धातकी का परिचय (Introduction of Dhataki)
क्या आप जानते हैं कि धातकी क्या (Dhataki Benefits) है और धातकी का प्रयोग किस काम में किया जाता है? नहीं ना! आप जान लीजिए कि धातकी एक औषधि है जिसका प्रयोग रोगों का उपचार के लिए किया जाता है। आयुर्वेद में धातकी के उपयोग से संबंधित कई अच्छी बातें बताई गई हैं।
What is Dhataki?
Dhataki Called in Different Languages
Dhataki Benefits and Uses
How to use Red Bell Bush
Dosage of Red Bell Bush
Side Effects of Red Bell Bush
Where is Red Bell Bush Found or Grown
धातकी के पौधे से अनेक प्रकार की औषधियां बनाई जाती हैं। यह इतनी महत्वपूर्ण वनस्पति है कि प्रायः सभी आयुर्वेदिक अर्क या रस में धातकी के फूल का प्रयोग होता है। प्राचीन काल से धातकी का उपयोग शोध और अन्य गतिविधियों के लिए किया जाता रहा है। आइए जानते हैं कि आप धातकी का इस्तेमाल कर कैसे बीमारियों का इलाज कर सकते हैं।
धातकी क्या है? (What is Dhataki?)
धातकी माध्यम उंचाई का पौधा होता है। इसकी औसत ऊंचाई लगभग 3.6 मीटर होती है। यह औषधीय गुणों से भरपूर वनस्पति है। इसकी जड़, तने की छाल, लता, पत्ता, फूल, फल आदि सभी अंग गुणकारी होते हैं और विभिन्न रोगों के उपचार में काम (Dhataki Uses) आते हैं।
धातकी के पौधे हर साल जनवरी से अप्रैल के दौरान फूलों से भर जाते हैं। इसी वक्त इसके पत्ते झड़ जाते हैं। इसके पौधों में नए पत्ते फरवरी से मार्च के बीच आते हैं।
अनेक भाषाओं में धातकी के नाम (Dhataki Called in Different Languages)
धातकी लाइथेसी (Lythraceae) कुल का पौधा है। इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम वुडफोर्डिया फ्रूटिकोसा (Woodfordia fruticosa (Linn.) Kurz) है। वनस्पति विज्ञान में इसे Syn-Woodfordia floribunda Salisb नाम से भी जाना जाता है। अंग्रेजी में इसे Fire-flame bush (फायर-फ्लेम बुश), (Red bell bush) रेड बेल बुश आदि नामों से जाना जाता है। आइए हम जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में इसके क्या-क्या नाम हैंः-
Red bell bush in –
धातकी के औषधीय प्रयोग से लाभ (Dhataki Benefits and Uses)
धातकी के फूल स्वाद में कड़वे, तासीर में ठंडे और आकार में छोटे होते हैं। हड्डियों को जोड़ने में धातकी के फूल मददगार होते हैं। इसके अलावा अल्सर, अतिसार (Diarrhoea), खून संबंधी गड़बड़ियों और चर्म रोगों के निदान में मददगार हैं। यह पित्त के लिए भी लाभदायक है। धातकी का इस्तेमाल (Dhataki Uses) इन तरीकों से किया जा सकता हैः-
आंखों के रोग में धातकी का प्रयोग लाभदायक (Uses of Red Bell Bush in Cure Eye Disease in Hindi )
आँखों के लिए धातकी बेहद गुणकारी औषधि है। इसके फूल और तिनिश सार को पीसकर बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को दूध एवं शहद के साथ अच्छी तरह मिलाकर सेवन करें। इससे आँखों की कमजोरी दूर होती है। कफ आदि के कारण पलक उठाने में हो रही परेशानी में भी धातकी लाभदायक साबित होती है।
नाक से खून बहने पर धातकी का उपयोग फायदेमंद (Benefits of Red Bell Bush in Nose Bleeding in Hindi)
यदि नाक से खून आ रहा हो तो धातकी का फूल इसे रोकने में मदद कर सकता है। इसके फूल में मोचरस, पठानी लोध्र, आम की गुठली और मंजीठ को पीसकर चीनी के शरबत में मिलाएं। इसे कपड़े से छानकर निचोड़ लें। इस रस को 1-2 बूंद की मात्रा में नाक में डालने से खून आना बंद (Red Bell Bush Uses) हो जाता है।
दांतों की बीमारी में धातकी का इस्तेमाल लाभदायक (Red Bell Bush Benefits in Cure Dental Disorder in Hindi)
धातकी के पत्तों और फूल, दोनों को बराबर हिस्सा लेकर इसका काढ़ा बना लें। इसे गले में अटकाकर कुल्ला (गरारा) करने पर दांत के सभी तरह के रोगों में फायदा (Red Bell Bush Uses) होता है।
और पढ़ें: दाँतों के रोग में फायदेमंद हींग
बच्चों के दांत निकलने की तकलीफ में करें धातकी का सेवन (Red Bell Bush Uses in Infant’s Teeth Pain in Hindi)
जब छोटे बच्चों के दांत निकलते हैं तो प्राय: बच्चों को दर्द होता हैं। ऐसा होने पर आंवला, पिप्पली और धातकी के फूल, को बराबर मात्रा में लेकर महीन पीस लें। इस चूर्ण के 1 ग्राम में शहद मिलाकर सुबह और शाम रोज बच्चों के मसूड़ों पर मालिश करें। ऐसा करने से दांत निकलते समय होने वाला दर्द दूर हो जाता है। दांत आसानी से निकल जाता है।
पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए करें धातकी का सेवन (Dhataki Benefits in Cure Abdominal Bugs in Hindi)
पेट में यदि कीड़े हो गए हो तो धातकी की मदद ली जा सकती है। इसके फल के 3 ग्राम चूर्ण को सुबह खाली पेट में ताजा पानी के साथ कुछ दिनों तक लगातार सेवन करें। इससे पेट के कीड़े मर (Red Bell Bush Uses) जाते हैं।
दस्त को रोकने में धातकी से लाभ (Dhataki Uses to Stop Diarrhoea in Hindi)
दस्त (Diarrhoea) होने की स्थित में धातकी के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद या एक कप छाछ मिलाकर सेवन करें। इससे दस्त और पेचिश में काफी लाभ होता है। जिन्हें बार-बार शौच जाना पड़ता है, उन्हें इस दिव्य औषधि का सेवन कर जरूर लाभ उठाना चाहिए।
सोंठ, धातकी के फूल, मोचरस और अजमोदा को मिलाकर पीस लें। इस मिश्रित चूर्ण की 1-3 ग्राम मात्रा का सेवन छाछ के साथ करें। इससे दस्त और और पेचिश दोनों में लाभ होता है।
पेचिश में धातकी से लाभ (Uses of Dhataki to Stop Dysentery in Hindi)
धातकी के प्रयोग से खूनी बवासीर का इलाज (Benefits of Dhataki in Piles in Hindi)
धातकी के फूलों का शरबत पिलाने से बवासीर में लाभ होता है। खूनी बवासीर या अन्य किसी कारण से खून बहने को रोकने के लिए धातकी के फूल के एक चम्मच चूर्ण में दो चम्मच शहद मिलाएं। इसे दिन में 2-3 बार सेवन करना चाहिए। ऐसा करने से खून आना बंद हो जाता है या धीरे धीरे कम हो जाता है।
तिल्ली के बढ़ने (प्लीहा वृद्धि) के रोग के इलाज में धातकी से फायदा (Benefits of Dhataki in Cure Spleen Related Problems in Hindi)
धातकी के फूलों का 2-3 ग्राम चूर्ण लेकर इसे चित्रक की जड़ और हल्दी के चूर्ण के साथ मिलाएं। अगर इनमें से किसी एक का भी सेवन 50 ग्राम गुड़ के साथ किया जाए तो प्लीहा विकार जैसे तिल्ली के बढ़ने और प्लीहा के बढ़ने से जुड़ी दिक्कतों को दूर करने में सहायता मिलती है।
डायबिटीज (मुधमेह) में फायदेमंद धातकी का उपयोग (Uses of Dhataki in Controlling Diabetes in Hindi)
मधुमेह ऐसी बीमारी हो चली है जो सामान्य तौर पर हर घर में पहुँच रही है। इस बीमारी का प्रसार जितना तेज है, धातकी जैसे प्राकृतिक पदार्थों की मदद से इसकी रोकथाम भी उतनी आसान है। धातकी के फूल, पठानी लोध्र और चंदन को समान मात्रा में लेकर पीस लें। इस मिश्रण को दिन में 3 बार शहद के साथ एक चम्मच लें। कुछ हफ्ते तक इसका नियमित सेवन करने से मधुमेह या डायबिटीज में लाभ (Red Bell Bush Benefits)होता है।
गर्भधारण में लाभदायक होता है धातकी का सेवन (Dhataki Benefits in Pregnancy Related Issues in Hindi)
अन्य परिस्थितियाँ सामान्य रहने पर भी जिन महिलाओं को गर्भ नहीं ठहर रहा होता है, उनके लिए धातकी मददगार हो सकती है। धातकी के फूल के चूर्ण और नील कमल के चूर्ण को बराबर-बराबर मिला लें। मासिक धर्म शुरू होने के दिन से 5 दिन तक शहद के साथ सुबह-शाम नियमित सेवन करें। इससे स्त्री गर्भधारण कर लेती है। प्रयोग असफल होने पर अगले मासिक धर्म से इसे फिर से प्रयोग किया जा सकता है।
ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर में धातकी से फायदा (Dhataki Uses in Leukorrhea in Hindi)
श्वेत प्रदर या ल्यूकोरिाय से परेशान महिलाओं के लिए भी धातकी फायदेमंद होता है। धातकी के फूल से बने दो चूर्ण को चम्मच (लगभग 3 ग्राम) लें। इसे शहद, पानी, दही या मिश्री के साथ सुबह खाली पेट और शाम को भोजन से एक घंटा पहले सेवन करें। इससे ल्यूोकरिया या श्वेत प्रदर में शीघ्र लाभ होता है।
आंतों के रोग या अल्सर के इलाज में धातकी से लाभ (Uses of Red Bell Bush in Ulcer Treatment in Hindi)
अल्सर होने पर आँतों से खून आने लगता है। इस बीमारी में धातकी फायदेमंद होता है। धातकी के फूल के चूर्ण का लोध्र की छाल के साथ उपयोग करें। इससे अल्सर में काफी आराम (Red Bell Bush Benefits) मिलता है।
धातकी के प्रयोग से साइनस के घाव का इलाज (Benefits of Red Bell Bush in Sinus in Hindi)
नासूर में अलसी के तेल में धातकी के फूल से बने चूर्ण को मिला लें। इसे थोड़ा शहद मिलाकर रोजाना साइनस के घाव में लगाते रहें। ऐसा करने से से जल्द आराम मिलता है।
आग से जल जाने पर कारगर है धातकी का इस्तेमाल (Red Bell Bush Benefits in Burning Issue in Hindi)
धातकी के फूलों को पीसकर अलसी के तेल में या शहद में मिलाकर जले हुए स्थान पर लगाएं। इससे बाद में जले हुए का निशान भी खत्म हो जाता है। इसके फूलों को गुलाब जल में पीसकर लेप करने से पूरे शरीर में जलन में फायदा होता है।
धातकी के उपयोग से कुष्ठ रोग का इलाज (Red Bell Bush Uses in Leprosy Treatment in Hindi)
धातकी के फूल के पेस्ट को लेप और उबटन के रूप में प्रयोग करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इसके अलावा कटेरी और धाय के फूल को जलाकर उसकी भस्म बना लें। इसमें सरसों का तेल मिलाकर कुष्ठ पर लेप करने से भी फायदा (Dhataki Benefits) होता है।
रक्त स्राव (नाक-कान से खून बहना या खूनी बवासीर की समस्या) रोकने में मददगार (Dhataki Benefits in Bleeding or Hemorrhage in Hindi)
धातकी के फूल, फल, चन्दन, पठानी लोध, अनन्त मूल, महुआ, नागरमोथा और हरीतकी इन सब चीजों को समान मात्रा में मिला लें। इस मिश्रण को कूटकर 30 ग्राम चूर्ण को लगभग एक लीटर पानी में भिगो दें। इसके बाद इस पानी में लगभग 5 ग्राम पकी हुई मिट्टी भी भिगो दें। थोड़ी देर बाद पानी छान लें। अब इसमें मुलेठी भिगो दें और जब मुलेठी अच्छी तरह भीग जाय तो पानी छान लें। इसमें मिश्री या चीनी मिलाकर पीने से तेजी से होने वाला रक्स स्राव रुक जाता है। इसे प्रतिदिन ताज़ा-ताजा बनाकर दिन में दो बार कुछ दिन तक लगातार सेवन करें।
दूब का एक चम्मच रस और धाय के फूल का एक चम्मच चूर्ण मिलाकर सेवन करने से भी खून बहना रोकने में मदद मिलाती है। कहीं से भी खून बह रहा हो, चाहे नकसीर हो या बवासीर अन्य रक्त स्राव, कुछ दिन के इस्तेमाल से खून बहना रोकने में पूर्ण लाभ होगा। तीन सप्ताह तक लगातार इसका सेवन करने से लाभ होता है।
बुखार में धातकी से लाभ (Benefits of Dhataki in Fighting with Fever in Hindi)
धातकी फूल से बने एक चम्मच चूर्ण को सुबह और शाम दूध या पानी के साथ सेवन करें। इससे पित्त विकार के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है। इसके कारण होने वाली परेशानियों से बचाव (Dhataki Benefits) होता है।
इस्तेमाल के लिए धातकी के उपयोगी हिस्से (How to use Red Bell Bush)
धातकी के निम्नलिखित अंगों का प्रयोग दवा बनाने के लिए किया जाता है:-
उपरोक्त अंगों के औषधि रूप में प्रयोग के विभिन्न तरीके ऊपर बताये गए हैं। उसके अनुसार चिकित्सक के परामर्श से औषधि बनाकर इसका सेवन किया जा सकता है।
धातकी के सेवन की मात्रा (Dosage of Red Bell Bush)
धातकी के प्रयोग के नुकसान (Side Effects of Red Bell Bush in Hindi)
धातकी के प्रयोग से सामान्य तौर पर किसी नुकसान की जानकारी नहीं है। इसके बाद भी प्रयोग से पहले चिकित्सक सलाह लेनी चाहिए।
धातकी कहां पाई या उगाई जाती है?(Where is Red Bell Bush Found or Grown)
धातकी (Dhataki) भारत के अधिकांश हिस्सों में आसानी से मिलने वाला एक पौधा है। हालांकि दक्षिण भारत और बंगाल के पानी वाले इलाकों में यह कम या नहीं के बराबर मिल पाती है लेकिन देश के बाकी सभी हिस्सों में यह आसानी से उपलब्ध है।
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