
मौसमी बदलाव, खासकर सर्दियों के दौरान, जुकाम–खांसी, थकान और कमजोर इम्यूनिटी का खतरा बढ़ा देते हैं। जहाँ आधुनिक चिकित्सा इन लक्षणों से तुरंत राहत देती है, वहीं आयुर्वेद हमारे शरीर की इम्यूनिटी को मजबूत करने वाली मूल शक्ति — ओजस — को बढ़ाने पर ध्यान देता है।
TATA 1mg के आयुर्वेदिक मेडिकल विशेषज्ञ डॉ. दीपक के अनुसार, मजबूत इम्यूनिटी सिर्फ सप्लीमेंट्स लेने से नहीं बनती। यह तब बनती है जब आप अपनी दिनचर्या को प्रकृति के अनुरूप करते हैं और शरीर को प्राकृतिक जड़ी-बूटियों से पोषण देते हैं।
सदियों से उपयोग की जाने वाली कई आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ एंटीबैक्टीरियल, एंटीवायरल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होती हैं, जो शरीर को इंफेक्शन से बचाने और संपूर्ण स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखने में मदद करती हैं।
आइए जानते हैं ऐसी ही 9 प्रसिद्ध आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों (ayurvedic herbs for immunity in hindi) के बारे में, साथ ही सर्दियों में इन्हें इस्तेमाल करने के आसान तरीके।
1.गिलोय

आयुर्वेद में गिलोय को “अमृत” यानी अमरत्व की जड़ कहा गया है। डॉ. दीपक के अनुसार, गिलोय की शक्तिशाली इम्यूनोमॉड्यूलेटरी क्षमता बार-बार होने वाली सर्दी–खांसी और मौसमी बुखार में मदद करती है।
कैसे लें?
-गिलोय का पाउडर या रस शहद में मिलाकर लें।
-इसे गुनगुने पानी में मिलाकर भी लिया जा सकता है।
-इसके अलावा गिलोय सिरप (अमृतारिष्ट), कैप्सूल और सात्व (एक्सट्रैक्ट) भी उपलब्ध हैं।
2. आँवला
आँवला एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन C और B से भरपूर होता है। ये तत्व शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालते हैं और फ्री-रेडिकल्स से बचाते हैं। आँवला में मौजूद एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम करते हैं और इम्यूनिटी बढ़ाने एवं इन्फेक्शन से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं।
कैसे लें?
-सुबह खाली पेट ताज़ा आँवला या उसका रस पिएँ।
-बच्चों के लिए आँवले का मुरब्बा या च्यवनप्राश बहुत लाभकारी है।
-इसके अलावा आँवला जूस, कैंडीज, कैप्सूल, मुरब्बा आदि रूपों में भी उपलब्ध है।
3. कालमेघ (एंड्रोग्राफिस)
बहुत कड़वा लेकिन बहुत ज्यादा असरदार। इसे “भूमिनिम्ब” भी कहा जाता है। इसके एंटीवायरल और एंटीपायरेटिक गुण सर्दी–जुकाम और फ्लू से बचाव में सहायक हैं।
कैसे लें?
-¼–½ चम्मच पाउडर गुनगुने पानी के साथ दिन में एक बार।
-टैबलेट/कैप्सूल पैक पर दिए निर्देशों अनुसार।
-सूखे पत्तों की काढ़ा या चाय बनाकर भी ले सकते हैं।
4. तुलसी

तुलसी के औषधीय गुण इतने प्रभावी हैं कि हज़ारों सालों से भारत के लगभग हर घर में तुलसी जरूर होती है। इसके इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण एंटीबॉडीज़ को बढ़ाते हैं और इन्फेक्शन के खतरे को कम करते हैं।
कैसे लें?
-सुबह तुलसी की चाय पिएँ (3–4 पत्ते उबलते पानी में डालें)।
-तुलसी पत्र चूर्ण, बीज चूर्ण और जूस भी उपलब्ध है।
5. अदरक
आयुर्वेद में अदरक का उपयोग पाचन को बेहतर बनाने, इम्यूनिटी बढ़ाने और गैस्ट्रिक समस्याओं को दूर करने में किया जाता रहा है।
कैसे लें?
-अदरक, नींबू और शहद मिलाकर चाय बनाएँ।
-कच्चा अदरक भोजन से पहले खा सकते हैं।
-¼ चम्मच अदरक पाउडर शहद या पानी में मिलाकर लें।
-तुलसी और काली मिर्च के साथ काढ़ा बनाकर भी ले सकते हैं।
6. शहद

यह प्राकृतिक रूप से खांसी से वाला (कफ सप्रेसेंट) है। इसके एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सर्दी–जुकाम से राहत दिलाते हैं।
कैसे लें?
-खांसी में सोने से पहले 1 चम्मच शहद लें।
-रोज 1 बड़ा चम्मच शहद गुनगुने पानी में मिलाकर पिएँ।
-अदरक, तुलसी या अन्य हर्बल काढ़ों में मिलाकर लें।
नोट: 1 साल से कम उम्र के बच्चों को कभी शहद न दें।
7. तालीसपत्र
पुरानी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी, जो श्वसन संक्रमण (respiratory tract infections), सर्दी–जुकाम और कंजेशन (congestion) में फायदा पहुंचाती है।
कैसे लें?
-सूखे पत्तों का काढ़ा या इंफ्यूजन बना सकते हैं।
-शहद के साथ मिलाकर भी लिया जा सकता है।
-सर्दियों में इसका नियमित सेवन श्वसन तंत्र को स्वस्थ रखता है।
8. पुदीना
पुदीने को भारत में इसके औषधीय गुणों की वजह से बहुत पुराने समय से इस्तेमाल किया जाता रहा है। इसके शीतल गुण मौसम की वजह से होने वाले श्वसन संक्रमण ( seasonal respiratory tract infections) में फायदा पहुँचाते हैं और पाचन को बेहतर बनाते हैं।
कैसे लें?
-ताजे पुदीने की चटनी बनाकर खाएं।
-सूखे पुदीने को सलाद और दही में मिलाएँ।
-गर्म पानी में पुदीने की कुछ पत्तियों को डालकर चाय बनाकर पिएं (पानी उबालना नहीं है, सिर्फ गर्म करें)।
9. हल्दी
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन एक पॉवरफुल एंटी-इंफ्लेमेटरी एवं एंटीऑक्सीडेंट है, जो शरीर को इन्फेक्शन से बचाता है।
कैसे लें?
-भोजन बनाते समय उसमें चुटकी भर हल्दी डालें।
-रात को सोने से पहले हल्दी वाला गर्म दूध पिएँ।
सर्दियों में जुकाम–फ्लू से बचने के लिए अपनाएं ये आसान उपाय
-पर्याप्त पानी पिएँ।
-भरपूर नींद लें।
-ज्यादा स्ट्रेस न लें।
-नियमित रूप से हाथ धोएँ।
-बीमार लोगों से दूरी बनाए रखें।
-पौष्टिक भोजन करें।
-इसके अलावा आप रोज विटामिन C, जिंक और विटामिन D सप्लीमेंट भी ले सकते हैं।
-हर साल फ्लू-शॉट जरूर लगवाएं।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न: इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा असरदार आयुर्वेदिक जड़ी बूटी (ayurvedic herbs for immunity in hindi) कौन सी है?
गिलोय सबसे शक्तिशाली इम्यूनोमॉड्यूलेटरी है। तुलसी और अदरक भी रोज लेने के लिए काफी ज्यादा फायदेमंद हैं।
प्रश्न: क्या सभी नौ जड़ी-बूटियाँ एक साथ ले सकता/सकती हूँ?
जरूरी नहीं। अपने शरीर के अनुसार 2–3 जड़ी-बूटियाँ चुनें, जैसा डॉ. दीपक सलाह देते हैं।
प्रश्न: क्या कालमेघ सबके लिए उपयुक्त है?
कालमेघ एक बहुत ही शक्तिशाली जड़ी बूटी है और इसका उपयोग केवल आयुर्वेदिक डॉक्टर से परामर्श लेने के बाद ही किया जाना चाहिए।
प्रश्न: क्या इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए बच्चों को ये जड़ी-बूटियां देना सुरक्षित है?
तुलसी, शहद (1 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए) और अदरक जैसी कुछ सौम्य जड़ी-बूटियाँ बच्चों के लिए सुरक्षित हैं। हालाँकि, बच्चों के लिए मात्रा कम रखनी चाहिए।
प्रश्न: इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए मुझे दिन में कितनी बार च्यवनप्राश लेना चाहिए?
इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए च्यवनप्राश की रोजाना सिर्फ 1 से 2 चम्मच पर्याप्त हैं। लेकिन अगर आपको कोई कन्फ्यूजन हो तो अपने डॉक्टर से परामर्श लें।
प्रश्न: क्या शहद खांसी में असरदार है ?
जी हां, शहद प्राकृतिक रूप से खांसी को ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा यह रात में सोते समय भी आपको खांसी से राहत प्रदान करता है, जिससे आप ज्यादा सुकून भरी नींद ले पाते हैं ।
प्रश्न: बार-बार होने वाली सर्दी, खांसी या बंद नाक की समस्या के लिए कौन सी जड़ी बूटी सबसे प्रभावी है?
तुलसी, लौंग, तालीसपत्र और पुदीना समस्याओं से राहत दिलाकर श्वसन तंत्र को मजबूत करते हैं।
प्रश्न: क्या आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ फ्लू-शॉट की जरूरत को खत्म कर देती हैं?
नहीं। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियाँ आपके इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाने में मदद करती हैं। लेकिन, मौसमी फ्लू के इन्फेक्शन से खुद को पूरी तरह से बचाने का एकमात्र तरीका फ्लू का टीका लगवाना ही है।
(इस लेख की समीक्षा डॉ. स्वाति मिश्रा, मेडिकल एडिटर ने की है)
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