर्ण में समान मात्रा में लाल चंदन चूर्ण मिलाकर, शर्करा युक्त चावल के धोवन के साथ सेवन करने से रक्तपित्त, सांस संबंधी समस्या, पिपासा तथा जलन में फायदेमंद होता है।

बुखार करे कम काफल (Kafal Benefits in Fever  in Hindi)

अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में काफल बहुत मदद करता है।

-कायफल, नागरमोथा, भारंगी, धनिया, रोहिषतृण, पित्तपापड़ा, वच, हरीतकी, काकड़ा शृंगी, देवदारु तथा शुण्ठी, इन 11 द्रव्यों का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से हिक्का, खाँसी तथा बुखार से छुटकारा मिलता है।

-1-2 ग्राम कट्फलादि चूर्ण में मधु अथवा अदरक का रस मिलाकर सेवन करने से बुखार, खांसी तथा सांस संबंधी समस्या, खाना खाने की इच्छा में कमी, वातरोग, उल्टी, दर्द तथा क्षय रोगों या टीबी में फायदेमंद होता है।

-कट्फल, इन्द्रयव, पाठा, कुटकी तथा नागरमोथा, इन द्रव्यों से बने 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से पित्त के कारण जो बुखार होता है, वह कम होता है।

-1 ग्राम कटफल चूर्ण में 500 मिग्रा काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर मधु के साथ चटाने से कफ जनित बुखार से राहत मिलता है।

और पढ़ेंः जुकाम और बुखार को ठीक करने के लिए घरेलू इलाज

अत्यधिक पसीना से दिलाये राहत काफल (Kafal Fruit to Treat Excessive Sweat in Hindi)

कटफल चूर्ण को बारीक पीसकर उसमें सोंठ चूर्ण मिलाकर शरीर पर मर्दन (रगड़ने) करने से अत्यधिक पसीना निकलना बंद हो जाता है।

सूजन करे कम काफल (Kafal Beneficial in Inflammation in Hindi)

कटफल चूर्ण को पानी में पीसकर सूजन पर लगाने से सूजन कम हो जाता है।

काफल का उपयोगी भाग (Useful Parts of Kafal)

आयुर्वेद में काफल के छाल, फूल, बीज तथा फल का प्रयोग औषधि के लिए सबसे ज्यादा किया जाता है।

काफल का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Kafal in Hindi?)

बीमारी के लिए काफल के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए काफल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चिकित्सक के परामर्श के अनुसार

-2-4 ग्राम काफल का चूर्ण,

-30-60 मिली काढ़े का सेवन कर सकते हैं।

काफल  कहां पाया और उगाया जाता है? (Where is Kafal Fruit Found or Grown in Hindi)

प्राचीन आयुर्वेदीय निघण्टुओं तथा चरक, सुश्रुत आदि सहिताओं में कट्फल का वर्णन प्राप्त होता है। पहाड़ी लोग इसके फलों का सेवन अत्यन्त शौक के साथ करते हैं। भारत के मध्य हिमालय क्षेत्र में 900-2300 मी की ऊँचाई तक हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड तथा आसाम के पर्वतीय क्षेत्रों में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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