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आलू सबसे आम और महत्वपूर्ण भोजन स्रोतों में एक है। भारत के हर रसोईघर में आलू के बिना कोई भी व्यंजन बनाना मुश्किल होता है। लेकिन क्या आप इसके फायदों के बारे में जानते हैं। वैसे आम तौर पर लोगों का मानना है कि आलू खाने से वजन बढ़ता है लेकिन ये सच नहीं है।
आलू (potato hindi) में इतने पौष्टिक तत्व और गुण हैं कि इस खाद्द पदार्थ को कई बीमारियों के लिए औषधि के रुप में उपयोग किया जाता है। आलू के फायदे (aalu ke fayde) इतने अनगिनत है कुछ वाक्यों में विश्लेषण करना मुश्किल है। इसलिए चलिये विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।
आलू मीठा और गर्म तासीर का होता है। यह खाने में रुची बढ़ाने के साथ-साथ सूजन कम करने में मददगार होता है। इससे प्राप्त सोलैनिन (Solanine) वेदना कम करने वाला तथा तंत्रिका शूलरोधी (Anti-neuralgic) यानि नर्व के दर्द से राहत दिलाता है। 50-200 मिग्रा की मात्रा में सोलैनीन का प्रयोग करने से कण्डू यानि चर्म रोग कम होता है। आलू (potato in hindi) पचाने में भारी तथा मल को गाढ़ा करने वाला होता है। लेकिन इसको ज्यादा खाने से शरीर में आलस्य पैदा होता है।
आलू का वानस्पतिक नाम Solanum tuberosum L. (सोलेनम ट्यूबरोसम) Syn-Solanum andigenum Juz. & Buk., Solanum subandigena Hawkes है और इसका कुल Solanaceae (सोलेनेसी) होता है। आलू को अंग्रेजी में Potato (पोटैटो) कहते हैं। लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में विभिन्न नामों से आलू से पुकारा जाता है।
Potato in-
आलू एक ऐसा सब्जी है जो सस्ता भी है और पौष्टिक गुणों से भरपूर भी होता है। आलू के फायदे के कारण आयुर्वेद में इसको औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। चलिये आलू के फायदों और नुकसान के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं-
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कभी-कभी पौष्टिकता की कमी के कारण या असंतुलित खान-पान के कारण मुँह में छाले पड़ने लगते हैं। आलू के भुने हुए कंद या गांठ का सेवन करने से मुखपाक या मुँह के छाले कम होते हैं।
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बहुत ठंड लग जाने पर या सर्दी होने पर साइनसाइटिस का दर्द होने लगता है। साइनसाइटिस में आलू गुणकारी होता है। 2-5 मिली आलू के पत्ते के रस में मधु तथा सेंधा नमक मिलाकर सेवन करने से गले की जलन (कण्ठदाह) और साइनसाइटिस से आराम मिलता है।
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अक्सर मौसम के असर के कारण खाँसी ठीक होने का नाम ही नहीं लेता। खाँसी से राहत पाने के लिए 2-5 मिली आलू के पत्तों के रस का सेवन करने से पुरानी खाँसी ठीक होती है।
किडनी में समस्या होने पर मूत्र संबंधी समस्या होना शुरू हो जाता है। मूत्र कम होना इनमें से एक है। आलू के कंद को भूनकर खाने से कम मूत्र होने की परेशानी होती है कम।
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शिशु का मूल खाद्द माँ का दूध होता है। दूध की कमी शिशु के लिए कष्टदायक हो जाता है। ब्रेस्ट मिल्क बढ़ाने में आलू गुणकारी होता है। भुने हुए आलू के कंद का सेवन करने से स्तन में दूध की मात्रा बढ़ती है।
आलू के कंद को पीसकर आग से जले हुए स्थान पर लेप करने से घाव तथा सूजन को कम करने में मदद मिलती है।
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कभी-कभी किसी चीज के एलर्जी के कारण दाद-खाज खुजली की समस्या हो जाती है। कच्चे आलू को काटकर दाद तथा खाज वाले स्थानों पर मलने से लाभ होता है।
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प्रदूषण के कारण आजकल दाग-धब्बे की समस्या आम हो गई है। कच्चे आलू को पीसकर चेहरे पर लगाने से स्किन में ग्लो आता है और दाग धब्बा कम होता है।
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अगर किसी बीमारी के कारण कमजोरी महसूस हो रही है तो आलू को भूनकर हलवा बनाकर सेवन करने से यह पौष्टिक तथा बलदायक फल प्रदान करता है। और आलू को भूनकर अदरख तथा पुदीना डालकर जूस बनाकर पीने से भूख बढ़ता है और कमजोरी दूर होती है।
आयुर्वेद में आलू के कंद (bulb) और पत्ते का इस्तेमाल औषधि के रुप में ज्यादा किया जाता है।
बीमारी के लिए आलू के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए आलू का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
हरे आलू के फल तथा हरे छिलके वाले कंद में कभी-कभी विषाक्त प्रभाव भी देखने को मिलता है, अत: उसके भीतर के अंश का प्रयोग सावधानी से करना चाहिए।
स्पेन, पुर्तगाल तथा यूरोप में 16 वीं सदी में भारत में 17 वीं सदी में तथा अन्य देशों में 19 वीं सदी में आलू का प्रवेश पुर्तगालियों तथा अंग्रेजों द्वारा हुआ। समस्त भारत में विशेषत उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, मेघालय, बिहार, जम्मू-कश्मीर, पं. बंगाल, महाराष्ट्र व गुजरात में इसकी खेती की जाती है।
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