भारतीय महिलाओं में कम उम्र में ही दिखने लगें हैं मेनोपॉज के लक्षण : रिसर्च

भारतीय महिलाओं में कम उम्र में ही दिखने लगें हैं मेनोपॉज के लक्षण

उम्र बढ़ने के साथ साथ महिलाओं के शरीर में कई तरह के परिवर्तन होते रहते हैं। 10-15 साल के बीच में महिलाओं में मासिक धर्म की शुरुआत होती है जो लगभग 45-50 की उम्र तक चली है। आमतौर पर 45 से 50 की उम्र के बीच में महिलाओं का मासिक चक्र बंद हो जाता है। इस अवस्था को ही रजोनिवृति या मेनोपॉज कहते हैं। मेनोपॉज के दौर से हर महिला गुजरती है और इस अवस्था के बाद महिलाओं की गर्भधारण की क्षमता समाप्त हो जाती है।

हाल ही में हुए एक अध्ययन में भारतीय महिलाओं के मेनोपॉज के दौर को लेकर कुछ नए खुलासे हुए हैं। शोध के अनुसार एक से दो प्रतिशत भारतीय महिलाएं 29-34 साल के बीच में ही मेनोपॉज का अनुभव करती हैं। इसके अलावा 35-39 साल के बीच वाली महिलाओं में मेनोपॉज का आंकड़ा 8% तक बढ़ जाता हैं। नोवा इवी फर्टिलिटी और इवी स्पेन द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि कोकेशियन महिलाओं की तुलना में भारतीय महिलाओं के अंडाशय छह साल अधिक तेज हैं। उनका कहना है कि इसके परिणाम बहुत गंभीर हैं।

आज के समय में भारतीय जोड़े पढ़ाई और कैरियर के चक्कर में देर से विवाह करते हैं और महिलायें गर्भधारण भी देर से ही करती हैं। उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि भारतीय महिलाओं की जैविक घडी से तेजी से आगे बढ़ रही है। हाल ही में हुए कुछ अन्य अध्ययनों में 36 साल से कम उम्र वाली भारतीय महिलाओं में बांझपन के सामान्य कारण पाए गये।

नोवा इवी फर्टिलिटी में कंसल्टेंट डॉ. पारुल सहगल ने कहा कि आज कल की महिलाओं में पीओएफ (premature ovarian failure) की समस्या बढ़ती जा रही है। समय से पहले अंडाशय में खराबी होने की समस्या को ही प्रीमैच्यौर ओवेरियन फेल्योर के रुप में जाना जाता है। इस बीमारी के कारण लगभग 35 साल से कम उम्र में ही अंडाशय में अंडाणुओं की संख्या में कमी आने लगती है जबकि सामान्य तौर पर महिलाओं में 40-45 साल तक की उम्र तक अंडे बनते रहते हैं। पीएफओ के कारण अंडाशय ठीक से काम करना बंद कर देते हैं और एस्ट्रोजन हार्मोन का उत्पादन कम होने लगता है। इस वजह से गर्भधारण में मुश्किलें आने लगती हैं।

रिसर्च के अनुसार इस समस्या की वजह से महिलाओं में बांझपन का खतरा बढ़ रहा है। मासिक धर्म में अनियमितता भी पीएफओ का एक मुख्य लक्षण है। इसके अलावा रात में पसीना आना, नींद न आना, स्ट्रेस, मूड बदलना, योनि में सूखापन, कामेच्छा में कमी, सेक्स करते समय दर्द होना इस बीमारी के प्रमुख लक्षण हैं।

साभार : IANS 

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