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Chanak Chana: फायदे से भरपूर है चणक (चना)- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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चना का परिचय (Introduction of Chana)

चना एक ऐसा खाद्दान्न है जो देश के हर प्रांत के लोग किसी न किसी रुप में इसका सेवन करते हैं। आयुर्वेद में भी चना के पौष्टिकता के आधार पर ही इसको बीमारियों के लिए औषधि के रुप में प्रयोग किया जाता है। चना खाने से न सिर्फ ऊर्जा मिलती है बल्कि वजन, कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज नियंत्रण में होने के साथ-साथ सिर दर्द, खांसी, हिचकी, उल्टी जैसे बीमारियों के लिए भी फायदेमंद साबित होता है।

चने अंकुरित हो या काबुली चना हो या चने का आटा हो सभी रुपों में चना उपचारात्मक तौर पर ही इस्तेमाल किया जाता है। काला चना हो या भूरा या हरा चना हर किस्म के चने का अपना अलग ही स्वास्थ्यवर्द्धक गुण होता है। चलिये चने के बारे में आगे विस्तार से जानते हैं।

चना क्या होता है ?(What is Chana in Hindi?)

चने का प्रयोग मुख्यतया साग के रुप में किया जाता है। चने की दो प्रजातियां होती हैं। 1. चना तथा 2. काबुली चना। यह 30-50 सेमी ऊँचा, सीधा अथवा फैला हुआ, अनेक शाखायुक्त, चिपचिपा, शाकीय पौधा होता है। इसके पत्ते संयुक्त, 2.5-5 सेमी लम्बे, 10-12 पत्रकयुक्त, गोल तथा कंगूरेदार, ग्रन्थिल रोमों वाला होता हैं। इसके फूल सफेद, लाल, गुलाबी सफेद अथवा नीले रंग के और छोटे होते हैं। इसकी फली फूली हुई, गोलाकार, अण्डाकार, लगभग 1-1.5 सेमी लम्बी तथा शीर्ष पर नुकीली होती है। प्रत्येक फली में 1-2, गोल, चिकने, नोकदार, 5-10 मिमी व्यास या डाइमीटर, सिकुड़नदार, भूरे, हरे, सफेद रंग के बीज होते हैं। पकने पर यह काले या भूरे रंग के हो जाते हैं।  सितम्बर से मार्च तक तथा फलकाल अप्रैल से जून तक होता है।

आयुर्वेदिक दृष्टि से चना थोड़ा कड़वा, मधुर, शीत, लघु, रूखा, कफपित्त कम करने वाला, शक्ति बढ़ाने वाला, रुचिकारक, तथा घी के साथ सेवन करने से त्रिदोष कम करने वाला होता है। यह बुखार, कुष्ठ, प्रतिश्याय (Coryza), प्रमेह या डायबिटीज, मेद या मोटापा कम करने में सहायक होता है।

कच्चा चना ठंडा, छोटा, अत्यन्त कोमल, वातकारक, मल रोकने वाला, रुचिकारक, जलन, प्यास, अश्मरी या पथरी में फायदेमंद होता है। काला चना शीत, मधुर, बलकारक, रसायन, श्वास, कास तथा पित्तातिसार नाशक होता है। काबुली चना गुरु, शीत, मधुर, अत्यन्त रुचिकारक , वातकारक, पित्तशामक तथा बलवर्धक होता है।

चने का साग कषाय, अम्लिय,  मल रोकने वाला, रुचिजनक, कफ कम करने वाला, कठिनता से पचने वाला, विष्टम्भी, पित्तशामक, दन्त का सूजन कम करने में सहायक-नाशक, कफवातशामक तथा देर से पचने वाला होता है।

भुने हुए चने गर्म, रुचिकारी, लघु, शक्ति बढ़ाने वाला, शुक्राणु बढ़ाने वाला, वात नाशक होते हैं।

अन्य भाषाओं में चना के नाम (Name of Chana in Different Languages)

चना का वानास्पतिक नाम Cicer arietinum Linn. (साइसर ऐरीटिनम) Syn-Cicer album Hort है। चना Fabaceae (फैबेसी) कुल का है। चने को अंग्रेजी में Gram (ग्राम) कहते हैं लेकिन भारत के अन्य प्रांतों में भिन्न भिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे-

Chana in-

Sanskrit-चणक, हरिमन्थ, सकलप्रिय, वाजिभक्ष्य;

Hindi-चना, रहिला, बूट;

Urdu-बूट (Boot), चना (Chana);

Kannada-कडले (Kadale), केम्पू कडले (Kempu Kadale);

Gujrati-चण्या (Chanya), चणा (Chana);

Tamil-कडेलै (Kadalai);

Telegu-सनुगलू (Sanugalu), हरिमन्थ (Harimanth);

Bengali-छोला (Chola), बूट (Boot), बूटकलाई (Butkalai);

Nepali-चना (Chana);

Panjabi-छोले (Chole), चना (Chana);

Marathi-हरभरा (Harbhara), चणें (Chane);

Malayalamकतला (Katala)।

English-बेंगाल ग्राम (Bengal gram), चिक पी (Chick pea);

Arbi-जुमेज (Jumez), हिम्मास (Himmas);

Persian-नखुद (Nakhud)।

चना खाने के फायदे ( Chana  Uses and Benefits in Hindi)

भूना चना सिरदर्द में फायदेमंद (Bhuna Chana Benefits in Headache in Hindi)

अगर आपको काम के तनाव और भागदौड़ भरी जिंदगी के वजह से सिरदर्द की शिकायत रहती है तो चना का घरेलू उपाय बहुत लाभकारी सिद्ध होगा। चनों को भूनकर, पोटली बनाकर, सूंघने से सिर का दर्द कम हो जाता है।

और पढ़ें – सिरदर्द में अकरकरा के औषधीय गुण

खाँसी से दिलाये राहत भूना चना (Bhuna Chana Benefits in Cough in Hindi)

अगर मौसम के बदलाव के कारण सूखी खांसी से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो बांस से इसका इलाज किया जा सकता है।

रात को सोते समय थोड़ा भुना चना और गुड़ खा लें; इससे खांसी में लाभ होता है। इसके अलावा रात में सोते समय थोड़ा भूना चना गर्म दूध के साथ पीने से श्वासनली के संबंधी रोगों से छुटकारा मिलता है।

हिचकी से दिलाये राहत चना (Benefits of Chana in Hiccups in Hindi)

चने की भूसी को हुक्के में रखकर उसकी धूम का सेवन करने से हिचकी बंद होती है।

और पढ़ेंहिचकी के लिए घरेलू नुस्खे

उल्टी से दिलाये छुटकारा चना (Chana for Vomiting in Hindi)

अगर मसालेदार खाना खाने या किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के वजह से उल्टी हो रही है तो चने का सेवन इस तरह से करने पर फायदा मिलता है। चने को छह गुने जल में भिगोकर दूसरे दिन सुबह उसका पानी छानकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से पैत्तिक-छर्दि (उल्टी) से राहत मिलती है।

और पढ़ें – उल्टी रोकने में चिलगोजा का प्रयोग

पेट संबंधी समस्या में फायदेमंद चना (Bhuna Chana Benefits in Abdominal Disorder in Hindi)

अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। चने को आग में भून कर खाने से क्रूरकोष्ठ (जिनको कठिनता से मल निकलता है) से छुटकारा मिलता है जिससे पेट दर्द कम होता है।

पेप्टिक अल्सर से दिलाये निजात चना (Chana to Treat Duodinal Ulcer in Hindi)

परवल के पत्तों से बने जूस के साथ, चने से बने सतू् का सेवन करने से अन्नद्रवशूल या पेप्टिक अल्सर में लाभ होता है।

दस्त या पेचिश रोके चना (Chana to Treat Dyspepsia in Hindi)

पौधे से निकलने वाले अम्लीय निर्यास या निचोड़ का सेवन करने से भूख न लगना, अतिसार तथा पेचिश आदि रोगों में लाभ होता है।

मधुमेह को नियंत्रण करने में मदद करे चना (Chana to Control Diabetes in Hindi)

आजकल की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने  का। फल ये होता है कि लोग मधुमेह या डायबिटीज का शिकार होते जा रहे हैं। 2-4 ग्राम पत्ते के चूर्ण को खाने से मधुमेह में लाभ होता है।

और पढ़े: डायबिटीज के घरेलू उपचार

अश्मरी दिलाये राहत चना (Chana Benefits in Kidney Stone in Hindi)

आजकल के प्रदूषित खाद्द, पैकेज़्ड फूड और असंतुलित आहार के सेवन का फल पथरी की समस्या है। चन किडनी में पत्थर के कारण जो दर्द होता है उससे राहत दिलाने में मदद करता है। चने का शीत-कषाय बनाकर 20-30 मिली मात्रा में पिलाने से मूत्र मार्ग की पथरी के कारण जो दर्द होता है उससे आराम दिलाता है।

अर्थराइटिस में फायदेमंद चना (Benefit of  Chana for Arthritis in Hindi)

आजकल अर्थराइटिस की समस्या उम्र देखकर नहीं होती है। दिन भर एसी में रहने के कारण या बैठकर ज्यादा काम करने के कारण किसी भी उम्र में इस बीमारी का शिकार होने लगे हैं। चने के पत्तों को उबालकर पीसकर जोड़ों में लगाने से जोड़ों का दर्द कम होता है।

गठिया के दर्द से दिलाये राहत चना (Chana Benefit for Gout in Hindi)

अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन चने का सेवन करने से इससे आराम मिलता है। चने के आटे की रोटी बनाकर उसमें घी लगाकर खाने से जोड़ों का दर्द का कम होता है।

और पढ़े: जोड़ों के दर्द में अजमोदादि चूर्ण के फायदे

सफेद दाग से दिलाये छुटकारा चना (Benefits of Chana in Leucoderma in Hindi)

सफेद दाग एक प्रकार का चर्मरोग होता है। चने के 2-4 ग्राम सूक्ष्म चूर्ण में 1 ग्राम बाकुची तथा 500 मिग्रा नीम चूर्ण मिलाकर सेवन करने से सफेद दाग में लाभ हाता है।

मुँहासे, दाग-धब्बे दूर करके चेहरे की कांति बढ़ाये चना (Chana Beneficial in Glowing Skin in Hindi)

चने के आटे का उबटन बनाकर चेहरे पर लगाने से चेहरे की कांति बढ़ती है तथा मुंहासे व झाँई मिटती हैं।

बुखार के कष्ट से दिलाये राहत चना (Chana Benefit to Get Relief from Fever in Hindi)

20-40 मिली चने के जूस का सेवन करने से बुखार में होने वाली जलन से राहत मिलती है। समान मात्रा में भांग, भुने चने तथा गुड़ के चूर्ण को मिलाकर सेवन करने से शीतज्वर (ठंड लगकर आने वाला) से छुटकारा मिलता है।

भूने चना कमजोरी करे दूर( Bhuna Chana Beneficial for Weakness in Hindi)

चनों को पानी में भिगोकर रातभर छोड़कर सुबह पानी को छानकर 15-20 मिली मात्रा में पिलाने से शारीरिक बल बढ़ता है। भूने चने तथा छीली हुई बादाम की गिरी दोनों को बराबर मात्रा में मिलाकर खाने से शारीरिक बल की वृद्धि होती है तथा वीर्य पुष्ट होता है।

चना का उपयोगी भाग (Useful Parts of Chana)

आयुर्वेद में चने के बीज, पत्ता और पञ्चाङ्ग का प्रयोग औषधि के रुप में सबसे ज्यादा किया जाता है।

चने का इस्तेमाल कैसे करना चाहिए? (How to Use Chana in Hindi?)

बीमारी के लिए चने के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चने का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।

चना खाने के नुकसान (Side Effects of Chana)

चने से बने बेसन का प्रयोग शीतपित्त (Urticaria), श्वित्र (leucoderma), मोटापा एवं अर्श (पाइल्स) में लेना वर्जित होता है। इसके बीजों का प्रयोग जॉन्डिस में लाभकारी होता है।

चना कहां पाया और उगाया जाता है? (Where is Chana Found or Grown in Hindi?)

समस्त भारत में मुख्यत उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल एवं गुजरात में इसकी खेती की जाती है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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