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हमने अमिताभ बच्चन का सुप्रसिद्ध होली गीत लौंगा इलाची (elaichi benefits in hindi) का बीड़ा लगाया, सुना ही होगा। यह गीत मसालों की रानी के नाम से प्रसिद्ध इलायची (Green Elaichi) पर ही है। भारत के घर-घर में गरम मसालों से लेकर खीर, हलवा आदि खाद्य पदार्थों में छोटी इलायची का प्रयोग किया जाता है। पान या फिर केवल लौंग के साथ भी छोटी इलायची का इस्तेमाल होता है। भोजन के बाद मुंह को सुगंधित करने के लिए भी इलायची के सेवन किया जाता है। क्या आप जानते हैं कि इलायची केवल एक सुगंधित मसाला ही नहीं है, बल्कि यह एक अच्छी औषधि भी है। यदि आप छोटी इलायची के फायदे (elaichi ke fayde) को जान जाएं तो अनेक रोगों का स्वयं ही इलाज कर सकते हैं।
इलायची (Ilaichi) खाने के ढेरों फायदे हैं। इलायची (Chhoti Elaichi) पचने में हल्की, भूख बढ़ाने वाली और भोजन को पचाने वाली होती है। यह मुँह की बदबू दूर करती है। यह दम फूलने, जुकाम, सूखी खाँसी, बवासीर, पेशाब की समस्याओं, दर्द, गैस, खुजली आदि चर्मरोग आदि में काफी लाभकारी है।
इलायची (elaichi benefits in hindi) के बीज गैस को खत्म करते हैं, भूख बढ़ाते हैं, पेशाब की समस्या दूर करते हैं और हृदय तथा शरीर को बल प्रदान करते हैं। इसलिए इलायची के बीजों (Cardamom Seeds) का अपच, पेटदर्द, जुकाम, खाँसी, लीवर की समस्याओं, उल्टी आदि अनेक बीमारियों में प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार देखें तो छोटी इलायची के फायदे (Cardamom Health Benefits) बहुत हैं। इसका दुष्प्रभाव (Cardamom Side Effects) नहीं के बराबर है।
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छोटी इलायची (elaichi) एक सुगंधित मसाला है। इसका पौधा लगभग 10-12 फुट लंबा होता है जो समुद्र के किनारे वर्षभर पैदा होता है। यह पत्तेदार होता है। इसके पत्ते ऊपर से एकदम हरे, भाले के आकार के और दो फुट तक लंबे होते हैं। इसमें गुच्छों की तरह फल लगते हैं। सूखे हुए फल ही छोटी इलायची के नाम से जाने जाते हैं।
इलायची दो प्रकार की होती है – छोटी और बड़ी। इलायची का औषधीय महत्व (Madicinal Value of Cardamom) काफी अधिक होने के कारण आयुर्वेद और यूनानी चिकित्सा पद्धतियों में इन दोनों का ही प्रयोग किया जाता है।
छोटी इलायची (elaichi benefits in hindi) का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम इलेट्टेरिआ कार्डेमोमम् (Elettaria cardamomum Maton), Syn-Alpinia cardamomum (Linn.) Roxb. है। यह जिंजिबेरेसी कुल (Zingiberaceae) यानी अदरक के परिवार का पौधा है। इसका अंग्रेज़ी नाम लेसर कार्डेमम् (Lesser cardamom), कार्डेमम् फ्रूट (Cardamom fruit) है। छोटी या हरी इलायची के लिए संस्कृत में एला शब्द का उपयोग किया जाता है। काव्यग्रन्थों में भी छोटी इलायची के लिए एला शब्द का व्यवहार किया गया है। अन्य भारतीय भाषाओं में छोटी इलायची को निम्न नामों से बुलाया जाता है।
Green Cardamom in –
छोटी इलायची के औषधीय लाभ (Cardamom Uses And Benefits) बहुत अधिक हैं। यदि सही तरीके से इसका सेवन किया जाए तो अनेक रोगों को आप दूर भगा सकते हैं। इसके कुछ प्रयोग (Uses Of Elaichi) और फायदे (Elaichi Ke Fayde Hindi Me) यहाँ दिए जा रहे हैं।
चिंता और तनाव से सिर दर्द होना आज के जीवन में सामान्य बात है। ऐसे में दो छोटी इलायची (elaichi), 1 बड़ी इलायची तथा 1 ग्राम कपूर को पीस लें। इसे ललाट पर लगाने से दवा से भी ठीक न होने वाला सिरदर्द और तनाव आदि दूर (benefits of cardamom) होते हैं।
कम्प्यूटर और मोबाइल के इस युग में सबसे अधिक प्रभावित हमारी आँखें ही हो रही हैं। छोटे-छोटे बच्चों तक को आँख की समस्याएं होने लगी हैं और उन्हें चश्मा चढ़ने लगा है।
आँखों में अँधेरा छाता हो, आँखें चौंधियाती हों या आँखों में फुंसी हो गई हो तो छोटी इलायची के चूर्ण (cardamom powder) को बारीक मलमल के कपड़े से छान लें। इसमें तीन दिन तक बकरे के मूत्र में भिगो कर छाया में सुखाएं। इस चूर्ण को आँखों में काजल की तरह लगाएं। इससे आँखों की शुद्धि होगी और उपरोक्त सभी रोग ठीक (benefits of cardamom) होंगे।
रोजाना एक चम्मच मधु के साथ एक इलायची खाने से आँखों की रौशनी बढ़ती है, उसके तंत्रिका-तंत्र को बल मिलता है और आँखों के सामान्य स्वास्थ्य की रक्षा होती है।
मुँह में किसी भी प्रकार का संक्रमण हुआ हो अथवा मुँह में छाले पड़ गए हों। दाँतों या मसूड़ों में सड़न के कारण मुँह से दुर्गंध आती हो तो दालचीनी, नागरमोथा, इलायची (elaichi) तथा धनियाँ बराबर मात्रा में लें।
इसका चूर्ण बनाकर मिलाकर 125 मि.ग्रा. की वटी बना लें। इस वटी को मुँह में रख कर चूसें या चूर्ण का मंजन करें। इसके बाद इसे पानी में घोल बनाकर उससे गरारा करें। इससे मुँह का संक्रमण दूर (benefits of cardamom) होगा।
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अधिक तेज बोलने से अथवा सर्दियों के कारण गले में खराश होना या फिर आवाज बैठना एक सामान्य समस्या है। कई बार गले के अंदर लटकने वाली छोटी जीभ में सूजन हो जाती है, उसके कारण भी गले में समस्या होती है। ऐसी कोई भी समस्या होने पर छोटी इलायची (elaichi) तथा दालचीनी को पानी में उबाल लें। इसे पानी से थोड़ी देर तक मुँह में रखे रहने और उसके बाद कुल्ला करने से गले की सूजन, आवाज बैठना आदि रोगों में लाभ होता है।
किसी भी कारण से आवाज बैठी हो अथवा गले में खराश हो, तो सुबह उठते समय और रात को सोते समय छोटी इलायची (Chhoti Elaichi) चबा-चबाकर खा लें तथा ऊपर से गुनगुना पानी पी लें। काफी लाभ होगा।
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आज के प्रदूषण भरे वातावरण के कारण लोगों को सूखी खाँसी तथा दम फूलने की शिकायत अक्सर हो जाती है। इलायची तथा काली मिर्च की बराबर मात्रा का काढ़ा बना लें। इस 10-20 मि.ली. काढ़े में खांड़ मिलाकर पीयें। इससे सूखी खाँसी तथा सांसों के फूलने की परेशानी ठीक होती है।
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छोटी इलायची रक्त संचार (खून के बहाव) को ठीक बनाए रखती है जो कि हृदय के लिए काफी लाभकारी होता है। छोटी इलायची चूर्ण (cardamom powder) तथा पिप्पली की जड़ के चूर्ण को बराबर मात्रा में मिला लें। इसकी 1-2 ग्राम की मात्रा को दोगुने घी में मिलाकर खाने से हृदय रोग तथा गैस के कारण होने वाले सीने में दर्द में लाभ होता है।
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इलायची (elaichi) पेट में गैस और एसिडिटी में राहत देती है। यदि आपको भोजन के बाद एसिडिटी होती हो तो भोजन के बाद नियमित रूप से इलायची का सेवन करें। यह भोजन को पचाने में भी लहायक है।
लंबी यात्रा आदि में कई बार पेशाब को रोकने के कारण पेट में गैस हो जाती है। ऐसी स्थिति में आधा से एक ग्राम इलायची चूर्ण को कांजी के साथ पीने से पेट की गैस में लाभ (cardamom benefits) होता है।
सोने के पहले एक पका केला तथा एक इलायची का सेवन करने से अपच, एसिडिटी, कब्ज आदि और खून की उल्टी आदि में लाभ होता है।
यदि अधिक केले खाने के कारण पेट में दर्द हो रहा हो तो इलायची खाएं, तुरंत आराम मिलेगा।
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500 मिग्रा एलादि चूर्ण में मधु तथा मिश्री मिलाकर सेवन करने से वात, पित्त और कफ में से किसी के भी कारण होने वाली उल्टी बंद होती है।
इलायची, धान का लावा, लौंग, नागकेशर, पिप्पली, प्रियंगु, बदर मज्जा, नागरमोथा तथा सफेद चंदन को मिलाकर चूर्ण बना लें। इसकी 1-2 ग्राम में मिश्री तथा शहद मिलाकर सेवन करने से हर प्रकार की उल्टी बंद (cardamom benefits) होती है।
जीरा बीज के 10-15 मिली काढ़े में 500 मिग्रा इलायची बीज का चूर्ण (cardamom powder) मिलाकर सेवन करने से पित्त की अधिकता यानी एसिडिटी के कारण आने वाले चक्कर, उल्टी आदि समाप्त होते हैं।
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इलायची को पानी में उबालकर उस पानी को 10-15 मिली मात्रा में सेवन करने से पेचिश, लूज मोशन, तथा पेशाब की समस्या में लाभ (cardamom benefits) होता है।
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125 मिग्रा इलायची बीज चूर्ण को दूध में उबालकर, मधु मिला लें। इसे रोजाना सोने से पहले सेवन करने से नपुंसकता तथा शीघ्रपतन रोग में लाभ होता है। (इलायची (cardomom) का अत्यधिक प्रयोग 4 नहीं करना चाहिए अन्यथा नपुंसकता हो सकती है।)
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इलायची रक्त का संचार ठीक करती है। यदि पंचकर्म चिकित्सा में रक्तमोक्षण करने में खून ठीक से नहीं बह रहा हो तो इलायची, कूठ, तगर आदि के बारीक चूर्ण में नमक तथा तेल मिलाकर घाव के मुख पर रगड़ देने से खून ठीक से बहने लगता है।
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रात में सोने के पहले छोटी इलायची के बीज चूर्ण को सूंघने से मिर्गी, मानसिक अवसाद तथा याद्दाश्त की कमी में लाभ (elachi uses) होता है।
इलायची चूर्ण – 500 मिग्रा से 1 ग्राम
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्श के अनुसार छोटी इलायची (cardomom) का प्रयोग करें।
बीज (Cardamom Seeds)
फल
तेल
सामान्यतः इलायची खाने से कोई नुकसान नहीं होता, लेकिन कई बार अधिक मात्रा में इलायची के सेवन से कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं, जो ये हैंः-
पथरी के रोगियों को भी इलायची का सेवन करने से पहले चिकित्सक का परामर्श लेना चाहिए। यह पथरी का दर्द उत्पन्न कर सकती है।
इलायची यदि ठीक से न पचे तो गॉल ब्लैडर की पथरी भी बनाती है।
इलायची के अधिक सेवन से नपुसंकता की परेशानी भी हो सकती है।
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छोटी इलायची सामान्यतः समुद्र के किनारे पाई जाती है। इसकी खेती विश्व में भारत, श्रीलंका एवं म्यांमार में की जाती है। भारत के दक्षिण भागों में 750-1500 मीटर की ऊँचाई पर कर्नाटक, केरल एवं तमिलनाडू आदि राज्यों के पश्चिमी घाट के सदाहरित वनों में भी इलायची पाई जाती है।
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