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आपने अमलतास (Amaltas tree in hindi) के पेड़ को अनेक स्थानों पर देखा होगा। यह प्रायः सड़कों के किनारे या बाग-बगीचे में दिखाई देते हैं। इसमें पीले-पीले फूल होते है और ये फूल देखने में बहुत ही मनमोहक होते हैं। इन फूलों को घरों में सजावट के लिए प्रयोग किया जाता है। इसके अलावा भी अमलतास के फायदे और भी हैं। क्या आपको पता है कि अमलतास का उपयोग कर रोगों को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।
आयुर्वेद के अनुसार, अमलतास के इस्तेमाल से बुखार, पेट की बीमारियां, त्वचा रोग, खांसी, टीबी और ह्रदय रोग आदि में लाभ लिया जा सकता है। इतना ही नहीं अमलतास के फायदे और भी हैं जिसकी जानकारी पाकर आप अमलतास से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं।
कई प्राचीन ग्रन्थों में अमलतास (amaltas tree in hindi) का विवरण मिलता है। इसके वृक्ष पहाड़ियों पर अपने मालाकार सुवर्ण फूलों से शोभा बढ़ाते हैं। मार्च-अप्रैल में वृक्षों की पत्तियां झड़ जाती हैं। इसके बाद नई पत्तियां और पीले रंग के पूल साथ ही निकलते हैं। उसके बाद फली लगती है। फली (amaltas ki phali) लम्बी गोल और नुकीली हेती है और वर्ष भर लटकी रहती है।
आमतौर पर अमलतास (amaltas) को भारत में अमलतास के नाम से ही जानते हैं लेकिन इसके अलावा और भी नाम हैं जिसे देश या विदेशों में अमलतास को जाना जाता है। अमलतास का वानस्पतिक नाम कैसिया फिस्टुला (Cassia fistula L., Syn-Cassia rhombifolia Roxb., Cassia excelsa Kunth.) सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae) है और इसके अन्य नाम ये हैंः-
Amaltas in-
अब तक आपने जाना कि अमलतास (amaltas tree in hindi) क्या है और अमलतास को कितने नामों से देश या विदेशों में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि अमलतास का औषधीय प्रयोग कैसे कर सकते हैं, औषधीय प्रयोग की मात्रा क्या होनी चाहिए और इसकी विधियां क्या हैंः-
अमलतास फल (amaltas ki phali) मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका ककाढ़ा बनाकर पीएं। इससे ज्वर में लाभ होता है।
अमलतास के पत्तों को गाय के दुग्ध के साथ पीसकर लेप करने से नवजात शिशु के शरीर पर होने वाली फुंसी या छाले दूर हो जाते हैं।
अमलतास के पत्तों और छाल को पीसकर नाक की छोटी-छोटी फून्सियों पर लगाएं। इससे फुन्सियां ठीक हो जाती हैं।
अमलतास फल (amaltas ki phali) मज्जा को धनिये के साथ पीस लें। इसमें थोड़ा कत्था मिलाकर चूसें या फिर केवल इसके गूदे को मुख में रखकर चूसने से मुंह के छाले ठीक होते हैं।
अमलतास, चमेली तथा करंज के पत्तों को गाय के मूत्र के साथ पीस लें। इसे घाव पर लेप के रूप में लगाएं। इससे पुराना से पुराना घाव भी ठीक हो जाता है।
अमलतास के पत्तों को दूध में पीस लें। इसे घाव पर लगाएं। इससे तुरंत फायदा होता है।
अमलतास की 10-15 ग्राम जड़ या जड़ की छाल को दूध में उबालें। इसे पीसकर लेप करने से शरीर की जलन ठीक हो जाती है।
अमलतास की जड़ को चावल के पानी के साथ पीस लें। इसे सुंघाने और लेप करने से कंठ के रोग में लाभ होता है।
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कफ के कारण टान्सिल बढ़ने पर अमलतास का पानी पीने में आराम मिलता है। टान्सिल में जब दर्द हो रहा हो तब 10 ग्राम अमलतास (amaltas) जड़ की छाल को थोड़े जल में पकाएं। इसे बूंद-बूंद कर मुंह में डालते रहने से आराम होता है।
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अमलतास की 5-10 ग्राम गिरी को पानी में घोटें। उसमें तीन गुना चीनी का बूरा डाल लें। इसे गाढ़ी चाशनी बनाकर चटाने से सूखी खांसी ठीक होती है।
अमलतास फल मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे कफ में लाभ होता है।
अमलतास के फल (amaltas ki phali) का गूदा का काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 ग्राम इमली का गूदा मिलाकर सुबह और शाम पीएं। यदि रोगी में कफ की अधिकता हो तो इसमें थोड़ा निशोथ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है।
दमा या श्वसनतंत्र विकार को ठीक करने के लिए अमलतास फल के गूदे का काढ़ा बना लें। इसे पिलाने से सांसों की बीमारी में लाभ होता है।
अमलतास की मज्जा को पीसकर बच्चों की नाभि के चारों ओर लेप करें। इससे पेट के दर्द से आराम मिलता है।
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पेट के रोग में अमलतास के 2-3 पत्तों में नमक और मिर्च मिलाएं। इसे खाने से पेट साफ होता है और बीमारी ठीक होती है।
स्वामी बाबा रामदेव द्वारा प्रयोग में लाया गया उपायः अमलतास फल के 10 से 20 ग्राम गूदे को रात में 500 मिली पानी में भिगो दें। इसे सुबह मसलकर छानकर पीने से पेट साफ हो जाता है और पेट की गंदगी बाहर निकल जाती है।
चार वर्ष से लेकर बारह वर्ष तक का बच्चे के शरीर में जलन हो रही हो या वह आंतों की बीमारी से परेशान है तो उसे अमलतास की मज्जा को 2-4 नग मुनक्का के साथ देना चाहिए। इससे लाभ होता है।
अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन कराने से भी आंत के विकारों में लाभ होता है।
अमलतास फल मज्जा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे पाचनतंत्र संबंधी विकार ठीक होते हैं, भूख बढ़ती है।
अमलतास के फूलों का गुलकंद बनाकर सेवन कराने से कब्ज में लाभ होता है।
इसी तरह 15-20 ग्राम अमलतास फल का गूदा लें। इसे मुनक्का के रस के साथ सेवन करने से कब्ज ठीक हो जाता है।
आरग्वध (अमलतास) के कच्चे फलों के चूर्ण लें। इसके चौथाई भाग सेंधा नमक मिला और नींबू का रस मिलाकर सेवन करने से कब्ज में फायदा होता है।
अमलतास, चमेली तथा करंज के पत्तों को गाय के मूत्र के साथ पीस लें। इसे बवासीर के मस्से पर लेप के रूप में लगाएं। इससे बवासीर में लाभ होता है।
अमलतास के फल का गूदा लें। इतना ही गन्ना या भूमि कूष्मांड या आंवले के बराबर भाग रस लें। इसे दिन में दो बार देने से पीलिया रोग में लाभ हेता है।
10 ग्राम अमलतास के पत्तों को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो इसका सेवन करें। इससे मधुमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।
अमलतास के पेड़ के कई फायदे (amaltas tree benefits in hindi) हैं. 15 ग्राम अमलतास फल के गूदा को 100 मिली पानी में उबालें। जब पानी 25 मिली शेष रह जाए तो उसमें गाय का घी मिलाकर पीएं। इससे अण्डकोष वृद्धि या हाइड्रोसील के बढ़ने की परेशानी में लाभ होता है।
गठिया की बीमारी में 5-10 ग्राम अमलतास जड़ को 250 मिली दूध में उबालें। इसे देने से गठिया में लाभ होता है।
अमलतास के 10-15 पत्तों को गर्म करके उनकी पट्टी बांधने से गठिया में फायदा होता है।
शाम के भोजन में सरसों के तेल में पकाए हुए अमलतास के पत्तों का सेवन करें। इससे आम का पाचन होकर आमवात में लाभ होता है।
जोड़ों के दर्द में अमलतास फल के गूदा और पत्तों का लेप करें। इससे आराम मिलता है।
अमलतास के 10-15 पत्तों को गर्म करके उनकी पट्टी बांधने से चेहरे के लकवे के रोग में लाभ होता है।
इसके अलावा अमलतास के पत्ते के रस को पिलाने से भी चेहरे के लकवे की बीमारी ठीक हो जाती है।
रक्तवाहिकाओं की परेशानी में अमलतास के पत्ते को पानी और तेल में पकाएं और इसका सेवन करें। इससे रक्तवाहिकाओं से जुड़ी परेशानियों में लाभ होता है।
अमलतास के पत्ते अथवा जड़ को पीसकर लेप करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है। इससे दाद या खुजली जैसे चर्म रोगों में भी लाभ होता है।
अमलतास की पत्तियों तथा कुटज त्वक् का काढ़ा बनाकर स्नान, पान, लेप आदि के लिए प्रयोग करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
पहले शरीर पर सरसों के तेल से मालिश करें और फिर अमलतास, मकोय तथा कनेर के पत्तों को छाछ से पीस लें। इसे प्रभावित अंगों पर लेप करें। इसके अलावा कांजी से पत्तों को पीसकर लेप करने से त्वचा रोग जैसे कुष्ठ रोग, दाद, खुजली आदि में लाभ होता है।
अमलतास के पत्तों तथा श्लेष्मातक की छाल का लेप बनाकर लगाने से विसर्प रोग वाले घाव ठीक हो जाते हैं। अमलतास के 8-10 पत्तों को पीसकर इसें घी मिला लें। इसका लेप करने से भी विसर्प रोग में लाभ होता है।
अमलतास के पत्तों को दूध में पीस लें। इसे गर्भवती स्त्रियों के शरीर पर होने वाली धारियों पर लगाएं। इससे तुरंत फायदा होता है।
कई लोगों या अनेक महिलाओं को पैर के एड़ियों के फटने की शिकायत रहती है। ऐसे में अमलतास के पत्ते का पेस्ट बनाकर एड़ियों पर लगाएं। इससे एड़ी के फटने या बिवाई रोग में लाभ होता है।
शरीर के अंगों जैसे नाक, कान आदि से खून के बहने पर अमलतास का प्रयोग करना लाभ देता है। 25-50 ग्राम अमलतास फल के गूदा में 20 ग्राम मधु और शर्करा मिला लें। इसे सुबह और शाम देने से नाक-कान से खून का बहना रुक जाता है।
अमलतास के फल के गूदा का काढ़ा बना लें। इसमें 5-10 ग्राम इमली का गूदा मिलाकर सुबह और शाम पीएं। इससे पित्त विकार ठीक होता है। यदि रोगी में कफ की अधिकता हो तो इसमें थोड़ा निशोथ का चूर्ण मिलाकर पिलाने से विशेष लाभ होता है।
अमलतास फल के गूदा का काढ़ा बनाकर पिलाएं या अमलतास फल के गूदा से पेस्ट बना लें। इसे दूध में पकाएं और पीएं। इससे पित्त विकारों में लाभ होता है।
अमलतास फल के गूदा और घृतकुमारी के गूदे को जल के साथ घोट लें। इसका मोदक बना लें। इसे रात में सेवन करें। इससे पित्त के विकारों में फायदा होता है। इसके लिए जल के स्थान पर गुलाबजल का प्रयोग भी किया जा सकता है।
लाल निशोथ के काढ़ा के साथ अमलतास के फल का गूदा का पेस्ट मिला लें। इसके अलावा बेल के काढ़ा के साथ अमलतास के गूदा का पेस्ट, नमक एवं मधु मिला सकते हैं। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से पित्तज विकार ठीक होता है।
अमलतास फल के गूदा को पिप्पली की जड़, हरीतकी, कुटकी एवं मोथा के साथ बराबर भाग में मिलाएं। इसका काढ़ा बनाकर पीएं। इससे वात संबंधित विकार में लाभ होता है।
अमलतास का प्रयोग इतनी मात्रा में करना चाहिएः-
काढ़ा- 20-40 मिली
फलमज्जा (विरेचनार्थ)- 15-20 ग्राम
एक औषधि के रूप में अधिक लाभ लेने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।
अमलतास के पेड़ के अनगिनत फायदे ( amaltas tree benefits in hindi) हैं. इस पेड़ के निम्न हिस्सों को उपयोग में लाया जा सकता हैः-
पत्ते
फूल
बीज
जड़
तने की छाल
फल का गूदा
अमलतास (amaltas) का वृक्ष पूरे भारतवर्ष में सड़क के किनारे या उद्यानों में पाया जाता है।
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