एरण्ड नाम सुनने पर शायद थोड़ा समझने में असुविधा हो सकती है। लेकिन आपके आसानी के लिए अगर ये नाम बताऊं तो जरूर पहचान लेंगे क्योंकि अरंडी का तेल या कैस्टर ऑयल नाम से सब इसको पहचानते हैं। एरंड के आयुर्वेदिय गुणों के कारण सदियों से इसका प्रयोग स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याओं के लिए किया जाता है।
What is Arandi
Name of Arandi in different languages
Arandi benefits
Castor oil benefits ini Eye disease
Arandi leaves helps to get relief from cough
Arandi plant help to get relief from Abdominal problem
Arandi benefit in Dysentric
Arandi oil help to cure Appendicitis
Arandi leaves help to get relief from Worms
Arandi plant beneficial in weight loss
Arandi leaves for Piles
Castor oil benefits in Warts
Arandi oil beneficial in Jaundice
Arandi plant help to get relief from Kidney inflammation
Arandi help to get cure from the pain of Breast gland inflammation
Castor oil help to get relief from Delivery pain
Arandi oil help to cure Uterus inflammation
Arandi leaves help to deal with Period problems
Arandi beneficial in Sciatica
Arandi oil help to treat Arthritis
Arandi leaf beneficial in Neuralgic wounds
Castor oil help to treat Bedsores
Arandi beneficial in Skin diseases
Arandi leaves help to treat Inflammation
Arandi leaves help to reduce poison effect
Side effects of Arandi
How to consume Arandi
Where is Arandi is found or grown
एरंड के पत्ते, बीज, जड़,फूल और उनसे निकाले तेल का इस्तेमाल उपचार के तौर पर किया जाता है। आम तौर पर एरंड का इस्तेमाल आँख संबंधी समस्या, पाइल्स, खाँसी, पेट दर्द जैसे समस्याओं के लिए प्रयोग किया जाता है। चलिये आगे एरंड के बारे में विस्तार से जानते हैं-
एरंड क्या होता है (What is Arandi in hindi)
एरंड से बना हुआ अरंडी का तेल औषधी के रूप में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। लगभग हर रोग में अरंडी के तेल का इस्तेमाल किया जाता है। एरण्ड कफ और वात को कम करने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला, सूजन और दर्द कम करने वाला, अगंमर्दप्रशमनकारक, भेदन, स्नेहन, कृमिनिसारक, कफघ्न, मूत्रविशोधक, स्तन्यजनन, शुक्रशोधक, गर्भाशय-शोधक, कुष्ठघ्न तथा ज्वरघ्न होता है।
एरंड तेल स्रोतों का शोधन करने वाला, त्वचा के लिए हितकारी, वृष्य, वयस्थापक, शुक्रशोधक, योनिशोधक तथा कफवात शामक होता है।
अन्य भाषाओं में एरंड का नाम (Name of Arandi in different languages in hindi)
एरंड का वानास्पतिक नाम Ricinus communis L. (रिसिनस कॉम्युनिस) है और ये Euphorbiaceae (युफोर्बिएसी) कुल का होता है। ये Euphorbiaceae (युफोर्बिएसी)
कुल का है और अंग्रेजी में इसको Castor-oil plant (कैस्टर ऑयल प्लान्ट) कहते हैं। लेकिन भारत में अन्य प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से पुकारा जाता है। जैसे-
Sanskrit-एरण्ड, आमण्ड, चित्र, गन्धर्वहस्तक, पञ्चाङ्गुल, वर्धमान, दीर्घदण्ड, वातारि, उरुबक, चित्रबीज, उत्तानपत्रक, व्याघपुच्छ;
Hindi-अरंड, एरंड, एरंडी, रेंड़ी;
Odia-भेरोन्टा (Bheronta), ऐरॉन्डो (Erondo);
Urdu-एरण्ड (Eranda);
Assamese-इरी (Eri);
Kannada–हरलु (Haralu);
Konkani-एरेन्डी (Erendi);
Gujrati-एरंडो (Erando), एरंडियों ड़ेवेली (Erandio devili), अवुडालु (Avudalu), अवुडुल (Avudula);
Tamil-आमणककम् (Amanakkam), एरण्डम (Erandam);
Telegu-आमुडामु (Amudamu), एरंडमु (Erandamu);
Bengali-भेरेंडा (Bharenda);
Nepali-अँडेर (Ander);
Panjabi-अनेरू (Aneru), अरण्ड (Arand);
Marathi-एरंड (Erand), एरंडी (Erandi);
Malayalam–चिट्टावणकफ (Chittavanaku), आवणकका (Avanakka), अवनक्कू (Avanaku)।
English-कैस्टर बीन (Castor bean), वन्डर ट्री (Wonder tree);
Arbi-खिरवा (Khirwa), बज्रुल खिर्बआ (Bajrul khirbya);
Persian-बेद ञ्जीर (Bedanjir), तुख्मे वेद ञ्जीर (Tukhme bedanjir)।
एरंड के फायदे (Arandi benefits)
एरंड के इतने गुण है कि इसे औषधी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। तो चलिये ये किन-किन बीमारियों के लिए इस्तेमाल किया जाता है, आगे इसके बारे में पता करते हैं।
नेत्र रोग के लिए फायदेमंद कैस्टर ऑयल (Castor oil benefits ini Eye disease in hindi)
एरंड तेल के अंजन से नेत्रों में जलस्राव होता है, इसलिए इसे नेत्र-विरेचक कहते हैं। 2 बूंद एरंड तेल को नेत्रों में डालने से नेत्र विकारों का शमन होता है, कुकूणक रोग में उसकी तीक्ष्णता भी कम होती है। एरंड-पत्तों को जौ के आटे के साथ पीसकर, पुल्टिस बनाकर आँखों पर बांधने से पित्तज-नेत्रशोथ का शमन होता है।
खाँसी से दिलाये राहत एरंडी (Arandi leaves helps to get relief from cough in hindi)
500 मिग्रा एरंड पत्ते क्षार में 3 मिली तेल एवं समान भाग गुड़ मिलाकर चटाने से खांसी दूर हो जाती है।
उदर-विकार में लाभकारी एरंडी (Arandi plant help to get relief from Abdominal problem in hindi)
एरंड के बीजों की मींगी पीसकर, चार गुना गाय के दूध में पकाएं, जब खोवा (मावा) की तरह हो जाए तो उसमें 2 भाग खांड़ मिलाकर या चीनी की चाशनी मिलाकर अवलेह बना लें। प्रतिदिन 10 ग्राम खाने से पेट के बीमारी से राहत मिलती है।
जीर्ण उदर-वेदना में रोज रात्रि को सोने से पूर्व समय 200 मिली गुनगुने जल में एक नींबू का रस तथा 5-10 बूंद एरंड तेल डाल कर पीने से जीर्ण उदर-शूल में लाभ होता है।
प्रवाहिका या पेचिश से राहत दिलाने में करे मदद एरंडी (Arandi benefit in Dysentric in hindi)
प्रवाहिका में आंव और रक्त गिरता है तो आरम्भ में ही 10 मिली एरंड तेल देने से आम का प्रकोप कम हो जाता है और खून का गिरना भी कम हो जाता है।
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एपेन्डिसाइटिस से दिलाये राहत अरंडी का तेल (Arandi oil help to cure Appendicitis in hindi)
इस रोग की प्रारंभिक अवस्था में ही अरंडी का तेल 5 से 10 मिली की मात्रा में प्रतिदिन देने से सर्जरी की आवश्यकता नहीं रहती।
कृमि से निजात दिलाये अरंडी के पत्ते (Arandi leaves help to get relief from Worms in hindi)
अरंडी के पत्तों का रस नित्य 2-3 बार बच्चे की गुदा में लगाने से उदरात्र कृमि (चुन्ने) मर जाते हैं।
पेट की चर्बी करे कम अरंडी का तेल (Arandi plant beneficial in weight loss in hindi)
हरे एरंड की 20 से 50 ग्राम जड़ को धोकर कूटकर 200 मिली पानी में पकाकर 50 मिली शेष रहने पर पीने से पेट की चर्बी कम होती है।
पाइल्स के कष्ट से दिलाये राहत अरंडी (Arandi leaves for Piles in hindi)
20-30 मिली एरण्ड के पत्ते के काढ़े में 15 मिली घृतकुमारी स्वरस मिलाकर प्रात सायं सेवन करने से अर्श में लाभ होता है।
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मस्सों के लिए कैस्टर ऑयल (Castor oil benefits in Warts in hindi)
एरंड तैल और घृतकुमारी स्वरस मिलाकर मस्सों पर लगाने से जलन शान्त हो जाती है।
पीलिया में फायदेमंद अरंडी का तेल (Arandi oil beneficial in Jaundice in hindi)
-गर्भवती स्त्री को यदि कामला हो जाए और शुरूआती अवस्था हो तो, 5-10 मिली एरंड पत्र-स्वरस को प्रात काल पांच दिन तक पिलाने से कामला में लाभ होता है तथा सूजन भी दूर हो जाती है।
-5 मिली एरंड पत्र-स्वरस में 500 मिग्रा पीपल का चूर्ण मिला के नस्य देने से या अंजन करने से कामला में लाभ होता है।
-6 मिली एरण्ड मूल स्वरस में 250 मिली दूध मिलाकर पिलाने से कामला में लाभ होता है।
-20-30 मिली एरण्ड मूल-क्वाथ में 2 चम्मच मधु मिलाकर पिलाने से कामला में लाभ होता है।
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किडनी के सूजन को कम करें अंरडी का तेल (Arandi plant help to get relief from Kidney inflammation in hindi)
एरंड की मींगी को पीसकर, गर्म कर उदर के अधोभाग में लेप करने से वृक्कशूल व शोथ का शमन होता है।
ब्रेस्ट के ग्लैंड को कम करें अरंडी (Arandi help to get cure from the pain of Breast gland inflammation in hindi)
जब किसी स्त्री के स्तनों से दूध आना बन्द हो जाता है और स्तनों में गांठे पड़ जाती हैं, तब एरंड के 500 ग्राम पत्तों को 20 लीटर जल में घंटे भर उबालें तथा गुनगुने पानी की धार 15-20 मिनट त्री के स्तनों पर डाले, एरंड तेल की मालिश करें, उबले हुए पत्तों की महीन पुल्टिस स्तनों पर बांधे। गांठे बिखर जायेंगी और दूध का प्रवाह पुन प्रारम्भ हो जाएगा।
डिलीवरी का कष्ट करे कम अरंडी का तेल (Castor oil help to get relief from Delivery pain in hindi)
प्रसव-काल में कष्ट कम हो सके इसके लिए गर्भवती त्री को 5 मास बाद एरंड तेल का 15-15 दिन के अन्तर से हलका जुलाब देते रहें। प्रसव के समय 25 मिली एरंड तेल को चाय या दूध में मिलाकर देने से प्रसव शीघ्र होता है।
यूटेरस का सूजन करे कम अरंडी का तेल (Arandi oil help to cure Uterus inflammation in hindi)
-अरंडी का तेल में रूई का फाहा भिगोकर योनि में धारण करने से योनिशूल का शमन होता है।
-गर्भाशय-शोथ प्राय प्रसव पश्चात् होता है। इसमें रुग्णा को बहुत तेज ज्वर होता है। ऐसी अवस्था में एरंड के पत्तों के वत्रपूत स्वरस में शुद्ध रूई का फाहा भिगोकर योनि में रखने से लाभ होता है।
मासिक विकार की समस्या से दिलाये निजात एरंड के पत्ते (Arandi leaves help to deal with Period problems in hindi)
एरंड के पत्तों को गर्म कर पेट पर बांधने से मासिक-विकारों का शमन होता है।
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साइटिका का दर्द करे कम एरंड (Arandi beneficial in Sciatica in hindi)
10 ग्राम एरंड बीज गिरी को दूध में पकाकर, खीर बनाकर खिलाने से गृध्रसी, कटिशूल तथा आमवात में लाभ होता है एवं कोष्ठबद्धता का शमन होता है।
अंरडी का तेल अर्थराइटिस का दर्द करे कम अरंडी का तेल (Arandi oil help to treat Arthritis in hindi)
-एरंड और मेंहदी के पत्तों को पीसकर प्रभावित स्थान पर लेप करने से वातज वेदना का शमन होता है।
-10 मिली एरण्ड तेल को एक गिलास दूध के साथ सेवन करने से वातरक्त में लाभ होता है।
-एरंड के बीजों को पीसकर जोड़ों में लेप करने से छोटी सन्धियों और गठिया की सूजन मिटती है।
-कटिशूल, गृध्रसी, पार्श्वशूल, हृदय-शूल, कफजशूल, आमवात और सन्धिशोथ, इन सब रोगों में 10 ग्राम एरंड मूल और 5 ग्राम सोंठ चूर्ण का क्वाथ बना कर सेवन करना चाहिए तथा वेदना स्थल पर एरंड तेल की मालिश करनी चाहिए।
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न्यूरोजिकॉल घाव को करे कम एरंडी के पत्ते (Arandi leaf beneficial in Neuralgic wounds in hindi)
एरण्ड की कोमल कोंपलों को पीसकर लेप करने से नाड़ी-व्रण का शोधन तथा रोपण होता है।
बेड सोर में फायदेमंद अरंडी का तेल (Castor oil help to treat Bedsores in hindi)
एरंड तेल लगाने से शय्याक्षत या बेड सोर में आराम मिलता है।
स्किन डिजीज में लाभकारी एरंड (Arandi beneficial in Skin diseases in hindi)
20 ग्राम एरण्ड मूल को 400 मिली पानी में पकाकर, काढ़ा बनाकर, 100 मिली शेष रहने पर पिलाने से चर्म रोगों में लाभ होता है।
सूजन को करे कम एरंडी के पत्ते (Arandi leaves help to treat Inflammation in hindi)
एरण्ड पत्र को पीसकर लगाने से घाव और सूजन में लाभ होता है।
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विषनाशक एरंड के पत्ते (Arandi leaves help to reduce poison effect in hindi)
–30-50 मिली एरण्ड पत्र-स्वरस पिलाकर वमन कराने से सर्पदंश तथा वृश्चिकदंशजन्य दाह, वेदना आदि विषाक्त प्रभावों का शमन होता है।
-एरण्ड के 10-15 ग्राम फलों को पीस-छानकर पिलाने से अफीम का विष उतरता है।
एरण्ड का सेवन करने के दुष्परिणाम (Side effects of Arandi in hindi)
5-10 मिली लाल एरंड तेल में गर्म दूध मिलाकर पीने से योनिशूल, गुल्म, वातरक्त, हृदय रोग, जीर्णज्वर, कटि, पृष्ठ और कोष्ठशूल में लाभ होता है। लाल एरण्ड के बीजों को अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से छर्दि, मूर्च्छा तथा भ्रम उत्पन्न होता है। इसका अत्यधिक प्रयोग आमाशय के लिये भी अहितकर होता है।
एरंड का सेवन कैसे करना चाहिए (How to consume Arandi in hindi)
आयुर्वेद में एरंड के मूल, पत्र, पुष्प, बीज तथा तेल का प्रयोग औषधी के लिए किया जाता है। चिकित्सक के परामर्श के अनुसार एरंड के बीज 2-6 दानें, 10-20 मिली तेल, 20-40 मिली पत्ते का काढ़ा , 2-4 ग्राम चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
एरंड कहां पाया और उगाया जाता है (Where is Arandi is found or grown in hindi)
इसका छोटा वृक्ष या क्षुप होता है। इसके बीजों की मींगी से जो तेल प्राप्त होता है। वह एक निरापद रेचक है। कोष्ठशुद्धि के लिए यह एक परमोपयोगी औषधि तथा साथ ही यह उत्तम वात-शामक औषधि है। वात-प्रकोप से उत्पन्न कब्ज में तथा वात-व्याधियों में कम मात्रा में इसका उपयोग औषधि के रूप में भी कर सकते हैं। अर्श, भगंदर तथा गुदभ्रंश के रोगियों में एरंडपाक के सेवन से बिना जोर लगाए मल साफ होता है, जिससे रोगी को उक्त व्याधियों से होने वाले दैनिक कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। औषधि-कर्म के साथ ही यह पोषण का भी कार्य करता है। एरण्ड रक्त और श्वेत दो प्रकार का होता है। जिन वृक्षों के बीज बड़े होते हैं, उनका तैल जलाने के काम आता है और जिनके बीज छोटे होते हैं, उनका तेल औषधि में प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त व्याघएरण्ड का प्रयोग भी चिकित्सा के लिए किया जाता है।
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