जानिये मेल और फीमेल कंडोम में अंतर और इस्तेमाल करने का सही तरीका

जानिये मेल और फीमेल कंडोम में अंतर और इस्तेमाल करने का सही तरीका

आज के समय में अधिकतर शादीशुदा जोड़े काफी सोच विचार करने के बाद ही प्रेगनेंसी के बारे में प्लान करते हैं। ऐसे में उन्हें गर्भनिरोधकों और अनचाहे गर्भ से बचने के सभी उपायों की पूरी जानकारी होना बहुत ज़रुरी है। अनचाहे गर्भ से बचने के लिए लोग तमाम तरह के गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन कंडोम (Condom) का इस्तेमाल करना सबसे असरदार और आसान उपाय माना जाता है। कंडोम न सिर्फ अनचाहे गर्भधारण को रोकती है बल्कि यह कई तरह की यौन संचारित बीमारियों (STD) से भी बचाव करती हैं।

कंडोम नाम सुनते ही हर किसी के दिमाग में पुरुषों द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले कंडोम (Male condom) का ख्याल आता है। कई लोगों को तो यह तक पता नहीं है कि फीमेल कंडोम जैसी भी कोई चीज होती है। पुरुषों और महिलाओं दोनों को ही फीमेल कंडोम (Female condom) के बारे में जागरूक करना बहुत ज़रुरी है। फीमेल कंडोम की मदद से अब महिलायें अनचाहे गर्भ और तमाम बीमारियों से खुद ही अपना बचाव कर सकती हैं, इसके लिए अब उन्हें पुरुष पर निर्भर रहने की कोई ज़रुरत नहीं है। इस लेख में हम आपको मेल और फीमेल कंडोम के बीच के अंतर और कंडोम के फायदे के बारे में विस्तार से बता रहे हैं।

सामान्य अंतर :

-पुरुषों वाला कंडोम लेटेक्स, पॉलीयुरेथेन, पॉलीआईसोप्रेन या  भेड़ की खाल (lambskin) से बना होता है। इसे लिंग के उत्तेजित होने पर ही पहना जा सकता है।

-महिलाओं वाला कंडोम पॉलीयुरेथेन या नाइट्राइल से बना हुआ होता है। यह एक चिकनाई युक्त पाउच जैसा होता है जिसमें दो सिरे होते हैं : एक सिरा खुला होता है और दूसरा बंद रहता है। इसके सिरों पर दो छल्ले होते हैं जिससे कंडोम को योनि के अंदर सही जगह रखने में मदद मिलती है। फीमेल कंडोम के अंदुरुनी छल्ले को योनि के अंदर बिल्कुल टैम्पोन की तरह डालना होता है।  

-पुरुषों का कंडोम या मेल कंडोम लिंग के अधिकांश हिस्से को ढंककर रखता है और महिलाओं के जननांगो की रक्षा करता है।

-फीमेल कंडोम महिला के जननांगो के अंदुरुनी और बाहरी दोनों हिस्सों को ढंककर रखता है और लिंग का बेस उसे सुरक्षा प्रदान करता है।

-पुरुषों वाला कंडोम लेटेक्स का बना होता है और इसके कारण त्वचा में एलर्जी भी हो सकती है।

-फीमेल कंडोम हाइपोएलर्जिक होते हैं, इसका मतलब यह है कि इनसे एलर्जी होने की संभावना काफी कम होती है। 

इस्तेमाल :

-पुरुषों के लिए बने कंडोम का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब लिंग पूरी तरह उत्तेजित हो।

-जबकि महिलाएं फीमेल कंडोम को सेक्स करने से 8 घंटे पहले भी योनि के अंदर लगा सकती हैं।

-पुरुषों वाला कंडोम सेक्स करने के बाद या लिंग की उत्तेजना खत्म होने के बाद फिसल सकता है या अपने आप निकल सकता है।

-फीमेल कंडोम सेक्स करने के बाद भी अपनी जगह से हटता नहीं है।

उपयोगिता :

-पैक पर लिखे हुए निर्देशों के अनुसार इस्तेमाल करने पर, पुरुष कंडोम 98% प्रभावी होते हैं और फीमेल कंडोम 95% प्रभावी होते हैं।

-पैक पर लिखे निर्देशों के अनुसार इस्तेमाल ना करने पर पुरुष और महिला कंडोम दोनों की विफलता दर क्रमशः 14% और 21% होती है।

लुब्रिकेंट :

-पुरुषों वाले लेटेक्स कंडोम के साथ सिर्फ पानी युक्त लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है। पॉलीयुरेथेन या भेड़ की खाल से बने कंडोम के साथ किसी भी लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

-जबकि वुमन कंडोम (Female condom) के साथ या तो पानी युक्त या ऑयल बेस्ड लुब्रिकेंट का इस्तेमाल किया जा सकता है।

इस्तेमाल में आसानी :

-पुरुषों वाले कंडोम को इस्तेमाल करना आसान होता है और ये बहुत आराम से फिट हो जाते हैं जबकि महिला कंडोम के अंदुरुनी हिस्से को योनि में फिट करना शुरुआत में थोडा मुश्किल होता है।

उपलब्धता :

-पुरुषों वाले कंडोम सभी मेडिकल स्टोर पर आसानी से मिल जाते हैं और ये अपेक्षाकृत सस्ते भी होते हैं।

-फीमेल कंडोम (womens condoms) अभी लोगों के बीच इतना प्रचलित नहीं है इसलिए यह आसानी से सभी मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध नहीं रहता है और ये पुरुष कंडोम की तुलना में महंगे भी होते हैं।

-पुरुषों वाले कंडोम अलग अलग साइज़, रंग और फ्लेवर में मिलते हैं।

-फीमेल कंडोम सिर्फ एक ही साइज़ में मिलता है और यह रंगहीन, गंधहीन होता है।

मेल और फीमेल कंडोम दोनों की उपयोगिता एक समान हैं क्योंकि गर्भनिरोधक क्षमता के अलावा ये एड्स और कई अन्य यौन संचारित बीमारियों (STD) से आपका बचाव करते हैं। इसके अलावा दोनों ही कंडोम डिस्पोजल रुप में होते हैं जिन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक देना चाहिए। हालांकि दोनों ही तरह के कंडोम में काफी समानताएं हैं लेकिन फिर भी इनके इस्तेमाल के समय कुछ सावधानियां ज़रुर बरतनी चाहिए।

कंडोम के इस्तेमाल के समय बरती जाने वाली सावधानियां :

-कभी भी फटे हुए, बेरंग या चिपचिपे कंडोम का इस्तेमाल ना करें।

-लम्बे समय तक कंडोम को अपने वॉलेट में या कार में ना रखें।

-कंडोम को धूप और गर्मी से दूर किसी ठंडी और सूखी जगह पर रखें। लेटेक्स कंडोम को अगर ठीक से ना रखा जाए तो वे जल्दी खराब हो जाते हैं।

-पुरुषों को अपने लिंग के साइज़ के हिसाब से कंडोम का चुनाव करना चाहिए, इससे सेक्स के दौरान उनके फटने या फिसलने का खतरा कम होता है।

-फीमेल कंडोम का इस्तेमाल करने पर सेक्स के दौरान थोड़ी अधिक आवाज आने लगती है। इससे बचने के लिए लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करें।

-सेक्स के दौरान अगर कंडोम फट या टूट जाता है या फीमेल कंडोम का बाहरी छल्ला योनि के अंदर चला जाता है तो ऐसे में उस कंडोम को हटा दें और नए कंडोम का इस्तेमाल करें।

-एक कंडोम का उपयोग सिर्फ एक ही बार करें, उसे धुलकर या साफ़ करके दोबारा इस्तेमाल करने की गलती ना करें। ऐसा करने से संक्रमण हो सकता है।

-कंडोम पहनते समय सावधानी बरतें अन्यथा आपके नाखून या ज्वेलरी से वे फट सकते हैं।

-भेड़ की खाल से बने पुरुष कंडोम यौन संचारित रोगों (STD) से बचाव नहीं करते हैं।

-एक बार में एक ही तरह के कंडोम का उपयोग करें। फीमेल कंडोम और मेल कंडोम का एक साथ इस्तेमाल कभी ना करें।

-कंडोम का इस्तेमाल करने के बाद उसे कूड़ेदान में फेंक दें। कंडोम को कभी भी फ्लश ना करें।

पुरुषों और महिलाओं के लिए बने कंडोम के अपने फायदे और नुकसान हैं। हालांकि सबसे अच्छी बात यह है कि दोनों तरह के कंडोम गर्भावस्था रोकने और यौन संचारित बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। इसलिए सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल ज़रुर करें।

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