टीबी की बीमारी को अनेक नामों से जाना जाता है। कई लोग टीबी को यक्ष्मा, कई लोग तपेदिक तो कई क्षय रोग कहते हैं। यह एक जानलेवा बीमारी है। आंकड़े बताते हैं कि हर साल भारत में करीब दो लाख बच्चे टीबी के शिकार होते हैं। हर साल टीबी रोग के कारण अनेक लोगों की मृत्यु तक हो जाती है। अक्सर देखा जाता है कि जैसी ही रोगी को टीबी होने का पता चलता है, तो वह बहुत घबराने लगता है, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए। आप शांत होकर टीबी का सफल घरेलू इलाज (home remedy for TB disease) कर सकते हैं।
टीबी का सफल घरेलू उपचार करने के लिए, सबसे पहले आपको जानकारी होना चाहिए कि टीबी क्या है, और इसके लक्षण क्या-क्या होते हैं। आइए इन सभी बातों के साथ-साथ टीबी के इलाज के बारे में भी जानते हैं।
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टीबी का पूरार नाम ट्यूबरक्लोसिस है। यह कई लक्षणों से युक्त एक गंभीर संक्रामक बीमारी है। यह माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस (Mycobacterium tuberculosis) नामक बैक्टीरिया से फैलती है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को नुकसान पहुँचाता है। यह एक धीमी गति से बढ़ते बैक्टीरिया के कारण होता ह। यह बैक्टीरिया शरीर के उन भागों में बढ़ता है जिनमें खून और ऑक्सीजन होता है। इसलिए टी.बी. ज्यादातर फेफड़ों में होता है। इस कारण इसे पल्मोनरी टीबी (Pulmonary T.B.) भी कहते हैं।
टी.बी. शरीर के अन्य भागों में भी हो सकता है। टीबी की बैक्टीरिया हवा के माध्यम से फैलता है। संक्रमित व्यक्ति की खाँसी, छींक या उसकी लार के द्वारा बैक्टीरिया स्वस्थ व्यक्ति तक पहुँचता है। इससे दूसरे लोगों को भी टीबी हो जाती है। वयस्क लोगों की तुलना में टीबी से ग्रस्त बच्चे कम संक्रामक होते हैं, इसलिए बच्चों से दूसरे लोगों में टीबी के जीवाणु के फैलने की संभावना कम होती है।
टीबी रोग के प्रकार हैंः-
इसमें बैक्टीरिया शरीर में निक्रिय रूप में रहता है, क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली इसे सक्रिय नहीं होने देती। इसमें टीबी के लक्षण दिखाई नहीं देते। इस स्थिति में बीमारी एक से दूसरे में नहीं फैलती है, लेकिन भविष्य में यह सक्रिय होकर बीमारी बन सकती है।
इसमें टीबी की बैक्टीरिया शरीर के अन्दर विकसित हो जाता है, तथा रोग के सभी लक्षण दिखाई देते हैं। यह संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति में आसानी से फैल जाता है।
यह टीबी का शुरुआती (प्राथमिक) रूप है, जो फेफड़ों को प्रभावित करता है।
यह बीमारी फेफड़ों से अन्य जगहों पर होता है, जैसे; हड्डियाँ, गुर्दे और लिम्फनोड्स (Lymphnodes) आदि स्थानों पर हो सकता है।
पल्मोनरी टीबी (Pulmonary TB) अक्सर बहुत ही कम उम्र वाले बच्चों में या फिर अधिक उम्र वाले वृद्ध लोगों में होता है। बच्चों और व्यस्क लोगों में टीबी के ये लक्षण दिखाई देते हैंः-
आमतौर पर टीबी के रोगी में ये लक्षण दिखाई देते हैंः-
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टीबी की बीमारी इन कारणों से हो सकती हैः-
टीबी रोग के कारण ये अन्य बीमारियां भी हो सकती हैंः-
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100 ग्राम हल्दी को कूट-पीस कर छान लें। इसमें आक का दूध मिला लें। यदि खून की उल्टियाँ हो रही है, तो इसकी जगह बड़ (वट) या पीपल का दूध मिलाएँँ। इसे 2-2 रत्ती की मात्रा में शहद के साथ सुबह-शाम लें।
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तुलसी के ग्यारह पत्ते, थोड़ी-सी जीरा एवं हींग को 1 गिलास पानी में डालें। इसमें एक नींबू निचोड़कर दिन में तीन बार पिएँँ। यह टीबी रोग में लाभ पहुंचाता है।
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नागबला का चूर्ण लें। इससे असमान भाग में घी लें। इन्हें शहद के साथ सेवन करने से टीबी रोग में लाभ मिलता है। बेहतर उपाय के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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आधा कप प्याज के रस में एक चुटकी हींग डालें। इसे रोज सुबह और शाम खाली पेट पिएँ। यह ट्यूबरक्लोसिस होने पर लाभ पहुंचाता है।
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रोज सहजन के पत्तियों को उबालकर सेवन करें। आप इसकी सब्जी भी खा सकते हैं। इससे संक्रमण से जल्दी राहत मिलती है। बेहतर प्रयोग के लिए आयुर्वेद चिकित्सक से परामर्श लें।
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एक पका केला लें। एक कप नारियल पानी, आधा कप दही और एक चम्मच शहद के साथ केला को मिलाएँ। इसे दिन में दो बार लें।
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एक गिलास ताजे नारंगी के जूस में एक चुटकी नमक, और एक चम्मच शहद मिला लें। इसे दिन में दो बार पिएं। यह ट्यूबरक्लोसिस होने पर फायदा देता है।
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आंवले की बीज से रस निकाल लें। इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर सुबह खाली पेट पिएँ। इसकी जगह आंवले का चूर्ण बनाकर भी शहद के साथ ले सकते हैं।
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पुदीना में एंटी-बेक्टीरियाल गुण होते हैं, इसलिए यह टीबी के रोग में लाभदायक होती है। एक चम्मच पुदीने का जूस, दो चम्मच शहद, दो चम्मच सिरका और आधा कप गाजर का जूस मिलाकर रख लें। इसे दिन में तीन बार पिएं।
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सीताफल टीबी रोग में लाभदायक होता है। सीताफल का गूदा निकाल लें। इसे एक गिलास पानी में 50 ग्राम किशमिश के साथ उबालें। जब यह एक चौथाई की मात्रा में रह जाए, तब इसे छान लें। इसमें 2 छोटे चम्मच चीनी और चुटकी भर इलायची पाउडर मिलाएं। इसे ठण्डा करके दिन में दो बार पिएँ।
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टीबी की बीमारी में आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
टीबी की बीमारी में रोगी को ये परहेज करना चाहिएः-
मुख्य तौर पर टीबी रोग के फैलने के क्या-क्या कारण होते हैं?
टीबी की बीमारी के फैलने के ये कारण होते हैंः-
क्या टीबी की बीमारी के कारण बच्चे या वयस्क लोगों की जान भी जा सकती है?
टीबी का दुष्प्रभाव बच्चों में बड़ों की अपेक्षा ज्यादा खतरनाक होता है। इस बीमारी में बच्चे को साँस लेने में परेशानी होने लगती है। बच्चे वयस्कों की तुलना में बहुत नाजुक होते हैं, इसलिए टीबी का असर बच्चों पर अधिक होता है। क्षय रोग होने पर यदि ठीक प्रकार इलाज ना किया जाए तो बच्चे की मौत भी हो सकती है।
बच्चों या वयस्कों को टीबी होने पर डॉकटर से कब सम्पर्क करना चाहिए?
यदि बच्चों या वयस्कों में दो हफ्ते से ज्यादा खाँसी, कफ, बलगम बनने की समस्या हो, और घरेलू उपचार करने से भी लक्षण ठीक ना हो रहे हों तो तुरन्त डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।
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