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Nagarmotha: नागरमोथा दूर करे कई बीमारियां – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आपने नागरमोथा का पौधा (nagarmotha plant) जरूर देखा होगा, लेकिन नागरमोथा के फायदे के बारे में नहीं जानते होंगे। यह एक प्रकार का खर-पतवार है जो धान की फसल के साथ होता है। आप नागरमोथा का उपयोग एक औषधि के रूप में कर सकते हैं और भूख बढ़ाने, पाचन विकार को ठीक करने के साथ-साथ अन्य कई रोगों में नागरमोथा के फायदे ले सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, अधिक प्यास लगने की समस्या, बुखार और पेट में कीड़े होने पर नागरमोथा (nagarmotha) से लाभ मिलता है। इसका लेप लगाने से सूजन ठीक होती है। इतना ही नहीं यह स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध को बढ़ाता है। आइए जानते हैं कि नागरमोथा से और क्या-क्या लाभ मिलता है।

Contents

नागरमोथा क्या है? (What is Nagarmotha in Hindi?)

नागरमोथा तीखा और कड़वा होता है। इसकी तासीर ठंडी होती है। यह पचने में हल्का होता है। यह कफ, पित्त, खून की अशुद्धता को ठीक करने में सहायता करता है।  नागरमोथा का पौधा अधिकांशतः तालाबों और नदियों के किनारे नमी वाली जमीन में होता है। इसमें फूल जुलाई तथा फल दिसम्बर में लगते हैं। नागरमोथा तीन प्रकार का होता हैः–

  • मोथा (Cyperus Rotundus)
  • नागरमोथा
  • केवटीमोथा

नागरमोथा का पौदा कोमल, पतला, सुगंधित और घास की तरह छोटा होता है। नागरमोथा का तना जमीन से ऊपर सीधा, तिकोना और बिना शाखा का होता है। नीचे कंद होता है, जिससे प्रकंद जुड़े होते हैंये गूदेदार सफेद होते हैं, लेकिन बाद में रेशेदार भूरे रंग के, और पुराने होने पर लकड़ी की तरह कठोर हो जाते हैं। इसके पत्ते विभिन्न आकार के, लम्बे, पतले, घास जैसे तथा कमजोर होते हैं। इसके भूमि में रहने वाले हिस्से में अंडाकार, सुगन्धित, बाहर से पीले रंग के दिखने वाले और अन्दर से सफेद दिखने वाले अनेक कन्द लगे रहते हैं। इन कंदों को ही नागरमोथा कहते हैं।

बाजारों में नागरमोथा के स्थान पर Cyperus diffusus Vahl नामक पौधे के प्रकन्द को बेचा जाता है। यह नागरमोथा से भिन्न दूसरी प्रजाति है। नागरमोथा के प्रकन्द सुगन्धित होते हैं, लेकिन इसके प्रकन्द नागरमोथा से कम गुण वाले और कम सुगन्धित होते हैं। यहां नागरमोथा से होने वाले सभी फायदे को आपकी भाषा (nagarmotha in hindi) और बहुत ही आसान शब्दों में बताया गया है।

अनेक भाषाओं में नागरमोथा के नाम (Nagarmotha Called in Different Languages)

नागरमोथा (nagarmotha)  का लैटिन नाम साइपीरस स्केरिओसस् (Nagarmotha Botanical Name, Cyperus scariosus R.Br., Syn-Cyperus corymbosus var. scariosus (R.Br.) Kuk) है, और यह Cyperaceae (साइपरेसी) कुल का है। नागरमोथा को अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Nagarmotha in-

  • Tamil (Nagarmotha in Tamil) – कोरेइकिलान्गु (Koraikkilangu)
  • English – अम्ब्रेला एज (Umbrella edge), Cypriol (साइप्रीऔल)
  • Sanskrit -नागर मुस्तक
  • Hindi -नागरमोथा
  • Urdu – नागरमोथा (Nagarmotha)
  • Kannada – नागरमुस्थे (Nagarmusthe)
  • Gujarati – नागरमोथया (Nagarmothya)
  • Telugu – कोलतुंगामुस्ते (Kolatungamuste), तुंगगाड्डालावेरू (Tungagaddalaveru)
  • Bengali – नागरमोथा (Nagarmotha)
  • Marathi – लवाला (Lawala)
  • Malayalam – कोराकीजहान्ना (Korakizhanna)
  • Arabic – साडेकुफी (Sodekufi), सोड (Soad)
  • Persian – मुस्केजमीन (Muskejhameen)

नागरमोथा के फायदे (Nagarmotha Benefits and Uses in Hindi)

नागरमोथा (nagarmotha) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-

आंखों के रोग में नागरमोथा के फायदे (Benefits of Nagarmotha in Cure Eye Problem in Hindi)

  • नागरमोथा (nagarmotha)  को बकरी के दूध व जल में घिसकर आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आँखों में होने वाली जलन, लालिमा, कालापन व रात में कम दिखने की बीमारी ठीक होती है।
  • नागरमोथा प्रकंद का काढ़ा बनाकर ठंडा कर लें। इससे आँखों को धोने से नेत्र रोग में लाभ होता है।

दाँतों के रोग में नागरमोथा से लाभ (Nagarmotha Benefits in Dental Disease Treatment in Hindi)

नागरमोथा, सोंठ, हरीतकी, मरिच, पिप्पली, वायविडंग तथा नीम को पीस लें। इसमें गोमूत्र मिलाकर छाया में सुखा लें। इसकी वटी बना लें। रात में 1-2 मुंह में रखने से दाँतों के रोग में लाभ होता है।

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अधिक प्यास लगने की परेशानी में नागरमोथा से लाभ (Nagarmotha Benefits in Cure Thirsty Problem in Hindi)

  • नागरमोथा, पिप्पली, मुनक्का तथा बड़ी कटेरी के अच्छे पके फलों को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर अच्छी तरह घोट लें। इसे घी और मधु के साथ मिलाकर चाटें। इससे टीबी के कारण होने वाली सूखी खाँसी और अधिक प्यास लगने की समस्या में लाभ होता है।
  • अडूसा, सोंठ, नागरमोथा, भारंगी, चिरायता तथा नीम की छाल का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मि.ली. काढ़ा में मधु डालकर पिलाएं। इससे सूखी खाँसी तथा सांस के फूलने की समस्या ठीक (nagarmotha ke fayde) ठीक होती है।
  • नागरमोथा, पित्तपापड़ा, उशीर (खस), लाल चन्दन, सुगन्धबाला, सोंठ को डालकर काढ़ा बना लें। इसे ठंडा करके रोगी को पिलाने से अधिक प्यास लगने की समस्या तथा बुखार ठीक होता है।

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नागरमोथा के औषधीय गुण से उल्टी पर रोक (Uses of Nagarmotha to Stop Vomiting in Hindi)

नागरमोथा, इंद्रजौ, मैनफल तथा मुलेठी को समान मात्रा में लेकर कूट-पीसकर लें। इसे कपड़े से छान लें। इसके चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से उलटी बंद होती है।

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पेट के रोग में नागरमोथा के फायदे (Cyperus Rotundus Medicinal Uses in Abdominal Problem Treatment in Hindi)

  • नागरमोथा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-30 मि.ली. मात्रा में पिलाने से पाचनक्रिया तेज होती है।
  • 5-10 ग्राम नागरमोथा चूर्ण (nagarmotha churna) का सेवन करने से पेट के कीड़े खत्म होते हैं।
  • नागरमोथा, सोंठ तथा अतीस से बने काढ़े का सेवन करने से अनपच की समस्या ठीक होती है।
  • नागरमोथा, अतीस, हरड़ अथवा सोंठ चूर्ण को गर्म पानी के साथ सेवन करने से अपच की समस्या ठीक होती है।
  • 10 ग्राम नागरमोथा तथा 10 ग्राम पित्तपापड़ा का काढ़ा बना लें। इसे सुबह और शाम भोजन से 1 घण्टा पहले पिएं। इससे बुखार तथा बुखार के कारण भूख न लगने की परेशानी ठीक होती है।
  • नागरमोथा का काढ़ा बनाकर सुबह, दोपहर तथा शाम को सेवन करने से अनपच के कारण होने वाली दस्त की समस्या ठीक होती है।
  • अदरक और नागरमोथा को पीस लें। इसे 2.5 ग्राम की मात्रा में मधु के साथ सेवन करें। इससे अनपच के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।
  • बराबर मात्रा में सुंधबाला, नागरमोथा, बेल, सोंठ तथा धनिया का काढ़ा बना लें। इससे 10-40 मि.ली. की मात्रा में पीने से दस्त में लाभ होता है।

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पीलिया में नागरमोथा के फायदे (Nagarmotha Uses in Cure Jaundice in Hindi)

3-6 ग्राम नागरमोथा चूर्ण (nagarmotha powder) में 125 मि.ग्रा. लौह भस्म मिलाकर खैर सार काढ़ा के साथ पीने से पीलिया (हलीमक) रोग में लाभ होता है।

हैजा में नागरमोथा से लाभ (Cyperus Rotundus Medicinal Uses in cholera Treatment in Hindi)

नागरमोथा का ठंडा काढ़ा पीने से हैजा रोग ठीक होता है। इस रोग के लिए नागरमोथा का प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

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वात दोष में नागरमोथा के सेवन से लाभ (Nagarmotha is Beneficial in Vata Disease Treatment in Hindi)

  • पिप्पली मूल, अकरकरा, नागरमोथा, अजगंध, वच, पीपर तथा काली मिर्च एक-एक भाग लें। इन सबके समान भाग में सोंठ तथा गुड़ मिलाकर 2.5 ग्राम की गोली बनाएं। सुबह और शाम एक-एक गोली सेवन करने से सन्धिवात (गठिया), जोड़ों का दर्द (ग्रन्थिवात) तथा वात दोष के कारण होने वाले अन्य रोग ठीक होते हैं।
  • नागरमोथा, हल्दी तथा आंवला को काढ़ा बनाकर ठंडा होने दें। इसे मधु मिलाकर सेवन करने से गठिया रोग में लाभ होता है।

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स्तनों में दूध बढ़ाने के लिए नागरमोथा का सेवन (Nagarmotha is Beneficial for Breastfeeding Women in Hindi)

  • यदि स्तनपान कराने वाली महिलाओं को दूध कम हो रहा है तो नागरमोथा को जल में उबाल लें। इसे पिलाने से दूषित दूध शुद्ध हो जाता है।
  • ताजे नागरमोथा को पीसकर माता के स्तनों पर लेप करने से दूध की वृद्धि (nagarmotha ke fayde) होती है।

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सूखी खाँसी में नागरमोथा का औषधीय गुण फायदेमंद (Nagarmotha Benefits in Cure Thirsty Problem in Hindi)

  • नागरमोथा, पिप्पली, मुनक्का तथा बड़ी कटेरी के अच्छे पके फलों को बराबर-बराबर मात्रा में लें। इसे अच्छी तरह घोटकर घी और मधु के साथ मिलाकर चाटें। इससे सूखी खाँसी में फायदा (nagarmotha benefits) होता है।
  • अडूसा, सोंठ, नागरमोथा, भारंगी, चिरायता तथा नीम की छाल का काढ़ा बना लें। 10-20 मि.ली. काढ़ा में मधु डालकर पिलाने से सूखी खाँसी ठीक होती है।

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सूजाक में नागरमोथा के गुण से फायदा (Uses of Nagarmotha in Gonorrhea Treatment in Hindi)

  • नागरमोथा का काढ़ा बनाकर 50 मि.ली. मात्रा में सुबह और शाम पिलाने से सूजाक में लाभ (nagarmotha ke fayde) होता है।
  • नागरमोथा, दारुहल्दी, देवदारु तथा त्रिफला को समान मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। इसे 10-40 मि.ली. काढ़ा सुजाक के रोगी को सुबह और शाम देना चाहिए।

नागरमोथा के औषधीय गुण से जोड़ों के दर्द का इलाज (Nagarmotha Uses in Joint Pain Treatment in Hindi)

राजस्थान में भरतपुर जिला में बयाना एक जगह है, वहाँ पतंजलि का एक योग शिविर लगा हुआ था। यहां एक व्यक्ति रोगियों को घुटने के दर्द का कैप्सूल देता था। इस कैप्सूल को खाने से रोगी ठीक हो जाता है। पतंजलि के लोगों ने जब उस व्यक्ति से सम्पर्क किया तो पता चला कि वह केवल नागरमोथा की जड़ का चूर्ण कैप्सूल में भर कर लोगों को देता था। उन्होंने जब हरिद्वार में रोगियों पर यह प्रयोग किया तो पाया कि उससे तुरन्त आराम मिलता है।

नागरमोथा के औषधीय गुण से गले की बीमारी का इलाज (Nagarmotha Help in Throat or Leech Problem in Hindi)

अगर कंठ में जोंक चिपक गई हो तो नागरमोथा के कन्द को मुंह में रखने से निकल जाती है, लेकिन इस प्रयोग को करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

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मासिक विकार में नागरमोथा के औषधीय गुण से लाभ (Nagarmotha Uses in Menstrual Disorder Treatment in Hindi)

  • 10 ग्राम नागरमोथा को पीस लें। उसमें 50 ग्राम गुड़ मिलाकर 5-5 ग्राम की गोलियां बनाकर खाने से मासिक धर्म संबंधी विकारों में लाभ होता है।
  • नागरमोथा की जड़ का पेस्ट एवं काढ़े का सेवन करने से मासिक धर्म विकारों में फायदा होता है।

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घाव और फुंसियां सुखाने के लिए नागरमोथा का उपयोग (Nagarmotha Help in Healing Wound in Hindi)

  • नागरमोथा, मुलेठी, कैथ की पत्ती तथा लाल चंदन को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इसका लेप लगाने से फुंसियां ठीक होती हैं।
  • नागरमोथा के ताजे प्रकंद को घिसकर गाय का घी मिला लें। इसे घाव पर लगाने से घाव ठीक (nagarmotha benefits) होता है।

मिरगी में नागरमोथा के औषधीय गुण से लाभ (Nagarmotha is Beneficial in Cure Epilepsy in Hindi)

उत्तर-दिशा की तरफ से नागरमोथा को पुष्य नक्षत्र में उखाड़ लें। इसे गाय के दूध के साथ पिलाने से अपस्मार (मिरगी) रोग में लाभ मिलता है।

रक्तपित्त (नाक या कान से खून बहना) की समस्या में नागरमोथा का सेवन फायदेमंद (Nagarmotha Stops Bleeding in Hindi)

नागरमोथा, सिंघाड़ा, धान का लावा, खजूर, कमल तथा केशर को समान भाग लें। इनका चूर्ण (nagarmotha powder) बना लें। 3 ग्राम चूर्ण को मधु के साथ रक्तपित्त के रोगी को दिन में तीन से चार बार चटाएं। इससे लाभ होता है।

उपदंश (सिफलिस) में नागरमोथा के गुण से लाभ (Nagarmotha Treats Syphilis in Hindi)

नागरमोथा की जड़ के काढ़े का सेवन और काढ़े से घाव को धोने से उपदंश (सिफलिस) रोग में लाभ (nagarmotha benefits) होता है।

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बुखार में नागरमोथा के सेवन से लाभ (Nagarmotha is Beneficial in Fighting with Fever in Hindi)

  • नागरमोथा और गिलोय का काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मि.ली. मात्रा में पिलाने से बुखार में लाभ होता है।
  • नागरमोथा (cyperus rotundus benefits) और पित्तपापड़ा का काढ़ा बनाकर 20-40 मि.ली. की मात्रा में पिलाएं। इससे ठंड लगकर आने वाले बुखार में लाभ होता है। इससे पाचन-शक्ति बढ़ती है।
  • नागरमोथा, सोंठ तथा चिरायता को 10-10 ग्राम की मात्रा में लेकर काढ़ा बना लें। यह काढ़ा कफ, वात, अपच तथा बुखार को ठीक करता है, तथा पाचन-क्रिया को बढ़ाता है।
  • नागरमोथा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-40 मि.ली. मात्रा में पीने से बुखार उतर जाता है।
  • गिलोय, सोंठ, नागरमोथा, हल्दी तथा धमासा का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मि.ली. काढ़ा में 500 मिग्रा पिप्पली का चूर्ण (nagarmotha churna)  डालकर पीने से वातज-बुखार में लाभ होता है।
  • मुनक्का, अमलतास, नागरमोथा, पित्तपापड़ा तथा हरड़ का काढ़ा बना लें।  इसे 10-20 मि.ली. काढ़ा में शहद मिलाकर पीने से पित्तज-बुखार में लाभ होता है।
  • नागरमोथा, सोंठ, चिरायता, पित्तपापड़ा तथा गिलोय का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मि.ली. मात्रा में पिलाने से वात-पित्तज बुखार में लाभ होता है।
  • धान्यक, नेत्रवाला, नागरमोथा, हल्दी, हरड़ तथा जीरा का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मि.ली. मात्रा में पीने से कफ-पित्तज बुखार में लाभ (cyperus rotundus benefits) होता है।

और पढ़ें: बुखार में गिलोय का उपयोग

टायफॉयड बुखार में नागरमोथा से लाभ (Benefits of Nagarmotha in Typhoid Fever in Hindi)

  • नागरमोथा, छोटी कटेरी, गुडूची, शुण्ठी तथा आँवला से काढ़ा बना लें। इसमें पिप्पली चूर्ण 2.5-5 ग्राम तथा मधु 5 ग्राम मिलाकर पीने से टायफॉयड ठीक हो जाता है।
  • नागरमोथा, गिलोय, सोंठ, धमासा, आँवला, दोनों कटेरी, नीम की छाल तथा भृंगराज को समान भाग लेकर काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मि.ली. में मधु डालकर पिलाने से भी टायफॉयड में लाभ (cyperus rotundus benefits) होता है।

कमजोरी दूर करने के लिए नागरमोथा का सेवन लाभदायक (Nagarmotha Cures Body Weakness in Hindi)

नागरमोथा की जड़ का पेस्ट एवं काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे एनीमिया (खून की कमी), शारीरिक कमजोरी, कमर का दर्द तथा सूजन आदि में लाभ होता है।

और पढ़े: कमजोरी मे चीकू के फायदे

मूत्र रोग में नागरमोथा से फायदा (Nagarmotha Treats Urinary Problem in Hindi)

छाछ के साथ नागरमोथा के चूर्ण का सेवन करने से पेशाब खुल कर आता है। पेशाब से संबंधित रोग में नागरमोथा का प्रयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

और पढ़े: पेशाब की समस्या में खीरा के फायदे

बिच्छू के डंक सहित अन्य जहर को उतारने के लिए नागरमोथा का प्रयोग (Nagarmotha is Beneficial in Scorpion or Insect Biting in Hindi)

  • नागरमोथा कंद को पीसकर बिच्छु या अन्य कीड़े-मकौड़ों के काटने वाले स्थान पर लेप के रूप में लगाएं। इससे बिच्छू के डंक से होने वाला दर्द ठीक होता है।
  • देवदारु, सरसों तथा नागरमोथा के समान भाग चूर्ण को मक्खन में मिलाकर लेप करने से भिलावे का विष उतर जाता है।

और पढ़े: खून की कमी दूर करे प्रभाकर वटी

नागरमोथा के उपयोगी भाग (Useful Parts of Nagarmotha in Hindi)

यहां नागरमोथा से होने वाले सभी फायदे को आपकी भाषा (nagarmotha in hindi) और बहुत ही आसान शब्दों में बताया गया है, लेकिन नागरमोथा का इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

नागरमोथा का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Nagarmotha in Hindi?)

नागरमोथा का उपयोग इतनी मात्रा में किया जा सकता हैः-

  • काढ़ा – 20-30 मि.ली.
  • चूर्ण (Nagarmotha churna) – 5-10 ग्राम

नागरमोथा कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Nagarmotha Found or Grown?)

नागरमोथा की खेती (Nagarmotha Plant) पूरे भारत के जलीय तथा नमी वाले प्रदेशों में 2000 मीटर की ऊँचाई तक प्राप्त होता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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