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भगन्दर के मरीजों के लिए डाइट प्लान (Diet Plan for Fistula Patient)

भगन्दर काफी पीड़ादयक रोग है। भगंदर रोग में मरीज के गुदा के अंदर और बाहर नली में घाव या फोड़ा हो जाता है। घाव छोटा या बड़ा हो सकता है। जब यह फोड़ा फट जाता है तो इससे खून बहने लगता है। खून बहने के कारण मरीजों को गुदा द्वार के पास बहुत अधिक दर्द होता है। भगंदर के रोगियों को मल त्यागने के समय बहुत अधिक पीड़ा होती है। रोगी को बैठने पर भी तेज दर्द होता है। प्रायः यह देखा जाता है कि जब किसी को भगंदर रोग होता है तो मरीज बहुत चिंतित हो जाता है। आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि भगंदर का इलाज कराने के साथ-साथ अगर आप भगंदर के लिए डाइट प्लान का पालन करेंगे तो बीमारी पर नियंत्रण पा सकेंगे।

यहां भगंदर के लिए डाइट चार्ट की जानकारी दी जा रही है। इस डाइट प्लान को अपनाकर आप ना सिर्फ भगंदर के इलाज के दौरान उचित लाभ पा सकेंगे बल्कि बीमारी को जल्द ठीक कर सकेंगे।

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Contents

भगन्दर रोग में क्या खाएं (Your Diet During Fistula)

भगन्दर से ग्रस्त लोगों का आहार ऐसा होना चाहिएः-

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भगन्दर रोग में क्या ना खाएं (Food to Avoid in Fistula)

भगन्दर से ग्रस्त लोगों को इनका सेवन नहीं करना चाहिएः-

  • अनाज: मैदा, नया चावल
  • दाल: मटर, काला चना, उड़द
  • फल एवं सब्जियां : आलू, शिमला मिर्च, कटहल, बैंगन, अरबी, आड़ू, कच्चा आम, मालपुआ, गरिष्ट भोजन
  • अन्य: तिल, गुड़, समोसा, पराठा, चाट, पापड़, नया अनाज, खट्टा और तीखा द्रव्य, सूखी सब्जियां, मालपुआ, गरिष्ठ भोजन (छोले, राजमा, उडद, चना, मटर, सोयाबीन)
  • सख्ती से पालन करें:- शराब, फ़ास्ट फ़ूड, आइसक्रीम, डिब्बा बंद खाद्य पदार्थ, तेल मासलेदार भोजन, अचार, तेल, घी, अत्यधिक नमक, कोल्ड ड्रिंक्स, बेकरी उत्पाद, जंक फ़ूड

और पढ़ेंः आलू के अनेक लाभ

भगन्दर के इलाज के दौरान आपका डाइट प्लान (Diet Plan During Fistula Treatment)

भगन्दर के उपचार के लिए सुबह उठकर दांत को साफ करने (बिना कुल्ला किये) से पहले खाली पेट 1-2 गिलास गुनगुना पानी पिएं। नाश्ते से पहले पतंजलि आवंला व एलोवेरा रस पिएं।

और पढ़ें: आंवला के फायदे

समय आहार योजना (शाकाहार)
नाश्ता (8 :30 AM) 1 कप पतंजलि दिव्य पेय कम दूध के साथ + 2-3 पतंजलि आरोग्य बिस्कुट /कम नमक का पतंजलि आरोग्य दलिया (नमकिन)/ पोहा /उपमा (सूजी) /पतंजलि कॉर्नफ्लैक्स / अंकुरित अनाज /2 पतली रोटी (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) +1 कटोरी दाल या सब्जी + 1 प्लेट सलाद (पपीता, अमरुद, सेब, केला)
दिन का भोजन (12:30-01:30 PM) 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा ) + 1 कटोरी हरी सब्जियां (उबली हुई) + 1 कटोरी दाल मूंग (पतली) + 1 कटोरी मठ्ठा /दही +1 प्लेट सलाद
शाम का जलपान 3:30 PM 1 कप हर्बल चाय (पतंजलि दिव्य पेय) + 2-3 पतंजलि आरोग्य बिस्कुट /सब्जियों का सूप /मूंग दाल
रात का भोजन (7: 00 – 8:00 PM) 1-2 पतली रोटियां (पतंजलि मिश्रित अनाज आटा) + 1 कटोरी हरी सब्जियां (ज्यादातर रेशेदार) + 1 कटोरी मूंग दाल (पतली)

सलाह: यदि मरीज को चाय की आदत है तो इसके स्थान पर 1 कप पतंजलि दिव्य पेय दे सकते हैं |

और पढ़ेंः मूंग दाल के फायदे और उपयोग

भगन्दर की बीमारी में आपकी जीवनशैली (Your Lifestyle for Fistula Treatment)

भगन्दर की बीमारी में आपकी जीवनशैली ऐसी होनी चाहिएः-

  • उपवास करें।
  • जंक-फूड का सेवन न करें।
  • तला-भुना एवं मिर्च-मसाले युक्त भोजन का सेवन बिल्कुल न करें।
  • गुस्सा, डर और चिंता ना करें।
  • ज्यादा मात्रा में भोजन न करें।
  • दिन में न सोएं
  • पेशाब और शौच को न रोकें।

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भगन्दर की बीमारी में ध्यान रखने वाली बातें (Points to be Remember in Fistula Disease)

भगन्दर से मुक्ति पाने के लिए आपको इन बातों का ध्यान रखना हैः-

  1. ध्यान एवं योग का अभ्यास रोज करें।
  2. ताजा एवं हल्का गर्म भोजन अवश्य करें।
  3. भोजन धीरे-धीरे शांत स्थान में शांतिपूर्वक, सकारात्मक एवं खुश मन से करें।
  4. तीन से चार बार भोजन अवश्य करें।
  5. किसी भी समय का भोजन नहीं त्यागें एवं अत्यधिक भोजन से परहेज करें।
  6. हफ्ते में एक बार उपवास करें।
  7. अमाशय का 1/3rd / 1/4th भाग रिक्त छोड़ें।
  8. भोजन को अच्छी प्रकार से चबाकर एवं धीरेधीरे खायें।
  9. भोजन लेने के बाद 3-5 मिनट टहलें।
  10. सूर्यादय से पहले [5:30 – 6:30 am] जाग जायें।
  11. प्रतिदिन दो बार दांतों को साफ करें।
  12. रोज जिव्हा करें।
  13. भोजन लेने के बाद थोड़ा टहलें।
  14. रात में सही समय पर [9- 10 PM] नींद लें।

योग और आसन से भगन्दर का उपचार (Yoga and Asana for Fistula Treatment)

भगन्दर से छुटकारा पाने के लिए आप ये योग और आसन कर सकते हैंः-

  • योग प्राणायाम एवं ध्यान: भस्त्रिका, कपालभांति, बाह्यप्राणायाम, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उदगीथ, उज्जायी, प्रनव जप।
  • आसन: गोमुखासन, मर्कटासन,पश्चिमोत्तानासन, सर्वांगासन, कन्धरासन।
  • आसनउत्कट आसान में ना ना बैठें (वैद्यानिर्देशानुसार)।

और पढ़ेंः बवासीर (पाइल्स) के लक्षण, कारण, घरेलू इलाज और परहेज

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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