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लाल मिर्च की बात याद आते ही तीखा, चटपटा स्वाद मुँह में आ जाता है। हर भारत के रसोईघर में व्यंजन में स्वाद लाने के लिए लाल मिर्च का उपयोग किया जाता है। लेकिन अयुर्वेद में लाल मिर्च का इस्तेमाल औषधी के रूप कैसे किया जाता है चलिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
लाल मिर्च अपने तीखे स्वभाव के कारण बहुत प्रसिद्ध है, यह कटु रस और लार निकलने वाले द्रव्यों में प्रधान है। कच्चे अवस्था में इसके हरे फलों का उपयोग अचार और शाक बनाने में होता है, तथा पके और लालफल, शुष्क अवस्था में मसाले के लिए उपयोग में लाए जाते हैं।
लाल मिर्च कफ वात को दूर करने वाला, पित्त को बढ़ाने वाला, वात को हरने वाला, हृदय को उत्तेजित करने वाला, मूत्र को बढ़ाने वाला, वाजीकरण या काम की इच्छा जाग्रत करने वाला और बुखार में फायदेमंद होता है। इसके तीखे प्रकृति के कारण यह लार निकलने में मदद करता है और खाने को हजम करने में मदद करता है।
लाल मिर्च का वानास्पतिक नाम Capsicum annuum Linn. (केप्सिकम एनुअम)
Syn-Capsicum abyssinicum A. Rich., Capsicum dulce Dunal कहते हैं। लाल मिर्च Solanaceae (सोलैनेसी) कूल का है। लाल मिर्च को अंग्रेजी में Red chillies (रेड चिलीज) कहते हैं। लाल मिर्च भारत के विभिन्न प्रांतों में भिन्न-भिन्न नामों से जाना जाता है। जैसे-
Red Chilli in-
Sanskrit-लंका, कटुवीरा, रक्तमरिच, पित्तकारिणी;
Hindi-लाल मिर्ची;
Kannada-मेनासिन (Menasin), हंसिमेनसु (Hansimenasu);
Gujrati-मरचा (Marcha);
Tamil-सिलागे (Silage), मिलागई (Milagai), उसीमुलागे (Usimulagay);
Telegu-मिर्चा काया (Mircha kaya), सुदमिराप काया (Sudmirapa kaya);
Bengali-लंका मोरिच (Lanka morich), गाछमरिच (Gach marich);
Nepali-खुसीनी (Khusini);
Marathi-लाल मिर्चा (Lal mircha), मुलुक (Muluk);
Malayalam-चली (Chalie), मूलकू (Mulaku)।
English-बर्ड आई चिल्ली (Birds eye chilli), रेड पेपर (Red pepper), स्वीट पेपर (Sweet pepper), ग्रीन पेपर (Green pepper), गिनिया पेपर (Guinea pepper);
Arbi-फिलफिली अहमर (Filfiliahmar), फिलफिलिआमर (Filfiliamar);
Persian-फिफिलीसुर्ख (Fifilisurkh)।
लाल मिर्च न सिर्फ खाने का ज़ायका बढ़ाता है बल्कि आयुर्वेद में को बीमारियों के लिए औषधि के रुप में भी प्रयोग किया जाता है। आगे जानते हैं कि कैसे लाल मिर्च का प्रयोग बीमारियों के लिए किया जाता है-
अगर किसी कारणवश सांस लेने में समस्या हो रही है तो तुरन्त आराम पाने के लिए लाल मिर्च का सेवन ऐसे करने से लाभ मिलता है। मिर्च फल का प्रयोग सांस की बीमारी के परेशानी को कम करने के लिए उपयोग किया जाता है।
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कभी-कभी खांसी ज्यादा होने पर गले की आवाज भारी हो जाती है। ऐसी हालत में लाल मिर्च का सेवन इस तरह से करने पर स्वरभंग के अवस्था से निजात मिलता है।
-शक्कर और बादाम के साथ थोड़ी-सी लाल मिर्च को मिलाकर 125 मिग्रा की गोली बनाकर सेवन करने से स्वरभंग में लाभ होता है।
-1 लीटर पानी में 10 ग्राम पिसी हुई मिर्च (मिर्च ज्यादा तेज हो तो 5 ग्राम या आवश्यकतानुसार कम ज्यादा करें) डालकर काढ़ा या हिमफाण्ट बना लें, इस पानी का कुल्ला करने से मुखपाक (मुँह में घाव और सूजन) तथा गले में दर्द से जल्दी राहत मिलती है। (मिर्च का अधिक सेवन पित्त-प्रकृति वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक है।
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अक्सर मसालेदार खाना खाने या असमय खाना खाने से पेट में गैस हो जाने पर पेट दर्द की समस्या होने लगती है। लाल मिर्च का सेवन औषधि के रुप में करने से आराम मिलता है।
-100 ग्राम गुड़ में 1 ग्राम लाल मिर्च चूर्ण मिलाकर 1-2 ग्राम की गोली बना के सेवन करने से उदरशूल या पेट दर्द से राहत मिलती है।
-आधा ग्राम लाल मिर्च चूर्ण को 2 ग्राम शुंठी चूर्ण के साथ मिलाकर सेवन करने से खाने की इच्छा बढ़ने के साथ , पेट के दर्द और आध्मान (Flatulance) में लाभ होता है।
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पित्त प्रकोप के कारण जिसको भोजन के प्रति अरुचि उत्पन्न हो गई हो, भूख न लगती हो तो आवश्कतानुसार मिर्च बीज तेल की 5-10 बूंद को बतासे में भरकर या शक्कर के साथ खाने से अत्यन्त लाभ होता है।
अगर किसी कारणवश हैजा हो गया है तो लाल मिर्च का ऐसे सेवन करने से जल्दी आराम मिलता है।
-लाल मिर्च के बीज अलगकर छिल्कों को महीन पीसकर कपड़े से छान कर थोड़ा कपूर और हींग मिला लें (हींग और कूपर के अभाव में केवल मिर्च ही ले लें)। इन तीनों को शहद में घोटकर 125-250 मिग्रा की गोलियाँ बना लें। सुबह शाम 1-1 गोली सेवन करने से विसूचिका या हैजा में लाभ होता है।
-विसूचिका में प्रत्येक उल्टी और दस्त के बाद, रोगी को 1/2 चम्मच मिर्च तेल पिलाने से 2-3 बार में ही रोगी को आराम हो जाता है।
-लाल मिर्ची को बारीक पीसकर, बेर जैसी गोलियाँ बनाकर रख लें। विसूचिका के रोगी को 1-1 घन्टे के अन्तर से 1-1 गोली व लौंग सात नग देने से विसूचिका की प्रत्येक दशा में आराम हो जाता है।
-पाँच लाल मिर्च चूर्ण तथा सात बताशे के चूर्ण को जल में घोल कर, शर्बत बनाकर थोड़ी-थोड़ी देर पर सेवन करने से विसूचिका में लाभ होता है।
-पुरानी अपांप्म, हींग, मरिच, कर्पूर तथा लाल मिर्च बीज चूर्ण को मिलाकर 125 मिग्रा की वटी बनाकर 1-1 वटी का सेवन करने से विसूचिका एवं अतिसार या दस्त से जल्दी आराम मिलती है।
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अक्सर असंतुलित जीवनयापन करने पर पेट की समस्या से सबसे ज्यादा परेशान रहना पड़ता है। ऐसे में लाल मिर्च का सेवन अच्छा होता है। भोजन के साथ मिर्च का सेवन करने से अजीर्ण (अपच), आध्मान (पेट फूलना) तथा विसूचिका (हैजा) में लाभ होता है।
आजकल की भाग-दौड़ और तनाव भरी जिंदगी ऐसी हो गई है कि न खाने का नियम और न ही सोने का। फल ये होता है कि लोग मधुमेह या डायबिटीज का शिकार होते जा रहे हैं।
मिर्च बीजों के एक बूँद तेल को बतासे में डालकर, लस्सी के साथ खाने से प्रमेह में बहुत लाभ होता है।
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मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। बांस इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
ईसबगोल की 3 ग्राम भूसी पर इसके तेल की 5-10 बूंदें मिलाकर जल के साथ देने से पित्तज-मूत्रकृच्छ्र में लाभ होता है।
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-बरसात के मौसम में होने वाले फोड़े-फुन्सियां और खुजली इत्यादि इसके तेल के सेवन से फौरन ठीक हो जाते हैं।
-गर्मी के मौसम में शरीर पर जो फुन्सियां हो जाती हैं, उन पर लाल मिर्च के बीजों का तेल लगाने से शीघ्र आराम हो जाता है।
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ज्यादा शराब पीने से या किसी संक्रमण के कारण बुखार से राहत दिलाने में लाल मिर्च की भूमिका प्रशंसनीय होती है।
-500 मिग्रा लाल मिर्च के बीजों के महीन चूर्ण को 50 मिली गुनगुने पानी के साथ दिन में 2-3 बार देने से शराब पीने के कारण जो सन्निपातज ज्वर होता है उसमें लाल मिर्च का सेवन फायदेमंद होता है।
शूल या दर्द, कटिशूल या कमरदर्द , पार्श्वशूल और गृध्रसी (Sciatica) में मिर्च तेल की मालिश करने से अथवा जले हुए फलों का लेप लगाने से लाभ होता है।
डिप्थीरिया तथा कंठ शालूक में भी इसका लेप करते हैं।
लाल मिर्च बीज के तेल को खाज खुजली एवं ततैया के काटने पर उस स्थान पर लगाने से आराम मिलता है।
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अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन लाल मिर्च के तेल से मालिश करने से आराम मिलता है। लाल मिर्च के बीज के तेल की मालिश आमवात में भी लाभदायक होता है।
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बुखार में यदि बच्चे को हवा लगकर पैरों में लकवे की आशंका हो तो मिर्च के महीन सूखे चूर्ण में तेल मिलाकर मालिश करने से लाभ होता है।
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कुत्ते के काटे हुए स्थान पर मिर्ची को जल में पीसकर लेप करने से दर्द कम होता है।
आयुर्वेद में लाल मिर्च के फल तथा बीज का प्रयोग औषधि के लिए किया जाता है।
बीमारी के लिए लाल मिर्च के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए लाल मिर्च का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्श के अनुसार लाल मिर्च के ½ ग्राम-1 ग्राम चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इसके अलावा लाल मिर्च के तेल का भी इस्तेमाल चिकित्सक के सलाह के अनुसार ही करनी चाहिए।
लाल मिर्च का तेल बनाने की विधि-125 ग्राम सूखी लाल मिर्चों को आधा लीटर तिल तेल में पकाएं, जब मिर्च काली पड़ जाए तो तेल छानकर शीशी में भर लें।
मिर्च का सेवन ज्यादा करना स्वास्थ्य के दृष्टि से हानिकारक होता है।
भारत में मुख्यत गुजरात, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, बिहार एवं आंध प्रदेश में इसकी खेती की जाती है।
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