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Peas: मटर दूर करे कई बीमारियां – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

मटर का परिचय (Introduction of Matar)

मटर (Matar in Hindi) एक दलहन है, जिससे आप लोग अच्छे से परीचित होंगे। मटर का इस्तेमाल कई प्रकार के खाद्य पदार्थों में किया जाता है। ठंड के मौसम में तो मटर के बिना शायद ही कोई सब्जी बनाई जाती होगी। सच यह है कि मटर सभी लोगों को पसंद होता है, और लोग इससे बहुत पसंद से खाते हैं। मटर से सिर्फ सब्जी ही नहीं बनाई जाती है, बल्कि मटर का सेवन दाल, पराठे आदि अन्य आहार में भी किया जाता है। इसके अलावा और भी मटर के फायदे हैं। क्या आपको पता है कि आप मटर का इस्तेमाल बीमारियों की रोकथाम में भी कर सकते हैं? नहीं ना!

आयुर्वेद में ऐसा ही बताया गया है। पतंजलि के अनुसार, मटर में अनेक प्रकार के पौषक तत्व होते हैं. जो आपके शरीर के लिए फायदेमंद साबित होते हैं। मटर के उपयोग से आप शरीर की जलन, खून संबंधित विकार, सांसों के रोग, खांसी, भूख की कमी का इलाज कर सकते हैं। डायबिटीज, कुष्ठ रोग, चेचक जैसी कई बीमारियों में भी आप मटर का लाभ पा सकते हैं। आइए जानते हैं कि आप मटर का प्रयोग किस-किस रोग में कर सकते हैं।

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मटर क्या है (What is Grean Peas)

मटर (Matar) के पौधे के तने में खोखलापन होता है। मटर के पत्ते बड़े आकार के होते हैं। मटर की फली लंबी होती है, जिसमें बहुत सारे बीज होते हैं। यह मधुर होने के साथ वातकारक भी है। इसलिए वात से संबंधित विकार को ठीक के लिए मटर से बने अलग-अलग आहार, जैसे- सोंठ, दालचीनी, काली मिर्च, अदरक तथा लहसुन आदि का सेवन किया जाता है।

अन्य भाषाओं में मटर के नाम (Grean Peas Names in Different Languages)

मटर का वानस्पतिक नाम पाइसम सेटाइवम (Pisum sativum Linn, Syn-Pisum vulgare Jundz., Lathyrus oleraceus Lam.) है, और यह फैबेसी (Fabaceae) कुल का है। आमतौर पर मटर (Grean Peas in Hindi) को भारत में मटर के नाम से ही जानते हैं, लेकिन दुनिया भर में मटर के अन्य ये भी नाम हैंः-

Matar in –

  • Hindi (Matar in Hindi)- मटर, मट्टर
  • English – इंगलिश पी (English pea), ग्रीन पी (Green pea), फील्ड पी (Field Pea)
  • Sanskrit – कलाय, वर्त्तुल, वर्त्तुल कलाय, सतीन, मुण्डचणक, त्रासन, नलक, सतीलक, अतिवर्तुल, ठीक, तीलक, कण्टी, सतीनक
  • Urdu – मटर (Matar)
  • Konkani – वटाने चना (Vatane chana)
  • Kannada – वटाणि (Vatani)
  • Gujarati – पटाणा (Patana), वटाणा (Vatana)
  • Telugu – गुंडुसांघेलु (Gundusanghelu), पटानीलु (Patanilu)
  • Tamil – पटाणी (Patani)
  • Bengali – मटर (Matar)
  • Nepali – केराऊ (Kerau)
  • Punjabi – बड़ामट्टर (Baramattar), खांडा (Khanda)
  • Marathi – वाटाणे (Vatane), वटाणा (Watana)
  • Malayalam – पठानी कटला (Pathani katala), पट्टानी पायर (Pattani payer)
  • Arabic – खलज (Khalaj), हुब्बुल बकर (Hubbul bakar), हुमुस (Hummus)
  • Persian – जलबान (Jalban), कंसग (Kansag)

मटर के फायदे (Matar Benefits and Uses in Hindi)

अब तक आपने जाना कि मटर क्या है, और मटर को कितने नामों से देश-विदेश में जाना जाता है। आइए जानते हैं कि मटर का औषधीय प्रयोग कैसे कर सकते हैं, औषधीय प्रयोग की मात्रा क्या होनी चाहिए और इसकी विधियां क्या हैंः-

सौंदर्य बढ़ाने के लिए मटर का इस्तेमाल (Benefits of Matar for Glowing Skin in Hindi)

कई लोग, या फिर महिलाएं प्रायः अपना सौंदर्य बढ़ाने के लिए, पता नहीं कितने प्रकार के उपायों को आजमाती हैं। ऐसे में आप मटर का प्रयोग कर सौंदर्य लाभ ले सकते हैं। भुनी हुई मटर, तथा नारंगी के छिलकों को दूध में पीस लें। आपको इसे उबटन को शरीर पर लगाना है। इससे आपकी त्वचा में निखार आता है।

भूख को बढ़ाने के लिए मटर का उपयोग (Matar Benefits for Increasing Appetite in Hindi)

कई लोग भूख की कमी होने की शिकायत करते हैं। ऐसे लोग हरी मटर का लाभ ले सकते हैंं। हरी मटर में अरहर, दालचीनी तथा ईलायची मिला लें। इसका जूस बना लें। इसका सेवन करने से भूख बढ़ जाती है।

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घाव सुखाने के लिए मटर का प्रयोग (Uses of Matar in Healing of Chronic Wounds in Hindi)

घाव को सुखाने के लिए भी मटर का इस्तेमाल बहुत लाभ पहुंचाता है। आप मटर, मसूर, गेहूं तथा हरेणु (छोटी मटर) को बराबर-बराबर मात्रा में मिला लें। इसे पीस लें, और लेप के रूप में घाव पर लगाएं।

और पढ़ें: मसूर की दाल के फायदे

इससे घाव से होने वाली पीड़ा तो ठीक होती ही है, साथ ही कच्चा घाव जल्दी पक जाता (Muttor Benefits) है, तथा घाव का मवाद या पीव आसानी से बाहर निकल जाता है।

त्वचा रोग में फायदेमंद मटर का इस्तेमाल (Benefits of Peas in Skin Disease Treatment in Hindi)

आप त्वचा रोग में भी मटर (Peas) का उपयोग कर लाभ ले सकते हैं। सबसे पहले आप मटर का काढ़ा बनाएं, फिर इससे त्वचा पर जहां विकार हैं, वहां धोएं। इससे त्वचा के विकारों में फायदा होता है।

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आग से जलने पर मटर का प्रयोग (Uses of Peas in Fire Burning Treatment in Hindi)

अगर कोई व्यक्ति आग से जल गया है, और उससे जलन तथा पीड़ा हो रही है, तो उसे जले हुए अंग पर मटर का उपयोग करना चाहिए। हरी कोमल मटर को पीस लें, और इसे जले हुए अंग पर लगाएं। इससे लाभ होता है।

सूजन की समस्या में मटर का उपयोग (Peas Benefits in Reducing Inflammation in Hindi)

सूजन का उपचार करने के लिए भी मटर का उपयोग किया जाता है। ठंड के मौसम में जिस किसी व्यक्ति की अंगुलियों में सूजन आ जाती है, वे सबसे पहले मटर का काढ़ा बना लें। इस काढ़े में सरसों का तेल मिला लें। इससे सूजन वाली अंगुलियों को धोएं। सूजन ठीक हो जाती है।

पित्तज और कफज विकारों में मटर का उपयोग (Green Peas is Beneficial for Pittaj and Kafaj Disorder in Hindi)

पित्तज और कफज विकारों में मटर का इस्तेमाल करना लाभदायक होता है। सूखी मटर, सोयाबीन, चना, गेहूं, यव लें। इसमें थोड़ी मात्रा में तिल को मिला लें। इसका आटा बनाकर प्रयोग करें। यह बहुत ही पौष्टिक होता है। इससे पित्तज और कफज विकारों में लाभ होता है।

मटर का सेवन पाचनतंत्र विकार में फायदेमंद (Benefits of Green Peas for Digestive Disorder in Hindi)

जो लोग पाचनतंत्र विकार से परेशान रहते हैं, और भोजन के ठीक से नहीं पचने की समस्या रहती है, वे लोग भी मटर (Grean Peas) का प्रयोग कर सकते हैं। हरी मटर में अरहर, दालचीनी तथा ईलायची मिलाें। इसका जूस बना लें। इसका सेवन करने से भोजन सही से पचता है।

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मटर के उपयोगी भाग (Useful Parts of Matar)

आमतौर पर मटर (Grean Peas) को सब्जी के साथ प्रयोग में लाया जाता है। मटर के सेवन से किसी तरह की हानि नहीं होती है, लेकिन एक औषधि के रूप में मटर का इस्तेमाल करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

मटर का इस्तेमाल कैसे करें (How to Use Matar?)

मटर का प्रयोग इस रूप में किया जाता हैः-

बीज

मटर कहां पाई या उगाई जाती है (Where is Matar Found or Grown?)

मटर (Grean Peas) एक आम दलहन है, इसलिए पूरे भारत में इसकी खेती की जाती है। मटर की खेती अनेक तरह की मिट्टी में होती है। माना जाता है कि मटर की खेती के लिए गहरी दोमट  मिट्टी (गंगा के मैदानी भाग) अच्छी होती है। मटर की बुआई सामान्यतः अक्टूबर से नवंबर तक की जाती है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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