मुँहासे (acne) त्वचा की एक स्थिति है जो सफेद, काले और जलने वाले लाल दाग के रूप में दिखते हैं। आमतौर पर जब हमारी त्वचा पर मौजूद तेल ग्रन्थियां बैक्टिरीया से संक्रमित हो जाती हैं तो मुँहासों का जन्म होता है। हमारे शरीर में हथेलियों और तलवों को छोड़कर ये तेल ग्रन्थियां पूरे शरीर की त्वचा पर मौजूद होती हैं। त्वचा के रोम छिद्र भीतर से ही इन तेल ग्रन्थियों वाली कोशिकाओं से जुड़े होते हैं। यही रोम छिद्र सीबम पैदा करते हैं, जो त्वचा की खूबसूरती और उसके भीतर तेल संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है। जब हमारे शरीर में हार्मोनल बदलाव होता है, तो हमारी त्वचा की तेल ग्रन्थियों में तेल संतुलन बिगड़ जाता है। इस संतुलन के बिगड़ने की वजह से ही हमारी त्वचा पर मुँहासे नजर आने लगते हैं।
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मुँहासे (acne) त्वचा की एक आम समस्या है। कील-मुँहासे ज्यादातर हार्मोनल बदलावों या खान-पान की गड़बड़ी के कारण निकलते हैं। कुछ आहार ऐसे होते हैं जिनको खाने से आपकी त्वचा खराब हो जाती है और कील मुँहासों की समस्याएं शुरु हो जाती हैं। व्यक्ति का स्वास्थ्य वात, पित्त, कफ पर निर्भर करता है। ऐसे में पित्त और कफ के अधिक बढ़ जाने पर मुँहासे की समस्या होने लगती है।
मुँहासों की समस्या चेहरे पर अधिकतर देखी जाती है, परन्तु चेहरे के साथ-साथ यह एक्ने पीठ और कंधों पर भी निकलती है। विशेष रूप से चेहरे और पीठ पर एक्ने ज्यादा निकलते हैं। शरीर की हथेलियों और तलवों पर यह कभी नहीं होती।
यह लगभग 14 वर्ष से शुरु होकर 30 वर्ष तक कभी भी निकल सकते हैं। ये निकलते समय तकलीफ दायक होते हैं और बाद में भी इसके दाग-धब्बे चेहरे पर रह जाते हैं।
मुँहासे अनेक प्रकार के होते हैं-
पेपुल्यस (Papules)-ये गुलाबी रंग के ठोस दाने होते हैं, जिनकी वजह से कभी-कभी दर्द भी होता है।
फुँसी या दाना (Pustules)- ये छोटे दाने होते हैं।
नोड्यूल्स (Nodules)-ये त्वचा पर थोड़ी गहराई में निकलते हैं। इनका आकार बड़ा होता है और इनकी वजह से दर्द भी होता है।
सिस्ट (Cyst)-ये त्वचा पर ज्यादा गहराई में निकलते हैं और इनकी वजह से दर्द भी हो सकता है। कईं बार ये ठीक होने के बाद त्वचा पर दाग छोड़ देते हैं।
व्हाइटहेड्स- ये बहुत छोटे होते हैं और आमतौर पर त्वचा के नीचे मौजूद होते हैं।
ब्लैकहेड्स- यह स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। वे रंग में काले और त्वचा की सतह पर दिखते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार शरीर में पित्त और कफ की अधिकता होने के कारण एक्ने निकलने लगते हैं। एक्ने निकलने के कुछ ऐसे कारणों के बारे में बतायेंगे जिसको सुनकर आप आश्चर्य में पड़ जायेंगे।
-पिंपल/एक्ने की समस्या अनुवांशिक हो सकती है। अगर आपके परिवार में किसी को बार-बार पिंपल होते हैं तो आपको भी एक्ने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
-बढ़ती उम्र के साथ शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों की वजह से भी एक्ने होते हैं। खासकर महिलाओं को मासिक धर्म, गर्भावस्था और रजोनिवृत्ति के समय शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलावों के कारण भी एक्ने हो सकते हैं।
-कभी-कभी तनाव, मिर्गी या मानसिक बीमारी से जुड़ी कुछ दवाओं के सेवन से भी एक्ने निकल सकते हैं।
-कॉस्मेटिक यानी सौंदर्य प्रसाधनों का जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल करने से एक्ने निकल सकते हैं। कई बार महिलाएं पूरे दिन मेकअप में रहती हैं और रात को ठीक से मेकअप नहीं उतारती हैं। इस वजह से भी पिंपल हो सकते हैं। इसलिए महिलाओं को हल्का मेकअप करने और नेचुरल ब्यूटी प्रोडक्ट का इस्तेमाल करने की सलाह दी जाती है।
-बेकरी के खाद्य पदार्थ और हाई शुगर वाले ड्रिंक्स का सेवन करने से भी एक्ने होते हैं। इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट, ऑयली चीजें और जंक फूड़ के ज्यादा सेवन से भी एक्ने हो सकते हैं।
-ज्यादा समय तक स्ट्रेस में रहने से भी एक्ने की परेशानी हो सकती है। जब आप तनाव में होते हैं तो आपके शरीर के अन्दर कुछ बदलाव होते हैं जिस कारण मुँहासे होते है। दरअसल, तनाव से न्यूरोपैट्राइड्स नाम रसायन निकलता है जिससे तनाव और भी बढ़ सकता है।
-ज्यादा समय तक धूल-मिट्टी और प्रदूषित वातावरण में रहने से एक्ने होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, अगर आप एक शहर से दूसरे शहर तक ज्यादा आना-जाना करते हैं तो बदलते मौसम के कारण भी आपको एक्ने हो सकते हैं।
-फैट ग्रन्थियों से जो स्राव निकलता है वह रूक जाता है। यह स्राव त्वचा को मुलायम रखने के लिए रोम छिद्रों से निकलता रहता है। यदि यह रुक जाए तो फुँसी के रूप में त्वचा के नीचे इकट्ठा हो जाता है और कठोर हो जाने पर मुँहासा बन जाता है। इसे ‘एक्ने वल्गेरिस’ कहते हैं। इसमें पस पड़ जाए तो इसे कील यानी पिम्पल कहते हैं और पस निकल जाने पर ही यह ठीक हो जाते हैं।
मुँहासे या एक्ने फूंसी का ही एक रूप होते हैं, लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण-संकेत होते हैं।
-व्हाइटहेड्स (बंद छिद्रित छिद्र)
–ब्लैकहेड्स (खुले छिद्रित छिद्र)
-छोटे लाल, टेंडर बम्प
कभी-कभी महिलाओं को मुँहासे आने लगते हैं, वजन बढ़ने लगता है, बाल झड़कर पतले हो जाते हैं। लेकिन यह लक्षण सामान्य लगने के बावजूद आपके माँ न बन पाने के भी लक्षण हो सकते हैं। इसलिए समय से पहले इन संकेतों पर ध्यान दें और बांझपन होने से पहले संभाल लें।
आमतौर पर पॉलिसिस्टिक ऑवरी सिंड्रोम (पी.सी.ओ.एस) भारतीय जनन आयु की महिलाओं में अंतस्रावी विकारों में एक ऐसा विकार है, जिससे बांझपन होता है। यदि कोई महिला दर्दनाक अनियमित मासिक धर्म या मुँहासे से ग्रस्त है उसका वजन बढ़ रहा है तो समझिए वह पी.सी.ओ.एस. नामक हार्मोन असंतुलन से गुजर रही है।
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खान-पान की आदतों में सुधार लाकर भी मुँहासे या पिंपल की समस्या से काफी हद तक बचा जा सकता है। आइए जानते हैं कि पिंपल से बचाव के लिए हमें किन चीजों को अपने आहार में शामिल करनी चाहिए और किनसे परहेज करनी चाहिए।
पिंपल से बचने के लिए खाने में क्या खाएं और क्या न खाएंः-
क्या खाएं-
-हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा, शकरकंद, गाजर और शिमला मिर्च खाएं।
-मौसमी फलों को अपने भोजन में शामिल करें।
-दही का नियमित सेवन करें।
-ग्रीन टी पिएं।
-अखरोट, काजू और किशमिश का सेवन करें।
क्या न खाएं-
-ज्यादा तेल वाली चीजें या जंक फूड जैसे-पिज्जा, बर्गर, नूडल्स आदि का ज्यादा सेवन न करें।
-ज्यादा मीठा खाने से परहेज करें।
-ऐसी चीजों से दूर रहे, जिनमें ग्लिसेनिक की मात्रा अधिक होती है। जैसे-सफेद ब्रेड, सफेद चावल, प्रोसेस्ड फूड आदि।
जीवनशैली में बदलाव–
-अपने चेहरे को हर रोज दो बार धोएं। इससे आपके चेहरे पर जमने वाली धूल-मिट्टी साफ हो जाती है और पिंपल होने का खतरा काफी कम हो जाता है।
-अपने मेकअप ब्रश को अच्छी तरह से धोने की आदत डालें। इससे ब्रश में बैक्टीरिया नहीं पनपते हैं।
-हर रोज दस से बारह गिलास पानी पिएं ताकि आपके शरीर की अशुद्धियां बाहर निकलती रहें।
-अगर कोई एक्ने निकले तो उसे दबाए नहीं। ऐसा करने से एक्ने अन्य जगहों पर फैल सकते हैं।
-ज्यादा नमक खाने से एक्ने हो सकता है इसलिए सीमित मात्रा में नमक का सेवन करें।
-पौष्टिक और संतुलित आहार लेने की आदत डालें।
-भाप लें, यह त्वचा के रोमछिद्रों को खोलने में मदद करता है और पिंपल और ब्लैकहेड्स को आसानी से हटाता है।
-हर समय अपने चेहरे को न छुएं। ऐसा करने से हाथ में मौजूद बैक्टीरिया आपके चेहरे की त्वचा तक पहुँच सकता है और आपको पिंपल का शिकार बना सकता है।
आम तौर पर एक्ने के लिए घरेलू उपचारों का ही सहारा लिया जाता है। चलिये जानते हैं कि कौन-कौन से घरेलू उपचार एक्ने के लिए फायदेमंद है-
एक छोटे बर्फ के टुकड़े को एक साफ कपड़े में लपेट लें और धीरे-धीरे उसे अपने एक्ने पर रगड़ें। लेकिन ध्यान रखें कि आप ज्यादा देर तक बर्फ को एक्ने पर न रखें।
आप रुई में थोड़ा-सा टूथपेस्ट लेकर एक्ने पर लगाएं। ऐसा करने से आपके एक्ने का आकार छोटा हो सकता है। ध्यान रहे कि सफेद टूथपेस्ट का ही इस्तेमाल करें, जेल टूथपेस्ट का नहीं।
मुल्तानी मिट्टी, गुलाबजल और नींबू के रस को मिलाकर एक पेस्ट बना लें। हाथ से इस पेस्ट को पूरे चेहरे पर या सिर्फ एक्ने पर लगाएं। इस पेस्ट को दस से पंद्रह मिनट तक लगाकर रखें फिर पानी से धो लें।
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एलोवेरा जेल को दस से पंद्रह मिनट तक एक्ने पर लगा रहने दें फिर पानी से धो लें।
एक छोटी कटोरी में नींबू का रस निकाल लें और उस रस में रुई का छोटा-सा टुकड़ा डुबो लें। सोने से पहले रुई से नींबू के रस को एक्ने वाली जगह पर लगाएं। रात भर नींबू के रस को लगा रहने दें और अगले दिन सुबह उसे पानी से धो लें।
एक कटोरी लें और उसमें टी ट्री ऑयल और जैतून के तेल (ऑलिव ऑयल) को मिला लें। अब इस तेल के मिश्रण को रुई से या उंगली से एक्ने पर लगाएं।
लहसुन की कलियों का पेस्ट बनाकर उसमें थोड़ा-सा पानी मिला लें। इस पेस्ट को सीधे एक्ने के ऊपर लगाएं। इस्तेमाल से पहले लहसुन का रस पानी में पूरी तरह से घुलने दें। इसके बाद ही तैयार हुए पेस्ट को मुँहासों पर लगाएं। पेस्ट को पांच से दस मिनट तक लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
बेकिंग सोडा में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर उसका पेस्ट बना लें। पांच मिनट तक इस पेस्ट को एक्ने पर लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
अपनी साफ उंगली से शहद को एक्ने पर लगाएं। अब इसे बीस से पच्चीस मिनट तक सूखने के लिए छोड़ दें। फिर पानी से एक्ने वाली जगह को धो लें।
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हल्दी में पर्याप्त मात्रा में पानी मिलाकर इसका पेस्ट बना लें। पेस्ट को उंगली से अच्छी तरह लगाएं। पेस्ट को सूखने के लिए दस से पंद्रह मिनट का समय दें और फिर उसे पानी से धो लें।
चन्दन पाउडर में गुलाब जल को मिलाकर गाढ़ा पेस्ट तैयार करें। एक कटोरी में एक या दो चम्मच नारियल तेल डालकर उसे गुनगुना कर लें। अपनी उंगली से तेल को पिंपल पर लगाएं। इसे हर कुछ घण्टों में लगाते रहें।
नीम के पत्तों को सुखाकर पाउडर बना लें और बराबर मात्रा में मुल्तानी मिट्टी मिला लें। जरूरत के अनुसार इस मिश्रण में गुलाब जल मिलाकर पेस्ट तैयार करें। तैयार हुए पेस्ट को उंगली से पिंपल पर लगाएं और इसे सूखने दें।
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सोने से पहले अपने चेहरे को अच्छी तरह से धोएं। इसके बाद एक कटोरी में जैतून का गुनगुना किया हुआ तेल लें और उसे एक्ने पर धीरे-धीरे लगाएं।
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हर रोज एक से दो कप ग्रीन टी पीना सेहत और एक्ने के लिए फायदेमंद होता है
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पहले अपने चेहरे या एक्ने वाली जगह को पानी से धोकर अच्छी तरह से साफ करें। इसके बाद साफ तौलिए से पोंछ कर अपनी त्वचा को सुखा लें। अंत में एक्ने वाली जगह पर कैस्टर ऑयल लगाकर धीरे-धीरे मसाज करें।
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आप दिन में दो से तीन बार एक्ने पर ग्लिसरीन लगा सकते हैं। कुछ घण्टों के लिए एक्ने पर ग्लिसरीन लगा रहने दें और फिर पानी से धो लें।
पपीते के कुछ टुकड़ों को अच्छी तरह से कुचलकर पेस्ट बना लें और अपने चेहरे को अच्छी तरह से धो लें और फिर इस पेस्ट को एक्ने पर लगाएं।
गर्म पानी के पास अपने चेहरे को ले जाएं और सर के ऊपर एक तौलिया डालकर उसे ढ़क लें। ध्यान रहे कि चेहरे को गर्म पानी के ज्यादा पास न ले जाएं।
आमतौर पर मुँहासे या एक्ने होना एक सामान्य समस्या है। परन्तु कभी-कभी मुँहासे एक गंभीर स्थिति में परिवर्तित हो जाते हैं। जब मुँहासों की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाए एवं पस से भर जाएं और दर्द हो तो हमें डॉक्टर से तुरन्त सम्पर्क करना चाहिए।
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