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Kachnar: डॉक्टर से ज़्यादा उपयोगी है कचनार – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आपने कचनार के पौधे (kachnar tree) के बारे में सुना जरूर होगा। कचनार का प्रयोग कर लोगों को अनेक तरह का लाभ मिलता है। कचनार की छाल (kachnar ki chaal) के रेशों से रस्सी बनाई जाती है। कई स्थानों पर काचनार की पत्तियों का साग भी खाया जाता है। क्या आप जानते हैं कि कचनार एक औषधी है, और इसके अनेक औषधीय गुण हैं। कई रोगों के इलाज में कचनार के उपयोग से फायदे मिलते है। 

 

Kachnar

 

आयुर्वेद के अनुसार, कई प्राचीन ग्रंथों में कचनार के फायदे (kanchnar guggul ke fayde) के बारे में बताया गया है। आइए जानते हैं कि आप किस-किस बीमारी में कचनार (kanchnar) से लाभ ले सकते हैं।

 

Contents

कचनार क्या है? (What is Kachnar in Hindi?)

फूलों के रंगों में अंतर के अनुसार कचनार (kanchanar guggulu) की विभिन्न जातियां पाई जाती हैं। इनमें से तीन प्रकार के काचनारों का विशेष उल्लेख मिलता है, जो ये हैंः-

1.लाल फूल वाला कचना (Bauhinia purpurea)

2.सफेद फूल वाला कचनार (Bauhinia racemosa)

3.पीला फूल वाला कचनार  (Bauhinia tomentosa Linn.)

लाल काचनार – इसमें कुछ जामुनी लाल रंग के फूल आते हैं। अन्य कचनारों (kanchnar guggul) की अपेक्षा यह सभी जगह मिल जाता है।लाल फूल वाली प्रजाति को कचनार (kanchnar), और सफेद फूल वाली प्रजाति को कोविदार कहा जाता है। लाल फूल के आधार पर कचनार की दो प्रजातियां पाई जाती हैं, जो ये हैंः-

  1. Bauhinia purpurea Linn. 
  2. Bauhinia blakeana Dunn 

सफेद काचनार – इसके फूल सफेद रंग के और सुगन्धित होते हैं। सफेद फूलों के आधार पर कांचनार की मुख्यतया तीन प्रजातियां पाई जाती हैैं, जो ये हैंः-

  1. Bauhinia racemosa Lam.
  2. Bauhinia acuminata Linn. 
  3. Bauhinia variegata var.candida (Aiton) Corner 

पीला काचनार – इसके फूल पीले रंग के होते हैं।  

    इनके अतिरिक्त कचनार की एक और प्रजाति पाई  जाती है जिसे Bauhinia semla Wunderlin कहते हैं। कांचनार (Bauhinia variegata Linn.) से मिलते-जुलते बहुत सारे पौधे पाए जाते हैं, लेकिन प्रायः कांचनार व कोविदार का प्रयोग चिकित्सा में किया जाता है।

    गुणों में तीनों कचनार (kachnar tree benefits) एक समान होते हैं, लेकिन औषधि के रूप में प्रायः लाल या सफेद फूल वाले कचनार का ही प्रयोग (kanchanar guggulu) किया जाता है। इसलिए अगर कहीं लाल फूल वाला कचनार नहीं मिलता है तो दूसरे का प्रयोग किया जा सकता है।

     

     

    अन्य भाषाओं में कचनार के नाम (Name of Kachnar in Different Languages)

    कचनार का वानस्पतिक नाम बौहिनिया वैरीगेटा (Bauhinia variegata Linn., Syn-Bauhinia chinensis (DC.) Vogel, Bauhinia variegatavar.candida (Aiton) Corner) है, और यह सेजैलपिनिएसी (Caesalpiniaceae) कुल का है। कचनार के अन्य ये नाम भी हैंः-

    Kachnar in-

    • Hindi – कचनार, क ञ्चनार,कचनाल, गोरिआल
    • English – Mountain ebony (माउण्टेन एबोनी)
    • Sanskrit – का ञ्चनार, का ञ्चनक, गण्डारि, शोणपुष्पक, युग्मपत्रक, स्वल्पकेसरी, गण्डारी
    • Oriya – बोरोडा (Boroda), कॉन्जोनी (Kanjoni)
    • Urdu – काचनॉल (Kachnal)
    • Kannada – केंपुमन्दरा (Kempumandara), देवकन्यानमु (Devkanyanamu)
    • Gujarati – चम्पाकाटी (Champakati), काञ्चनार (Kanchnar)
    • Tamil – सिगप्पुमुन्दरई (Segappumundarai)
    • Telugu – देवकाञ्चनमु (Devakanchanamu)
    • Bengali – रक्तका ञ्चन (Raktakanchan), काञ्चन (Kanchan)
    • Nepali – कोईरालो (Koiralo), ताकी (Taki)
    • Marathi – रक्त काञ्चन (Rakta-kanchan), कोरल (Koral), काञ्चन (Kanchan)
    • Malayalam – चुवन्नमंदरम् (Chuvannamandaram)

     

    कचनार के फायदे और उपयोग (Red Kachnar Benefits and Uses in Hindi)

    अब तक आपने कचनार (kachnar tree) क्या है, और कचनार के कितने नाम हैं। आइए जानते हैं कि कचनार का आयुर्वेदीय गुण क्या है, इससे कितने रोगों में लाभ मिल सकता हैः-

     

    सिर दर्द में कचनार के फायदे (Red Kachnar Flower Benefits in Relieving from Headache in Hindi)

    सिर दर्द होने पर लाल कचनार से लाभ मिलता है। लाल कचनार की छाल (kachnar ki chaal) को पीसकर मस्तक पर लगाने से सिर दर्द से आराम मिलता है।

    और पढ़ें – सिर दर्द में कासनी के फायदे

     

    कचनार के औषधीय गुण से दांत दर्द का इलाज (Red Kachnar Benefits for Dental Pain in Hindi)

    लाल कचनार की सूखी टहनियों को जलाकर राख बना लें। इस राख या कोयला से दांतों पर मंजन करें। इससे दांत के दर्द की बीमारी ठीक होती है।

    kachnar benefits

    और पढ़ें: दांत दर्द में पेपरमिंट के फायदे

     

    चनार के सेवन से मुंह के छाले का इलाज (Benefits of Red Kachnaar for Mouth Ulcers Treatment in Hindi)

    • कचनार वृक्ष की छाल और अनार के फूल का काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले की बीमारी में लाभ होता है।
    • 50 ग्राम कचनार वृक्ष  की छाल को आधा लीटर पानी में उबालें। जब आधा पानी रह जाए तो इस पानी से कुल्ले करें। ऐसा कोई छाला जो दूसरी दवा से ठीक नहीं हो रहा है, वह भी इस उपाय से ठीक हो जाता है।
    • इससे प्रसूति स्त्रियों को होने वाले छाले भी ठीक (kanchnar guggul ke fayde) हो जाते हैं।

    और पढ़ेंगुर्दे की पथरी निकालने में अनार जूस फायदेमंद

    कचनार के सेवन से खांसी का उपचार (Benefits of Red Kachnar Tree in Fighting with Cough in Hindi)

    कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खांसी में लाभ होता है। इस काढ़े की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

    और पढ़ेंः खांसी को ठीक करने के लिए घरेलू उपाय

     

    रक्त-विकार में कचनार के सेवन से लाभ (Red Kachnar Flower Uses for Blood Disorder in Hindi)

    कांचनार की छाल या फूल का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा को ठंडा करके शहद मिला लें। इसे दिन में दो बार सेवन करें। इससे खून साफ होता है।

    और पढ़ें खून साफ करने में जटामांसी के फायदे

    मासिक धर्म विकार में कचनार के फायदे (Benefits of Red Kachnar for Menstrual Disorder in Hindi)

    कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या में लाभ होता है। आपको 20 मिली काढ़ा को दिन में दो बार पीना है।

     

    Benefits of Red Kachnar for Menstrual Disorder

    और पढ़ेंः मासिक धर्म में कम ब्लीडिंग होने पर पपीता फायदेमंद

     

    मसूड़ों के दर्द में कचनार के औषधीय गुण फायदेमंद (Red Kachnar Uses in Gum Pain Treatment in Hindi)

    मसूड़ों में दर्द होने पर कचनार के फायदे मिलते हैं। कचनार की छाल (kachnar ki chaal) का काढ़ा बनाकर गरारा करने से मसूड़ों के दर्द ठीक हो जाते हैं।

     

    गण्डमाला रोग में कचनार का औषधीय गुण फायदेमंद (Red Kachnar Benefits for Goiter Treatment in Hindi)

    • लाल कचनार की छाल के 20 मिली काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण मिलाएं। इसे सुबह-शाम पिलाने से भी गले के गांठ की बीमारी में लाभ होता है।
    • 250 ग्राम कचनार की छाल के चूर्ण में 250 ग्राम चीनी मिलाकर रख लें। सुबह और शाम 5-10 ग्राम चूर्ण को पानी या दूध के साथ सेवन करें। इससे गण्डमाला रोग में लाभ होता है।
    • कचनार की छाल का काढ़ा बनाकर गरारा करने से कंठ के रोग ठीक होते हैं।
    • 10-20 ग्राम कांचनार छाल को 400 मिली पानी में उबालें। जब काढ़ा एक चौथाई रह जाए तो 10-20 मिली की मात्रा में पिलाएं। इससे गंडमाला रोग में लाभ होता है।
    • लाल कचनार का रस मिलाकर गले में लगाने से भी गले के रोग में लाभ होता है।

    और पढ़ें: गंडमाला में रतालू के फायदे

     

    पेट की गैस में कचनार के सेवन से फायदा (Uses of Red Kachnaar for Acidity in Hindi)

    20 मिली कांचनार की जड़ के काढ़ा में 2 ग्राम अजवायन चूर्ण डालकर पिलाएं। इससे पेट की गैस की परेशानी में लाभ होता है।

    और पढ़ें : गैस दूर करने के घरेलू उपाय

     

    पाचनतंत्र विकार में कचनार के औषधीय गुण से लाभ (Uses of Red Kachnar Flower for Digestive System in Hindi)

    indigestion

    लाल कचनार (kanchanar guggulu benefits) की 10-20 ग्राम जड़ का काढ़ा बनाकर दिन में दो बार पिएं। इससे पाचनतंत्र संबंधी विकारों में लाभ होता है।

    और पढ़ेंः पाचनतंत्र विकार में अलसी के फायदे

     

    पेट के कीड़े की आयुर्वेद दवा है कचनार (Red Kachnar Tree Uses to Treat Abdominal Bug in Hindi)

    कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे पेट के कीड़े खत्म होते हैं। उपाय को करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकिकत्सक से सलाह लें।

    और पढ़ेंः पेट में कीड़े होने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय

     

    कब्ज की आयुर्वेद दवा है कचनार (Red Kanchnar Guggulu Benefits in Fighting with Constipation in Hindi)

    • कचनार की कलियों से बने गुलकन्द को 5-10 ग्राम की मात्रा में खाने से कब्ज का इलाज होता है।
    • 2-5 ग्राम सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में चीनी मिलाकर खाने से कब्ज की समस्या में लाभ होता है

    और पढ़ें: कब्ज में टिंडा के फायदे

     

    गुदा भ्रंश (गुदा से कांच निकलना) में कचनार के फायदे (Benefits of Red Kachnar for Prolapsus Disease in Hindi)

    गुदा भ्रंश रोग अधिकांशतः शिशुओं या बच्चों को होता है। आप इसमें कचनार के औषधीय गुण से फायदा ले सकते हैं। लाल कचनार के तने की छाल को पीसकर गुदा में लगाने से गुदभ्रंश में लाभ होता है।

    बवासीर की आयुर्वेद दवा है कचनार (Red Kanchnar Guggulu Benefits for Piles (Hemorrhoids) Treatment in Hindi)

    • सुुबह 1-2 ग्राम कोविदार की जड़ के चूर्ण को छाछ के साथ सेवन करें। शाम को पचने वाला भोजन करें। इससे बवासीर में लाभ होता है।
    • लाल कचनार के तने का पेस्ट बना लें। 1-2 ग्राम पेस्ट को दही के साथ सेवन करने से बवासीर रोग में फायदा होता है।
    • कचनार की कलियों से बने गुलकन्द (kanchnar guggulu) को 5-10 ग्राम की मात्रा में खाने से बवासीर में लाभ होता है।
    • 2-5 ग्राम सूखे फूल के चूर्ण में बराबर मात्रा में मक्खन और मिश्री मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।
    • जामुन, रीठा और कचनार की छाल को पानी में उबालकर गुदा को धोने से खूनी बवासीर में फायदा होता है।
    • कांचनार फूल का काढ़ा बनाकर पीने से खूनी बवासीर की बीमारी में लाभ होता है। काढ़ा की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।

     

    Red Kanchnar Guggulu Benefits for Piles (Hemorrhoids) Treatment

    और पढ़ें: रीठा के फायदे

     

    कचनार के सेवन से ल्यूकोरिया का इलाज (Red Kachnar Guggulu Benefits for Leucorrhoea Treatment in Hindi)

    ल्यूकोरिया महिलाओं को होने वाली बीमारी है। महिलाएं इस रोग में कचनार से फायदा ले सकती हैं। 1-2 ग्राम लाल कचनार फूल की कली का चूर्ण बनाएं। इसका सेवन करने से ल्यूकोरिया रोग में लाभ होता है।

    और पढ़ें: ल्यूकोरिया में भिंडी के फायदे

    फोड़े (घाव) में कचनार का औषधीय गुण लाभदायक (Red Kachnar Heals Chronic Wounds in Hindi)

    • कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीस लें, और घाव पर पट्टी के रूप में बांधें। इससे फोड़े जल्दी पक जाते हैं।
    • घाव पर इसकी छाल को पीसकर लगाने से लाभ होता है।
    • कचनार के फूल या पत्ते के चूर्ण (2.5 ग्राम) का काढ़ा बनाएं, या फिर 20 मिली छाल का काढ़ा बनाएं। इसमें प्रवाल भस्म (250 मिग्रा) और चीनी मिलाएं। इसे दिन में तीन बार सेवन करने से घाव में फायदा होता है। इसके सेवन के बाद दूध पीना चाहिए।
    • लाल कचनार का काढ़ा बनाकर घाव को धोने से घाव सुख जाता है।

    और पढ़ेंः घाव के इलाज के लिए घरेलू उपाय

     

    रक्तपित्त (नाक-कान आदि से खून निकलना) में कचनार के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of Red Kachnar Guggulu to Stop Bleeding in Hindi)

    • 2-5 ग्राम कचनार के सूखे फूल का चूर्ण बनाएं। इसे 1 चम्मच मधु के साथ मिलाकर दिन में तीन बार चाटने से रक्तपित्त में लाभ होता है।
    • कोविदार के फूलों से बनी सब्जी (उबालने के बाद घी में भूनकर या जूस बनाकर) का सेवन करें। इससे नाक-कान आदि अंगों से खून बहना बंद हो जाता है।
    • बराबर-बराबर मात्रा में खदिरसार, फूलप्रियंगु, कोविदार तथा सेमल के फूल का चूर्ण बनाएं। इसमें 1-2 ग्राम में मधु मिलाकर सेवन करने से रक्तपित्त में लाभ होता है।

     

    कचनार के सेवन से पीलिया रोग का इलाज (Benefits of Red Kachnar Guggulu in Fighting with Jaundice in Hindi )

    पीलिया रोग जब गंभीर स्थिति में पहुंच जाता है तो जानलेवा साबित हो सकता है। पीलिया रोग के इलाज के लिए कोविदार के पत्तों का पेस्ट बना लें। व्याघएरण्ड का दूध निकालकर इसमें मिलाएं, और सेवन करें। इससे पीलिया रोग में फायदा होता है।

     

    Benefits of Red Kachnar Guggulu in Fighting with Jaundice

    और पढ़ेंः पीलिया के इलाज के लिए घरेलू उपाय

     

    भूख बढ़ाने के लिए कचनार का सेवन (Red Kachnar Guggulu Benefits for Increading Appetite in Hindi)

    भूख न लगे तो कचनार के सेवन से समस्या ठीक हो सकती है। कचनार में लिवर की कोशिकाओं को स्वस्थ करने का गुण होता है। यह लिवर विकार को दूर कर भूख को बढ़ाता ह।

    और पढ़ें: भूख बढ़ाने के लिए जीरा का सेवन फायदेमंद

     

    कचनार की छाल से कैंसर की आयुर्वेदिक दवा है कचनार (Red Kachnar is Beneficial for Cancer in Hindi)

    कचनार की छाल का प्रयोग कर कैंसर से बचाव कर सकते हैं। एक रिसर्च अनुसार, कचनार में कैंसररोधी गुण पाये जाते है। इससे कैंसर को रोकने में मदद मिलती है।

     

    कचनार के औषधीय गुण से पेचिश का इलाज (Benefit of Red Kachnar to Get Relief from Dysentery in Hindi)

    दस्त की समस्या होने पर कचनार का सेवन फ़ायदेमंद होता है। कचनार कसैला और ठंडा होता है, इसलिए यह बार-बार दस्त की समस्या को कम करता है, और अगर दस्त के साथ खून आ रहा है तो उसको भी ठीक करने में मदद करता है।

    और पढ़ेंः पेचिश में शमी का उपयोग 

     

    कचनार की पत्तियों से थायरॉइड का इलाज (Benefit of Red Kachnar Powder in Thyroid Treatment in Hindi)

    कचनार की पत्तियों का चूर्ण लेने से थायरॉइड ग्रंथि से संबंधित रोगों का इलाज होता है। यह थायरॉइड ग्रंथि के आकार को भी नियंत्रित करने में मदद करता है। 

     

    Benefit of Red Kachnar Powder in Thyroid Treatment

    पेशाब में खून आने पर कचनार का सेवन फायदेमंद (Red Kachnar Uses to Treat Urinary Disease in Hindi)

    कांचनार के फूल का काढ़ा बनाकर पिएं। इससे पेशाब में खून आने की परेशानी में लाभ होता है। इस काढ़ा की 20 मिली मात्रा को दिन में दो बार पीना चाहिए।

    और पढ़ें: मूत्र रोग में लाभ दिलाता है भुई-आंवला का सेवन

     

    रसौली और पेट फूलने की समस्या में कचनार से लाभ (Red Kanchnar Guggulu Uses for Neoplastic Disease in Hindi)

    • कचनार की जड़ को चावलों के धुले हुए पानी के साथ पीस लें। इसे पट्टी के रूप में रसौली, और पेट पर बांधें। इससे रसौली जल्दी पक जाता है। इससे पेट फूलने की समस्या भी ठीक होती है। इसकी छाल को पीसकर लगाने से भी लाभ होता है।
    • कचनार के फूल या पत्ते के चूर्ण का 2.5 ग्राम काढ़ा बना लें, या 20 मिली छाल के काढ़ा में प्रवाल भस्म (250 मिग्रा) मिला लें। इसमें चीनी मिलाकर दिन में तीन बार सेवन करने से भी रसौली, पेट फूलने की समस्या में फायदा होता है। इसके सेवन के बाद दूध पिलाना चाहिए।
    • पीले कचनार के पत्ते, छाल तथा बीजों को सिरके में पीसकर लेप करने से रसौली में लाभ होता है।

    और पढ़ें – ट्यूमर के इलाज में शिरीष के फायदे

    सफेद कचनार के फायदे और उपयोग (White Kachnar Benefits and Uses in Hindi)

    सफेद कचनार का प्रयोग इन रोगों के लिए किया जा सकता हैः-

     

    गण्डमाला रोग में सफेद कचनार के औषधीय गुण से लाभ (Benefits of White Kachnar for Goiter Treatment in Hindi)

    सफेद कचनार की छाल के चूर्ण (1-2 ग्राम) को चावल के धोवन के साथ पीने से गण्डमाला या कंठ के रोग में लाभ होता है। बेहतर लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।

     

    Benefits of White Kachnar for Goiter Treatment

    मूत्र रोग में सफेद कचनार के सेवन से लाभ (White Kachnar Benefits for Urinary Disease in Hindi)

    2-5 ग्राम कचनार के सूखे फल का चूर्ण बना लें। इसे पानी के साथ दिन में 3-4 बार सेवन करने से मूत्र रोग जैसे पेशाब का रुक-रुक कर आना, या पेशाब में दर्द होने की बीमारी ठीक होती है।

    और पढ़ें : मूत्र रोग में मरिच फायदेमंद

    सफेद कचनार के सेवन से खूनी बवासीर का इलाज (Benefits of White Kachnarfor Piles Treatment in Hindi)

    खूनी बवासीर में रोगी को बहुत परेशान होना पड़ता है। आप सफेद कचनार से खूनी बवासीर का इलाज कर सकते हैं। 1-2 ग्राम कचनार के फूल का चूर्ण का सेवन करने से खूनी बवासीर में लाभ होता है।

    और पढ़ेंः बवासीर को ठीक करने के लिए असरदार घरेलू उपाय

     

    त्वचा रोगों में सफेद कचनार का औषधीय गुण फायदेमंद (White Kachnar Benefits for Skin Disease in Hindi)

    त्वचा रोगों में भी कचनार से लाभ लिया जा सकता है। काचनार की जड़ की छाल को पीस लें। इसे लगाने से घाव, सूजन एवं अन्य प्रकार के त्वचा से संबंधित रोगों में लाभ होता है।

    और पढ़ें: सूजन की समस्या में अरबी से लाभ

     

    बुखार में सफेद कचनार के औषधीय गुण से फायदा (White Kachnar Uses in Fighting with Fever in Hindi)

    काचनार के पत्ते का काढ़ा बनाएं। इसे 10-20 मिली मात्रा में पीने से बुखार के कारण होने वाले सिर दर्द से आराम मिलता है। अधिक लाभ के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

    Cold and Fever Home remedy

     

    और पढ़ें – बुखार में मोथा से लाभ

     

    पीले कचनार के फायदे और उपयोग (Yellow Kachnar Benefits and Uses in Hindi)

    पीले कचनार का प्रयोग इन रोगों के लिए किया जा सकता हैः-

     

    पीले कचनार के औषधीय गुण से दस्त पर रोक (Benefits of Yellow Kachnar to Stop Diarrhea in Hindi)

    पीले कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे दस्त पर रोक लगती है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से सलाह लें।

    और पढ़ेंः दस्त को रोकने के लिए असरदार घरेलू नुस्खे

     

    लिवर विकार में पीले कचनार के फायदे (Yellow Kachnar Uses for Liver Disorder in Hindi)

    • पीले कंचनार की 10-20 ग्राम जड़ की छाल का काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा को सुबह-शाम पिलाने से लिवर की सूजन में लाभ होता है।
    • कचनार की जड़ और पत्ते का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। इससे लिवर के दर्द से राहत (kanchanar guggulu benefits) मिलती है।

     

    Yellow Kachnar Uses for Liver Disorder

     

    और पढ़ें – लिवर रोग में चंद्रशूर के फायदे

     

    पेचिश में पीले कचनार के औषधीय गुण से लाभ (Yellos Kachnar Benefits to Stop Dysentery in Hindi)

    • पीले कचनार के पत्ते और फूलों को सुखा लें। इसका चूर्ण बनाकर रख लें। 5 ग्राम चूर्ण का सेवन करने के बाद 2 चम्मच सौंफ का अर्क पिएं। इससे पेचिश में लाभ होता है।
    • कचनार के 10 ग्राम फूलों को जल में उबालकर छान लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से भी पेचिश में लाभ होता है।
    • 2-5 ग्राम कचनार के सूखे फल के चूर्ण को पानी के साथ पीने से भी पेचिश में लाभ मिलता है। इसे दिन में 3-4 बार सेवन करें।

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    आंतों के रोग में पीले कचनार का सेवन लाभदायक (Benefits of Yellow Kachnar to Treat Intestines Disease in Hindi)

    20 ग्राम पीले कचनार की छाल को 400 मिली पानी में पकाएं। जब काढ़ा एक चौथाई बच जाए तो इसे 10-25 मिली पिलाने से आंतों के कीड़े मर जाते हैं।

    और पढ़ेंः आंतों में कीड़े होने पर गंभारी के फायदे

     

    घाव में कीड़े पड़ने पर पीले कचनार के फायदे (Yellow Kachnar Uses for Healing Chronic Wounds in Hindi)

    पीले कचनार के पत्ते, छाल और बीजों को सिरके में पीस लें। इसका लेप करने से घाव के अन्दर के कीड़े मर जाते हैं।

    और पढ़ेंः घाव के इलाज में निर्गुण्डी के फायदे

     

    शरीर की जलन में पीले कचनार के फायदे (Benefits of Yellow Kachnar to Treat Body Irritation in Hindi)

    5 मिली कांचनार की छाल का रस निकाल लें। इसमें 2 ग्राम जीरे का चूर्ण, या 250-500 मिलीग्राम कपूर मिला लें। इसे दिन में दो बार पिलाने से शरीर की जलन शांत हो जाती है।

    और पढ़ेंः शरीर की जलन में अतिबला के पत्ते के फायदे

     

    मुंह के छाले में पीले कचनार के सेवन से लाभ (Yellow Kachnar Benefits to Treat Mouth Ulcers in Hindi)

    मुंह में छाले होना एक आम बीमारी है। इसमें कचनार के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। सफेद कचनार या पीले कांचनार की छाल का काढ़ा बना लें। इससे कुल्ला करने से मुंह के छाले की बीमारी ठीक होती है। 

     

    Yellow Kachnar Benefits to Treat Mouth Ulcers

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    सांप के काटने पर पीले कचनार के फायदे (Yellow Kachnar is Beneficial for Snack Bite in Hindi)

    सांप के काटने पर कचनार का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। पीले कचनार के बीजों को पीसकर सांप के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे सांप के काटने से होने वाले दर्द, जलन और सूजन में लाभ (kanchanar guggulu benefits) होता है।

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    कचनार के उपयोगी भाग (Useful Parts of Kachnar in Hindi)

    कचनार का प्रयोग इस तरह किया जाना चाहिएः-

    • जड़
    • पत्ते
    • छाल
    • फूल

    कचनार का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Kachnar in Hindi?)

    कचनार का इस्तेमाल इतनी मात्रा में करना चाहिएः-

    • पत्ते का रस- 12-24 मिली
    • चूर्ण- 3-6 ग्राम
    • काढ़ा- 50-100 मिली

    अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार कचनार का प्रयोग करें।

     

    कचनार कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Kachnar Found or Grown?)

    भारत के जंगलों में, हिमालय के तराई प्रदेशों और निचली पहाड़ियों पर कचनार के वृक्ष (kachnar tree) पाए जाते हैं।

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