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पेट के अल्सर के लक्षण, कारण, घरेलू उपचार और परहेज (Home Remedies for Stomach Ulcer)

पेट में अल्सर (Stomach Ulcer)

शरीर में होने वाले घावों को अल्सर कहा जाता है। जब आमाशय में अल्सर होता है तो उसे पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) कहते हैं। पेट में अल्सर होना तकलीफदेह ही नहीं बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) पेट की अंदरूनी सतह पर बनने वाले छाले होते हैं और समय पर इलाज न मिलने पर ये छाले जख्म में बदल जाते हैं। क्या आपको पता है कि आप पेप्टिक अल्सर का इलाज अपने घर (home remedies for stomach ulcer) में ही कर सकते हैं। अगर आप इसके बारे में नहीं जानते हैं तो यह जान लीजिए कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में यह बताया गया है कि आप गैस्ट्रिक अल्सर या पेप्टिक अल्सर का उपचार कैसे कर सकते हैं।

यह आमतौर पर आहार नली, पेट और छोटी आंत के ऊपरी भाग की भीतरी झिल्ली में होता है। यह एक गम्भीर स्थिति होती है और मरीज को बहुत दिक्कतें होने लगती हैं। आइए जानते हैं कि पेट में अल्सर होने पर आपको क्या करना है।

पेट में अल्सर की समस्या क्या है (What is Stomach Ulcer?)

समय पर भोजन न करने तथा अधिक तीखे मसालेदार भोजन करने से शरीर में पित्त विकृत रूप से बढ़ कर अनेक रोगों को जन्म देता है। आयुर्वेद में त्रिदोषों वात, पित्त और कफ को शरीर का आधार माना गया है। भोजन और जीवनशैली में की गई गड़बड़ के कारण दोष असंतुलित हो जाते हैं। इस कारण अनेक रोग उत्पन्न होते है। पित्त दोष की विकृति से अल्सर, अम्लपित्त और अन्य भी पेट के रोग होते हैं।

पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) को गैस्ट्रिक अल्सर (Gastric Ulcer) भी कहते हैं। यह आमाशय या छोटी आंत के ऊपरी हिस्से में होता है। यह तब होता है जब भोजन पचाने वाला अम्ल आमाशय या आंत की भीतरी श्लैष्मिक झिल्ली को नुकसान पहुँचाने लगता है। हमारे पेट में म्यूकस की एक चिकनी परत होती है जो पेट की भीतरी परत को पेप्सिन (Pepsin) और हाइड्रोक्लोरिक एसिड (Hydrochloric acid) से बचाती है। यह दोनों एसिड पाचन क्रिया के लिए जरूरी होते हैं लेकिन यह शरीर के ऊत्तकों को नुकसान भी पहुँचा सकते हैं। यह एसिड और म्यूकस झिल्ली के बीच का संतुलन बिगड़ने पर ही अल्सर होता है।

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गैस्ट्रिक अल्सर के प्रकार (Types of Abdominal Ulcer Disease)

अल्सर इतने प्रकार के हो सकते हैंः-

  • Gastric ulcer – यह पेट के अन्दर होता है।
  • Oesophageal ulcer – यह आहार नली में होता है।
  • Duedenal ulcer – यह  छोटी आंत के ऊपरी भाग में होता है जिसे Duedenum कहते हैं।

गैस्ट्रिक अल्सर के लक्षण (Symptoms of Abdominal Ulcer Disease)

मरीज को अल्सर के निम्न लक्षण महसूस हो सकते हैंः-

  • पेट में दर्द होना इसका प्रमुख लक्षण है। खाली पेट रहने पर यह दर्द और भी तेज हो जाता है।
  • पेट में जलन होना। रात के समय पेट में जलन बढ़ जाती है।
  • अधिक गम्भीर स्थितियों में खून की उल्टी होना।
  • मल का रंग गहरा होना।
  • जी मिचलाना और खाने की बिल्कुल इच्छा न करना।
  • शरीर के वजन में गिरावट

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पेट में अल्सर होने के कारण (Causes of Stomach Ulcer Disease)

अल्सर की बीमारी निम्न कारणों से हो सकती हैः-

  • Helicobactor Pylori नामक बैक्टेरिया का संक्रमण इसका सबसे प्रमुख कारण है। यह दूषित भोजन एवं पानी के द्वारा पेट में जाता है।
  • पेट में अत्यधिक मात्रा में एसिड का स्राव होना।
  • तैलीय और मिर्च मसाले युक्त भोजन का अधिक सेवन करना।
  • अधिक मात्रा में शराब, कैफीन और तम्बाकू का सेवन।
  • लम्बे समय तक ज्यादा दर्द निवारक दवाओं का या ओस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) में ली जाने वाली दवाओं का सेवन करना।
  • एस्पिरिन (Aspirin) या ज्वलनरोधक दवाओं का सेवन करना।
  • अत्यधिक तनाव के कारण
  • अनुवांशिक कारणों से
  • डायबिटीज

गैस्ट्रिक अल्सर की समस्या के लिए घरेलू उपचार (Home Remedies for Abdominal Ulcer Treatment in Hindi)

अल्सर के इलाज के लिए कई आयुर्वेदिक उपाय है जिनका रोगी उपयोग कर सकता हैः-

नीम्बू के सेवन से पेट में अल्सर (छाले) का इलाज (Lemon:Home Remedy for Peptic Ulcer Treatment in Hindi)

आधा कप ठण्डे दूध में आधा नीम्बू निचोड़ लें। इसे पीने से पेट को आराम मिलता है और दर्द में राहत मिलती है।

पत्ता गोभी और गाजर से अल्सर का उपचार (Leaf Cabbage and Carrots:Home Remedies for Gastric Ulcer Treatment in Hindi)

पत्तागोभी और गाजर को बराबर मात्रा में लेकर इसका जूस निकाल लें। इस जूस को सुबह-शाम एक कप पीने से पेप्टिक अल्सर (Peptic Ulcer) के लक्षणों में आराम मिलता है।

गैस्ट्रिक अल्सर का घरेलू इलाज मेथी से (Methika:Home Remedy to Treat Gastric Ulcer in Hindi)

एक चम्मच मेथी को दो कप पानी में उबालें। अब इसे छानकर इसमें एक चम्मच शहद मिलाकर पिएँ।

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बादाम के प्रयोग से अल्सर का घरेलू इलाज (Almond:Home Remedy for Treat Peptic Ulcer in Hindi)

5-7 बादाम पीसकर एक गिलास दूध में उबाल लें और ठण्डा करके पिएँ।

सौंफ से पेट के अल्सर का इलाज (Fennel:Home Remedies for Cure Gastric Ulcer in Hindi)

चूड़ा और सौंफ को बराबर मात्रा में मिला कर चूर्ण बनाएँ। इस 20 ग्राम चूर्ण को दो लीटर पानी में सुबह घोल कर रख दें। शाम को इस मिश्रण को पी लें। यह नियमित रूप से पीने से अल्सर में आराम मिलता है।

गैस्ट्रिक अल्सर का इलाज मुनक्का से (Munakka:Home Remedy for Ulcer Treatment in Hindi)

4-5 मुनक्के रात में पानी में भिगा दें। इसमें दो छोटी हरड़ मिलाकर पीस लें। सुबह इसका सेवन करें। इससे अल्सर में होने वाले जलन और उल्टी जैसे लक्षणों से राहत मिलती है।

सहजन के सेवन से पेट के अल्सर (छाले) का इलाज (Drumstick:Home Remedy to Treat Peptic Ulcer in Hindi)

सहजन के पत्तों को पीसकर दही के साथ मिलाकर खाएँ। इसे दिन में एक बार खाएँ।

घी और हींग का प्रयोग दिलाता है अल्सर की समस्या से छुटकारा (Ghee and Asafoetida:Home Remedies for Cure Gastric Ulcer in Hindi)

घी में एक चौथाई चम्मच हींग को भून लें अब इसमें एक चम्मच जीरा और एक चुटकी सेंधा नमक डालकर सेवन करें।

पान करता है गैस्ट्रिक अल्सर का उपचार (Pan:Home Remedy for Gastric Ulcer Treatment in Hindi)

पान के हरे पत्तों का आधा चम्मच रस रोज पिएँ। इसे पीने से पेट के अल्सर व दर्द में लाभ होता है।

आँवला से पेट में अल्सर का उपचार (Anvil:Home Remedy for Stomach Ulcer Treatment in Hindi)

आँवले का मुरब्बा पेट के अल्सर में फायदेमन्द है अत इसका सेवन करें।

केला से अल्सर की समस्या का इलाज (Banana:Home Remedy for Stomach Ulcer Treatment in Hindi)

कच्चे केले की सब्जी बनाकर उसमें एक चुटकी हींग मिलाकर खाएँ।

अल्सर के लिए अन्य घरेलू उपचार (Other Home Remedies for Stomach Ulcer Treatment in Hindi)

  • एक गिलास ठण्डे दूध में उतनी ही मात्रा में पानी मिलाकर पिएँ।
  • छाछ की कढ़ी बनाकर प्रतिदिन मक्के की रोटी के साथ खाएँ।
  • हींग को पानी में मिलाकर नियमित रूप से पिएँ।
  • नियमित रूप से प्रात अनार का रस पिएँ।
  • भोजन में गाय के दूध से बने घी का इस्तेमाल करें।

अल्सर की बीमारी के दौरान आपका खान-पान (Your Diet in Abdominal Ulcer Disease)

अल्सर रोग के दौरान आपका खान-पान ऐसा होना चाहिएः-

  • रोज एक सेब खाने से पेट के अल्सर से प्रभावित होने की समस्या कम हो जाती है। सेब में flavanoids होते हैं जो H.pylori नामक पेट के अल्सर के बैक्टेरिया को पनपने से रोकते है।
  • दही पेट के लिए बहुत लाभदायक है। इसमें Probiotics, Lactobocillus और Acidophilus पाया जाता है। यह पेट के अल्सर को ठीक करने में मदद करता है।
  • रोज लहसुन की 2-3 कलियाँ खाएँ। यह पेट के अल्सर के बैक्टेरिया H.pylori को मारने में मदद करता है।
  • नियमित सुबह ग्रीन टी पीने से इसमें मौजूद Antioxidants पेट के अल्सर से बचाव (home remedies for stomach ulcer) करते है।
  • फूलगोभी में Sulforaphane होता है जो पेट में अल्सर उत्पन्न करने वाले बैक्टेरिया H.pylori को नष्ट करता है। सात दिन तक दिन में दो बार फूल गोभी खाने से पेट के अल्सर के बैक्टेरिया का प्रभाव कम हो जाता है।
  • मूली में फाइबर होता है जो पाचन को बेहतर करता है और जिंक एवं खनिज को अवशोषित करता है। नियमित सफेद मूली खाने से पेट की सूजन कम होती है और कब्ज की समस्या नहीं होती साथ ही अल्सर रोग में भी यह प्रभावी है।
  • हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए तथा मिर्च-मसाले युक्त भोजन कभी नहीं करना चाहिए।

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अल्सर की बीमारी के दौरान आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle in Abdominal Ulcer Disease)

अल्सर रोग के दौरान आपकी जीवनशैली (home remedies for stomach ulcer) ऐसी होनी चाहिएः-

  • अधिक देर तक या बार-बार भूखे नहीं रहना चाहिए।
  • नियमित समय पर भोजन करें।
  • दर्द निवारक एवं एंटीबायोटिक दवाओं का प्रयोग कम से कम करें।

अल्सर की बीमारी में डॉक्टर से कब सम्पर्क करें? (When to Contact in Abdominal Ulcer Disease?)

अल्सर होने पर रोगी को भोजन के प्रति अरुचि हो जाती है। मरीज का भोजन ठीक से नहीं पचता है और रोगी को ठीक से भूख नहीं लगती है। इस कारण उसका वजन घटने लगता है। पेट दर्द और उल्टी जैसे लक्षणें के कारण अल्सर के रोगी को बहुत परेशानी होती है। अल्सर का समय पर इलाज न करने से यह स्थिति कैंसर में भी परिवर्तित हो सकती है। इसलिए अल्सर से संबंधित लक्षण दिखते ही तुरंत डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, स्वामी रामदेव जी के साथी और पतंजलि योगपीठ और दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) के एक संस्थापक स्तंभ है। उन्होंने प्राचीन संतों की आध्यात्मिक परंपरा को ऊँचा किया है। आचार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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