वजन घटाने वाली सर्जरी कराने से कमजोर होती है हड्डियां : रिसर्च

वजन घटाने वाली सर्जरी कराने से कमजोर होती है हड्डियां                     

मोटापा इस समय पूरी दुनिया में काफी तेजी से बढ़ती हुई एक समस्या है। अधिकतर लोग अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं और उसे कम करने के कई तरीके आजमाते रहते हैं। आज के समय में वजन बढ़ने का मुख्य कारण लोगों की खराब जीवनशैली और खान पान से जुड़ी गलत आदतें हैं। हालांकि पिछले कुछ सालों में लोग अपने मोटापे को कम करने के प्रति काफी जागरूक हुए हैं और अपनी जीवनशैली में सुधार लाने लगे हैं। रोजाना व्यायाम करना या जिम जाना और अच्छी डाइट का सेवन करना वजन कम करने में बहुत फायदेमंद है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो जल्दी वजन कम करने के लिए सर्जरी करवाते हैं।

वजन घटाने वाली सर्जरी के फायदे और नुकसान दोनों हैं। हाल ही में हुए एक रिसर्च में यह बताया गया है कि वजन घटाने वाली सर्जरी कराने से हड्डियाँ कमजोर हो सकती है जिससे आगे चलकर हड्डियों के टूटने का खतरा बढ़ जाता है।  इस अध्ययन में कहा गया है कि वजन घटाने के लिए कराई जाने वाली सर्जरी के बाद हड्डियों की संरचना में बदलाव होने लगता है। सर्जरी के बाद जब वजन में स्थिरता आ जाती है उसके बाद भी हड्डियों की संरचना में होने वाला यह बदलाव रुकता नहीं है।

अभी तक के अधिकांश अध्ययनों में रौक्स एन वाई गैस्ट्रिक बाइपास  (Roux-en-Y gastric bypass) सर्जरी से हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभावों का ही अध्ययन किया गया है। दुनिया भर में वजन घटाने के लिए यह सबसे ज्यादा प्रचलित सर्जरी है। हालांकि हाल ही में इसकी जगह स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी (sleeve gastrectomy) ने ले ली है। स्लीव गैस्ट्रेक्टोमी वजन घटाने की नवीनतम सर्जरी है और इसलिए इस सर्जरी से हड्डियों पर पड़ने वाले प्रभावों का अभी पता नहीं चल पाया है।

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रिसर्च टीम की सहायक लेखक एनी शैफर ने बताया कि चिकित्सा संबंधी वर्तमान दिशा निर्देशों में हड्डियों के स्वास्थ्य पर पूरी स्पष्टता है लेकिन अधिकतर सिफारिशें निम्न स्तरीय प्रमाण या सिर्फ विशेषज्ञों की राय पर ही आधारित हैं। सर्जरी के बाद पोषण संबंधी कारकों, हार्मोन और शारीरिक संरचना में बदलाव और बोन मेरो फैट ये सब मिलकर हड्डियों को नुकसान पहुंचाते हैं और उन्हें कमजोर करते हैं जिससे फ्रैक्चर का खतरा बढ़ता है। हालांकि रिसर्च टीम का मानना है कि आने वाले समय में इस दिशा में और रिसर्च की ज़रुरत है जिससे सर्जरी से हड्डियों पर पड़ने वाले असर को कम किया जा सके या और बेहतर सर्जरी पद्धति विकसित की जा सके।

इस शोध को जर्नल जेबीएमआर में प्रकाशित किया गया है।

साभार : ANI

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