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Lodhra: फायदे से भरपूर है लोध्र – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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लोध्रा का परिचय (Introduction of Lodhra)

लोध्रा (lodhra herb) का नाम शायद आपने इससे पहले नहीं सुना होगा और इस कारण शायद लोध्रा के प्रयोग के बारे में भी नहीं जानते होंगे। दरअसल लोध्रा एक बहुत ही उत्तम गुणों वाली औषधि है। आपको पता है कि लोध्रा का उपयोग कई तरह की चिकित्सा में किया जाता है? नहीं ना! जी हां, आयुर्वेद में ऐसा ही बताया गया है।

लोध्रा (lodhra herb) आँख, कान, मुंह और स्त्री रोगों आदि के लिए रामबाण का काम करती है। यह खून की गर्मी, मधुमेह, थैलीसिमिया आदि रक्त से जुड़े रोग, बुखार, पेचिश, सूजन, अरुचि, विष तथा जलन आदि का नाश करता है। इसके फूल तीखे, कड़ुए, ठंडी तासीर वाले होते हैं जो कफ व पित्त का नाश करने वाले होते हैं। इसके तने की छाल सूजन कम करने वाली, बुखार को ठीक करने वाली, खून का बहाव रोकने वाली, पाचन सुधारने वाली होती है।

लोध्रा क्या है? (What is Lodhradi?)

लोध्रा (lodhra herb) के पेड़ मध्यम आकार के होते हैं। इसकी छाल पतली तथा छिलकेदार होती है। इसके फूल सफेद और हल्के पीले रंग के तथा सुगन्धित होते हैं। लोध्रा के द्वारा लाख (लाक्षा) को साफ किया जाता है, इसलिए इसे लाक्षाप्रसादन भी कहते हैं।

इसकी दो प्रजातियाँ पाई जाती हैं जिन्हें क्रमश: लोध्र व पठानीलोध्र कहते हैं। लोध्रा कषैला, कड़ुआ, पचने में हल्का, रूखा, कफ-पित्त का नाशक और आँखों के लिए लाभकारी होता है।

अनेक भाषाओं में लोध्रा के नाम (Lodhra Called in Different Languages)

लोध्रा का लैटिन नाम Symplocos racemosa Roxb. (सिम्प्लोकॉस रेसिमोसा) Syn-Symplocos intermedia Brand  है और यह कुल Symplocaceae (सिम्प्लोकेसी) का है। इसे अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Lodhra in –

  • Hindi (lodhra meaning in hindi) – लोध
  • Urdu – लोधपठानी (Lodapathani)
  • Oriya – लोधो (Lodho)
  • English – Californian cinchona (कैलीफोर्नियन सिनकोना) लोध बार्क (Lodh tree), स्माल बार्क ट्री (Small bark tree), लॉटर बार्क (Lotur bark)
  • Arabic – मूगामा (Moogama)।
  • Sanskrit – लोध्र, तिल्व, तिरीट, गालव, स्थूलवल्कल, जीर्णपत्र, बृहत्पत्र, पट्टी, लाक्षाप्रसादन, मार्जन
  • Assamese -भोमरोटी (Bhomroti); कन्नड़ : पाछेट्टू (Pachettu), लोध (Lodh), लोध्र (Lodhara)
  • Konkani – लोध (Lodh), लोध्र (Lodhra)
  • Gujarati – लोधर (Lodar)
  • Telugu (Lodhra in Telugu) – लोड्डूगा (Lodduga), लोधूगा चेट्टु (Lodhdhuga-chettu)
  • Tamil (Lodhra Meaning in Tamil) – वेल्ली-लोथी (Velli-lothi), काम्बली वेत्ती (Kambali vetti)
  • Bengali – लोध (Lodh), लोध्र (Lodhra)
  • Marathi – मराठी – लोध (Lodh), लोध्र (Lodhra)
  • Nepali – लोध्र (Lodhara)
  • Malayalam – पाछोत्ती (Pachotti)

लोध्रा के फायदे (Lodhra Benefits and Uses in Hindi)

अब तक आपने जाना कि लोध्रा (symplocos racemosa) के कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि लोध्रा का औषधीय प्रयोग कैसे और किन बीमारियों में किया जा सकता हैः-

मोटापा घटाने के लिए करें लोध्रा का सेवन (Lodhra is Beneficial for Weight loss in Hindi)

15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से मोटापा कम करने में मदद मिलती है।

और पढ़े: मधुमेह-मोटापा के लिए मुख्य आसन

आँखों के रोग में लोध्रा का प्रयोग लाभदायक (Uses of Lodhra to Cure Eye Disease in Hindi)

  • आँख में शुक्र रोग होने पर हल्दी, मुलेठी, सारिवा तथा पठानी लोध्र के काढ़ा से सेंकना चाहिए। इसके अलावा लोध्र के सूक्ष्म चूर्ण (Lodhra Powder) को स्वच्छ कपड़े के टुकड़े में बांधकर पोटली बना लें। इसे गुनगुने जल में डुबाकर आंखों को सेंकना चाहिए।
  • सफेद लोध्र को घी में भूनकर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को गुनगुने जल में भिगोकर, खूब मल लें। इसे ठंडा करके कपडे से छानकर आंखों को धोने से आँखों के दर्द से छुटकारा मिलता है।
  • लोध्र को पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लेप करने से भी आंखों के रोगों का नाश होता है।
  • सेंधा नमक, त्रिफला, पीपल, लोध्र तथा काला सुरमा को बराबर मात्रा में लें। इसे नींबू के रस में घोंटकर आंख में काजल की तरह लगाएं। इससे भी आंखों के रोगों का नाश होता है।
  • हरड़ की गुठली की मींगी, हरड़ चूर्ण, हल्दी, नमक तथा लोध्र का बराबर मात्रा ले। इनके चूर्ण को हरड़ के पत्तों के रस में घोटकर आंख पर लगाने से भी आंखों से जुड़े विकारों का नाश होता है।
  • आँख आने पर पठानी लोध्र की छाल के चूर्ण (lodhra powder) को घी में भून लें। इसे आँख के बाहरी भाग में लेप लगाने से लाभ होता है।
  • पित्तरक्त के कारण आँख आने पर बराबर मात्रा में श्वेत लोध्र की छाल तथा मुलेठी का चूर्ण बना लें। इन्हें घी में भूनकर उसकी पोटली बनाकर दूध से भिगोएं। इसकी बूंदों को आंखों में डालने से काफी लाभ होता है।
  • आँख फूलने पर सफेद लोध्र की छाल के चूर्ण को गाय के घी में भून लें। इसकी पोटली बनाकर गुनगुने जल में भिगोकर, मसलकर, ठंडा कर लें। इस जल से आंखों को धोने से लाभ होता है।
  • आँखों में जलन, खुजली तथा दर्द आदि की हालत में घी में भुने लोध्र एवं सेंधा नमक को कांजी से पीसकर पोटली बना लें। इसकी बूँदों को आंखों में गिराने से जलन, खुजली तथा दर्द का नाश होता है।
  • पित्त, रक्त एवं वात विकार के कारण आँख आने पर नींबू के पत्ते तथा लोध्र की छाल को पुटपाक विधि से पकाएं।। इसके चूर्ण अथवा काढ़े में दूध मिलाकर आंखों में 2-2 बूंद टपकाने से लाभ होता है।
  • लोध्र तथा मुलेठी को समान मात्रा में लें। इनके चूर्ण बनाकर घी में भूनकर, बकरी के दूध में मिला लें। इसे आँखों पर लगाने से भी आँख आने की समस्या में लाभ होता है।
  • खून की अशुद्धता से आंख आने पर त्रिफला, लोध्र, मुलेठी, शक्कर और नागरमोथा का उपयोग करें। इनको समान मात्रा में लेकर जल में पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से लाभ होता है।
  • लाख, मुलेठी, मंजीठ, लोध्र, कृष्ण सारिवा तथा कमल को समान मात्रा में लेकर जल में पीसकर पेस्ट बना लें। इस पेस्ट को आंखों के बाहर लगाने से भी आंखों की समस्या में लाभ होता है।

पीलिया में लोध्रा का इस्तेमाल लाभदायक (Lodhra Benefits in Fighting with Jaundice in Hindi)

15-20 मिली लोध्रासव (symplocos racemosa) का सेवन करने से पाण्डु (पीलिया) रोग में लाभ होता है।

कान के रोग में लोध्रा का इस्तेमाल फायदेमंद (Benefits of Lodhra in Ear Disease Treatment)

लोध्र को दुग्ध में पीसकर, छान लें। इसे कान में 1-2 बूंद डालने से कान के रोगों का नाश होता है।

दांतों के रोग में लोध्रा के उपयोग से लाभ (Uses of Lodhra to Cure Dental Disease in Hindi)

दांत की जड़ों/मसूड़ों से खून आने की स्थिति में लोध्र की छाल का काढ़ा बना लें। इसका गरारा/कुल्ला करने से दांतों से खून आना बंद हो जाता है और मुंह के रोगों में लाभ होता है।

लोध्रा के सेवन से सूखी खाँसी का इलाज (Lodhra Benefits in Fighting with Cough in Hindi)

लोध्र के 2-3 ग्राम पत्तों को पीस लें। इसे घी में भूनकर उसमें शक्कर मिला लें। इसका सेवन करने से उलटी बंद होती है, अधिक प्यास लगने की समस्या ठीक होती है, खांसी ठीक होती है तथा आँव-पेचिश आदि में लाभ होता है।

पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए करें लोध्रा का उपयोग (Lodhra Uses to Cure Abdominal Worms in Hindi)

15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।+

और पढ़े: पेट की समस्या के घरेलू उपचार

लोध्रा के प्रयोग से पेचिश का उपचार (Lodhra Stops Dysentery in Hindi)

दही के साथ लोध्र चूर्ण ((lodhra powder 1-2 ग्राम) का सेवन करने से पेचिश का नाश होता है।

लोध्रा के उपयोग से श्वेतप्रदर/ल्यूकोरिया का  इलाज (Uses of Lodhra to Cure Leucorrhea in Hindi)

  • 2-3 ग्राम पठानी लोध्र की छाल के पेस्ट में बरगद की छाल का 20 मिली काढ़ा मिला लें। इसे पीने से श्वेत प्रदर मतलब ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
  • लोध्र का काढ़ा बनाकर योनि को धोने से ल्यूकोरिया तथा अन्य योनि-विकारों में लाभ होता है।
  • तुम्बी के पत्ते और लोध्र की छाल को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे योनि पर लेप करने से प्रसूता स्त्री के योनि के घाव भर जाते हैं।

गर्भपात रोकने में मदद करता है लोध्रा (Lodhra Helps in Miscarriage Problem in Hindi)

आठवें माह में यदि गर्भपात की आशंका हो तो 1-2 ग्राम लोध्र चूर्ण (lodhra powder), मधु और एक ग्राम पिप्पली चूर्ण को दूध में घोलकर गर्भवती को पिलाने से गर्भ स्थिर हो जाता है।

मासिक धर्म विकार में लोध्रा से फायदा (Lodhra Benefits in Menstrual Disorder in Hindi)

लोध्र की छाल को पीसकर पेट के निचले हिस्से में लगाएं। इससे मासिक धर्म विकारों में लाभ होता है। लोध्र को पीसकर स्तनों पर लेप करने से स्तन के दर्द ठीक होते हैं।

घाव सुखाने के लिए करें लोध्रा का इस्तेमाल (Lodhra is Beneficial in Wound Healing in Hindi)

  • अर्जुन, गूलर, पीपल, लोध्र, जामुन तथा कटहल की छाल के महीन चूर्ण को घाव पर छिड़कने से घाव जल्दी भरता है।
  • लोध्र, मुलेठी, प्रियंगु आदि के चूर्ण को घाव के मुंह पर छिड़कें। इसे हल्का रगड़ कर पट्टी बाँध देने से खून का थक्का जम जाता है।
  • उभर रहे घाव में प्रियंगु, लोध्र, कट्फल, मंजिष्ठा तथा धातकी के फूल का चूर्ण छिड़कें। इससे घाव शीघ्र भर जाता है।
  • मुक्ताशुक्ति चूर्ण मिले हुए धातकी फूल के चूर्ण तथा लोध्र के चूर्ण (lodhra powder) का प्रयोग करने से भी घाव शीघ्र भर जाता है।

डायबिटीज में लोध्रा से लाभ (Lodhra Benefits for Controlling Diabetes in Hindi)

15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से डायबिटीज में मदद मिलती है।

लोध्रा के इस्तेमाल से मुंहासे का इलाज (Lodhra Removes Acne in Hindi)

  • लोध्र तथा अरहर को पीसकर मुंह पर लेप के रूप में लगाने से चेहरा कान्तियुक्त (Glowing) होता है तथा मुंहासों का नाश होता है।
  • लोध्र, धान एवं वचा को पीसकर चेहरे पर लेप करने से मुहाँसों का नाश होता है। इसे लोध्रादि फेसपैक (Lodhradi Facepack) के नाम से कई कंपनियां बनाती भी हैं।
  • शहद, लोध्र, मुलेठी, सफेद सरसों तथा जौ को पीसकर चेहरे पर लेप करने से मुख की कांति (Glow) बढ़ती है।
  • श्यामा, अमलतास, लोध्र, हल्दी, नागरमोथा, सिरस की छाल तथा अनार छिलका को पीस लें। इसका लेप करने से शरीर का रंग गोरा होता है।
  • लोध्र के काढ़े से मुंह और आँख आदि को धोने से चेहरे की काली झाइयां, रूखापन, छोटी फुंसियां, काली फुंसियां ठीक होते हैं। इससे रक्तपित्त से होने वाले रोगों का नाश होता है तथा चेहरे की कांति बढ़ती है।

और पढ़ें: अमलतास के फायदे

बवासीर में लोध्रा से लाभ (Lodhra Cure Piles in Hindi)

15-20 मिली लोध्रासव (lodhradi) का सेवन करने से अर्श (बवासीर) में फायदा होता है।

रक्तपित्त (नाक-कान से खून आना) की समस्या में लोध्रा से लाभ (Benefits of Lodhra in Blood Disorder in Hindi)

खून की अशुद्धता में उशीरादि चूर्ण (खस, कालीयक, लोध्र आदि) अथवा लोध्र चूर्ण (1-2 ग्राम) में बराबर मात्रा में लें। इनमें लाल चंदन चूर्ण मिला लें। इसे चावल के धोवन में घोल कर शक्कर मिला कर पिएं। इससे रक्तपित्त (नाक-कान से खून आना), जलन, बदबूदार सांसों की बीमारी ठीक होती है।

और पढेंमुंह से बदबू आने पर गोरखमुंडी से लाभ

बुखार में लोध्रा से फायदा (Uses of Lodhra in Fighting with Fever in Hindi)

लोध्र (lodhradi), चन्दन, पिप्पली मूल तथा अतीस के 1-2 ग्राम चूर्ण में शक्कर, घी तथा शहद मिलाकर दूध के साथ पीने से बुखार उतर जाता है।

कुष्ठ रोग में लोध्रा से फायदा (Lodhra Help in Leprosy Disease in Hindi)

15-20 मिली लोध्रासव का सेवन करने से कुष्ठ (कोढ़) रोग में मदद मिलती है।

लोध्रा के उपयोगी हिस्से (Useful parts of Lodhra)

अधिक लाभ के लिए लोध्रा (lodhradi) का इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।

लोध्रा के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Lodhra)

पेस्ट – 2-3 ग्राम

लोध्रा कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Lodhra Found or Grown?)

भारत में उत्तर-पूर्वी इलाके में लगभग 700-1000 मीटर की ऊँचाई पर लोध्रा के पेड़ मिलते हैं। आसाम, छोटानागपुर एवं कोंकण क्षेत्र में भी लोध्रा के पेड़ (Lodhra Tree) पाये जाते हैं।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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