Categories: जड़ी बूटी

Tea: चाय के हैं अनेक अनसुने फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

चाय का परिचय (Introduction of Tea)

सदियों से चाय सबका प्रिय पेय रहा है। सामान्य तौर पर दिन की शुरूआत बिना चाय के शुरू नहीं होती है। चाय के फायदों (tea ke fayde) के कारण आयुर्वेद में इसका प्रयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। लेकिन इसका हद से ज्यादा सेवन करना सेहत के लिये नुकसान का कारण बन सकता है। चाय को पीने से पहले क्या आपने पहले कभी सोचा है कि आपकी ये आदत आपके लिए फायदेमंद है या नुकसानदायक। चलिये इसके बारे में आगे विस्तार से जानते हैं कि चाय कैसे स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है और नुकसानदेह।

चाय क्या है? (What is Tea in hindi?)

चाय प्राकृतिक रूप में 9-15 मी ऊँचा, अल्परोमिल, सदाहरित क्षुप (shurb) होता है। खेती की सरलता एवं उत्तम चाय के उत्पादन के कारण क्षुपों को ऊपर से समय-समय पर काट दिया जाता है जिससे यह पौधा लगभग 60-150 सेमी आकार का रहता है। इसके आगे के भाग के दो पत्ते व एक कलिका का उपयोग चाय की पत्ती के लिए किया जाता है।

इसके पत्ते सरल, एकांतर 5-15 सेमी लम्बे एवं 3.87-6.2 सेमी व्यास या डाइमीटर के, नोंकदार, ऊपर से चिकने, निम्न-भाग में किंचित् रोमश तथा अति सूक्ष्म छिद्रों (इन छिद्रों में विशिष्ट गन्धयुक्त एक प्रकार का तैलीय द्रव होता है) से युक्त होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के, सुगन्धित, एकल अथवा 2-4 साथ में तथा फूल 3.2 सेमी व्यास के, बाह्यदल-5-6, गोलाकार होते हैं। इसके फल त्रिकोणीय होते हैं, जिसमें 1.8 सेमी व्यास के, लगभग गोल, चिकने, भूरे रंग के, कठोर बीज कवच जैसे, चमकीले दो बीज रहते हैं। चाय दिसम्बर से मार्च महीने के दौरान सबसे ज्यादा फलता फूलता है।

चाय वस्तुत: पेय पदार्थ होता है जिसमें टैनिन और कैफीन होता है जो शरीर को स्फुर्ति प्रदान करने में सहायता करता है। इसलिए अक्सर थक जाने पर चाय पीने से फिर से स्फुर्ति का एहसास होता है। लेकिन हद से ज्यादा चाय पीने (chai ke nuksan) से अगर वह व्यसन या लत बन जाय तो शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकती है।

चाय मूलतः कड़वा, गर्म तासीर का और ऊर्जादायक होती है। चाय कफपित्तनाशक होने के साथ-साथ थोड़ा वात के प्रकोप को बढ़ा भी सकती है। शायद आपको पता नहीं कि चाय आपको उत्तेजित तो करती ही है लेकिन अधिक मूत्र होने वाली बीमारी को आमंत्रित भी कर सकती है।

चाय की पत्ती, भूख बढ़ाने वाली, पाचक और शक्तिवर्द्धक होती है। चाय हृदय के दर्द, आंखों का दर्द, रक्तार्श या पाइल्स का दर्द और सूजन कम करने में मददगार होता है।

और पढ़े रक्तार्श में कास के फायदे

अन्य भाषाओं में चाय के नाम (Name of Tea in Different Languages in Hindi)

चाय का वानास्पतिक नाम Camellia sinensis (Linn.) Kuntze (कैमीलिया साईनेन्सिस) Syn-Camellia chinensis (Sims) Kuntze होता है और ये  Theaceae (थीएसी) कुल होता है। चाय को अंग्रेजी में Tea (टी) कहते हैं। लेकिन चाय को भारत के अन्य प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-

Tea in :

  • Sanskrit-श्यामपर्णी, चाहम्, चविका;
  • Hindi-चाय;
  • Urdu-चाय (Chai);
  • Oriya-चाइ (Chai), चा (Cha);
  • Kannada-चा (Cha), चाय (Chay), चाहा (Chaha);
  • Gujrati-चहा (Chaha), चाय (Chay);
  • Tamil-करूप्पुट्टेयिलेई (Karupputteyilai), तायीलि (Thayili);
  • Teluguथेयाकू (Theyaku);
  • Bengal-चाइ (Chai), चाय (Chai);
  • Nepali-चा (Chha), चिया (Chiya);
  • Panjabi-चाई (Chai), चाय (Chay);
  • Marathi-घेयाले (Gheyale), चहा (Chaha);
  • Malayalam-चाया (Chaya)।
  • English-आसाम टी (Assam tea), चाइना टी (China tea), इंडियन टी (Indian tea), टी प्लांट (Tea plant);
  • Arbi-चाह (Chha);
  • Persian-चाइका थाई (Chaika thai)।

चाय के फायदे (Black Tea Benefits and Uses in Hindi)

चाय (tea ke fayde) सिर्फ ऊर्जा प्रदान करने का ही काम नहीं करती है। इसके औषधिकारक गुण अनगिनत है जिसके कारण आयुर्वेद में चाय को कई बीमारियों के इलाज के रुप में प्रयोग किया जाता है। चलिये विस्तार से जानते हैं कि चाय को किन-किन बीमारियों में और कैसे इस्तेमाल किया जाता है?

सिरदर्द के लिए फायदेमंद चाय (Black tea benefits for Headache in Hindi)

अक्सर काम के तनाव के कारण सिर में दर्द होने लगता है। चाय सिरदर्द से आराम दिलाने में बहुत फायदेमंद होता है।  चाय के पत्तों का काढ़ा बनाकर 5-15 मिली मात्रा में पीने से सिरदर्द से आराम मिलता है।

आँख आने पर दर्द करे कम चाय (Benefits of Black Tea for Conjunctivitis in Hindi)

ठंड के मौसम के जाने और गर्मी के मौसम के आने के समय लोगों को आँख आने की बीमारी होती है। आँख लाल होकर दर्द होने लगता है। आँख आने पर चाय का इस्तेमाल  इस तरह से करने पर बहुत फायदा मिलता है। चाय का काढ़ा बनाकर उसके 1-2 बूंदों को नेत्रों में डालने से 2-3 दिन में आँख आने पर जो परेशानी होती है उससे राहत मिलती है।

गले में दर्द या सूजन से दिलाये राहत चाय (Tea Benefits in Throat Infection in Hindi)

आमाशय के कारण या गर्म खाद्द पदार्थों के ज्यादा सेवन से भी गले में घाव जैसा हो जाता है जिसके कारण दर्द होने लगता है। चाय के काढ़े से दिन में 2-3 बार गरारा करने से गले में जो घाव या सूजन होता है उससे राहत मिलती है।

और पढ़ें घाव में पीलू के फायदे

नजला-जुकाम को करे कम चाय (Tea Benefits to Get Relief from Coryza in Hindi)

मौसम के बदलने के समय बच्चों को नजला-जुकाम तो होता ही है। चाय का सेवन इस तरह से कराने से नजला-जुकाम से बहुत राहत मिलती है। बनफ्सा, मुलेठी तथा चाय का काढ़ा (15-20 मिली) बनाकर पीने से प्रतिश्याय (नजला-जुकाम) में लाभ मिलता है।

और पढ़े: छींक के घरेलू इलाज

पेट दर्द में लाभकारी चाय (Benefits of Chai for Stomachalgia in Hindi)

चाय के काढ़े में पुदीना तथा अकरकरा मिलाकर पका लें, फिर 15-20 मिली मात्रा में पीने से पेट में गैस होने के कारण जो दर्द की परेशानी होती है उससे राहत मिलती है।

और पढ़े: पुदीना के औषधीय गुण

मूत्र संबंधी बीमारियों में फायदेमंद चाय (Benefits of Black Tea to Get Relief from Urinary Diseases in Hindi)

मूत्र संबंधी बीमारियों में मूत्र में जलन होना, दर्द होना, रुक-रुक कर पेशाब होना या कम मात्रा में पेशाब होने जैसे बहुत समस्याएं होती है। चाय के पत्तों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बुखार तथा मांसपेशियों का ढीलापन तथा मूत्र संबंधी रोगों में लाभकारी होता है।

और पढ़े: मूत्र की समस्या के घरेलू इलाज

काम शक्ति बढ़ाती है चाय (Tea Boost Sexual Stamina in Hindi)

अगर किसी बीमारी के कारण सेक्स करने की इच्छा कम हो गई है तो चाय का इस तरह से सेवन करने से लाभ मिलता है। चाय को सालम मिश्री, दालचीनी तथा दूध के साथ मिलाकर, पकाकर 15-20 मिली मात्रा में पीने से कामशक्ति बढ़ती है।

जलने के दर्द को करे कम चाय (Black tea benefits for Burn in Hindi)

आग से, गर्म जल से, गरम तेल  आदि से यदि शरीर का कोई भी भाग झुलस गया हो तो, चाय मिश्रित उबलते हुए पानी या काढ़ा को ठंडा करके उसमें कपड़े की पट्टी भिगोकर उस स्थान पर रखने तथा बार-बार उस पर उसी काढ़ा को थोड़ा-थोड़ा डालते रहने से त्वचा में फफोले नहीं पड़ते तथा त्वचा में दाग नहीं हो पाता।

और पढ़ेंत्वचा रोग में लोहबान के फायदे

सूजन में फायदेमंद चाय (Benefits of Tea in Inflammation in Hindi)

अगर चोट लगने के कारण सूजन आ गई है तो चाय को पीसकर गुनगुना करके सूजन प्रभावित स्थान पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

और पढ़े: सूजन में कोदो के फायदे

ग्रंथियों या ग्लैंड के सूजन को करे कम चाय (Tea Benefits in Grandular Swelling in Hindi)

चाय के पत्तों को पकाकर पीसकर लेप करने से ग्रन्थि या ग्लैंड का सूजन कम होने में मदद मिलती है।   

चाय का उपयोगी भाग (Useful Parts of Chai)

आयुर्वेद में चाय की पत्ती का औषधि के रुप में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।

चाय का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Tea in Hindi?)

बीमारी के लिए चाय के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चाय का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चाय के पत्तों को पीने से फायदा मिलता है। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार 10-15 मिली चाय के काढ़े का सेवन कर सकते हैं।

ज्यादा चाय पीने के साइड इफेक्ट (Side Effects of Black tea in Hindi)

स्तनपान कराने वाली स्त्रियों को चाय का ज्यादा सेवन नहीं करना चाहिए। अधिक मात्रा में चाय का प्रयोग करने से शिशुओं ज्यादा सोने लगते हैं।  इसके अत्यधिक सेवन से  दिल में जलन या एसिडिटी, अनिद्रा एवं अरुचि जैसे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं।

और पढ़ें: अनिद्रा की परेशानी में ब्राह्मी वटी लाभदायक

चाय कहां पाई और उगायी जाती है (Where is Tea Found or Grown in Hindi)

चाय मूलत: विश्व में चीन, जापान, मलाया, श्रीलंका तथा दक्षिण-पूर्वी एशिया में होता है। भारत में यह असम, कोचीन, बंगाल, बिहार, उड़ीसा, पंजाब, सिक्किम, उत्तर-पश्चिमी हिमालय, दार्जिलिंग, नीलगिरी, तमिलनाडू एवं दक्षिण भारत में पाया जाता है। भारत में चाय का प्रचार 17वीं शताब्दी में इंग्लैण्ड की ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा हुआ।

इस कम्पनी ने ही इसकी विभिन्न स्थानों में खेती करवाने तथा इसके उत्पादन से लाभ उठाना प्रारम्भ किया। तब से इसके उत्पादन में धीरे-धीरे प्रगति एवं सुधार होता गया। सन् 1907 में भारत की चाय अन्य देशों की चाय से अधिक श्रेष्ठ मानी गई तथा इसका प्रचार खूब प्रचुरता से बढ़ने लगा। अब तो चाय एकमात्र सर्वश्रेष्ठ सर्वप्रिय पेय, सब पेय-पदार्थों की सार्वभौम साम्राज्ञी बन गई है। प्रचार द्वारा यह इतनी सर्व-सुलभ कर दी गई कि भारत में अब शायद ही ऐसा कोई स्थान हो, जहां इसका पान न किया जाता हो, या लोग इसके आदी न हों।

और पढ़े:

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

Share
Published by
आचार्य श्री बालकृष्ण

Recent Posts

कब्ज से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं पतंजलि दिव्य त्रिफला चूर्ण

आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…

12 months ago

डायबिटीज को नियंत्रित रखने में सहायक है पतंजलि दिव्य मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर

डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…

12 months ago

त्वचा से जुड़ी समस्याओं के इलाज में उपयोगी है पतंजलि दिव्य कायाकल्प वटी

मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…

1 year ago

युवाओं के लिए अमृत है पतंजलि दिव्य यौवनामृत वटी, जानिए अन्य फायदे

यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…

1 year ago

मोटापे से छुटकारा पाने के लिए अपनाएं पतंजलि मेदोहर वटी

पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…

1 year ago

पेट से जुड़े रोगों को ठीक करती है पतंजलि दिव्य गोधन अर्क, जानिए सेवन का तरीका

अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…

1 year ago