Contents
सिंगाड़ा (Singhada) एक ऐसा फल है जो त्रिकोण आकार का और दो सिंग वाला होता है। लेकिन इसके अनोखे आकार की तरह फायदे (singhare ke fayde) भी अनगिनत होते हैं। सिंगाड़ा (shingade fruit) मूल रुप से सर्दी के मौसम में पाया जाता है।
सिंघाड़ा (Shingade fruit) तालाब के पानी की सतह पर तैरने वाला जलीय शाकीय पौधा होता है। इसके काण्ड टेढ़े-मेढ़े, आरोही होते हैं। इसके पत्ते जलकुंभी के समान, किन्तु त्रिकोणाकार तथा स्पंजी होते हैं। इसके फूल सफेद रंग के तथा जल की ऊपरी सतह पर खुले हुए होते हैं। इसके फल कठोर, त्रिकोणीय, चपटे तथा दो कोणों पर कंटकों से बने हुए होते हैं। इसके बीज संख्या में एक तथा सफेद रंग के होते हैं। इसकी जड़ हरे रंग की, जल में डूबी हुई होती है।
वैसे तो हर मौसम के फल के फायदे खास होते हैं। सिंघाड़ा जलिय पौधे का फल (Shingade fruit) होता है। सिंघाड़ा मधुर, ठंडे तासिर का, छोटा, रूखा, पित्त और वात को कम करने वाला, कफ को हरने वाला, रूची बढ़ाने वाला एवं वीर्य या सीमेन को गाढ़ा करने वाला होता है। यह रक्तपित्त तथा मोटापा कम करने में फायदेमंद होता है।
इसके बीज पोषक, दर्द को कम करनेवाला, ब्रेस्ट साइज को बढ़ाने वाला, बुखार कम करने वाला, भूख बढ़ाने वाला तथा कमजोरी कम करने वाला होता है।
और पढ़ें: भूख बढ़ाने में कटहल के फायदे
इसके फल अतिसार या दस्त में लाभप्रद होते हैं और फल का छिलका कमजोरी दूर करने और बुखार के लक्षणों से आराम दिलाने में मदद करता है।
सिंघाड़ा (shingada) का वानास्पतिक नाम Trapa natans Linn. var-bispinosa (Roxb.) Makino (ट्रापा नटान्स किस्म-बाइस्पाइनोसा) Syn-Trapa bispinosaRoxb है। यह Onagraceae (ओनाग्रेसी) कुल का है। सिंघाड़ा को अंग्रेज़ी में Water caltrops (वॉटर केलट्रॉपस्) कहते हैं, लेकिन सिघाड़ा को अन्य भाषाओं भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है।
Shingade in-
सिंघाड़े (Shingade fruit) में इतने पोषक तत्व हैं कि आयुर्वेद में उसको बहुत तरह के बीमारियों के लिए औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। चलिये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं।
अगर चलदंत से परेशान हैं तो सिंघाड़े का सेवन (Singada in hindi) से तरह से करने पर राहत मिलता है। चलदंत की अवस्था में दाँत को उखाड़कर, उस स्थान का लगाने से, विदारीकंद, मुलेठी, सिंघाड़ा, कसेरू तथा दस गुना दूध से सिद्ध तेल लगाने से आराम मिलता है।
और पढ़ें – टीबी रोग में चिचिंडा के फायदे
तपेदिक के कष्ट से परेशान हैं तो सिंघाड़ा का सेवन (singada in hindi) इस तरह से करने पर लाभ मिलता है। समान मात्रा में त्रिफला, पिप्पली, नागरमोथा, सिंघाड़ा, गुड़ तथा चीनी में मधु एवं घी मिलाकर सेवन करने से राजयक्ष्मा या टीबी जन्य खांसी, स्वर-भेद तथा दर्द से राहत मिलती है।
और पढ़ें: पिप्पली के फायदे
कभी-कभी किसी बीमारी के कारण प्यास लगने की समस्या होती है तो कशेरु, सिंघाड़ा (Shingade fruit), कमल, सेमल, कमल की जड़ तथा इक्षु से बने काढ़े (10-30 मिली) का सेवन करने से प्यास लगने की बीमारी से आराम मिलता है।
अगर मसालेदार खाना खाने से दस्त की बीमारी हो गई है तो सिंघाड़ा (shingada) का सेवन इस तरह से करें। इमली बीज को भिगोकर, छिलका निकालकर आधा भाग शृंगाटक चूर्ण तथा चौथाई भाग अपांप्म मिलाकर, पीस कर टिकिया बनाकर, लोहे के तवे पर सेंक कर चावल के धोवन का सेवन करने से अतिसार में लाभ मिलता है। इसके अलावा सिंघाड़ा (singoda) का सेवन करने से अतिसार या दस्त की परेशानी कम होती है।
और पढ़े: इमली के फायदे
कच्चे सिंघाड़े (Shingade fruit) का सेवन करने से पाइल्स के कारण जो ब्लीडिंग होता है उसके दर्द और रक्तस्राव को कम करने में सहायता करता है।
और पढ़े – पाइल्स के दर्द में गोभी के फायदे
मूत्र संबंधी समस्या में मूत्र करते समय जलन और दर्द होना और धीरे-धीरे मूत्र होना जैसी समस्याएं आती हैं। सिंघाड़ा (singoda) इस समस्या से राहत दिलाने में बहुत काम करता है। सिंघाड़े के हिम (15-30 मिली) में शहद तथा चीनी मिलाकर सुबह पीने से मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।
डायबिटीज होने पर ब्लड शुगर (singhara for diabetes) को कंट्रोल करना सबसे ज्यादा ज़रूरी होता है। सिंघाड़ा (water chestnut in hindi)का इस तरह से सेवन करने पर शुगर को कंट्रोल में करना आसान होता है। शृंगाटक आदि से बने अरिष्ट, अयस्कृति, लेह, आसव आदि तथा शृंगाटकादि वर्ग के कषायों से सिद्ध यवागू या सिंघाड़े का सेवन का सेवन करने से प्रमेह रोग में लाभ मिलता है।
और पढ़े: डायबिटीज में गेहूं के फायदे
कभी-कभी प्रेगनेंसी (singhara benefits in pregnancy) के बाद भी ब्लीडिंग होता है जिसके कारण नई नई बनी माँ के लिए बहुत ही कष्टदायक स्थिति हो जाती है। सिंघाड़ा का इस तरह से सेवन करने पर लाभ मिलता है।
और पढ़ें – ब्लीडिंग रोकने में दूर्वा घास के फायदे
रक्तप्रदर की समस्या से निजात पाने के लिए सिंघाड़ा आटा (singhara atta)का सेवन करना लाभदायक होता है। सिंघाड़े के आटे की रोटी बनाकर खाने से रक्तप्रदर में लाभ होता है।
अगर स्पर्म काउन्ट को बढ़ाना चाहते हैं तो सिंघाड़े के आटे के हलवा (singada halwa) का सेवन करना लाभदायक होता है।
अगर ब्रेस्ट का साइज संतोषजनक नहीं है तो इसको बढ़ाने के लिए सिंघाड़े (water chestnut in hindi)का सेवन करें। प्रसूता स्त्री द्वारा सिंघाड़ा का सेवन करने से स्तन की वृद्धि होती है।
रक्तपित्त में लाभकारी होता है सिंघाड़े का इस तरह से सेवन। समान मात्रा में सिंघाड़ा, धान का लावा, नागरमोथा, खर्जूर तथा कमल केशर के चूर्ण (2-4 ग्राम) को मधु के साथ सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
और पढ़ें: अरबी के फायदे कान के रोग में
अक्सर घर में काम करते हुए हाथ जल जाता है तब सिंघाड़े का पेस्ट काम आता है। सिंघाड़े (Shingade fruit) के पत्तों को पीसकर लेप करने से जलन कम होता है।
कभी-कभी किसी बीमारी के कारण सेक्चुअल स्टैमिना में कमी आ जाता है। समान भाग में सिंघाड़े के बीज, उड़द की दाल, खजूर, शतावर की जड़, सिंघाड़ा तथा किशमिश को विधि पूर्वक आठ गुना जल एवं आठ गुना दूध डालकर दूध के बचे रहने तक पकायें। फिर इसमें चीनी, वंशलोचन, ताजा घी और शहद मिलाकर पीने से वाजीकरण गुण की वृद्धि यानि सेक्स करने के दौरान सेक्सुअल स्टैमिना को बढ़ाने में करता है मदद।
आयुर्वेद में सिंघाड़े के फल और पत्ते का सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
हर बीमारी के लिए सिंघाड़ा का सेवन और इस्तेमाल कैसे करना चाहिए, इसके बारे में पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए सिंघाड़े (Shingade fruit) का उपयोग कर रहें हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्शानुसार-
समस्त भारत में मुख्यत बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, गुजरात, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश में तालाबों आदि में इसकी खेती की जाती है। सिंघाड़े के आटे से बने खाद्द पदार्थो का प्रयोग व्रत आदि में किया जाता है। इसके फलों का आटा (singhara atta)अत्यन्त पौष्टिक एवं मधुर होता है।
आयुर्वेदिक ग्रंथों के अनुसार, त्रिफला चूर्ण पेट से जुड़ी समस्याओं के लिए बेहद फायदेमंद है. जिन लोगों को अपच, बदहजमी…
डायबिटीज की बात की जाए तो भारत में इस बीमारी के मरीजों की संख्या साल दर साल बढ़ती जा रही…
मौसम बदलने पर या मानसून सीजन में त्वचा से संबंधित बीमारियाँ काफी बढ़ जाती हैं. आमतौर पर बढ़ते प्रदूषण और…
यौन संबंधी समस्याओं के मामले में अक्सर लोग डॉक्टर के पास जाने में हिचकिचाते हैं और खुद से ही जानकारियां…
पिछले कुछ सालों से मोटापे की समस्या से परेशान लोगों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. डॉक्टरों के…
अधिकांश लोगों का मानना है कि गौमूत्र के नियमित सेवन से शरीर निरोग रहता है. आयुर्वेदिक विशेषज्ञ भी इस बात…