वच का परिचय (Introduction of Vach Plant)
क्या आप जानते हैं कि वच (vacha herb in hindi) क्या है? या वच का उपयोग किन कामों में किया जाता है? नहीं ! तो यह जानकारी आपके लिए बहुत फायदेमंद है। जान लीजिए कि वच एक औषधि है। वच का प्रयोग पेशाब साफ करने और पेचिश की रोकथाम में की जाती है। गैस, मिरगी, कफ, पेट के कीड़े और गठिया आदि के इलाज वच का उपयोग किया जाता है। इतना ही नहीं, वच के फायदे अन्य और भी हैं।
What is Sweet flag ?
Sweet flag Called in Different Languages
Acorus Calamus Medicinal Uses
Sweet Flag Uses in Jamalgota Side Effect
How to Use Vach
Doses of Vach
Side Effects of Vach
Where is Vach Found or Grown ?
आयुर्वेदिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि वच (vacha herb in hindi) में बुखार को कम करने, दिल और सांस संबंधी दिक्कतों को दूर करने और आवाज को बेहतर बनाने की क्षमता है। पेट की गडबड़ी, खोयी याददाश्त लौटाना, खून साफ करना आदि के लिए वच का प्रयोग किया जाता है। आइए जानते हैं आप वच का इस्तेमाल किन-किन रोगों में कर सकते हैं।
वच क्या है? (What is Sweet flag in Hindi?)
वच का पौधा (Vach Plant) मूल रूप से यूरोपीय वनस्पति है। इसमें कई तरह के औषधीय गुण होते हैं। औषधि के रूप में मुख्य तौर पर इसकी जड़ से बने चूर्ण (vacha powder) का इस्तेमाल किया जाता है। सैकड़ों साल पहले इसका प्रयोग मिस्र और ग्रीस में होता था। भारत में इसका आगमन कब हुआ, इस बारे में कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है। लंबे समय से भारत में भी इसका इस्तेमाल दवाओं (Vach Herb) के लिए किया जा रहा है।
वच की कई प्रजातियां औषधि के रूप में उपयोग की जाती हैं। वच का सुखाया हुआ जड़ (baje root) वाला हिस्सा बाजारों में घोड़ा वच के नाम से बिकता है। इसकी इसमें बाल वच या पारसीक वच प्रमुख है। दवाओं के लिए वच की छह प्रजातियों का उपयोग किया जाता है। इनमें शामिल हैं-
वच की गंध तेज होती है। यह स्वाद में कड़वा होता है। यह बुखार को कम करने, हृदय के रोग और सांस संबंधी समस्याओं को दूर करने में कामा आता है। इसमें आवाज को बेहतर बनाने की भी क्षमता होती है।
अनेक भाषाओं में वच के नाम (Sweet flag Called in Different Languages)
वच एरेसी (Araceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम Acorus calamus (एकोरस कैलॅमस) है। अंग्रेजी में इसे Sweet flag (स्वीट फ्लैग), Sweet calamus (स्वीट कैलेमसः , Flag root (फ्लैग रूट) आदि नामों से जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैं : –
Sweet Flag in –
वच के औषधीय प्रयोग से लाभ (Acorus Calamus Medicinal Uses in Hindi)
आप वच का इस्तेमाल इन रोगों में कर सकते हैंः-
माइग्रेन (अधकपारी या आधासीसी) में फायदेमंद वच का प्रयोग (Uses of Vach in Fighting with Migraine in Hindi)
माइग्रेन की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए वच बेहद लाभकारी औषधि है। वच और पिप्पली के चूर्ण (vacha powder) को मिलाकर सुंघाने से या नाक में देने से माइग्रेन या अधकपारी की बीमारी में लाभ होता है।
वच के इस्तेमाल से सिर दर्द से राहत (Benefits of Vach in Fighting with Headache in Hindi)
सिर में, खासकर, अगले हिस्से में दर्द होने पर वच के पत्तों के प्रयोग से आराम मिलता है। वच के पत्ते को पीसकर मस्तक और दर्द वाली जगह पर लेप करें। इससे तेज सिर दर्द में भी शीघ्र लाभ होता है।
याददाश्त (स्मरण शक्ति) बढ़ाने वच उपयोगी (Vach Benefits in Increasing Memory Power in Hindi)
वच मनुष्य की स्मरण शक्ति बढाने में बेहद मददगार होती है। वच के तने के 200 मिली ग्राम चूर्ण को घी, दूध या पानी के साथ सेवन करें। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है। इस योग का दिन में दो बार करने से फायदा मिलता है। बेहतर परिणाम के लिए एक साल तक या कम से कम एक महीना तक इसका सेवन करना चाहिए।
वच (vacha herb) के 10 ग्राम चूर्ण को 250 ग्राम बूरे के साथ गर्म कर रोज 10 ग्राम मात्रा में शाम को खाने से भी स्मरण शक्ति की वृद्धि होती है।
वच का उपयोग पेट की गैस के लिए फायदेमंद (Vach Uses in Cure Abdominal Gas in Hindi)
25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। इस प्रक्रिया के पानी और वच की एक चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से गैस की परेशानी से आराम मिलता है।
गले के रोग में लाभदायक वच का सेवन (Uses of Vach in Cure Throat Related Problems in Hindi)
कफ के कारण यदि गले में दर्द हो रहा हो तो वच के 500 मिलीग्राम चूर्ण को हल्का गर्म दूध में डालकर पिलाएं। इसका सेवन करने से अन्दर जमा हुआ कफ ढीला पड़कर बाहर निकल जाता है। इससे गले का दर्द जल्द ही दूर हो जाता है।
वच के इस्तेमाल से घेघा रोग का इलाज (Benefits of Vach in Goiter Treatment in Hindi)
आयोडीन की कमी से होने वाले घेघा रोग के उपचार में वच लाभदायक होता है। इसके चूर्ण (vacha powder) और पिप्पली के चूर्ण को शहद में या नीम का तेल मिलाकर सुंघाने से घेघा आदि रोग दूर हो जाते हैं।
बच्चों को खांसी में वच से लाभ (Vach Benefits in Fighting with Cough Disease in Hindi)
मां के दूध के साथ वच (vacha herb) को घिसकर पिलाने से बच्चों की खांसी दूर करने में मदद मिलाती है।
125 मिलीग्राम वच को पानी में घिसकर दिन में तीन बार पिलाने से भी बच्चों की खांसी में लाभ होता है।
25 ग्राम वच को 400 मिलीलीटर पानी में उबाल लें। जब पानी चौथाई मात्रा शेष रह जाए तो इसकी तीन मात्राएं बना लें। दिन में तीन बार इसकी खुराक देने से सूखी खांसी में आराम मिलता है।
दमा के इलाज में वच लाभदायक (Benefits of Vach in Asthma in Hindi)
दमे के रोगी को पहले वच की खुराक 2 ग्राम की मात्रा में देनी चाहिए। उसके बाद हर तीसरे घंटे बाद 625 मिलीग्राम की मात्रा का सेवन कराने से दमा में लाभ होता है।
नाक में जलन, सर्दी में लाभकारी है वच का प्रयोग (Uses of Vach in Coryza in Hindi)
सर्दी, जुकाम की हालत में वच शीघ्र लाभ देता है। इसमें लाभ के लिए वच (vacha herb) के चूर्ण को कपड़े में रखकर सूंघें। इससे सर्दी के कारण नाक में होने वाली जलन दूर होने लगती है।
टीबी रोग में भी फायदेमंद वच का सेवन (Vach Benefits in Fighting with Tuberculosis in Hindi)
क्षय रोग (टीबी) के रोगियों के लिए भी वच लाभदायक है। रोगी वच, अश्वगंधा, तिल, अपामार्ग के बीज और सरसों के बीज का चूर्ण बना लें। इसे 1 से 2 ग्राम चूर्ण मात्रा को शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है।
और पढ़ें: टीबी रोग में करें अश्वगंधा का उपयोग
पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए वच का प्रयोग (Vach Uses in Cure Abdominal Bugs in Hindi)
वच में कीड़े मारने का गुण होता है। वच के 2 ग्राम चूर्ण को 125 मिलीग्राम भुनी हुई हींग के साथ मिलाकर खिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
वच के उपयोग से बवासीर का इलाज (Uses of Sweet Flag in Cure Hemorrhoid in Hindi)
बवासीर में राहत के लिए वच, भांग और अजवायन को बराबर–बराबर मात्रा में लेकर जलाएं। इन्हें जलाने से उठने वाली धूनी से बवासीर के घाव को सेकें। इससे बवासीर के दर्द से राहत मिलती है।
पेचिश और खून की उल्टी रोकने के लिए वच का इस्तेमाल लाभदायक (Benefits of Sweet Flag to Stop Bleeding and Dysentery in Hindi)
सामान्य प्रसव के लिए करें वच का इस्तेमाल (Benefits of Sweet Flag in Getting Normal Pregnancy in Hindi)
वच (vacha plant) सामान्य प्रसव कराने में सहायता करता है। वच को पानी में घिसकर इसमें अंरडी का तेल मिलाकर गर्भवती महिला के नाभि पर लेप किया जाए तो इससे बच्चे के जन्म में आसानी हो जाती है।
प्रसव के बाद आने वाली कमजोरी को दूर करने के लिए वच के काढ़े को 20 से 30 मिलीलीटर की मात्रा में प्रतिदिन सुबह शाम पिलाया जाना चाहिए।
कुष्ठ रोग के इलाज में वच फायदेमंद (Uses of Sweet Flag in Leprosy Treatment in Hindi)
वच चर्म रोगों की कारगर औषधि है। इलायची, कूठ, विडंग, शतावर, चित्रक, वच, दन्ती और रसौत को पीस लें। इसका लेप करने से कुष्ठ और अन्य चर्म रोग भी दूर हो जाते हैं।
कुष्ठ रोग में राहत के लिए वच, वासा, पटोल, नीम, प्रियंगु और दालचीनी का काढ़ा बना लें। फिर इसकी 10 से 20 मिलीलीटर मात्रा में 1 ग्राम मदनफल चूर्ण मिला लें। इस मिश्रण के प्रयोग से कुष्ठ रोग में फायदा मिलता है।
वच से मुंहासे-फोड़े का उपचार (Sweet Flag Benefits in Cure Acne in Hindi)
मुहांसे और फोड़े इत्यादि के लिए वच से बनी दवाई गुणकारी होती हैं। लोध, धनिया और वच को समान मात्रा में लें। तीनों को पीसकर लेप करने से मुँहासे आदि खत्म हो जाते हैं।
और पढ़े – मुहांसे में नींबू के फायदे
अल्सर दूर करने में सहायक है वच (Sweet Flag Benefits in Cure Ulcer in Hindi)
कासीस, सेंधा नमक, सुराबीज, वच, दोनों हल्दी (हल्दी व जंगली हल्दी) और अन्य शोधन पदार्थों से तैयार चूर्ण का इस्तेमाल अल्सर दूर के लिए किया जाता है।
मिरगी में मददगार वच का उपयोग (Sweet Flag Uses in Epilepsy in Hindi)
500 मिलीग्राम वच (bach plant) चूर्ण को शहद के साथ मिलाकर सेवन कराने से मिरगी जैसी बीमारियों में लाभ मिलता है। इसके सेवन के समय केवल दूध और चावल का ही प्रयोग करें।
इसके अलावा, सुबह में 1-1 ग्राम वच चूर्ण को शहद या घी के साथ तीन दिन तक सेवन करने से या 2 ग्राम वच चूर्ण में शहद मिला कर 1 महीने तक सेवन करने से भी मिरगी में लाभ होता है। इसके सेवन के साथ और भोजन में दूध-चावल लिया जाना चाहिए।
मुंह का लकवा में फायदा पहुंचाता है वच (Sweet Flag Uses in Mouth Paralysis in Hindi)
मुंह के लकवा से पीड़ित व्यक्ति वच के 625 मिलीग्राम चूर्ण तथा 625 मिलीग्राम शुंठी के चूर्ण (vacha powder) को शहद में मिला ले। इसे दिन में दो से तीन बार चाटने से लाभ होता है। इसके सेवन के समय पानी में शहद मिलाकर पिलाना चाहिए।
और पढ़े: लकवा की समस्या में कूठ के फायदे
हकलाने की बीमारी को भी ठीक करता है वचा (Uses of Sweet Flag in Stammer Problem in Hindi)
हकलाने की बीमारी ठीक करने के लिए रोगी को ताजे वच (bach plant) के तने का 1 ग्राम का टुकड़ा सुबह शाम चूसने के लिए दें। लगातार 3 महीने तक इसका इस्तेमाल करने से हकलाने की बीमारी में आश्चर्यजनक रूप से लाभ मिलता है।
जुकाम, खांसी और बुखार का अचूक इलाज है वच (Benefits of Sweet Flag in Cold, Cough and Fever in Hindi)
जमाल गोटा के नुकसान से बचाता है (Sweet Flag Uses in Jamalgota Side Effect in Hindi)
वच के 1 ग्राम भस्म को पानी में घोलकर पिलाएं। इससे जमाल गोटे का विष शांत हो जाता है। विष के दुष्प्रभाव से होने वाली परेशानियां धीरे धीरे दूर हो जाती हैं।
वच के प्रयोग के तरीके (How to Use Vach in Hindi)
वच (bach plant) के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है:
उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है। आमतौर पर चिकित्सक व्यवहार में बाहरी प्रयोगों के लिए घोड़ा वच और आतंरिक सेवन के लिए बाल वच का प्रयोग करते हैं।
वच के सेवन की मात्रा (Doses of Vach)
वच का सेवन ऊपर बताए गए तरीकों से किया जा सकता है, लेकिन चिकित्सक के सलाह के अनुसार किया जाना चाहिए।
वच के प्रयोग के नुकसान (Side Effects of Vach)
वच का ज्यादा प्रयोग हानिकारक हो जाता है। यह गर्म प्रकृति वाले लोगों के लिए हानिकारक होता है। ऐसे लोग वच का सेवन करें तो उन्हें उनमें सिर दर्द होने लगता है।
वच कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Vach Found or Grown ?)
वच (vacha plant) की उत्पत्ति पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में मानी जाती है। यह आजकल हिमाचल प्रदेशों में भी लगभग 2,000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। भारत में मणिपुर और नागालैंड की पहाड़ियों में और कश्मीर में झीलों व खेतों के किनारे यह ज्यादा मिलता है।
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