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जौ के अनेक फायदे और उपयोग के तरीके (Barley ke Anek Fayde aur Upyog ke Tarike)

Contents

जौ का परिचय (Introduction of Barley)

प्राचीन काल से जौ का उपयोग कई कामों के लिए किया जाता रहा है। ऋषियों मुनियों के आहारों में जौ भी शामिल होता था। इससे आप समझ ही सकते हैं जौ कितना पौष्टिकारक आहार है। जौ गेंहूं के जाति का ही एक आहार है जिसको पीसकर आटा बनाकर खाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

इसलिए आयुर्वेद में जौ का इस्तेमाल कई बीमारियों के इलाज के लिए औषधि के रुप में किया जाता है। जौ पेट दर्द, भूख न लगने की बीमारी, अत्यधिक प्यास लगना, दस्त, सर्दी, जुकाम जैसे अनेक रोगों से राहत पाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चलिये जौ के बारे में विस्तार से जानते हैं-

जौ क्या है? (What is Barley in Hindi?)

जौ का प्राचीन वैदिक काल तथा आयुर्वेदीय निघुण्टुओं एवं संहिताओं में वर्णन मिलता है। भावप्रकाश-निघण्टु में तीन प्रकार के भेदों का वर्णन प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त अथर्वेद में भी यव का वर्णन प्राप्त होता है। यह 60-150 सेमी ऊँचा, सीधा, शाकीय पौधा होता है। इसके पत्ते भालाकार, रेखित, अल्प संख्या में, सीधे, चपटे, 22-30 सेमी लम्बे, 12-15 मिमी चौड़े होते हैं। इसके फूल के स्पाईक (शूक सहित) 20-30 सेमी लम्बे, 8-10 मिमी चौड़े, चपटे होते हैं। इसके फल 9 मिमी लम्बे, छोटे नुकीले सिरों से युक्त होते हैं। यह दिसम्बर से अप्रैल महीने में फलता-फूलता है।

जौ प्रकृति से कड़वा, मधुर, तीखा, ठंडा, लघु, फिसलने वाला, रूखा, कफ पित्त कम करने वाला, बल बढ़ाने वाले, वृष्य (libido), पुरीषजनक, अल्सर होने पर खाद्द रुप में; मूत्र संबंधी समस्या से राहत दिलाने वाला होता है।

यह व्रण,मधुमेह, रक्तपित्त (कान-नाक से खून बहना), कण्ठ रोग (गले का रोग), त्वक् रोग (त्वचा संबंधी रोग), पीनस (Rhinitis), श्वास, खांसी,  पाण्डु या एनीमिया, ग्रहणी (Irritable bowel syndrome) , प्लीहारोग, अर्श या पाइल्स तथा मूत्र रोग नाशक होता है। शूक रहित जौ बलवर्द्धक, वीर्यवर्धक, वृष्य तथा पुष्टिकारक होता है।

और पढ़े: मूत्र संबंधी समस्या में बेर के फायदे

अन्य भाषाओं में जौ के नाम (Name of Barley in Different Languages)

जौ का वानास्पतिक नाम Syn-Hordeum sativum Pers., Hordeum nigrum Willd.होता है और जौ Poaceae (पोएसी) कुल का होता है। लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-

Barley in-

  • Sanskrit-यव, अक्षत, कुंचकिन, हयप्रिया, तीक्ष्णशूक;
  • Hindi-जव, जो, जौ;
  • Urdu-जव (Jav); कन्नड़-यव (Yav), कुंचकीन (Kunchkin);
  • Gujrati-जौ (Jau), जव (Jav);
  • Tamil-बारलियारिसि (Barliyarisi), बारलियारिशि (Barliyarishi);
  • Teluguबारलीबियम (Barlibiyam), यव (Yava), यवक (Yavaka);
  • Bengali-जो (Jao), जब (Jab);
  • Nepali-जौ (Jau), तोसा (Tosa);
  • Panjabi-नाई (Nai), जवा (Jawa);
  • Malayalamजवेगम्बु (Javegembu), यवम (Yavam);
  • Marathi-जव (Jav), जवा (Java)।
  • English-माल्टिंग बालि (Malting barley);
  • Arbi-शाईर (Shaair), श्यईर (Shair);
  • Persian-जओ (Jao)

जौ के फायदे (Barley Uses and Benefits in Hindi)

जौ में फॉस्फोरस एसिड, सैलीसिलिक एसिड, पोटाशियम, कैल्शियम आदि पौष्टिक गुण होने के कारण ये कई सारे बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। चलिये आगे इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।

मोतियाबिंद के लिए फायदेमंद जौ ( Benefit of Barley for Cataract in Hindi)

उम्र के साथ मोतियाबिंद की शिकायत हर वृद्धा या वृद्ध को होती है। जौ का औषधिय गुण इसके कष्ट को कम करने में सहायता करता है। 20-30 मिली त्रिफला के काढ़े में जौ को पकाकर, उसमें घी मिलाकर खाने से मोतियाबिंद में लाभ होता है।

और पढ़ेंः मोतियाबिंद में फायदेमंद पलाश का प्रयोग

सर्दी-जुकाम में लाभकारी जौ (Barley Benefits for Cold in Hindi)

मौसम बदला कि नहीं बच्चे से लेकर बड़े-बूढ़े सबको सर्दी-खांसी की शिकायत हो जाती है। जौ के सत्तू में घी मिलाकर खाने से नजला, जुकाम, खाँसी तथा हिचकी रोग में लाभ होता है। इसके अलावा जौ के काढ़े (15-30 मिली) को पीने से प्रतिश्याय (Coryza) में लाभ होता है।

और पढ़ें: सर्दी-खांसी में शंखपुष्पी के फायदे

डिप्थिरिया से दिलाये राहत जौ  (Benefits of Barley Water in Diphtheria in Hindi)

डिप्थिरिया के परेशानी को कम करता है जौ। जौ के 5-10 मिली पत्ते के रस में 500 मिग्रा कृष्णमरिच चूर्ण मिलाकर सेवन करने से रोहिणी (डिप्थिरिया) में लाभ होता है।

गलसुआ या घेंघा रोग में फायदेमंद जौ (Barley Seeds for Goitre in Hindi)

गलसुआ की परेशानी से राहत दिलाने में जौ का औषधीय गुण बहुत फायदेमंद होता है। सरसों, नीम के पत्ते, सहजन के बीज, अलसी, यव तथा मूली बीज को खट्टी छाछ में पीसकर गले में लेप करने से गलगण्ड या गलसुआ में लाभ होता है।

और पढ़ेंः घेघा रोग में काकोदुम्बर से फायदा

सांस लेने की तकलीफ से दिलाये राहत जौ (Barley to Treat Breathing Problem in Hindi)

सांस लेने की तकलीफ से राहत दिलाने में जौ बहुत काम आता है। जौ के सत्तू को मधु के साथ सेवन करने से सांस की बीमारियों में अतिशय लाभ होता है।

और पढ़ेंः सांसों से संबंधित रोग में वासा से लाभ

प्यास बुझाने में मदद करता है जौ (Barley Water Beneficial in Dipsia in Hindi)

अक्सर किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर प्यास लगने की समस्या होती है। इस समस्या से राहत पाने के लिए भुने अथवा कच्चे जौ की पेया बनाकर उसमें मधु एवं चीनी मिलाकर पीने से तृष्णा (अत्यधिक प्यास) बुझ जाती है।

और पढ़ेंः अधिक प्यास लगने की समस्या में जायफल से फायदा

हाइपरएसिडिटी से दिलाये राहत जौ (Barley Seeds Benefits to Get Relief from Hyperacidity in Hindi)

आज कल के जीवनशैली में खान-पान में असंतुलन सभी से हो जाता है फल ये होता है कि हाइपरएसिडिटी की समस्या होने लगती है। छिलका रहित जौ, वासा तथा आँवले से निर्मित काढ़े (15-30 मिली) में दालचीनी, इलायची और तेजपत्ता का चूर्ण तथा मधु मिलाकर पीने से अम्लपित्त या हाइपरएसिडिटी में लाभ होता है।

और पढेंहाइपरएसिडिटी में परवल के फायदे

गुल्म रोग के लिए लाभदायक जौ (Barley Benefits in Tumour Disease in Hindi)

गुल्म रोग से राहत पाने के लिए जौ से बनाए खाद्य पदार्थों में अधिक मात्रा में स्नेह एवं लवण या नमक मिलाकर दूध के साथ सेवन करने से लाभ होता है।

और पढ़ेंः गुल्म रोग में कचनार से लाभ

पेट दर्द में फायदेमंद जौ (Barley to Treat Abdomen Pain in Hindi)

अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। जौ के आटे में यव क्षार एवं मट्ठा मिलाकर पेट पर लेप करने से दर्द से राहत मिलती है।

और पढ़ेंः पेट दर्द के लिए घरेलू इलाज

मधुमेह को नियंत्रित करे जौ (Jau ki roti Helps to Control Diabetes in Hindi)

आजकल की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने  का। फल ये होता है कि लोग को मधुमेह या डायबिटीज की शिकार होते जा रहे हैं। मधुमेह में जौ से बने हुए विविध-प्रकार के आहार का सेवन करना चाहिए। छिलका-रहित जौ के चूर्ण को त्रिफला काढ़ा में रातभर भिगोकर, छाया में शुष्ककर उसका सत्तू बनाकर मधु मिलाकर, मात्रानुसार प्रतिदिन पीने से प्रमेह या डायबिटीज में लाभ होता है।

और पढ़ेंः डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए घरेलू तरीके

मूत्र संबंधी रोग से दिलाये निजात जौ (Jau for Dysuria in Hindi)

मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। जौ इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है। भुने हुए जौ, जौ का सत्तू आदि जौ से बनाए आहार द्रव्यों का नियमित सेवन करने से प्रमेह, मूत्रत्याग में कठिनता, सफेद दाग, कोढ़ आदि रोगों को उत्पन्न नहीं होने देता है।

और पढ़ेंः मूत्र रोग में अंजीर का प्रयोग लाभदायक

बुखार से दिलाये आराम जौ ( Benefit of Barley for Fever in Hindi)

अगर मौसम के बदलने के वजह से या किसी संक्रमण के कारण बुखार हुआ है तो उसके लक्षणों से राहत दिलाने में जौ बहुत मदद करता है।

यव से बनाए यवागू या पेया में मधु मिलाकर सेवन करने से पित्त के बढ़ जाने के कारण उल्टी और पेट दर्द, बुखार, जलन तथा अत्यधिक पिपासा से राहत मिलती है।

और पढ़ेंः जुकाम और बुखार के लिए घरेलू उपचार

खाने की इच्छा बढ़ाये जौ (Barley for Dyspepsia in Hindi)

अक्सर लंबे समय तक बीमार रहने के कारण खाने की इच्छा चली जाती है। भुने हुए यव से बनाए मण्ड तथा यव के  डण्ठल की 65 मिग्रा भस्म में शहद मिलाकर सेवन करने से अजीर्ण और खाने की इच्छा बढ़ाने में मदद मिलती है।

दस्त रोके जौ (Barley Water Beneficial in Diarrhoea in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो जौ का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा। शुष्क यव से बनाए काढ़े का सेवन करने से अतिसार या दस्त में लाभ होता है।

और पढ़ेंः दस्त रोकने के लिए घरेलू उपाय

गठिया के दर्द में फायदेमंद जौ (Jau ka Aata to Treat Gout in Hindi)

अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन जौ का सेवन करने से इससे आराम मिलता है। वातरक्त या गठिया रोग में लालिमा, पीड़ा तथा दाह हो तो रक्तमोक्षण के पश्चात मुलेठी चूर्ण, दूध एवं घी युक्त जौ के आटे का लेप करने से लाभ प्राप्त होता है।

और पढ़ेंः गठिया के लिए घरेलू उपचार

जांघ की जकड़न से दिलाये राहत (Barley to Get Relief from Stiffness of Thighs in Hindi)

जांघ की जकड़न कम करने के लिए जौ का सेवन इस तरह से करने में जल्दी आराम मिलता है। यव से बने भोज्य पदार्थो का सेवन उरुस्तम्भ या जांघ के अचलपन में लाभकारी होता है।

हर्पीस में फायदेमंद जौ (Barley for Herpes in Hindi)

हर्पीस के कष्ट से आराम पाने के लिए समान मात्रा में जौ तथा मुलेठी से बनाए पेस्ट में घी मिलाकर विसर्प या हर्पिज पर लेप करने से लाभ होता है।

और पढ़ेंः हर्पीस से दिलाये राहत दूर्वाघास

कुष्ठ का करे इलाज जौ (Barley to Treat Leprosy in Hindi)

कुष्ठ रोग में जौ से बनाए गए भोज्य पदार्थ का सेवन करना पथ्य है।

और पढ़ेंः कुष्ठ रोग में कर्कोटकी के फायदे

अल्सर को करे ठीक जौ (Jau Heals Ulcer in Hindi)

समान मात्रा में जौ, मुलेठी तथा तिल के चूर्ण में घी मिलाकर गुनगुना करके घाव पर लेप करने से व्रण में लाभ होता है।

और पढ़ेंः अल्सर के लिए आहार दिनचर्या

मुँहासों का आना करे कम जौ (Barley Benefits for Pimples in Hindi)

अगर आप मुँहासों के कारण परेशान रहते हैं तो माजूफल के छिलके को यव के साथ घोंट कर मुंह पर लेप करने से मुँहासों दूर होते हैं।

और पढ़ेंः मुंहासों को कैसे करें घरेलू उपाय से ठीक

अर्थराइटिस को करे कम जौ (Benefit of Barley to Get Relief from Arthritis in Hindi)

आजकल अर्थराइटिस की समस्या उम्र देखकर नहीं होती है। दिन भर एसी में रहने के कारण या बैठकर ज्यादा काम करने के कारण किसी भी उम्र में इस बीमारी का शिकार होने लगे हैं। इससे राहत पाने के लिए जौ का इस्तेमाल ऐसे कर सकते हैं। जौ के सत्तू को पानी में घोलकर, मंथ बनाकर सेवन करने से अत्यधिक प्यास, जलन (दाह), रक्तपित्त और अर्थराइटिस में लाभ होता है।

मोटापा को करे कम जौ (Barley Beneficial in Obesity in Hindi)

आजकल की सबसे बड़ी परेशानी है वजन का बढ़ना। जौ, आँवला तथा मधु का नियमित सेवन करने से तथा नित्य व्यायाम एवं अजीर्ण या अपच में भोजन न करने से मोटापा कम होता है।

और पढ़ें – वजन कम करने में आरोग्यवर्धिनी वटी के फायदे

सूजन कम करने करे जौ (Jau Benefits in Inflammation in Hindi)

अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो जौ के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। जौ को पीसकर शोथ  या सूजन प्रभावित स्थान  पर लगाने से सूजन कम होता है।

और पढ़ेंः सूजन को कम करने के लिए बेहतरीन घरेलू उपाय

जौ का उपयोगी भाग (Useful Parts of Barley)

आयुर्वेद में जौ के बीज का प्रयोग औषधि के रुप में सबसे ज्यादा किया जाता है।

जौ का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Barley in Hindi?)

बीमारी के लिए जौ के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए जौ का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चिकित्सक के परामर्श के अनुसार-

-जौ का  20-40 मिली रस,

-क्षार 60-250 मिग्रा,

-2-5 ग्राम चूर्ण और

-30-40 मिली जूस ले सकते हैं।

जौ कहां पाया और उगाया जाता है? (Where is Barley Found or Grown in Hindi)

भारत वर्ष में अति प्राचीन काल से यव या जौ का प्रयोग किया जाता रहा है। भारत में यह हिमालय के मैदानी एवं पहाड़ी क्षेत्रों में लगभग 3000 मी की ऊँचाई तक, बहुधा गंगा के मैदानी क्षेत्रों, कश्मीर, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, बिहार, उड़ीसा, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं गुजरात में प्राप्त होता है तथा इसकी खेती की जाती है।

और पढ़ेंः

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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