गले में संक्रमण होना एक आम बीमारी है। मौसम के बदलाव के कारण बराबर लोगों को सर्दी, जुकाम एवं गले में दर्द या संक्रमण हो जाता है। बदलते मौसम में उचित देखभाल ना करने पर व्यक्ति आसानी से इन रोगों की चपेट में आ जाता है। जब भी किसी व्यक्ति के गले में संक्रमण होता है तो गले में दर्द एवं खराश के कारण व्यक्ति को कुछ भी निगलने में कठिनाई होती है। क्या आप जानते हैं कि गले में संक्रमण का आप घरेलू उपचार कर सकते हैं?
जी हां, आयुर्वेद में गले के संक्रमण को ठीक करने के लिए कई तरह के घरेलू नुस्खे बताए गए हैं। आइए आपको जानकारी देते हैं।
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गले में संक्रमण ऊपरी श्वसन तंत्र में होने वाली आम समस्या है। प्रदूषित एवं गन्दे जल या भोजन के सेवन से यह बीमारी हो सकती है। प्रदूषित वातावरण में साँस लेने से वायरस, और बैक्टेरिया के कारण भी गले में संक्रमण होता है। आयुर्वेद में रोग होने का कारण वात, पित्त कफ के असंतुलन को कहा गया है। जब शरीर में कफ और वात दूषित हो जाते हैं तब गले के संक्रमण की समस्या होती है।
गले के संक्रमण ये लक्षण होते हैंः-
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गले के संक्रमण के कई कारण होते हैं, जो ये हो सकते हैंः-
आप गले के संक्रमण की समस्या को इन उपायों द्वारा घर पर ही ठीक कर सकते हैंः-
मुलेठी गले की समस्याओं के लिए अमृत के समान है। मुलेठी की छोटी-सी गाँठ को कुछ देर मुंह में रखकर चबाएँ। इससे गले की खराश दूर होती है, और दर्द तथा सूजन से राहत मिलती है।
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मुनक्के का सेवन भी गले के संक्रमण से राहत दिलाता है। इसके लिए सुबह 4-5 मुनक्के चबाकर खाएं, और ऊपर से पानी ना पिएँ।
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4-5 अंजीर को एक गिलास पानी में डालकर उबालें। पानी आधा रह जाए तो छानकर गर्म-गर्म ही पिएँ। यह प्रयोग दिन में दो बार करने से निश्चित ही आराम मिलता है।
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दो गिलास पानी में 5-7 तुलसी की पत्तियाँ, और 4-5 काली मिर्च मिलाकर काढ़ा बना लें। दिन में दो बार इस काढ़े का सेवन करें।
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शहद का सेवन करें। इसमें गले की सूजन और जलन को कम करने वाले गुण पाए जाते हैं। यह उपाय लाभ पहुंचाता है।
लहसुन में एंटी-बैक्टीरियल तत्व पाए जाते हैं, इसलिए यह गले के संक्रमण को दूर करने में मदद करता है। लहसुन की कली को कुछ देर के लिए अपने दाँतों के बीच रखें। इसका रस चूसने से लाभ मिलता है।
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गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी डाल के सेवन करें। हल्दी में संक्रमण को दूर करने की क्षमता होती है। हल्दी का यह उपाय गले के संक्रमण को ठीक करने में मदद करता है।
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गले की संक्रमण की परेशानी में आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
गले की संक्रमण की परेशानी में आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
गले में संक्रमण क्यों होता है?
आयुर्वेद में रोग होने का कारण वात, पित्त कफ के असंतुलन को कहा गया है। यह तीनों दोषों यदि संतुलित अवस्था में रहकर अपना कार्य करते रहते है तो व्यक्ति रोगों से दूर रहता है, और उसके अन्दर रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। अनुचित खान-पान, जीवनशैली का पालन करने के कारण व्यक्ति के दोष धीरे-धीरे असंतुलित हो जाते हैं। इससे व्यक्ति रोगों की चपेट में आ जाता है। जब शरीर में कफ और वात दोष हो जाते हैं, तब गले के संक्रमण की समस्या होती है।
गले के संक्रमण को कैसे ठीक किया जाता है?
गले का संक्रमण ऊपरी श्वसन तंत्र का रोग है, इसलिए इसमें कफ और वात की मुख्यतः दोष होता है। आयुर्वेदीय उपचार द्वारा इन दोषों के असंतुलन को लक्षणों को ठीक किया जाता है। इसके लिए व्यक्ति को खान-पान एवं परहेज का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आयुर्वेद केवल लक्षणों को ही नहीं शरीर के दोषों को प्राकृतिक अवस्था में लाकर रोग को मूल रूप से समाप्त करता है।
गले का संक्रमण कितने दिनों में ठीक होता है?
गले का संक्रमण एक आम बीमारी है, जो बदलते मौसम में लगभग हर व्यक्ति को हो जाती है। यह बीमारी 3-4 दिन में उपचार करने पर ठीक हो जाता है।
गले में संंक्रमण होने पर डॉक्टर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
यदि गले में दर्द एवं खराश अधिक हो, और घरेलू उपचार करने पर भी आराम नहीं मिलता हो। इसके साथ ही 4-5 दिन से ज्यादा हो जाए तो तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए, क्योंकि यह उग्र वायरल या बैक्टेरियल संक्रमण का संकेत हो सकता है। उचित उपचार ना लेने पर व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार हो सकता है।
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