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Hing: हींग के फायदे जो नहीं जानते आप – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

हींग का परिचय (Introduction of Hing)

हींग (Asafoetida) के बारे में तो आप जानते ही होंगे। हींग एक मसाला है जिसका प्रयोग लगभग हर घर में होता है। हींग का प्रयोग ना सिर्फ भोजन को स्वादिष्ट बनाता है बल्कि इससे कई रोगों में भी लाभ मिलता है। इसके अलावा भी हींग का उपयोग केवल रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में बताया गया है कि हींग स्वास्थ्य के लिए काफी लाभदायक है। हींग कई बीमारियों में काम आती है। इसके सेवन से पेट के कीड़ों, शरीर की गाँठों, पुराने जुकाम, बवासीर, पेट के रोग, गैस, कब्ज, दर्द, अरुचि, पथरी, मधुमेह में लाभ मिलता है। इतना ही नहीं हींग का उपयोग कर पेशाब संबंधित बीमारी, हृदय रोग, पैट की गैस, अपच, भूख की कमी, सूखी खांसी, सांसों की बीमारी तथा उल्टी आदि में लाभ लिया जा सकता है। आइए जानते हैं कि आप हींग (Asafoetida) का उपयोग किन-किन रोगों में कर सकते हैं।

हींग क्या है? (What is Hing?)

हींग की कई प्रजातियाँ होती हैं। हींग का पौधा (Heeng Plant/Tree) 1.5-2.4 मीटर ऊँचा, सुंगधित और कई वर्षों तक हराभरा रहने वाला होता है। इसका तना कोमल होता है और इसमें ढेर सारी डालियों होती हैं। इसकी जड़ गोंद तथा गन्धयुक्त होती है। इसके गोंद को मार्च से अगस्त के महीने में निकाला जाता है। इसके तने और जड़ में चीरा लगाकर राल या गोंद प्राप्त किया जाता है, जिसे हींग कहते है। शुद्ध हींग (Asafoetida) सफेद, स्फटिक के आकार का, 5 मि.मी. व्यास के गोल या चपटे टुकड़ों में होती है तथा हींग निकालने के लिए इसका चार वर्ष पुराना पौधा श्रेष्ठ होता है। इसे पीस कर पाउडर (Hing/Asfoetida Powder) बना लिया जाता है।

अनेक भाषाओं में हींग के नाम (Hing Called in Different Languages)

हींग का वानस्पतिक नाम Ferula narthex Boiss. (फेरुला नार्थेक्स) है और यह Apiaceae (एपिएसी) कुल का है। हींग को अन्य इन नामों से भी जाना जाता हैः-

  • Hindi – हींग
  • English (Hing In English) – तिब्बतन ऐसैफेटिडा (Tibetan assafoetida), Asafoetida (ऐसैफिटिडा)
  • Tamil (Hing/Asafoetida In Tamil) – पेरुगियम (Perungiyam), पेरुंगायम (Perungayam)
  • Sanskrit – सहस्रवेधि, जतुक, बाह्लीक, हिंगु, रामठ, हिंगुका
  • Urdu – हिंग (Hing), हींग (Heeng)
  • Kannada – हींग (Hing), हिंगु (Hingu)
  • Gujarati – वधारणी (Vadharani), हींग बधारणी (Hing badharani)
  • Telugu – इंगुर (Ingur), इंगुरा (Ingura)
  • Bengali – हिंगु (Hingu), हींग (Hing)
  • Punjabi पंजाबी – हिंगे (Hinge), हींग (Hing)
  • Marathi – हींग (Hing)
  • Malayalam – करिक्कयम (Karikkayam), कयम (Kayam), रुगायम (Rungayam)
  • Arabic – हल तीत् (Hal tith), हिलतुत (Hiltut)
  • Persian – अगेंजह (Angezah), अंगुजा (Anguza)

हींग के औषधीय प्रयोग से फायदे (Benefits and Uses of Hing in Hindi)

आप हींग (Asafoetida) का औषधीय प्रयोग इन तरीकों से कर सकते हैंः-

कान दर्द में फायदेमंद हींग का प्रयोग (Hing Benefits in Cure Ear Pain in Hindi)

  • हींग, तुम्बरु तथा सोंठ काढ़े में पकाए गए सरसों के तेल को 1-2 बूंद कान में डालने से कानदर्द, कान में सनसनाहट तथा कान में हुए घाव आदि में लाभ होता है।
  • स्वर्जिका क्षार, सूखी मूली, हींग, काली मिर्च, सोंठ तथा शतपुष्पा काढ़े में तेल को पकाकर 1-2 बूंद कान में डालने से कान में सनसनाहट, बहरापन तथा कान बहने आदि रोगों में लाभ (benefits of heeng) होता है।
  • हिंग्वादि तेल को 1-2 बूंद कान में डालने से कर्णशूल (कान के दर्द) ठीक होता है।
  • हींग को पानी में घिसकर गुनगुना करके 1-2 बूंद कान में डालने से कान के रोग ठीक होते हैं।

दाँतों के रोग में फायदेमंद हींग का उपयोग (Uses of Hing to Treat Dental Disease in Hindi)

हींग को थोड़ा गर्म कर लें। इसे जिस दांत पर कीड़े लगे हों वहां लगाकर थोड़ी देर के लिए दबा लें। इससे कीड़े नष्ट होने लगते हैं।

हींग के सेवन से खांसी और दमा का इलाज (Hing Uses in Cough and Respiratory Disease Treatment in Hindi)

हींग को जल में पीसकर गुनगुना कर लें। इसे छाती पर लगाने से दमा, कुक्कुरखांसी, फेफड़े की सूजन में लाभ होता है।

पेट के रोग में करें हींग का सेवन (Benefits of Hing in Cure Abdominal Disease in Hindi)

  • द्विरुत्तरहिंग्वादि चूर्ण (हिंगु 1 भाग, वचा, चित्रकमूल, कूठ, सज्जीक्षार, वायविडंग लें। ये सभी द्रव्य प्रथम द्रव्य के दोगुणा) के 1-2 ग्राम का सेवन करने से पेट फूलना, हैजा, पेटदर्द, हृदय रोग, गैस चढ़ना आदि रोगों में लाभ (benefits of heeng) होता है।
  • हिंग्वादि चूर्ण (हींग 1 भाग, वचा 2 भाग, विड नमक तीन भाग, सोंठ चार भाग, जीरा, पुष्करमूल तथा कूठ) का सेवन करें। इससे तिल्ली बढ़ने, पेट के रोगों, अपच, हैजा और पेट की गैस में लाभ होता है।
  • भोजन के पूर्व सुखोष्ण जल या मधु से 1-2 ग्राम हिंग्वादि चूर्ण का सेवन करने से गैस बनना, कमर के बाजू में दर्द होना आदि कई रोग नष्ट हो जाते हैं।
  • इस चूर्ण में बिजौरा नींबू के रस की भावना देकर बनाई गई गुटिका का प्रयोग अधिक फलदायक (benefits of heeng) होता है।
  • 1-3 ग्राम हिंग्वाष्टक चूर्ण (सोंठ, मरिच, पिप्पली, अजमोदा, सेंधा नमक, सफेद तथा कृष्ण जीरक लें। सभी की मात्रा बराबर होनी चाहिए। इसके आँठवें भाग घी में भुनी हुई हींग घी मिला लें। इसे भोजन के पहले कौर के साथ खाना चाहिए। यह पाचन को ठीक करके गैस को खत्म करता है।
  • 1-2 ग्राम हिंग्वादियोग (घी में भुनी हींग 1 भाग, बनाय 3 भाग, एरण्ड तेल 9 भाग तथा लहसुन का रस 27 भाग) के सेवन करें। इससे गैस तथा पेट के अन्य रोगों में लाभ होता है।
  • बिजौरा नींबू का रस 5 मि.ली., घी में भुनी हुई हींग 65 मि.ग्रा., अनार का रस 50 मि.ली., विड लें। इन सबको कांजी के साथ मिलाकर पीने से पेट में बने गैस के गोले में लाभ होता है।
  • बला, पुनर्नवा, एरण्ड, बृहती द्वय तथा गोक्षुर के 10-30 मि.ली. काढ़ा में 125 मि.ग्रा. हींग, बनाय तथा नमक मिला लें। इसे पीने से शीघ्र ही गैस के कारण होने वाले दर्द में आराम होता है।
  • हरड़, सौवर्चल लवण, यवक्षार, हींग, सैंधव तथा जीरे के चूर्ण को कांजी के साथ सेवन करने से गैस का दर्द ठीक होता है।
  • एरण्ड एवं जौ के 10-30 मि.ली. काढ़ा में 250 मि.ग्रा. हींग, सौवर्चल नमक तथा 5 मि.ली. नीबू का रस मिला लें। इसे पीने से गैस का दर्द ठीक होता है।
  • अजवायन, हींग, बनाय, यवक्षार, सौवर्चल लवण तथा हरड़ चूर्ण को कांजी के साथ पीने से गैस का दर्द ठीक (benefits of heeng) होता है।
  • हींग, अम्लवेतस, काली मिर्च, आंवला, अजवायन, यवक्षार, हरड़ तथा बनाय लें। इन सभी का बराबर भाग ले कर चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को 1-2 ग्राम मात्रा में कांजी मिलाकर पीने से तेज गैस दर्द में लाभ होता है।
  • बराबर मात्रा में पर्पट क्षार तथा हींग को मिलाकर, पीसकर वटी बनाकर जल के साथ सेवन करें। इससे गैस के दर्द में शीघ्र लाभ होता है।
  • सोंठ तथा एरण्ड मूल के 10-30 मि.ली. काढ़े में 250 मि.ग्रा. हींग तथा सौवर्चल मिलाकर पीने से पेट दर्द ठीक होता है।
  • बराबर मात्रा में कालानमक, हींग तथा सोंठ चूर्ण को (3-5 ग्राम) गुनगुने जल के साथ सेवन करने से कमर, पीठ तथा हृदय में होने वाले दर्द में लाभ होता है।
  • भोजन के पूर्व अथवा मध्य में, आसव-अरिष्ट अथवा छाछ या गर्म जल के साथ 1-2 ग्राम हिंग्वादि चूर्ण का सेवन करने से गैस के गोले ठीक होते हैं। इसके साथ ही कफ के कारण पेट फूलने, हृदय (छाती) दर्द, पेशाब करने में दर्द, बाजू में दर्द, गुदा में दर्द, गर्भाशय में दर्द में फायदा मिलता है। इसके अलावा पेशाब की कठिनाई, पेट फूलना, पीलिया, अरुचि, हिचकी, लीवर व तिल्ली बढ़ना, सूखी खाँसी, गले के दर्द, कब्ज तथा बवासीर आदि रोगों में लाभ (benefits of heeng) होता है।
  • 2-4 ग्राम हिंग्वष्टक चूर्ण का सेवन सुबह भोजन से पूर्व करने से पाचन ठीक होता है और गैस नष्ट होता है।

और पढ़ें: पेट दर्द में मूली के फायदे

हींग के प्रयोग से पेचिश का इलाज (Hing Uses to Stop Dysentery in Hindi)

हींग, अपांप्म तथा खदिर सार चूर्ण को मिलाकर चने के समान (लगभग 250 मि.ग्रा.) वटी (गोली) बना लें। इसे जल के साथ सेवन करने से पेचिश में शीघ्र लाभ होता है।

पीलिया में लाभदायक हींग का प्रयोग (Uses of Hing in Fighting with Jaundice in Hindi)

हींग को जल में घिसकर आंख में काजल की तरह लगाने से पीलिया रोग में लाभ होता है।

सामान्य प्रसव कराने में मदद पहुंचाता है हींग का सेवन (Hing Helps in Getting Normal Pregnancy)

2 ग्राम शमी चूर्ण, 500 मिग्रा हींग तथा 1 ग्राम बनाएं मिलाकर कांजी के साथ पीने से सामान्य प्रसव (Heeng benefits) होता है।

मैनिया में करें हींग का इस्तेमाल (Benefits of Hing in Fighting with Mania in Hindi)

हींग, हींग के पत्ते, छोटी इलायची, ब्राह्मी तथा चोर पुष्पी के काढ़ा तथा पेस्ट में पकाए घी, विशेषकर पुराने घी को 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से मैनिया रोग ठीक होता है।

तीव्र उन्माद (मैनिया) रोग से पीड़ित व्यक्ति को बकरे के 25-50 मि.ली. मूत्र में 125 मिग्रा हींग मिलाकर पिलाना चाहिए।

बेहोशी ठीक करता है हींग (Hing is Beneficial in Unconsciousness)

संन्यास रोग में होश लाने के लिए 100 मि.ली. कांजी में 1 ग्राम सौवर्चल नमक, 125 मि.ग्रा. हींग, सोंठ, एक ग्राम मिर्च लें। इसके साथ ही 1 ग्राम पिप्पली मिलाकर मात्रानुसार पिलाने से लाभ (Heeng benefits) होता है।

दाद में फायदेमंद हींग का इस्तेमाल (Hing Benefits in Fighting with Ringworm in Hindi)

हिंग को पीसकर लगाने से दाद ठीक होता है।

नहरूआ रोग में फायदेमंद हींग का उपयोग (Hing Uses in Cure Bala Disease in Hindi)

कपूर तथा हींग को मिलाकर, पीसकर नहरुआ यानी स्नायुक पर बांध देने से लाभ होता है।

बुखार उतारता है हींग का उपयोग (Uses of Hing in Fighting with Fever in Hindi)

  • हींग, निम्बू फल के गुदे तथा पीपर को गोमूत्र में पीसकर अंजन करने से बुखार ठीक होता है।
  • अजवायन, हरड़, हींग, चित्रक, सोंठ, यवक्षार, सज्जी क्षार, सफेद जीरा, पीपर, हरड़, बहेड़ा, आँवला, सौवर्चल तथा सेंधा नमक को बराबर मात्रा में पीस लें। इसे 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन करने से बुखार ठीक (Heeng benefits) होता है।
  • पुराने घी में हींग मिलाकर नस्य (नाक में डालने) लेने से चौथे स्तर के टॉयफॉयड में लाभ होता है।

और पढ़ेंटॉयफॉयड में पीपल के फायदे

इस्तेमाल के लिए हींग के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Heeng)

हींग एक प्रकार की गोंद (edible gum) है जो इसके पेड़ की जड़ से प्राप्त होती है। हींग के सेवन की मात्रा एवं सेवनविधि (How Much to Take Heeng?)

चूर्ण – 1-2 ग्राम

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार हींग का सेवन करें।

हींग के दुष्प्रभाव (Side Effects of Heeng)

हींग खाने से आपके होंठों में सूजन, पेट में गैस व अतिसार, सिरदर्द, चक्कर जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं। ये समस्याएं कुछ ही देर के लिए होती हैं, लेकिन यदि ये देर तक बनी रहें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

हींग क्या पाया या उगाया जाता है? (Where is Heeng Found or Grown?)

हींग भारत के उत्तर-पश्चिम राज्यों से कश्मीर एवं पंजाब में पाई जाती है। हींग के पौधे को चार वर्ष का होने पर उस पर फूल आने से पहले जड़ के ऊपर से पौधे को काट दिया जाता है। उसके बाद उसकी जड़ को पत्तों से ढँककर रख दिया जाता है।

कटे हुए भाग से रस निकलता रहता है। इसे जमा कर लिया जाता है। कुछ समय बाद इस भाग को थोड़ा और काट देते हैं, जिससे निचले भाग से रस झरने लगता है, उसे भी जमा कर लेते हैं। पहली बार काटने के तीन महीने बाद, दूसरी बार काटा जाता है। इस प्रकार उसके रस को जमा करते हैं। इस प्रकार जड़ में साधारणतः तीन बार छेद करके अधिक मात्रा में हींग (Heeng) प्राप्त करते हैं।

और पढ़ेंगैस्ट्रिक अल्सर का घरेलू इलाज घी और हींग से

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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