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परवल के फायदे और उपयोग (Pointed Gourd or Parwal Benefits and Uses in Hindi)

Contents

परवल का परिचय (Introduction of Parwal)

गर्मी के दिनों में परवल (Parwal) एक ऐसी शाकाहारी सब्जी है जिसको लगभग भारत के सभी प्रांत के लोग खाना पसंद करते हैं। परवल की सब्जी (parwal ki sabji) में विटामिन ए, विटामिन बी1, विटामिन बी2 और विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है। जिसके कारण इसके सेहतमंद फायदे भी बहुत है। लेकिन परवल की सब्जी खाते वक्त कभी आपने ये सोचा है कि यह औषधि के रुप में भी काम आ सकता है। इस लेख में आगे हम परवल के औषधीय गुणों के बारे में ही विस्तार से चर्चा करेंगे।

परवल के फायदे | Benefits of Parwal

परवल क्या है? (What is Parwal in Hindi?)

परवल ऐसी सब्जी है जिसकी सूखे ग्रेवी की परवल की सब्जी (parwal ki sabji) या मिठाई बनाकर भी खा सकते हैं। लेकिन आयुर्वेद के अनुसार इसके सेहतमंद फायदे भी बहुत हैं।

परवल की दो प्रजातियाँ होती है जो औषधि के  काम आती हैं-

1. पटोल तथा

2. कटु पटोल ,

मधुर परवल (potol)का शाक बनाया जाता है तथा कड़वे परवल (parval)का प्रयोग औषधि कार्य के लिए किया जाता है।

चरक-संहिता में आसव योनि में परवल के पत्तों का उल्लेख मिलता है। कड़वे चीजों में पटोल विशेषत: वात कम करनेवाला माना गया है।  हर्पिज, पेट के रोग, अनीमिया, अपच रोग आदि में पटोल बहुत फायदेमंद (parwal benefits) है ये बताया गया है।

सुश्रुत में घाव को ठीक करने में पटोल पञ्चाङ्ग का काढ़ा एवं पटोल के साग को हितकर कहा गया है। पटोल के गुणों के बारे में बताया गया है कि यह गर्म तासीर का और स्वादिष्ट होता है।

यहां तक कि गर्भवती स्त्री को आठवें मास में अन्य खाद्द पदार्थों के साथ परवल की जड़ देने का नियम है। कुष्ठ, घाव, मोतियाबिंद आदि रोगों में यह हितकर होता है। पटोल के संदर्भ में बंगाल में मान्यता है कि पटोल का फल मीठा, पत्ते कड़वे तथा जड़ विषाक्त होते हैं।

परवल (parwal ki sabji) खून को साफ करने, कृमिनाशक, बुखार से राहत दिलाने, मूत्र करते समय दर्द, जलन आदि से राहत, मुँह या गले का सूख जाना, खाने में रूची न रहना जैसे कई रोगों में परवल बहुत फायदेमंद (parwal benefits) होता है।

इसके अलावा कफ और पित्त को कम करने में भी मदद करता है। पटोल के पत्ते वीर्य (semen) समस्याओं में भी फायदेमंद होते हैं। कच्चा परवल दर्द को कम करने और खाना को हजम करवाने में सहायक होता है।

परवल का फल कड़वा होता है लेकिन वात, पित्त और कफ को कम करने में सहायक होने के साथ-साथ बुखार, कुष्ठ रोग को ठीक करने में मदद करता है। परवल जड़ मल को निकालने में और वात को कम करने में सहायता करता है।

और पढ़ेंगले के दर्द के लिए घरेलू इलाज

अन्य भाषाओं में परवल के नाम (Name of pointed gourd in different languages in hindi)

  • परवल (parwal ki sabji) का वानस्पतिक नाम Trichosanthes dioica Roxb. (ट्रिकोसैन्थीज डायोइका) Syn-Anguina dioica (Roxb.) Kuntz है।
  • परवल Cucurbitaceae (कुकुरबिटेसी) कुल का होता है।
  • परवल को अंग्रेज़ी में Pointed gourd (पॉइन्टड गुअर्ड) कहते हैं। लेकिन दूसरे भाषाओं में परवल अनेक नामों से जाना जाता है।

Parwal in-

  • Parwal in Sanskrit – राजीफल, पटोल, कर्कशच्छद;
  • Parwal in Hindi – परवर, परवल, परबल, परोर, परोरा;
  • Parwal in Urdu – परवल (Parawal);
  • Parwal in Odiya – पटल (Patal);
  • Parwal in Kannada – काडू पुदालाई (Kadu pudalai), पडवल (Padwal), काही पडवल (Kahi padavala);
  • Parwal in Gujrati – पटोल (Patol), पडर (Padar);
  • Parwal in Tamil – पुड़लै (Pudlei), कोम्बुपटला (Kombuputula), कोम्बु-पुडलाई (Kombu-pudlai), पुटलई (Putalai);
  • Parwal in Telugu – पोटल (Potal), आडर (Aadar), अडावी-पटोला (Adavi-patola), कम्बुपोटला (Kambupotala);
  • Parwal in Bengali – पटोला (Patola), पाल्टा (Palta), पटोल (Patol);
  • Parwal in Nepali – परवल (Parval), परवर (Parvara);
  • Parwal in Panjabi – पलवल (Palwal);
  • Parwal in Marathi – पलवल (Palwal), परवर (Parwar);
  • Parwal in Malayalam – पटोलम् (Patolam)।
  • Parwal in Persian – पलोल (Palol)।

परवल के फायदे (Parval Benefits in Hindi)

आयुर्वेद के अनुसार परवल के फायदे (parwal benefits) अनगिनत होते हैं इसलिए ये कई तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में भी काम करता है। परवल  (parwal ki sabji) किन-किन बीमारियों में कैसे काम करता है इसके बारे में चलिये आगे जानते हैं-

सिरदर्द में परवल के फायदे (Benefits of Parwal to Get Rid of Headache in Hindi)

दिन भर कंप्यूटर पर काम करने के बाद शाम को सिर दर्द होना लाजमी हो जाता है। परवल के जड़ को पीसकर सिर पर लेप करने से सभी प्रकार के सिर दर्द से राहत मिलती है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ें: सिरदर्द में मुलेठी के फायदे

नेत्र रोग में परवल फायदेमंद (Benefits of Parwal in Eye disease in Hindi)

अगर आँख संबंधी बीमारियों से परेशान रहते हैं तो परवल शाक को घी में पकाकर सेवन करने से आँखों की बीमारियों से होने वाले कष्ट से आराम मिलता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ें: आंखों के रोग में धातकी के फायदे

मुखरोग में लाभकारी परवल  (Parwal Benefits in Oral Disease in Hindi)

परवल (parwal ki sabji), नीम, जामुन, आम और मालती के पत्तों का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मुखपाक आदि मुख संबंधी समस्याओं में लाभ मिलता है। इसके अलावा परवल के पत्तों के काढ़ा को गाढ़ा कर, इसमें गैरिक (गेरू) चूर्ण और मधु मिलाकर मुख के भीतर लेप करने से मुख रोग से राहत मिलती है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ें: मुखपाक में लाभकारी जूही के फूल

प्रमेह या डायबिटीज करे कंट्रोल परवल (Benefits of Parwal to Control Diabetes in Hindi)

आजकल असंतुलित खान-पान के कारण मधुमेह होना आम बात हो गया है। पटोल के पत्तों तथा फल का शाक बनाकर सेवन करने से प्रमेह,  सूजन में लाभ मिलता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़े: डायबिटीज में गेहूं के फायदे

अतिसार या दस्त रोके परवल ( Parwal to Fight Diarrhoea in Hindi)

परवल, जौ और धनियाँ को समान मात्रा में लेकर 10-20 मिली काढ़ा बनाकर उसको ठंडा कर उसमें चीनी तथा मधु मिलाकर पीने से उल्टी (कै) एवं अतिसार में लाभ होता है।

इसके अलावा दस्त ज्यादा होने पर यदि गुदा में जलन हो तो समान मात्रा में परवल पत्ता तथा मुलेठी काढ़े से गुदा को धोना अच्छा होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

अम्लपित्त या हाइपरएसिडिटी में परवल की सब्जी के फायदे (Benefit of Parwal in Hyperacidity in Hindi)

खान-पान में असंतुलन हुआ कि नहीं हाइपर एसिडिटी की समस्या हो गई। परवल (parwal ki sabji), त्रिफला तथा नीम को समान मात्रा में लेकर काढ़ा (10-20 मिली) बनाकर उसमें मधु मिलाकर पीने से दर्द, बुखार, उल्टी, अम्लपित्त या हाइपर एसिडिटी से राहत मिलती है। [Go to: Benefits of Parwal]

पीलिया से राहत दिलाये परवल (Parval Benefits to Get Relief from Jaundice in Hindi)

परवल (parwal ki sabji), कुटकी, सफेद चंदन, मुलेठी, गुडूची तथा पाठा से काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़े का सेवन करने से  कामला या पीलिया रोग में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ेंपीलिया का घरेलू उपचार

फोड़ों के दर्द को करे कम परवल की सब्जी (Benefits of Parwal in Chancre in Hindi)

परवल का पत्ता, त्रिफला, नीम का छाल, चिरायता, खदिर तथा असन इन द्रव्यों से बने काढ़े (10-20 मिली) में, 1 माशा शुद्ध गुग्गुल मिलाकर पीने से, सभी तरह के उपदंश या फोड़ो के दर्द में लाभ मिलता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ें: गुग्गुल के लाभ

कुष्ठ में परवल के इस्तेमाल (Use of Parval to Treat Leprosy in Hindi)

नीम तथा परवल की पत्तियों का काढ़ा बनाकर प्रयोग करने से कुष्ठ में लाभ होता है। परवल के पत्ते, खदिर, नीम की छाल, त्रिफला तथा वेत्र (वेत्त या वेतस) का काढ़ा बनाकर कड़वे पदार्थों के साथ सेवन करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

विसर्प या हर्पिस से दिलाये राहत परवल (Pointed Gourd Benefits for Herpes in Hindi)

हर्पिस के दर्द और जलन से राहत दिलाने में परवल के काढ़े का सेवन बहुत लाभप्रद होता है। परवल के पत्ते, मूंग की दाल तथा आमल के रस से बने काढ़े (10-20 मिली) में घी मिलाकर पीने से विसर्प या हर्पिस रोग (Herpes) में लाभ मिलता है। [Go to: Benefits of Parwal]

मसूरिका या स्मॉल पॉक्स में परवल के फायदे (Potol Benefits in Small Pox in Hindi)

स्मॉल पॉक्स होने पर जलन और दर्द से मरीज बहुत परेशान रहता है-

-पित्तजन्य शीतला या स्मॉल पॉक्स के प्रारम्भिक अवस्था में परवल के जड़ एवं पत्ते के काढ़े (10-20 मिली) में मुलेठी जड़ का रस (5 मिली) मिलाकर पीना चाहिए। इससे शरीर को आराम मिलता है।

-अडूसा, नागरमोथा, चिरायता, त्रिफला, इंद्रजौ, जवासा, परवल पत्ता तथा नीम छाल का काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़े में मधु मिला कर पीने से कफ वाले स्मॉल पॉक्स में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ेंस्मॉल पॉक्स कम करने में सुगन्धबाला के फायदे

मदात्यय या इनटॉक्सिकेशन में परवल के फायदे (Parwal for Intoxication in Hindi)

परवल के जूस को खट्टा करके जौ से बने हुए व्यंजन के साथ सेवन करने से मदात्यय या नशा उतारने में मदद मिलती है। [Go to: Benefits of Parwal]

बुखार में फायदेमंद परवल (Parwal to Treat Fever in Hindi)

साल में हर बार मौसम बदलने पर बुखार से सब परेशान होने लगते हैं। इससे राहत दिलाने में परवल की पत्ती का इस तरह से सेवन बहुत काम आता है-

  • परवल की पत्ती तथा परवल के फल का शाक के साथ समान मात्रा में धनिया डालकर परवल पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने अथवा पीने से ज्वर में लाभ होता है।
  • नीम तथा परवल से बने जूस का सेवन करने से पित्त-श्लेष्मा या बलगम वाले-ज्वर में तथा परवल पत्ते व फल का सेवन सभी प्रकार के ज्वर में उपयोगकारी होता है।
  • परवल पत्ता तथा यव काढ़े (10-20 मिली क्वाथ) में मधु मिलाकर पीने से पित्त के कारण ज्वर, जलन, प्यास आदि से राहत मिलती है।
  • परवल के पत्ते, नीम की छाल, त्रिफला, मुलेठी तथा बला का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से पित्त-कफ वाले बुखार से राहत मिलती है।
  • परवल पत्ता, यव, धनिया, मूँग, आँवला तथा रक्त-चंदन से बने काढ़े को (10-20 मिली मात्रा में) पीने से पित्तज तथा कफ पित्तज ज्वर में आराम मिलता है। यहां तक बुखार में जो तृष्णा, उल्टी तथा दाह जैसे लक्षण महसूस होते हैं उससे भी राहत मिलती है।
  • परवल, लालचन्दन, मूर्वा, कुटकी, पाठा तथा गुडूची से बने काढ़े को पीने से पित्त और कफ के कारण जो, उल्टी, जलन, खुजली तथा विष रोग होते हैं उससे मुक्ति मिलती है।
  • परवल, इन्द्रजौ, देवदारु, त्रिफला, नागरमोथा, मुनक्का, मुलेठी, गुडूची तथा अडूसा इन द्रव्यों से बने 10-20 मिली काढ़े में 6 माशा मधु मिलाकर पीने से संततज्वर, सततज्वर, द्वितीयक ज्वर, तृतीयक ज्वर, एकाहिकज्वर तथा नवज्वर में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ें: आंवला के फायदे

कफज ज्वर से दिलाये राहत परवल (Parwal Benefits in Cough Related Fever in Hindi)

ठंडा लगकर जब हद से ज्यादा कफ हो जाता है तब बुखार आने लगती है, लेकिन परवल के काढ़े का सेवन फायदेमंद होता है। परवल, त्रिफला, कुटकी, सोंठ, वासा तथा गुडूची का काढ़ा बना लें।  10-20 मिली काढ़े में शहद मिलाकर सेवन करने से कफ ज्वर में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

ऐकाहिक ज्वर या इंफ्लुएंजा में परवल के फायदे (Parwal Benefits for Influenza in Hindi)

मौसम के बदलाव के साथ अक्सर लोगों को इंफ्लुएंजा हो जाता है। परवल (parwal ki sabji)का सेवन इस तरह से करने पर इंफ्लुएंजा के परेशानी से कुछ हद तक राहत मिलती है।

  • परवल, त्रिफला, निम्बत्वक्, मुनक्का, अमलतास तथा वासा से बने (10-20 मिली) काढ़े में 1 ग्राम मिश्री या 1 ग्राम शर्करा मिलाकर पीने से ऐकाहिक ज्वर में लाभ होता है।
  • परवल, कुटकी, मुलेठी, हरीतकी तथा नागरमोथा का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पीने से विषम ज्वर में लाभ होता है।
  • परवल, नीम छाल, छोटी कटेरी, कुटज, गुडूची तथा नागरमोथा इन औषधियों से बने काढ़े में मधु मिलाकर पीने से कमजोरी के कारण जो बुखार आता है  उसमें लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ें: अमलतास के फायदे

रक्तपित्त या हेमोरेज में लाभकारी परवल (Parwal Benefits to Get Relief from Hemorrhage in Hindi)

हेमोरेज से जो परेशान रहते हैं उनके लिए परवल (parwal ki sabji) बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। 5 मिली परवल के पत्ते का रस में शहद मिलाकर पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

  • परवल, ह्रीबेर की जड़ तथा समान मात्रा में लालचंदन चूर्ण (1-2 ग्राम) को शर्करायुक्त चावल के धोवन के साथ पीने से अथवा परवल के पत्तों का हिम, रस, पेस्ट या काढ़ा बनाकर पीने से रक्तपित्त में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़ेरक्तपित्त में सिंगाड़े के फायदे

कब्ज से राहत दिलाये परवल (Benefit of Parwal to Get Relief from Constipation in Hindi)

परवल कब्ज में लाभदायक होता है, क्योंकि इसमें पाचक और रेचन दोनों ही गुण पाए जाते हैं। यह गुण आपके पाचन तंत्र को मजबूत रखते हुए कब्ज की  परेशानी को कम करने में मदद करता है।

और पढ़ेंः कब्ज के घरेलू इलाज

वजन कम करने में सहायक परवल की सब्जी (Parwal Beneficial in Weight loss in Hindi)

वजन का बढ़ना भी पाचन के खराब होने का ही कारण होती है। इस कारण शरीर में विषैले पदार्थ अत्यधिक चर्बी के रूप में इकट्ठे होने लगते है। परवल के दीपन – पाचन के गुण के कारण ये पाचन को बेहतर करने में मदद करता है और साथ ही  रेचन गुण के कारण शरीर के ये भीतर की गंदगी यानि टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है।

और पढ़ेमोटापा कम करने में वृक्षाम्ल फायदेमंद

पाचन तंत्र सुधारने में लाभकारी परवल की सब्जी (Parwal Beneficial for Digestive System in Hindi)

परवल की सब्ज़ी पाचन तंत्र को सुधारने में भी लाभदायक होती है, क्योंकि इसमें दीपन – पाचन का गुण पाया जाता है जिसके कारण ये अग्नि को दीप्त कर पाचन तंत्र को बेहतर तरीके से काम करने में मदद करता है।

कोलेस्‍ट्रॉल और ब्‍लड शुगर को नियंत्रित करने में सहायक परवल के बीज (Benefit of Parwal to Control Cholesterol and Blood Sugar in Hindi)

कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज दोनों ही ऐसी समस्याएँ है जो कि पाचन के ख़राब होने के कारण या आम बनने के कारण होती हैं। परवल में दीपन – पाचन गुण होने के कारण ये पाचन को स्वस्थ रखने में मदद करती है साथ ही रेचन गुण होने के कारण शरीर से आम को पचाकर बाहर निकालने में भी सहयोग देती है।

और पढ़े: कोलेस्ट्रॉल के घरेलू उपचार

शराब की आदत छुड़ाने में लाभकारी परवल (Parwal Beneficial in Quitting Alchohol in Hindi)

शराब की आदत छोड़ने पर जो लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे की भूख न लगना, पाचन खराब होना या गैस आदि का बनना। इन सबसे राहत पाने में परवल बहुत सहयोगी होता है क्योंकि यह अपने दीपन – पाचन और उष्ण गुण होने के कारण इन सभी समस्याओं का समाधान करता है।

खून साफ करने में परवल खाने के फायदे (Parwal Beneficial to Get Relief from Blood Purification in Hindi)

खून में अशुद्धियाँ होना पित्त प्रकुपित होने का एक कारण होता है। परवल की पत्तियो में  पित्तशामक, व्रणशोधक गुण होने के कारण यह खून को साफ़ करने में मदद करती है।

पेट की चर्बी या मोटापा कम करे परवल (Parwal Benefits in Obesity in Hindi)

वजन का बढ़ना तो संक्रामक रोग जैसा हो गया है। हर कोई वजन कम करना चाहता है, परवल का सेवन इस तरह से करने पर वजन कम होने में सहायता मिलती है। परवल का पत्ता तथा चित्रक के (20 मिली) काढ़े में 500 मिग्रा सौंफ तथा 65 मिग्रा हींग मिलाकर चूर्ण बनायें। इस चूर्ण के सेवन से पेट की चर्बी कम होती है। [Go to: Benefits of Parwal]

और पढ़े- मोटा होने के असरदार घरेलू नुस्खे

परवल का उपयोगी भाग (Useful Parts of Parwal)

आयुर्वेद में परवल का पत्ता, फल, जड़ तथा पञ्चाङ्ग औषधि के रुप में ज्यादा प्रयोग किए जाते हैं।

परवल का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Parwal in Hindi?)

हर बीमारी के लिए परवल के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए परवल का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चिकित्सक के परामर्शानुसार-

  • 5 मिली- परवल के पत्ते का रस ,
  • 10-30 मिली- काढ़ा  और
  • 1-3 ग्राम-चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।

परवल कहां पाया और उगाया जाता है? (Where is Parwal Vegetable is Found or Grown?)

यह उत्तर-भारत के मैदानी प्रदेशों में तथा आसाम, पूर्व बंगाल एवं गुजरात में पाया जाता है। 

और पढ़ें:

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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