मुँह के छाले (mouth ulcer) एक सामान्य समस्या है जो लगभग सभी लोगों को कभी न कभी होती है। यह छाले गालों के अन्दर, जीभ पर और होंठो के अन्दर की तरफ होते हैं। यह सफेद या लाल घाव की तरह दिखाई देते हैं। यह ऐसे तो कोई बड़ी समस्या नहीं है पर यह बहुत ही कष्टदायक होती है, छालों की वजह से मुँह में जलन तथा कुछ भी खाने में परेशानी होती है तथा कईं बार मुँह से खून भी निकलता है। समय पर इसका इलाज न कराने से यह कभी-कभी कैंसर का कारण भी बन जाता है।
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आयुर्वेद में मुँह के छालों की समस्या को मुखपाक कहा गया है। अधिक तीखा, पेट की खराबी या कब्ज होने पर यह स्थिति देखी जाती है इसमें जलन तथा कुछ भी खाने में बहुत कठिनाई होती है। मुँह में छाले पित्त दोष होने के कारण होता है। आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा पित्त दोष को संतुलित करके छालों का आना कम किया जाता है।
मुँह के छाले छोटे और बड़े दोनों प्रकार के होते हैं। कारण के आधार पर इसे दो प्रकार के होते हैं।
एप्थस छाले- यह पेट की खराबी, तीखा भोजन या अन्य उपरोक्त कारणों से होने वाले छाले हैं। यह किसी बीमारी के कारण और दूसरों के कारण फैलते नहीं हैं। यह Non–Contagious होते हैं।
बुखार के छाले (Fever blisters)- यह होठों के आस-पास हर्पिज सिम्प्लेक्स वायरस (Herpes simplex virus) के कारण होते हैं।
जैसा कि पहले बताया गया कि पित्त दोष के असंतुलन के कारण मुँह में छाले पड़ते हैं। इसके अलावा मुँह के छाले पड़ने के और भी कारण होते हैं-
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मुँह के छालों से बचने के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव लाने की ज़रूरत होती है-
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आम तौर पर मुँह के छालों के कष्ट से राहत पाने के लिए लोग घरेलू उपचारों का ही पहले सहारा लेते हैं। अगर ठीक नहीं हुआ तो ही डॉक्टर से पास जाते है। चलिये इन घरेलू उपचारों के बारे में सही जानकारी लेते हैं।
शहद में मुलेठी का चूर्ण मिलाकर इस लेप को मुँह के छालों पर लगाएँ और लार को मुँह से बाहर टपकने दें।
कत्था मुँह के छालों के लिए बहुत लाभकारी है। कत्था, मुलेहठी का चूर्ण और शहद मिलाकर मुँह के छालों पर लगाएँ। इसके अलावा अमरूद के मुलायम पत्तों में कत्था मिलाकर उसे पान की तरह चबाएँ।
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कुल्ला मुँह के छालों को ठीक करने में बहुत लाभकारी होता है। बस कौन-सा सामग्री किसके लिए फायदेमंद साबित होगा यह इंसान के प्रकृति पर निर्भर करता है।
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दिन में दो बार तुलसी के 4-5 पत्ते चबाकर खाएँ।
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शहद और इलायची का पाउडर मिलाकर छालों पर लगाएँ।
चमेली के पत्तों को पीस कर उसके रस को छालों पर लगाने से छालें कम हो जाते है।
अगर बार-बार मुँह में छाले आ रहे हैं या घाव ठीक न होकर अवस्था बद से बदतर होता जा रहा है तो डॉक्टर के पास जाने में देर नहीं करना चाहिए।
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