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खांसी (Home Remedy for Cough) होना एक बहुत ही आम समस्या है। यह बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक किसी को भी हो सकती है। मौसम में जरा से भी बदलाव के कारण खांसी की समस्या हो सकती है। इसमें व्यक्ति को गले में खराश होती है तथा खांसी के साथ गले में दर्द भी हो सकता है। यदि जल्दी खांसी का उपचार न किया जाए तो खाँसते-खाँसते सीने में दर्द होने लगता है।
खाँसी होना हमारे शरीर की एक रक्षात्मक प्रणाली है जो वायु मार्ग से धूल, धुएँ या बलगम को साफ करने के लिए होती है। इन कारकों से गले में इरिटेशन होती है और खाँसी के प्रकार के रूप में शरीर इनको बाहर निकालता है।
आयुर्वेद में खांसी रोग का कारण वात, पित्त, कफ के असंतुलन को बताया गया है। अनुचित भोजन एवं जीवनशैली के कारण वात एवं कफ विकार होकर खाँसी का कारण बनते हैं। आयुर्वेद में खाँसी को कास कहा गया है।
कास मुख्यतः कफ दोष के कारण होता है। खाँसी को आयुर्वेदीय उपचार (Home Remedy for Cough) से ठीक किया जा सकता है लेकिन इसके साथ उचित खान-पान एवं परहेज करना जरूरी है। ऐसा नहीं करने पर खांसी रोग ठीक नहीं होती है।
खांसी मुख्यतः दो प्रकार की होती हैः-
खांसी के अन्य प्रकार
तेज खाँसी (Acute cough)
यह थोड़े समय के लिए तथा या ज्यादातर ऊपरी श्वासनली के संक्रमण के कारण होती है। यह फ्लू या कॉमन कोल्ड के कारण होती है।
पुरानी खाँसी (chronic cough)
यह 6-8 सप्ताह तक रह सकती है। यह Allergic rhinitis, T.B. या Lung cancer और Lung infection के कारण होती है।
खांसी की बीमारी होने के निम्न कारण हो सकते हैंः-
सूखी खांसी इन कारणों से होती हैः-
यदि खांसी किसी संक्रमण के कारण होती है तो उसके निम्न लक्ष्ण हो सकते हैं-
ऐसी खाँसी धूल, मिट्टी या गले में कुछ फँस जाने के कारण होती है और यह थोड़े समय के लिए होती है।
इसे काली खाँसी और whooping cough भी कहते हैं। यह एक जीवाणु का संक्रमण होता है जो कि शुरुआत में नाक और गले को प्रभावित करता है। यह रोग दो वर्ष से कम आयु के बच्चों की श्वसन प्रणाली को प्रभावित करता है। यह संक्रमित व्यक्ति के खाँसने या छींकने से फैलता है।
यह रोग बोर्डटेल परटयूसिस नामक सूक्ष्मजीवी के कारण होता है, इसमें बच्चे को बार-बार खाँसी के दौरे पड़ते हैं तथा खाँसी के बाद उल्टी होने की भी संभावना रहती है। खाँसी के साथ बलगम निकलता है तथा साँस लेने में कठिनाई होती है तथा साँस लेने में विशेष प्रकार की आवाज निकलती है।
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आप खांसी की बीमारी में ये उपचार आजमा सकते हैंः-
सूखी खाँसी में शहद बहुत ही लाभदायक होता है। एक चम्मऔर पढ़ें – खाँसी में लाजवंती के फायदेच शहद को गरम दूध के साथ मिलाकर पिएँ।
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तुलसी के पत्तों को पानी में उबालकर इसका काढ़ा बनाकर पिएँ।
तुलसी की पत्तियों का रस एवं अदरक के रस के साथ मिलाकर शहद के साथ खाएँ।
हल्दी में एंटीबैक्टेरियल, एन्टीवायरल एवं सूजनरोधी गुण पाए जाते है। एक चम्मच हल्दी और अजवायन को एक गिलास पानी में उबालें। जब यह पानी उबलकर आधा हो जाए तब इसमें आधा चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें।
कच्ची हल्दी के रस को कुछ देर मुहँ में रखें, जैसे-जैसे यह गले से नीचे उतरेगा खाँसी की उग्रता में कमी आएगी। खाँसी ठीक न होने तक प्रतिदिन ऐसा करें।
एक चम्मच अदरक के रस को शहद के साथ चाटने से सूखी खाँसी में आराम मिलता है।
अदरक को पानी में अच्छी तरह उबाल लें जब इसका काढ़ा बनकर तैयार हो जाए तब दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से खाँसी में आराम मिलता है।
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एक गिलास गरम पानी में एक चम्मच नमक मिला कर सुबह-शाम गरारा करने से सूखी खाँसी में आराम मिलता है।
आधा चम्मच प्याज का रस और एक चम्मच शहद मिला कर दिन में दो बार लेने से खाँसी में आराम मिलता है।
मुलेठी का चूर्ण श्वसन तंत्र में सूजन को कम करता है तथा म्यूकस को ढीला करता है इसके लिए दो बड़ी चम्मच मुलेठी के चूर्ण को 2-3 गिलास पानी में डालकर उबालें और 10-15 मिनट तक इसकी भाप लें।
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गिलोय के रस को प्रतिदिन सुबह-शाम खाली पेट पीने से पुरानी खाँसी भी ठीक हो जाती है।
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अनार के छिलकों को छाया में रख कर सुखा लें अब एक-एक टुकड़ा मुहँ में रख कर इसको चूसते रहें। इससे सूखी खाँसी में बहुत लाभ मिलता है।
अनार के रस को गरम कर के पीने से भी खाँसी जल्दी ही ठीक हो जाती है।
एक चम्मच सरसों के बीजों को एक गिलास गरम पानी में डालकर उबाल लें। अच्छी प्रकार उबल जाने पर इस पानी को पानी से जमें हुए कफ से राहत मिलती है। सरसों के बीज में मौजूद सल्फर जमे हुए कफ को बाहर निकालने में मदद करता है।
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8-10 बादाम लेकर रात को पानी में भिगा दें सुबह इन्हें छिलकर दरदरा पीस लें और इसमें थोड़ी सी मक्खन और चीनी मिला लें और दिन में तीन बार इसका सेवन करें। यह गीली खाँसी में बेहद फायदेमंद है।
काली मिर्च बलगम को बाहर निकालने में मदद करती है तथा बंद नाक को खोलने में मदद करती है। इसे शहद के साथ मिलाकर चाट लें या फिर चाय में डालकर इसका सेवन करें।
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खाँसी में आहार और जीवनशैली का विशेष ध्यान न रखा जाए तो यह बिगड़ कर पुरानी खाँसी का रूप ले सकती है जो कि बहुत ही कष्टकारक होता है। इसलिए खांसी की बीमारी में आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-
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खांसी रोग में आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-
सामान्य खाँसी 8-10 दिन के भीतर घरेलू उपचार एवं उचित खान-पान से ठीक हो जाती है लेकिन यदि इसके बावजूद भी खाँसी 2-3 सप्ताह तक चलती रहे तो यह गंभीर रोग का संकेत हो सकता है।
खाँसते-खाँसते उल्टी हो जाना या खाँसी में खून आने लगे तो तुरंत ही डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए। यह टी.बी. या फेफड़ो के कैंसर का संकेत भी हो सकता है।
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