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Kachnar: डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है कचनार – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

कचनार का परिचय (Introduction of Kachnar)

आपने शायद कचनार (Kachnar tree benefits in Hindi) के पौधों के बारे में सुना होगा या देखा भी होगा। कचनार की छाल (Kachnar ki Chaal) के रेशों से रस्सी आदि बनाई जाती है। कई स्थानों पर काचनार की पत्तियों का साग बनाकर खाया जाता है। वास्तव में कचनार का प्रयोग (Kanchnar Guggul in Hindi)अनेक कामों के लिए किया जाता है, जैसे कचनार का फायदा लोगों की बीमारी को ठीक करने के लिए भी किया जाता है।

आयुर्वेद के अनुसार, कचनार एक औषधि (kanchnar guggul in Hindi)है और बरसों से आयुर्वेदाचार्यों द्वारा कचनार का इस्तेमाल (kanchanar guggulu) एक औषधि के रूप में किया जा रहा है। कई प्राचीन ग्रंथों में कचनार गूगल के फायदे (kanchnar guggul ke fayde) की चर्चा की गई है। फूलों के रंगों में अंतर के अनुसार कचनार (kanchanar guggulu)की विभिन्न जातियां पाई जाती हैं। ऐसे में आप इसकी पूरी जानकारी ले लीजिए कि कचनार (kanchnar) का प्रयोग किस तरह किया जाना चाहिए या किस कचनार का उपयोग करने से आपको अधिक लाभ हो सकता है?

कचनार क्या है? (What is Kachnar?)

फूलों के रंगभेद के अनुसार कई प्रकार के कचनार (kanchanar guggulu) के वृक्ष (kachnar tree benefits in hindi) होते हैं। उनमें से तीन प्रकार के काचनारों का विशेष उल्लेख प्राप्त होता है।

लाल फूल वाला कचना (Bauhinia purpurea)

सफेद फूल वाला कचनार (Bauhinia racemosa)

पीला फूल वाला कचनार (Bauhinia tomentosa Linn.)

गुणों की बात की जाय तो तीनों कचनार (kachnar tree benefits in hindi) एक समान होते हैं लेकिन एक औषधी के रूप में प्रायः लाल या सफेद फूल वाले कचनार का ही प्रयोग (kanchanar guggulu) किया जाता है। इसलिए अगर कहीं लाल फूल वाला कचनार नहीं मिलता है तो दूसरे का प्रयोग किया जा सकता है।

काचनार लाल :

इसमें कुछ जामुनी लाल रंग के फूल आते हैं। अन्य कचनारों (kanchnar guggul in hindi)की अपेक्षा यह प्रायः सभी जगह मिल जाता है।

काचनार सफेद :

इसके फूल सफेद रंग के और सुगन्धित होते हैं।

काचनार पीला :

इसके फूल पीले रंग के होते हैं।

लाल फूल वाली प्रजाति को कांचनार (kanchnar), तथा सफेद फूल वाली प्रजाति को कोविदार कहा जाता है।

लाल फूल के आधार पर कचनार की दो प्रजातियां पाई जाती हैैं, जो ये हैंः-

  1. Bauhinia purpurea Linn.
  2. Bauhinia blakeana Dunn

सफेद फूलों के आधार पर कांचनार की मुख्यतयाः तीन प्रजातियां पाई जाती हैैं, जो ये हैंः-

  1. Bauhinia racemosa Lam.
  2. Bauhinia acuminata Linn.
  3. Bauhinia variegata var.candida (Aiton) Corner 

इनके अतिरिक्त कचनार की एक और प्रजाति पाई  जाती है जिसे Bauhinia semla Wunderlin कहते हैं। कांचनार (Bauhinia variegata Linn.) से मिलते-जुलते बहुत सारे पौधे पाए जाते हैं, लेकिन प्रायः कांचनार व कोविदार का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

कांचनार-व्रणशोधक, व्रणरोपक, स्तम्भक, मूत्रसंग्रहणीय, रक्तस्तम्भक, मेदोरोग, कुष्ठ, प्रमेह, रक्तपित्त, गंडमाला एवं लसीकाग्रंथिशोथ-नाशक होता है। कचनार के फल लघु, रूक्ष, ग्राही; पित्तविकार, प्रदर, क्षय, कास तथा रुधिर विकार को नष्ट करने वाले हैं।

अनेक भाषाओं में कचनार के नाम (Name of Kachnar in Different Languages)

कचनार का वानस्पतिक नाम बौहिनिया वैरीगेटा (Bauhinia variegata Linn., Syn-Bauhinia chinensis (DC.) Vogel, Bauhinia variegatavar.candida (Aiton) Corner), सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae), लेकिन इसे अन्य और भी नामों से जाना जाता है, जो ये हैंः-

Kachnar in-

  • Hindi – कचनार, क ञ्चनार,कचनाल, गोरिआल
  • English – Mountain ebony (माउण्टेन एबोनी)
  • Sanskrit – का ञ्चनार, का ञ्चनक, गण्डारि, शोणपुष्पक, युग्मपत्रक, स्वल्पकेसरी, गण्डारी
  • Oriya – बोरोडा (Boroda), कॉन्जोनी (Kanjoni)
  • Urdu – काचनॉल (Kachnal)
  • Kannada – केंपुमन्दरा (Kempumandara), देवकन्यानमु (Devkanyanamu)
  • Gujarati – चम्पाकाटी (Champakati), काञ्चनार (Kanchnar)
  • Tamil – सिगप्पुमुन्दरई (Segappumundarai)
  • Telugu – देवकाञ्चनमु (Devakanchanamu)
  • Bengali – रक्तका ञ्चन (Raktakanchan), काञ्चन (Kanchan)
  • Nepali – कोईरालो (Koiralo), ताकी (Taki)
  • Marathi – रक्त काञ्चन (Rakta-kanchan), कोरल (Koral), काञ्चन (Kanchan)
  • Malayalam – चुवन्नमंदरम् (Chuvannamandaram)

कचनार के फायदे (Kachnar Benefits and Uses)

अब तक आपने कचनार क्या है (kachnar tree benefits in hindi) और कचनार के नामों के बारे में जाना। आइए जानते हैं कि कचनार का आयुर्वेदीय गुण क्या है और इसका क्या प्रभाव होता है। यहां फूलों के रंगों के आधार पर कचनार की विशेषता बताई गई हैः-

लाल कचनार का प्रयोग (Uses of Red Kachnar)

लाल कचनार का इस्तेमाल इन बीमारियों में किया जा सकता हैः-और पढ़ें – गुर्दे की पथरी निकालने में अनार जूस फायदेमंद

सिर दर्द से राहत पाने के लिए करें कचनार का प्रयोग (Kachnar Flower Benefits in Relieving from Headache in Hindi)

लाल कचनार की छाल (kachnar ki chaal)को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।

और पढ़ेसिर दर्द में कासनी के फायदे

कचनार से दांत दर्द का इलाज (Kachnar Benefits in Relieving from Dental Pain in Hindi)

लाल कचनार की सूखी टहनियों की राख को या कोयलों को दांतों पर मंजन करें। इससे दांतों का दर्द ठीक होता है।

और पढ़े: दांत दर्द में पेपरमिंट के फायदे

कचनार के उपयोग से ठीक होते हैं मुख के छाले (Red Kachnaar Uses in Mouth Ulcers Treatment in Hindi)

कचनार वृक्ष (kanchanar guggulu)की छाल और अनार के फूल का काढ़ा बना लें। इसका कुल्ला करने से मुंह के छालों में लाभ होता है।

50 ग्राम कचनार वृक्ष (Kanchnar) की छाल को आधा लीटर पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए तो इस पानी से कुल्ले करने चाहिए। किसी भी औषधि से ठीक न होने वाले छाले भी इससे ठीक (kanchanar guggulu benefits in hindi) हो जाते हैं।

इससे प्रसूति स्त्रियों को होने वाले छाले भी ठीक (kanchnar guggul ke fayde)हो जाते हैं।

और पढ़ेंगुर्दे की पथरी निकालने में अनार जूस फायदेमंद

खांसी के उपचार के लिए करें कचनार का सेवन (Benefits of Kachnar Tree in Treatment of Cough Problem in Hindi)

कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में लाभ होता है। इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।

खून साफ करने की आयुर्वेदिक दवा है कचनार (Kachnar Flower Benefits in Blood Disorder Problem in Hindi)

इसके छाल (kachnar ki chaal) या फूल के 10-20 मिली काढ़ा को ठंडा करके शहद मिलाकर दिन में दो बार सेवन करें। इससे खून साफ होता है।

और पढ़ेखून साफ करने में जटामांसी के फायदे

मासिक धर्म विकार में फायदेमंद कचनार का सेवन (Benefits of Red Kachnar in Menstrual Disorder in Hindi)

कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से अत्यधिक रक्तस्राव में लाभ होता है। इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।

मसूड़ों के दर्द में फायदेमंद कचनार का प्रयोग (Kachnar Benefits in Treatment of Gum Pain in Hindi)

कचनार की छाल (kachnar ki chaal)का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मसूड़ों के दर्द ठीक हो जाते हैं।

गण्डमाला रोग में लाभ पहुंचाता है कचनार (Red Kachnar Uses in Goiter Treatment in Hindi)

लाल कचनार की छाल के 20 मिली काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण मिलाएं। इसे सुबह-शाम पिलाने से भी गले की गांठों में लाभ होता है।

250 ग्राम कचनार छाल के चूर्ण में 250 ग्राम चीनी मिलाकर रख लें। सुबह और शाम 5-10 ग्राम चूर्ण को पानी या दूध के साथ सेवन करें। इससे गण्डमाला रोग में लाभ होता है।

कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कंठ रोग ठीक होते हैं।

10-20 ग्राम कांचनार छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो 10-20 मिली की मात्रा में पिलाएं। इससे गंडमाला में लाभ होता है। लाल कचनार का रस मिलाकर गले में लगाने से भी गले के रोग में लाभ (kanchanar guggulu benefits in hindi) होता है।

और पढ़ें: गंडमाला में रतालू के फायदे

पाचनतंत्र विकार में कचनार के उपयोग से लाभ (Uses of Red Kachnar Flower in Fighting Indigestion Problem in Hindi)

लाल कचनार (kachnar benefits)की 10-20 ग्राम जड़ों का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पिलाने से पाचनतंत्र विकार ठीक होता है।

पेट की गैस की परेशानी में कचनार के इस्तेमाल से फायदा (Kachnaar Uses in Relieving from Acidity in Hindi)

20 मिली कांचनार की जड़ के काढ़ा में 2 ग्राम अजवायन चूर्ण डालकर पिलाने से पेट की गैस की परेशानी में लाभ होता है।

और पढ़ें : गैस दूर करने के घरेलू उपाय

पेट के कीड़े को खत्म करने के लिए कचनार फायदेमंद (Kachnar Tree Uses to Treat Abdominal Bug in Hindi)

कचनार की जड़ (kachnar benefits) तथा पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीएं। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं।

कचनार के प्रयोग से कब्ज का इलाज (Kanchnar Guggulu Benefits in Relieving Constipation in Hindi)

कचनार की कलियों से बने गुलकन्द को 5-10 ग्राम की मात्रा में खाने से कब्ज का इलाज होता है।

2-5 ग्राम सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर खाने से कब्ज में लाभ होता है

और पढ़ें: कब्ज में टिंडा के फायदे

बवासीर की बीमारी में लाभ पहुंचाता है कचनार (Kanchnar Guggulu Uses in Treatment of Hemorrhoids in Hindi)

सुुबह 1-2 ग्राम कोविदार की जड़ के चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करें। इसके पच जाने पर शाम को पचने वाला भोजन करें। इससे बवासीर में लाभ होता है।

1-2 ग्राम लाल कचनार तने के पेस्ट को दही के साथ सेवन करने से बवासीर में फायदा होता है।

कचनार की कलियों से बने गुलकन्द (kanchnar guggulu) को 5-10 ग्राम की मात्रा में खाने से बवासीर में लाभ होता है।

खूनी बवासीर में फायदेमंद कचनार का उपयोग (Uses of Kachnar Tree in Piles Treatment in Hindi)

2-5 ग्राम सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में मक्खन और मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

जामुन, रीठा और कचनार की छाल को पानी में उबालकर गुदा को धोने से खूनी बवासीर में फायदा होता है।

कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है। इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।

और पढ़ें: रीठा के फायदे

गुदा भ्रंश (गुदा से कांच निकलना) में कचनार के इस्तेमाल से फायदा (Benefits of Kachnar in Diagnosis Prolapsus Disease in Hindi)

लाल कचनार के तने की छाल को पीसकर गुदा में लगाने से गुदभ्रंश में लाभ होता है।

कचनार के उपयोग से पीलिया रोग में लाभ (Kachnar Guggulu Uses in Treatment of Jaundice in Hindi )

कोविदार के पत्ते का पेस्ट बनाएं। इसमें व्याघएरण्ड से प्राप्त आक्षीर मिलाकर सेवन करें। इससे पीलिया में फायदा होता है।

ल्यूकोरिया में लाभदायक कचनार का प्रयोग (Kachnar is Beneficial in Leucorrhoea Disease in Hindi)

1-2 ग्राम लाल कचनार फूल की कली का चूर्ण बनाएं। इसका सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।

और पढ़ें: ल्यूकोरिया में भिंडी के फायदे

फोड़े या घाव को सुखाता है कचनार (Kachnar Heals Chronic Wounds in Hindi)

कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीसकर घाव पर पट्टी के रूप में बांधें। इससे फोड़े जल्दी पक जाते हैं। घाव पर इसकी छाल को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

कचनार के फूल या पत्ते के चूर्ण (2.5 ग्राम) अथवा 20 मिली छाल के काढ़ा बनाएं। इसमें प्रवाल भस्म (250 मिग्रा) तथा चीनी मिलाएं। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से घाव में फायदा होता है। इसके सेवन के बाद दूध पिलाना चाहिए।

लाल कचनार का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव सुख जाता है।

रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून निकलना) में करें कचनार का इस्तेमाल (Uses of Kachnar to Stop Bleeding in Hindi)

2-5 ग्राम कचनार के सूखे फूल का चूर्ण बनाएं। इसे 1 चम्मच मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

कोविदार के फूलों से बने सब्जी (उबाल कर घी में भूनकर अथवा जूस बनाकर) का सेवन करें। नाक-कान आदि अंगों से खून बहना बंद हो जाता है।

बराबर-बराबर मात्रा में खदिरसार, फूलप्रियंगु, कोविदार तथा सेमल के फूल का चूर्ण बनाएं। इसमें 1-2 ग्राम में मधु मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

पेशाब में खून आने की बीमारी में करें कचनार का प्रयोग (Kachnar Uses in Treating Urinary Problems in Hindi)

कांचनार के फूल का काढ़ा बनाकर पीएं। इससे पेशाब में खून आने की परेशानी में लाभ होता है। इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।

अर्बुद, रसौली, गुल्म या ट्यूमर में फायदेमंद कचनार का उपयोग (Kanchnar Guggulu Uses in Treatment of Neoplastic Disease in Hindi)

कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीसकर पट्टी के रूप में अर्बुद, रसौली, गुल्म या ट्यूमर पर बांधें। इससे ये जल्दी पक जाते हैं। इसकी छाल को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।

कचनार के फूल या पत्ते के चूर्ण (2.5 ग्राम) अथवा 20 मिली छाल के काढ़ा में प्रवाल भस्म (250 मिग्रा) मिलाएं। इसमें चीनी मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से भी अर्बुद, रसौली, गुल्म या ट्यूमर में फायदा होता है। इसके सेवन के बाद दूध पिलाना चाहिए।

पीले कचनार के पत्ते, छाल तथा बीजों को सिरके में पीसकर लेप करने से रसौली में लाभ होता है।

और पढ़ेंट्यूमर के इलाज में शिरीष के फायदे

सफेद कचनार का इस्तेमाल (Uses of White Kachnar)

सफेद कचनार का प्रयोग इन रोगों के लिए किया जा सकता हैः-

गण्डमाला रोग में लाभदायक कचनार का सेवन (White Kachnar Uses in Goiter Treatment in Hindi)

कचनार की छाल के चूर्ण (1-2 ग्राम) को चावल के धोवन के साथ पीने से गण्डमाला या कंठ के रोग में लाभ होता है।

कचनार के इस्तेमाल से मूत्र रोग में फायदा (Kachnar Benefits in Urinary Problem in Hindi)

2-5 ग्राम कचनार के सूखे फल का चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से मूत्र रोग जैसे रुक-रुक कर पेशाब आना या पेशाब में दर्द होने की समस्या ठीक होती है।

और पढ़ें : मूत्र रोग में मरिच फायदेमंद

खूनी बवासीर में फायदेमंद कचनार का इस्तेमाल (Benefits of White Kachnar in Treatment of Piles in Hindi)

1-2 ग्राम कचनार के फूल का चूर्ण का सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

त्वचा रोगों में लाभकारी कचनार का प्रयोग (Kachnar is Beneficial in Treating Skin Problems in Hindi)

काचनार की जड़ की छाल को पीसकर लगाने से घाव, सूजन एवं अन्य प्रकार के त्वचा रोगों में लाभ होता है।

और पढ़ें: सूजन की समस्या में अरबी से लाभ

बुखार उतारने के लिए कचनार का उपयोग लाभदायक (White Kachnar reduces Fever in Hindi)

काचनार के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से बुखार के कारण होने वाले सिर दर्द से आराम मिलता है।

और पढ़ेंबुखार में मोथा से लाभ

पीले कचनार का उपयोग (Uses of Yellow kachnar)

पीले कचनार का प्रयोग इन रोगों के लिए किया जा सकता हैः-

मुंह के छाले को ठीक करता है पीला कचनार (Kachnar Benefits in Treating Mouth Ulcers in Hindi)

सफेद कचनार अथवा पीले कांचनार की छाल का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से मुखपाक या मुख के छाले की बीमारी ठीक होती है।

और पढ़ें: मुखपाक में लाभकारी जूही के फूल

दस्त को रोकने के लिए करें कचनार का प्रयोग (Uses of Kachnar to Stop Diarrhea in Hindi)

कचनार की जड़ तथा पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीएं। इससे दस्त पर रोक लगती है।

पेचिश में कचनार से लाभ (Kachnar is Beneficial in Cholera Treatment in Hindi)

पीले कचनार के पत्ते तथा फूलों को सुखा लें। इसका चूर्ण बनाकर रख लें। 5 ग्राम चूर्ण का सेवन कर बाद में 2 चम्मच सौंफ का अर्क पीएं। इससे पेचिश में लाभ होता है। इसके 10 ग्राम फूलों को जल में उबाल छान लें। इसे  दिन में दो बार पिलाने से भी पेचिश में लाभ होता है।

2-5 ग्राम कचनार शुष्क फल चूर्ण को पानी के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से पेचिश में फायदा होता है।

और पढ़ेंपेचिश में छोटी इलायची फायदेमंद

आंतों के रोगों में पीले कचनार का प्रयोग लाभदायक (Kachnar Uses in Intestines Disease in Hindi)

20 ग्राम पीले कचनार की छाल को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इसे 10-25 मिली पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

लिवर विकार में फायदेमंद पीले कचनार का इस्तेमाल (Benefits of Yellow Kachnar in Relieving from Liver Disorder in Hindi)

पीले कंचनार की 10-20 ग्राम जड़ की छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली सुबह-शाम पिलाने से लिवर की सूजन में लाभ होता है।

कचनार की जड़ तथा पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीएं। इससे लिवर के दर्द से राहत (kanchanar guggulu benefits) मिलती है।

और पढ़ेंलिवर रोग में चं\द्रशूर के फायदे

घाव में कीड़े पड़ जाने पर करें पीले कचनार के प्रयोग से लाभ (Yellow Kachnar Uses in Healing Chronic Wounds in Hindi)

पीले कचनार के पत्ते, छाल तथा बीजों को सिरके में पीसकर लेप करने से घाव के अन्दर के कीड़े भी मर जाते हैं।

शरीर की जलन को शांत करता है कचनार (Yellow Kachnar is Beneficial in Body Irritation in Hindi)

5 मिली कांचनार की छाल के रस में 2 ग्राम जीरे का चूर्ण या 250-500 मिलीग्राम कपूर मिलाकर दिन में दो बार पिलाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।

सांप के काटने पर कचनार से फायदा (Benefits of Kachnar in Snack Biting in Hindi)

सांप के काटने पर कचनार का प्रयोग करना फायदा पहुंचाता है। पीले कचनार के बीजों को पीसकर सांप के काटने वाले स्थान पर लेप के रूप में लगाएं। इससे सांप के काटने से होने वाले दर्द, जलन या सूजन में लाभ (kanchanar guggulu benefits) होता है।

और पढ़े: सांप के काटने पर चुक्रिका के फायदे

कचनार के इस्तेमाल की मात्रा (How Much to Consume Kachnar?)

कचनार का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिएः-

  • पत्ते का रस- 12-24 मिली
  • चूर्ण- 3-6 ग्राम
  • काढ़ा- 50-100 मिली

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार प्रयोग करें।

कचनार के इस्तेमाल का तरीका (How to Use Kachnar?)

कचनार का प्रयोग इस तरह किया जाना चाहिएः-

  • जड़
  • पत्ते
  • छाल
  • फूल

कचनार कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Kachnar Found or Grown?)

भारत के जंगलों में, हिमालय के तराई प्रदेशों और निचली पहाड़ियों पर कचनार के वृक्ष (kachnar tree) पाए जाते हैं।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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