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आपने यह देखा होगा कि प्रायः रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद वेटर सौंफ (fennel seeds in hindi) खाने को देते हैं। सौंफ का उपयोग घरों में भी अनेक तरह से किया जाता है इसलिए आप लोग बराबर सौंफ का सेवन करते होंगे। वास्तव में छोटा सा दिखने वाला सौंफ बहुत ही गुणकारी होता है लेकिन अधिकाश लोग सौंफ के इस्तेमाल के बारे में बहुत अधिक नहीं जानते होंगे। आपको शायद यह पता नहीं होगा कि सौंफ एक औषधि है और इसके बारे में आयुर्वेद में बहुत सारी बातें बताई गई हैं।
पतंजलि के अनुसार, सौंफ (fennel seeds in hindi) वात तथा पित्त को शांत करता है, भूख बढ़ाता है, भोजन को पचाता है, वीर्य की वृद्धि करता है। हृदय, मस्तिष्क तथा शरीर के लिए लाभकारी होता है। यह बुखार, गठिया आदि वात रोग, घावों, दर्द, आँखों के रोग, योनि में दर्द, अपच, कब्ज की समस्या में फायदा पहुंचाता है। इसके साथ ही यह पेट में कीड़े, प्यास, उल्टी, पेचिश, बवासीर, टीबी आदि रोगों को ठीक करने में भी सहायता करता है। इसके अलावा सौंफ का प्रयोग कई अन्य रोगों में भी किया जाता है।
सौंफ (fennel seeds in hindi) का उपयोग प्राचीन काल से मुंह को शुद्ध (Mouth Freshner) करने और घरेलू औषधि के रूप में होता आ रहा है। इसका पौधा लगभग एक मीटर ऊंचा तथा सुगन्धित होता है। इसके पत्तों का प्रयोग सब्जी के रूप में भी किया जाता है। भूमध्यसागरीय इलाके में सौंफ जैसा ही एक पौधा पाया जाता है जिसे एनीसीड (aniseed) कहते हैं। इसका उपयोग इटालवी भोजन में किया जाता है।
सौंफ (sauf) का वानस्पतिक नाम फीनीकुलम वलगैरि (Foeniculum vulgare Mill., Syn-Foeniculum officinale All. Anethum foeniculum Linn.) है और यह Apiaceae (एपिएसी) कुल का है। सौंफ को दुनिया भर में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Saunf in –
सौंफ (sauf) का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और विधियां ये हैंः-
1-2 ग्राम सौंफ की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है। सौंफ के बीज का काढ़ा बना लें। इसे 5-10 मिली मात्रा में भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ छोटे बच्चों को पिलाने से बच्चों का कब्ज ठीक होता है। आयु के अनुसार मात्रा में सौंफ के बीजों की चटनी का सेवन करने से डकार और पेट की गैस की समस्या ठीक होती है।
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सौंफ (sof) को पानी के साथ पीसकर ललाट पर लगाने से सिरदर्द से आराम मिलती है।
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सौंफ के पत्ते के रस में रूई को भिगोकर आँखों पर रखें। इससे आँखों की जलन, दर्द तथा लालिमा की परेशानी ठीक होती है।
1-2 ग्राम सौंफ (sauf) चूर्ण में 65 मि.ग्रा. खसखस यानी पोस्त के दानों का चूर्ण मिला लें। इसे नियमित सेवन करने से आँखों के रोग ठीक होते हैं तथा आँखों की रोशनी बढ़ती है।
2-4 ग्राम सौंफ चूर्ण में बराबर भाग खाँड मिलाकर सेवन करें। इससे मानसिक रोग तथा गाय के दूध के साथ सेवन करने से आँख के रोग ठीक होते हैं।
15-30 मिली सौंफ (sof) के काढ़ा में खांड मिलाकर पिलाने से जुकाम में लाभ होता है।
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अंजीर के साथ सौंफ का सेवन (fennel in hindi) करने से सूखी खाँसी, गले की सूजन से राहत जल्दी मिलती है। बस सेवन की मात्रा सही होनी चाहिए।
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सौंफ का काढ़ा बनाकर उसमें फिटकरी मिलाकर गरारा करने से मुँह के छालों में लाभ होता है। सौंफ में बराबर मिश्री मिलाकर सेवन करने से मुँह से बदबू आने की परेशानी ठीक होती है।
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15-30 मिली सौंफ काढ़ा में मिश्री तथा गाय का दूध मिलाकर पिएं। इससे हकलाना की परेशानी कम होती है।
अंजीर के साथ सौंफ (sof) का सेवन करने से सूखी खाँसी, गले की सूजन तथा लंग कैंसर में लाभ होता है। 5 मिली सौंफ के पत्तों के स्वरस का सेवन करने से अस्थमा में लाभ होता है।
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बराबर-बराबर भाग में सौंफ, बिडंग, बनायं तथा काली मिर्च का चूर्ण लें। इसे 2-5 ग्राम की मात्रा में गुनगुने जल के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है।
1-2 ग्राम सौंफ (sof) की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से कब्ज में लाभ होता है।
सौंफ के बीज के काढ़ा को 5-10 मिली मात्रा में भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ छोटे बच्चों को पिलाने से बच्चों का कब्ज ठीक होता है।
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सौंफ के पत्तों का रस 5 मिली का सेवन करने से मूत्राशय की सूजन ठीक होती है।
सौंफ के फलों को पीसकर शर्बत बनाकर पीने से पेशाब की जलन शांत होती है।
सौंफ के बीज के 10-20 मिली काढ़ा में मधु मिलाएं। इसे नियमित सेवन करने से मासिक धर्म विकार जैसे- समय पर मासिक धर्म का ना आना, मासिक धर्म के समय दर्द होना और बांझपन आदि में लाभ होता है।
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सौंफ के पत्तों के 5 मिली रस को 100 मिली दूध में मिलाकर पीने से स्तनपान कराने वाली महिलाओं में दूध की वृद्धि होती है।
सौंफ, वच, सहिजन, गोक्षुर, वरुण, सहदेवी, वर्षाभू, शटी, गंधप्रसारिणी, अग्निमंथ फल तथा हींग की बराबर मात्रा लें। इसे कांजी से पीसकर, थोड़ा गरम करके लेप करें। इससे गठिया रोग में दर्द और सूजन दोनों ही ठीक (benefits of saunf) होते हैं।
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सौंफ को पीसकर मुंह पर लगाने से मुँहासे ठीक होते हैं, चेहरे की चमक बढ़ती है और रंग निखरता है।
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15-30 मिली सौंफ काढ़ा में मिश्री मिलाकर पीने से पागलपन या मैनिया रोग में लाभ होता है।
5-10 ग्राम सौंफ (sounf) को पीसकर उसमें इतना ही खाँड मिला लें। इसे पिलाने से पित्त के कारण होने वाले मैनिया रोग में लाभ होता है।
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सौंफ, वच, कूठ, देवदारु, रेणुका, धनिया, खस तथा नागरमोथा को बराबर मात्रा में लेकर उसका काढ़ा बना लें। इसमें मधु तथा मिश्री मिला लें। इसे 25-50 मिली की मात्रा में सुबह और शाम पीने से वात दोष के कारण होने वाला बुखार ठीक हो जाता है।
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5-10 मिली सौंफ पत्तों के रस को पीने से पूरे शरीर का दर्द ठीक होता है।
10-30 मिली सौंफ काढ़ा में नमक मिलाकर पीने से अधिक नींद आने की परेशानी ठीक होती है।
10-30 मिली सौंफ (sounf) के काढ़ा में 100 मिली गाय का दूध तथा घी मिलाकर पिलाने से नींद अच्छी आती है।
6-12 ग्राम शतपुष्पादि घी को गुनगुने दूध अथवा जल के साथ सेवन करें। इससे वात, पित्त, मेद, मूत्र रोग में फायदा होता है। इसके साथ ही मोटापा, फाइलेरिया (हाथीपाँव) तथा लीवर और तिल्ली की वृद्धि जैसी बीमारी में लाभ (benefits of saunf) होता है।
शतपुष्पादि काढ़ा में काला नमक मिलाकर बालकों को पिलाने से बाल रोगों में लाभ होता है।
रस – 5 मिली
काढ़ा – 15-30 मिली
चूर्ण – 2 ग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार ही सौंफ (sounf) का सेवन करें।
पूरे भारत में समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊँचाई तक सौंफ की खेती की जाती है।
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