डायबिटीज अथवा मधुमेह भारत में तेजी से अपने पैर पसारती जा रही है। साधारण शब्दों में डायबिटीज का अर्थ है खून में शुगर की मात्रा निर्धारित स्तरों से अधिक बढ जाना। आरामदायक जीवन शैली से जुड़ी यह बीमारी इंसुलिन नामक हार्मोन की कमी अथवा शरीर के ऊतकों में इस हार्मोन के प्रति प्रतिरोध (रेजिस्टेंस) उत्पन्न हो जाने से होती है।
डायबिटीज चेक लिस्ट (निम्न में से एक या अधिक लक्षण दिखायी दे तो अपने डाक्टर से सलाह लें)
-बहुत अधिक भूख लगना
-बार बार प्यास लगना
-बार बार पेशाब आना
-घाव ना भरना
-नजर धुंधलाना
-दिन भर थकान रहना
डायबिटीज आपके पैरों को किस प्रकार प्रभावित करती है?
-जब आपका ब्लड शुगर लंबे समय तक अनियंत्रित रहता है तो इससे पैरों की तंत्रिकाओं (नर्व) को नुकसान पहुंचता है, जिससे यह हिस्सा सुन्न हो जाता है और वहां दर्द महसूस नहीं होता है। यह स्थिति डायबिटिक न्यूरोपैथी के नाम से जानी जाती है।
-अब इस हिस्से में कोई चोट लग जाने या घाव हो जाने पर एक तो वहां दर्द का अनुभव नहीं होता है साथ ही इंफ़ेक्शन की संभावना भी काफी बढ़ जाती है।
–डायबिटीज के कारण पैरों में खून का प्रवाह भी कम हो जाता है, जिसके कारण शरीर कारगर तरीके से इंफ़ेक्शन से नहीं लड़ पाता है और पैरों मे गैंगरीन बन जाता है। बहुत से मामलों में इलाज़ के लिये पैर या अंगूठे को काटना पड़ता है।
तो अब आप जानते है कि डायबिटीज पैरों को किस हद तक नुकसान पहुंचा सकता है। अगर आप भी डायबिटीज से पीड़ित हैं तो हम यहां आपको कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जिन्हें अपनाकर आप अपने पैरों की देखभाल अच्छे से कर सकते हैं। आइये एक नजर डालतें है :
1. अपने पैरों का समय समय पर निरीक्षण करते रहिये
रोजाना नहाते समय, जूते पहनते और निकालते समय अपने पैरों को और पैर के अंगूठे और उंगलियों के बीच की जगह को अच्छे से चेक करें। आपको अगर निम्न में कोई भी लक्षण दिखायी दे तो अपने डाक्टर से सलाह लें।
-घाव या कटा हुआ भाग
-रंग में बदलाव (पैर का रंग नीला या सुर्ख लाल हो जाना)
-फ़ोड़ा, फ़ुन्सी
-कैलस (आटण)
-सूजन
-पैर हिलाने में परेशानी होना या पैरों में सुन्नपन
2. पैरों की सफ़ाई
-पैरों को गुनगुने पानी और साबुन से साफ़ करें, ध्यान रखें पानी ज्यादा गर्म नहीं होना चाहिए।
-पैरों को ज्यादा समय तक साबुन के पानी में डुबोकर ना रखें, ये त्वचा में सूखापन लाता है।
-धोते समय पैरों का निरीक्षण करें, देखें कि ऊपर दिया गया कोई लक्षण तो मौजूद नहीं है।
-साफ़ पानी से पैरों को धोने के बाद अच्छे से सुखायें (खास तौर पर अंगूठे और उंगलियों के बीच में)।
-पैरों को नम रखने के लिये आप कोई भी मॉइस्चराइजर क्रीम लगा सकतें हैं, ध्यान रखें कि अंगूठे और उंगलियों के बीच में क्रीम नहीं लगानी है।
3. पैर के नाखूनों का रख रखाव
-पैरों के नाखूनों को सीधा और नियमित रूप से काटें।
-कोनों से नाखून ना काटें, इससे नाखून अंदर की तरफ़ बढना शुरू हो जाता है जो बाद में संक्रमण (इंफ़ेक्शन) का कारण बन सकतें है।
-नेल फ़ाइल का प्रयोग कर कटे हुए नाखून के तीखे कोनों को सपाट कर दें।
-चाकू या रेजर की ब्लेड से नाखून का काटें।
4. सही जूतों व मोजों का चयन
-जूते पहनने से पहले उसमे हाथ डालकर देख लें, कि कहीं उसमे कोई चोट लगने वाली वस्तु तो नहीं है।
-अधिक तंग या टूटे हुए जूते ना पहने।
-जूतों की सफ़ाई का ध्यान रखें।
-बिना मोजों के जूते ना पहनें।
-मोजे इस प्रकार के पहनें जो अंगूठे और पैर पर बहुत अधिक दबाब ना डालतें हों।
5. डायबिटीज़ नियंत्रण
अगर आपका डायबिटीज़ और शुगर लेवल सही रहता है तो न्यूरोपैथी और इंफ़ेक्शन की संभावना अपने आप कम हो जाती है। इसके लिये नियमित समय पर अपने डाक्टर से मिलते रहें, अपने ब्लड शुगर और कोलेस्ट्राल की जांच करवाते रहें और स्वस्थ व प्रसन्नचित्त जीवन जियें।
क्या नहीं करना है (Don’t)
-नंगे पांव चलना
-बहुत अधिक तंग (टाइट) जूते पहनना
-धूम्रपान, शराब का सेवन या ऐसा कोई भी क्रियाकलाप जो आपकी डायबिटीज़ को और अधिक बिगाड़ सकता है।
-बहुत अधिक गर्म पानी से नहाना या पैरों को गर्म पानी और गर्म तौलिये से सेकना
-कोई घाव या अन्य तकलीफ़ हो जाने पर डाक्टरी सलाह के बिना खुद ही दवा ले लेना
-कोर्न या आटण को कैंची या ब्लेड से काटने का प्रयास करना