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Chukrika: चुक्रिका दूर करे कई बीमारियां- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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चुक्रिका का परिचय (Introduction of Chukrika)

चुक्रिका जड़ी बूटी के बारे में शायद ही किसी को पता होगा। हिन्दी में चुक्रिका को अम्बारी या पालंग साग कहते हैं लेकिन अंग्रेजी में इसको Bladder dock (ब्लैडर डॉक) कहते हैं। चुक्रिका को आयुर्वेद में पेट संबंधी बीमारियां पेचिश, दस्त, उल्टी, पीलिया जैसे बीमारियों के लिये सबसे ज्यादा औषधि के रूप में सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाता है। चलिये आगे इस अनजाने जड़ी बूटी चुक्रिका के बारे में विस्तार से जानते हैं।

चुक्रिका क्या है? (What is Chukrika in Hindi)

वैसे तो चुक्रिका की कई प्रजातियां होती हैं। आम तौर पर चुक्रिका की पत्तियों एवं कोमल डंठलों का साग बनाया जाता है। इसकी पत्तियां तथा डंठल खट्टा होता है। यह उभयलिंगी, अरोमिल, चिकना, 15-30 सेमी लम्बा, वर्षायु शाकीय पौधा होता है। इसके पत्ते सरल, 2.5-7.5 सेमी लम्बे, अण्डाकार तथा आधार पर शंक्वाकार, 3-5 शिरायुक्त तथा खट्टे होते हैं। इसके फूल 2.5-3.8 सेमी लम्बे, सफेद या गुलाबी रंग के होते हैं। इसके फल 1.2 सेमी व्यास या डाईमीटर के, छोटे, सफेद अथवा गुलाबी रंग के होते हैं। इसका पुष्पकाल एवं फलकाल जुलाई से दिसम्बर तक होता है।

चुक्रिका स्वाद में हल्का मधुर और अम्लिय होता है, लेकिन इसकी तासीर गर्म होती है। यह शरीर में वात दोष को कम करने वाला , कफपित्त ,रुचि और भूख बढ़ाने वाला होता है। सारक यानि लैक्सिटिव, पथ्य या आहार तथा देर से पचने वाला होता है।

यह गुल्म या ट्यूमर, दर्द, अग्निमांद्य या पाचन, हृदय की पीड़ा, आमवात (Rheumatoid arthritis) में फायदेमंद होता है। इसके पत्ते मूत्रल यानि डाइयूरेटिक तथा मृदुरेचक या लैक्सिटिव होते हैं।

इसका पौधा रेचक, आमाशयिक क्रियावर्धक (Stomachic), ठंडा, शक्तिवर्द्धक तथा दर्दनिवारक होता है।

यह दर्दनिवारक, ज्वरघ्न (Febrifuge), स्तम्भक (बुखार कम करने वाली दवा), मूत्रल (डाइयूरेटिक), मृदुविरेचक (लैक्सिटिव), भूख तथा शक्ति बढ़ाने वाले गुणों वाली होती है।

अन्य भाषाओं में चुक्रिका के नाम (Names of Different Chukrika in Different Languages)

चुक्रिका का वानास्पतिक नाम Rumex vesicarius Linn. (रूमेक्स वेसीकेरियस) Syn-Acetosa vericaria (Linn.) A. Love होता है। चुक्रिका Polygonaceae (पॉलीगोनेसी) कुल का है और इसको अंग्रेजी में Bladder dock (ब्लैडर डॉक) कहते हैं। भारत के विभिन्न प्रांतों में चुक्रिका को भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है।

Chukrika in-

Sanskrit-चुक्रिका, शतवेधनी, चुक्रा, पत्राम्ला;

Hindi-चूका शाक, अम्बारी, पालंग साग;

Urdu-चूकक साग (Chukak saag);

Assamese-सुखासाग (Sukhasag);

Kannada-हुलीचकोत (Hulichkot), सुक्की सोप्पू (Sukki soppu);

Gujrati-चुको (Chuko), खारी भाजी (Khari bhaji);

Tamil-शाकन किराई (Shakkankirai);

Telugu-चूकाकुरा (Chukkakura);

Bengali-चूका (Chuka), पालंग (Palang);

Punjabi-खट्टा-मीठा (Khatta mitha), खटितन (Khattitan)।

English-सौरेल (Sorrel), रेड सौरेल (Red sorrel), ब्लैडर डॉक (Bladder dock);

Arbi-हमाज (Hamaz), हुमर बोस्टनी (Humarbostani);

Persian-तुरशक बड़ा (Turshak bada), तुर्रे खुरासानी (Ture khurasani)।

चुक्रिका के फायदे (Benefits and Uses of Chukrika in Hindi)

अभी तक आपने चुक्रिका के बारे में जाना लेकिन क्या यह जानना नहीं चाहेंगे कि किन-किन बीमारियों के लिए चुक्रिया का प्रयोग किया जाता है। चलिये अब इसके बारे में जानते हैं-

प्रवाहिका या पेचिश में फायदेमंद चुक्रिका (Chukrika Benefits in Dysentry in Hindi)

किसी खाने से संक्रमण हो जाने पर दस्त की स्थिति और भी बदतर हो जाने पर मल के साथ खून आने लगता है तो यह स्थिति शरीर के लिए गंभीर हो जाती है। चुक्रिका के भूने हुए बीजों को 1-2 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से प्रवाहिका में लाभ होता है।

अतिसार या दस्त में चुक्रिका के फायदे (Benefits of Sorrel to Get Relief from Diarrhea in Hindi)

अगर ज्यादा मसालेदार खाना, पैकेज़्ड फूड या बाहर का खाना खा लेने के कारण दस्त है कि रूकने का  नाम ही नहीं ले रहा तो चुक्रिका का घरेलू उपाय बहुत काम आयेगा।

-चांगेरी, चुक्रिका तथा दुग्धिका का जूस बनाकर 20 मिली जूस में दही, घी तथा अनार बीज मिलाकर खाने से अतिसार में लाभ होता है।

-टी.बी. के कारण उत्पन्न अतिसार में चांगेरी, चुक्रिका तथा दुग्धिका के (15-20 मिली) पत्ते के रस से बने खड्यूष में घी तथा अनार का रस मिलाकर पीने से लाभ होता है।

छर्दी या उल्टी से दिलाये राहत चुक्रिका (Sorrel Leaves Beneficial in Vomiting in Hindi)

अक्सर किसी बीमारी के वजह से या खान-पान में गड़बड़ी होने के कारण उल्टी महसूस हो तो चुक्रिका से किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। ताजे पत्ते का रस (5-10 मिली) में तक्र मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पित्त के कारण हुए उल्टी या छर्दि से राहत मिलती है।

रक्तार्श या खूनी बवासीर में चुक्रिका के फायदे (Chukrirka Benefits in Hemorrhoids in Hindi)

अक्सर कब्ज के कारण या किसी बीमारी के वजह से बवासीर की स्थिति गंभीर हो जाती है और उससे खून निकलने लगता है।

-10-15 मिली चुक्रिका रस तथा दही से बने खड्यूष के सेवन से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में रक्त का बहना रुक जाता है।

-चुक्रिका, नागकेशर तथा नीलकमल इनके रस या काढ़े द्वारा यथाविधि तैयार की गयी लावा के पेय का सेवन करने से रक्तार्श (खूनी बवासीर) में लाभ होता है।

और पढ़ेरक्तार्श में कास के फायदे

कामला या पीलिया में लाभकारी चुक्रिका (Benefits of Chukrika in Jaundice in Hindi)

अगर आपको पीलिया हुआ है और आप इसके लक्षणों से परेशान हैं तो चुक्रिका का सेवन इस तरह से कर सकते हैं। 10-15 मिली चुक्रिका पत्ते के रस में तक्र मिलाकर दिन में 3 बार सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।

रक्त संबंधी बीमारियों में फायदेमंद चुक्रिका (Sorrel to Treat Blood related Diseases in Hindi)

5-10 मिली चुक्रिका-जड़ का रस या फाण्ट का सेवन करने से रक्त शुद्ध होकर रक्त संबंधित बीमारियों में लाभ होता है।

दांत दर्द से दिलाये राहत चुक्रिका (Chukrika Beneficial in Tooth Ache in Hindi)

अगर दांत दर्द से परेशान हैं तो चुक्रिका का इस तरह से सेवन करने पर जल्दी आराम मिलता है।

और पढ़े: दांत दर्द के लिए घरेलू इलाज

कान दर्द में चुक्रिका के फायदे (Benefits of Chukrika to Get Relief from Ear Pain in Hindi)

अगर सर्दी-खांसी या  किसी बीमारी के साइड इफेक्ट के तौर पर कान में दर्द होता है तो चुक्रिका से इस तरह से इलाज करने पर आराम मिलता है। चुक्रिका रस को हल्का गर्म करके 1-2 बूंद कान में डालने से कान के दर्द से राहत मिलती है।

सांप के काटने पर चुक्रिका का प्रयोग (Uses of Chukrika for Snake Bite in Hindi)

चुक्रिका का औषधीय गुण सांप के विष के असर को कम करने में काम आता है। चुक्रिका पत्ते के पेस्ट को सांप के काटे हुए स्थान पर लगाने से दर्द और जलन जैसे विषाक्त प्रभावों का असर कम हो जाता है।

और पढ़े: सांप के काटने पर चुक्रिका के फायदे

बिच्छु का असर करे कम चुक्रिका (Chukrika Beneficial in Scorpion Bite in Hindi)

चुक्रिका बिच्छु के काटने पर विष के असर को कम करने में मदद करता है। चुक्रिका के बीजों को भूनकर, पीसकर बिच्छू के दंश स्थान पर लगाने से दंश के कारण होने वाले जलन तथा दर्द से राहत मिलती है।

चुक्रिका का उपयोगी भाग (Useful Parts of Chukrika)

आयुर्वेद में चुक्रिका में पत्ते, बीज एवं पञ्चाङ्ग का प्रयोग औषधि के रूप में सबसे ज्यादा किया जाता है।

चुक्रिका का इस्तेमाल कैसे किया जाता है? (How to Use Chukrika in Hindi?)

बीमारी के लिए चुक्रिका के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए चुक्रिका का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें। चिकित्सक के परामर्शानुसार-

-5-20 मिली पत्ते का रस

-1-2 ग्राम बीज का चूर्ण

चुक्रिका के साइड इफेक्ट (Side Effects of Sorrel in Hindi)

चुक्रिका में ऑक्जलेट की उपस्थिति के कारण इसका अति मात्रा में सेवन घातक हो सकता है।

चुक्रिका कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Chukrika or Sorrel Found and Grown in Hindi?)

यह विश्व में दक्षिण पश्चिम एशिया, अफगानिस्तान, ईरान, पाकिस्तान एवं उत्तरी अफ्राप्का में पाया जाता है। समस्त भारत में यह मुख्यत उत्तराखण्ड, त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल, पंजाब एवं बिहार में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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