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Vach: वच के फायदे हैरान कर देंगे आपको- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

वच का परिचय (Introduction of Vach Plant)

क्या आप जानते हैं कि वच (vacha herb in hindi) क्या है?  या वच का उपयोग किन कामों में किया जाता है? नहीं ! तो यह जानकारी आपके लिए बहुत फायदेमंद है। जान लीजिए कि वच एक औषधि है। वच का प्रयोग पेशाब साफ करने और पेचिश की रोकथाम में की जाती है। गैस, मिरगी, कफ, पेट के कीड़े और गठिया आदि के इलाज वच का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, वच के फायदे अन्य और भी हैं।

What is Sweet flag ?

Sweet flag Called in Different Languages

Acorus Calamus Medicinal Uses

  • Uses of Vach in Fighting with Migraine
  • Benefits of Vach in Fighting with Headache
  • Vach Benefits in Increasing Memory Power
  • Vach Uses in Cure Abdominal Gas
  • Uses of Vach in Cure Throat Related Problems
  • Benefits of Vach in Goiter Treatment
  • Vach Benefits in Fighting with Cough Disease
  • Benefits of Vach in Asthma
  • Uses of Vach in Coryza
  • Vach Benefits in Fighting with Tuberculosis
  • Vach Uses in Cure Abdominal Bugs
  • Uses of Sweet Flag in Cure Hemorrhoid
  • Benefits of Sweet Flag to Stop Bleeding and Dysentery
  • Benefits of Sweet Flag in Getting Normal Pregnancy
  • Uses of Sweet Flag in Leprosy Treatment
  • Sweet Flag Benefits in Cure Acne
  • Sweet Flag Benefits in Cure Ulcer
  • Sweet Flag Uses in Epilepsy
  • Sweet Flag Uses in Mouth Paralysis
  • Uses of Sweet Flag in Stammer Problem
  • Benefits of Sweet Flag in Cold, Cough and Fever

Sweet Flag Uses in Jamalgota Side Effect

How to Use Vach

Doses of Vach

Side Effects of Vach

Where is Vach Found or Grown ?

आयुर्वेदिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि वच (vacha herb in hindi) में बुखार को कम करने, दिल और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने और आवाज को बेहतर बनाने की क्षमता है। पेट की गडबड़ी, खोयी याददाश्त लौटाना, खून साफ करना आदि के लिए वच का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं आप वच का इस्तेमाल किन-किन रोगों में कर सकते हैं।

वच क्या है? (What is Sweet flag in Hindi?)

वच का पौधा (Vach Plant) मूल रूप से यूरोपीय वनस्पति है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। औषधि के रूप में मुख्य तौर पर इसकी जड़ से बने चूर्ण (vacha powder) का इस्तेमाल किया जाता है। सैकड़ों साल पहले इसका प्रयोग मिस्र और ग्रीस में होता था। भारत में इसका आगमन कब हुआ, इस बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। लंबे समय से भारत में भी इसका इस्तेमाल दवाओं (Vach Herb) के लिए किया जा रहा है।

वच की कई प्रजातियां औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। वच का सुखाया हुआ जड़ (baje root) वाला हिस्सा बाजारों में घोड़ा वच के नाम से बिकता है। इसकी इसमें बाल वच या पारसीक वच प्रमुख है। दवाओं के लिए वच की छह प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। इनमें शामिल हैं-

  1. वच (Acorus calamus Linn)
  2. बाल वच (Iris versicolor Linn। (Blue flag))
  3. कापत्रिका वचा (Iris ensata Thunb.)
  4. लघुपत्र वचा (Acorus gramineus Sol.)
  5. हेमवती वच (Iris germanica Linn.) तथा
  6. श्वेत वच (Paris polyphylla Sm.)

वच की गंध तेज होती है। यह स्वाद में कड़वा होता है। यह बुखार को कम करने, हृदय के रोग और सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने में कामा आता है। इसमें आवाज को बेहतर बनाने की भी क्षमता होती है।

  • लघुपत्र वच (vacha herb)  के प्रंद का प्रयोग पेट की बीमारियों और पथरी के इलाज में किया जाता है। इसकी जड़ का गुण जोश भरने वाला, ताकत बढ़ाने वाला, रोगाणु को पनपने से रोकने वाला होता है। इसकी जड़ मांसपेंशियों का खिंचाव दूर करने में भी सहायक है। इसके प्रयोग से खोई हुई याददाश्त वापस लाने में भी सहायता मिलती है। इसके प्रंद का क्वाथ बनाकर पीने से पेट संबंधी गड़बड़ियां ठीक हो जाती हैं।
  • कापत्रिका वच (vacha herb) की पपड़ी का प्रयोग खून साफ करने में किया जाता है। इस पपड़ी का काढ़ा (क्वाथ) बनाकर योनि को साफ करने से योनि संबंधी समस्याओं को दूर किया जा सकता है। इस तरह के काढ़ा का सेवन करने से यकृत (liver) और त्वचा के रोग भी दूर होते हैं।

अनेक भाषाओं में वच के नाम (Sweet flag Called in Different Languages)

वच एरेसी (Araceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम Acorus calamus (एकोरस कैलॅमस) है। अंग्रेजी में इसे Sweet flag (स्वीट फ्लैग), Sweet calamus (स्वीट कैलेमसः , Flag root (फ्लैग रूट) आदि नामों से जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैं : –

Sweet Flag in –

  • Hindi (acorus calamus in hindi) – वच, घोरवच, घोड़वच
  • English – Sweet Calamus (स्वीट कैलेमस), फ्लैग रूट (Flag root)
  • Sanskritवचा, उग्रगन्धा, षड्ग्रन्था, गोलोमी, शतपर्विका, क्षुद्रपत्री, मङ्गल्या, जटिला, उग्राम, लोमशा
  • Urdu – बचा (Bacha)
  • Gujarati – वज (Vaj), घोड़ावज (Godavaj)
  • Telugu- वासा (Vasa), वस (Vas)
  • Tamil (vacha herb in tamil) – वशाम्बु (Vashambu)
  • Bengali – वच (Vacha)
  • Nepali – बोमो (Bomo)
  • Punjabi – बरिबोज (Bariboj)
  • Marathi – वेखण्ड (Vekhand)
  • Malayalam – व्वयम्बु (Vayambu)
  • Kannad – बजे (Baje), वशाम्पा (Vashampa)
  • Arabic – उदल बुज (Udal buj), अकरुन (Akuran)
  • Persian – सोसन जर्द (Sosan jard), अगरि तुर्की (Agre turki)

वच के औषधीय प्रयोग से लाभ (Acorus Calamus Medicinal Uses in Hindi)

आप वच का इस्तेमाल इन रोगों में कर सकते हैंः-

माइग्रेन (अधकपारी या आधासीसी) में फायदेमंद वच का प्रयोग (Uses of Vach in Fighting with Migraine in Hindi)

माइग्रेन की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए वच बेहद लाभकारी औषधि है। वच और पिप्पली के चूर्ण (vacha powder) को मिलाकर सुंघाने से या नाक में देने से माइग्रेन या अधकपारी की बीमारी में लाभ होता है।

और पढ़े: माइग्रेन में गुलदाउदी का फायदेमंद

वच के इस्तेमाल से सिर दर्द से राहत (Benefits of Vach in Fighting with Headache in Hindi)

सिर में, खासकर, अगले हिस्से में दर्द होने पर वच के पत्तों के प्रयोग से आराम मिलता है। वच के पत्ते को पीसकर मस्तक और दर्द वाली जगह पर लेप करें। इससे तेज सिर दर्द में भी शीघ्र लाभ होता है।

याददाश्त (स्मरण शक्ति) बढ़ाने वच उपयोगी (Vach Benefits in Increasing Memory Power in Hindi)

वच मनुष्य की स्मरण शक्ति बढाने में बेहद मददगार होती है। वच के तने के 200 मिली ग्राम चूर्ण को घी, दूध या पानी के साथ सेवन करें। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है। इस योग का दिन में दो बार करने से फायदा मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए एक साल तक या कम से कम एक महीना तक इसका सेवन करना चाहिए।

वच (vacha herb)  के 10 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम बूरे के साथ गर्म कर रोज 10 ग्राम मात्रा में शाम को खाने से भी स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है।

वच का उपयोग पेट की गैस के लिए फायदेमंद (Vach Uses in Cure Abdominal Gas in Hindi)

25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। इस प्रक्रिया के पानी और वच की एक चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से गैस की परेशानी से आराम मिलता है।

गले के रोग में लाभदायक वच का सेवन (Uses of Vach in Cure Throat Related Problems in Hindi)

कफ के कारण यदि गले में दर्द हो रहा हो तो वच के 500 मिलीग्राम चूर्ण को हल्का गर्म दूध में डालकर पिलाएं। इसका सेवन करने से अन्दर जमा हुआ कफ ढीला पड़कर बाहर निकल जाता है। इससे गले का दर्द जल्द ही दूर हो जाता है।

वच के इस्तेमाल से घेघा रोग का इलाज (Benefits of Vach in Goiter Treatment in Hindi)

आयोडीन की कमी से होने वाले घेघा रोग के उपचार में वच लाभदायक होता है। इसके चूर्ण (vacha powder) और पिप्पली के चूर्ण को शहद में या नीम का तेल मिलाकर सुंघाने से घेघा आदि रोग दूर हो जाते हैं।

बच्चों को खांसी में वच से लाभ (Vach Benefits in Fighting with Cough Disease in Hindi)

मां के दूध के साथ वच (vacha herb) को घिसकर पिलाने से बच्चों की खांसी दूर करने में मदद मिलाती है।

125 मिलीग्राम वच को पानी में घिसकर दिन में तीन बार पिलाने से भी बच्चों की खांसी में लाभ होता है।

25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।

दमा के इलाज में वच लाभदायक (Benefits of Vach in Asthma in Hindi)

दमे के रोगी को पहले वच की खुराक 2 ग्राम की मात्रा में देनी चाहिए। उसके बाद हर तीसरे घंटे बाद 625 मिलीग्राम की मात्रा का सेवन कराने से दमा में लाभ होता है।

नाक में जलन, सर्दी में लाभकारी है वच का प्रयोग (Uses of Vach in Coryza in Hindi)

सर्दी, जुकाम की हालत में वच शीघ्र लाभ देता है। इसमें लाभ के लिए वच (vacha herb) के चूर्ण को कपड़े में रखकर सूंघें। इससे सर्दी के कारण नाक में होने वाली जलन दूर होने लगती है।

टीबी रोग में भी फायदेमंद वच का सेवन (Vach Benefits in Fighting with Tuberculosis in Hindi)

क्षय रोग (टीबी) के रोगियों के लिए भी वच लाभदायक है। रोगी वच, अश्वगंधा, तिल, अपामार्ग के बीज और सरसों के बीज का चूर्ण बना लें। इसे 1 से 2 ग्राम चूर्ण मात्रा को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

और पढ़ें: टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोग

पेट के कीड़े को खत्म करने के  लिए वच का प्रयोग (Vach Uses in Cure Abdominal Bugs in Hindi)

वच में कीड़े मारने का गुण होता है। वच के 2 ग्राम चूर्ण को 125 मिलीग्राम भुनी हुई हींग के साथ मिलाकर खिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

वच के उपयोग से बवासीर का इलाज (Uses of Sweet Flag in Cure Hemorrhoid in Hindi)

बवासीर में राहत के लिए वच, भांग और अजवायन को बराबर–बराबर मात्रा में लेकर जलाएं। इन्हें जलाने से उठने वाली धूनी से बवासीर के घाव को सेकें। इससे बवासीर के दर्द से राहत मिलती है।

पेचिश और खून की उल्टी रोकने के लिए वच का इस्तेमाल लाभदायक (Benefits of Sweet Flag to Stop Bleeding and Dysentery in Hindi)

  • पेचिश और खून की उल्टी से परेशान रोगियों को वच, धनिया और जीरे का काढ़ा पिलाने से लाभ होता है। इसके लिए तीनों पदार्थों को समान मात्रा में (10-10 ग्राम) लेकर 100 मिलीलीटर जल में उबालें, 20 मिलीलीटर शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पिएं।
  • वच की जड़ (baje root) को कूट कर उसका काढ़ा बनाकर 25 या 35 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से पेचिश में लाभ होता है।
  • दर्द की स्थिति में वच को पानी में घिसकर पेट पर लेप करने से गैस या पेट के सूजन आदि में लाभ होता है।
  • बच्चों को दर्द के साथ पेचिश हो तो, वच को जलाकर इसके के कोयले को अरंडी के तेल या नारियल के तेल में पीसकर बच्चे के पेट पर लेप करने से राहत मिलती है।
  • वच की 125 मिग्रा राख (भस्म) को पानी में घोलकर पिलाने से भी बच्चों को पेचिश में लाभ होता है।
  • 25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से पेचिश में आराम मिलता है।

सामान्य प्रसव के लिए करें वच का इस्तेमाल (Benefits of Sweet Flag in Getting Normal Pregnancy in Hindi)

वच  (vacha plant) सामान्य प्रसव कराने में सहायता करता है। वच को पानी में घिसकर इसमें अंरडी का तेल मिलाकर गर्भवती महिला के नाभि पर लेप किया जाए तो इससे बच्चे के जन्म में आसानी हो जाती है।

प्रसव के बाद आने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए वच के काढ़े को 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह शाम पिलाया जाना चाहिए।

कुष्ठ रोग के इलाज में वच फायदेमंद (Uses of Sweet Flag in Leprosy Treatment in Hindi)

वच चर्म रोगों की कारगर औषधि है। इलायची, कूठ, विडंग, शतावर, चित्रक, वच, दन्ती और रसौत को पीस लें। इसका लेप करने से कुष्ठ और अन्य चर्म रोग भी दूर हो जाते हैं।

कुष्ठ रोग में राहत के लिए वच, वासा, पटोल, नीम, प्रियंगु और दालचीनी का काढ़ा बना लें। फिर इसकी 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में 1 ग्राम मदनफल चूर्ण मिला लें। इस मिश्रण के प्रयोग से कुष्ठ रोग में फायदा मिलता है।

वच से मुंहासे-फोड़े का उपचार (Sweet Flag Benefits in Cure Acne in Hindi)

मुहांसे और फोड़े इत्यादि के लिए वच से बनी दवाई गुणकारी होती हैं। लोध, धनिया और वच को समान मात्रा में लें। तीनों को पीसकर लेप करने से मुँहासे आदि खत्म हो जाते हैं।

और पढ़ेमुहांसे में नींबू के फायदे

अल्सर दूर करने में सहायक है वच (Sweet Flag Benefits in Cure Ulcer in Hindi)

कासीस, सेंधा नमक, सुराबीज, वच, दोनों हल्दी (हल्दी व जंगली हल्दी) और अन्य शोधन पदार्थों से तैयार चूर्ण का इस्तेमाल अल्सर दूर के लिए किया जाता है।

मिरगी में मददगार वच का उपयोग (Sweet Flag Uses in Epilepsy in Hindi)

500 मिलीग्राम वच (bach plant) चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन कराने से मिरगी जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और चावल का ही प्रयोग करें।

इसके अलावा, सुबह में 1-1 ग्राम वच चूर्ण को शहद या घी के साथ तीन दिन तक सेवन करने से या 2 ग्राम वच चूर्ण में शहद मिला कर 1 महीने तक सेवन करने से भी मिरगी में लाभ होता है। इसके सेवन के साथ और भोजन में दूध-चावल लिया जाना चाहिए।

मुंह का लकवा में फायदा पहुंचाता है वच (Sweet Flag Uses in Mouth Paralysis in Hindi)

मुंह के लकवा से पीड़ित व्यक्ति वच के 625 मिलीग्राम चूर्ण तथा 625 मिलीग्राम शुंठी के चूर्ण (vacha powder) को शहद में मिला ले। इसे दिन में दो से तीन बार चाटने से लाभ होता है। इसके सेवन के समय पानी में शहद मिलाकर पिलाना चाहिए।

और पढ़े: लकवा की समस्या में कूठ के फायदे

हकलाने की बीमारी को भी ठीक करता है वचा (Uses of Sweet Flag in Stammer Problem in Hindi)

हकलाने की बीमारी ठीक करने के लिए रोगी को ताजे वच (bach plant)  के तने का 1 ग्राम का टुकड़ा सुबह शाम चूसने के लिए दें। लगातार 3 महीने तक इसका इस्तेमाल करने से हकलाने की बीमारी में आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलता है।

जुकाम, खांसी और बुखार का अचूक इलाज है वच (Benefits of Sweet Flag in Cold, Cough and Fever in Hindi)

  • वच को पानी में पीसकर नाक पर लेप करें। इससे जुकाम, खांसी और उसके कारण होने वाला तेज बुखार कम हो जाता है।
  • छोटे बच्चों के बुखार में वच की जड़ (vacha plant) को पानी में घिसकर हाथ और पैरों पर लगाने से लाभ होता है।
  • इसके अलावा, एक हिस्सा वच और 2 हिस्सा चिरायता को मिलाकर काढ़ा बनाकर 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में पिलाने से बुखार में लाभ होता है।

जमाल गोटा के नुकसान से बचाता है (Sweet Flag Uses in Jamalgota Side Effect in Hindi)

वच के 1 ग्राम भस्म को पानी में घोलकर पिलाएं। इससे जमाल गोटे का विष शांत हो जाता है। विष के दुष्प्रभाव से होने वाली परेशानियां धीरे धीरे दूर हो जाती हैं।

वच के प्रयोग के तरीके (How to Use Vach in Hindi)

वच (bach plant) के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है:

  1. जड़ (baje root)
  2. छाल

उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है। आमतौर पर चिकित्सक व्यवहार में बाहरी प्रयोगों के लिए घोड़ा वच और आतंरिक सेवन के लिए बाल वच का प्रयोग करते हैं।

वच के सेवन की मात्रा (Doses of Vach)

वच का सेवन ऊपर बताए गए तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन चिकित्सक के सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए।

वच के प्रयोग के नुकसान (Side Effects of Vach)

वच का ज्यादा प्रयोग हानिकारक हो जाता है। यह गर्म प्रकृति वाले लोगों के लिए हानिकारक होता है। ऐसे लोग वच का सेवन करें तो उन्हें उनमें सिर दर्द होने लगता है।

वच कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Vach Found or Grown ?)

वच (vacha plant) की उत्पत्ति पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में मानी जाती है। यह आजकल हिमाचल प्रदेशों में भी लगभग 2,000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। भारत में मणिपुर और नागालैंड की पहाड़ियों में और कश्मीर में झीलों व खेतों के किनारे यह ज्यादा मिलता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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