पूतिकरंज की लताएं सेहत के लिए बहुत ही गुणकारी हैं, हालांकि अभी भी बहुत कम लोग पूतिकरंज और लताकरंज के फायदों के बारे में जानते हैं। आयुर्वेदिक ग्रंथों में पूतिकरंज के फायदों और औषधीय गुणों का उल्लेख मिलता है। यह जड़ी बूटी त्वचा रोगों, डायबिटीज, माइग्रेन और आंखों से जुड़े रोगों के इलाज में सहायक है। आइये इसके सभी फायदों और उपयोग के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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पूतिकरंज की लताएं लगभग 20 मी लम्बी, कांटेदार और ह्मेस्धा हरी रहती हैं। नदियों, तालाबों और कीचड़ वाली जगहों पर पूतिकरंज की लताएं अधिक पायी जाती हैं। आमतौर पर ये लताएं किसी सहारे के चारों तरफ लिपटते हुए ऊपर की दिशा में बढ़ती हैं। इसकी शाखाएँ फैली हुई और भूरे रंग की होती हैं।
पूतिकरंज का वानस्पतिक नाम Caesalpinia bonduc (Linn.) Roxb. (सेजैलपिनिया बाण्डुक) Syn-Caesalpinia bonducella (Linn.) Fleming है। यह Caesalpiniaceae (सेजैलपिनिएसी) कुल का पौधा है।
Fever Nut in :
पूतिकरंज में कफ और वात को संतुलित करने वाले और पित्त को बढ़ाने वाले गुण होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार इसमें सूजन कम करने वाले, दीपन, पाचन, भेदन, कृमिघ्न, यकृत् उत्तेजक, रक्तप्रसादक, मूत्रसंग्रहणीय, गर्भाशय विशोधक, कुष्ठघ्न और विषनाशक है। इसके बीज कड़वे, कृमिनाशक, रक्तशोधक, रक्तवर्धक, मस्तिष्क-विकार, नेत्र-विकार और चर्म रोगों में लाभप्रद होते हैं। बीज तेल उष्ण, कृमिनाशक, नेत्ररोग, आमवात, धवलरोग, कंडू और कुष्ठ में लाभ होता है तथा इसके फल कफवातघ्न, प्रमेह, बवासीर, कृमि तथा कुष्ठ का शमन करने वाले होते हैं।
लताकरञ्ज कषाय, कटु, तिक्त, उष्ण, वातपित्तशामक तथा स्तम्भक होती है। यह उल्टी, बवासीर, कृमि, कुष्ठ तथा प्रमेह में लाभप्रद है। लताकरंज के पत्र कटु, उष्ण तथा कफवातशामक होते हैं। लताकरंज के बीज दीपन, पथ्य, शूल, गुल्म तथा व्यथा शामक है। इसकी मूल मूत्रल, कटु, शोथहर, वेदनाशामक, वातानुलोमक तथा कृमिघ्न होती है। इसका बीज तैल सूक्ष्मजीवाणुनाशक तथा मृदुकारी होता है। लताकरंज की फलमज्जा विरेचक होती है।
पूतिकरंज और लताकरंज के औषधीय गुणों के कारण ही इन्हें कई बीमारियों के घरेलू इलाज के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। आइये पूतिकरंज के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं :
पूतिकरंज के बीजों की गिरी के साथ बराबर मात्रा में सहजन के बीज, तेजपत्ता, वच और खांड मिलाकर पीस कर महीन चूर्ण बनाकर रखें। इसको थोड़ी सी मात्रा में नाक में डालने से खूब छींकें आती हैं, जिसमें दूषित कफ का स्राव होता है, जिससे माइग्रेन में होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
पूतिकरंज के बीजों को पानी में पीसकर थोड़ा गुड़ मिलाकर, थोड़ा गर्म कर लें। सिर के जिस हिस्से में दर्द हो रहा हो उसके उल्टी तरफ वाले नाक के छिद्र में इसकी 1-2 बूँद टपकाएं। इसके आधे घंटे बाद 1-2 बूँद नाक के दूसरे छिद्र में डालें। ऐसा कुछ दिन करने से माइग्रेन की समस्या में आराम मिलता है।
आज के समय में अधिकांश लोग बालों के अधिक झड़ने और गंजेपन की समस्या से परेशान रहते हैं। पूतिकरंज के उपयोग से आप गंजेपन की समस्या दूर कर सकते हैं। इसके लिए नियमित रूप से पूतिकरंज से सिद्ध तेल को सिर पर लगाएं।
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पूतिकरंज के बीजों के चूर्ण को पलाश फूल रस की 21 भावना देकर उसे सुखा लें और उसकी (वर्त्ती) सलाईयाँ बना लें, इन सलाईयों को पानी में घिसकर आंख में काजल के रूप में लगाने से आंखों की सूजन कम होती है।
नोट : भावना देना एक आयुर्वेदिक प्रक्रिया है जिसमें किसी द्रव्य के रस में उसी द्रव्य के चूर्ण को गीला करके सुखाते हैं। जितनी बार भावना देना हो उतनी बार रस में चूर्ण को सुखाना पड़ता है।
1-2 ग्राम पूतिकरंज बीज की गिरी, तुलसी और चमेली की कलियों को बराबर मात्रा में लेकर इसे कूट लें। अब इसकी मात्रा के आठ गुने पानी में इसे पकाएं। उबलने के बाद जब मिश्रण एक चौथाई बचे तब इसे छानकर फिर से पकाकर गाढ़ा कर लें और इसे पलकों पर लगाएं। इसे पलकों पर लगाते रहने से पित्त के कारण होने वाले आंखों के रोगों में लाभ मिलता है।
पायरिया की समस्या से आराम दिलाने में पूतिकरंज काफी उपयोगी है। इसके लिए पूतिकरंज की टहनी का दातून करें और इसके तेल को दांतों पर घिसें।
1 ग्राम पूतिकरंज के बीजों को 1 ग्राम मिश्री के साथ मिलाकर दांतो पर मलने तथा सेवन करने से दाँतों से खून आना बंद हो जाता है।
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खांसी की समस्या से आराम पाने के लिए पूतिकरंज का निम्न तरीकों से इस्तेमाल करें।
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पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याओं जैसे कि पेट फूलना, पाचक अग्नि कमजोर होना आदि के इलाज में पूतिकरंज बहुत उपयोगी है। आइये जानते हैं इन समस्याओं में कैसे करें पूतिकरंज का इस्तेमाल :
2-3 ग्राम पूतिकरंज बीज गिरी चूर्ण में चीनी और शहद मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से उल्टी और उल्टी में खून आने की समस्या से आराम मिलता है।
पूतिकरंज के बीजों को भूनकर उसमें आधा भाग शक्कर मिलाकर कूट पीसकर चने जैसी गोलियाँ बना लें। उल्टी रोकने के लिए हर 10-10 मिनट पर एक-एक गोली का सेवन करें।
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1-2 ग्राम पूतिकरंज मूल चूर्ण में बराबर मात्रा में चित्रक, सेंधानमक, सोंठ तथा इन्द्रजौ की छाल का चूर्ण मिलाकर, 1-3 ग्राम की मात्रा में दिन में दो बार सेवन करें। इसके सेवन से खूनी बवासीर में फायदा मिलता है।
2 ग्राम पूतिकरंज मूल छाल चूर्ण को गोमूत्र में पीसकर पिलाने से भी खूनी बवासीर में लाभ मिलता है।
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डायबिटीज के मरीजों के लिए पूतिकरंज एक उपयोगी औषधि है। 1-2 ग्राम पूतिकरंज बीज चूर्ण का सेवन करने से मधुमेह में लाभ होता है। खुराक संबंधित अधिक जानकारी के लिए आयुर्वेदिक विशेषज्ञ से संपर्क करें।
पूतिकरंज के फूलों का काढ़ा बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पिलाने से मधुमेह और बार बार पेशाब होने की समस्या में लाभ होता है।
त्वचा संबंधी रोगों जैसे कि कुष्ठ, विसर्प आदि के इलाज में पूतिकरंज बहुत ही उपयोगी है। आइये जानते हैं कि कैसे करें पूतिकरंज का उपयोग :
आयुर्वेद के अनुसार वात दोष के असंतुलन या प्रकुपित होने से भी शरीर में दर्द (वातज शूल) की समस्या होने लगती है। वात के कारण होने वाले इस दर्द से राहत पाने के लिए आप निम्न तरीकों से इसका इस्तेमाल कर सकते हैं।
पूतिकरंज के 1 बीज की मींगी और 125 मिलीग्राम शुद्ध नीला थोथा, दोनों को पीसकर सरसों जैसी 12 गोलियां बनाकर 1-1 गोली का रोजाना सेवन करें। इसके प्रयोग से वात से होने वाले दर्द से आराम मिलता है।
पूतिकरंज की कोमल पत्तियों को तिल के तेल में भूनकर रोजाना सेवन करने से वात से होने वाले दर्द से राहत मिलती है।
अगर आप बुखार से पीड़ित हैं तो पूतिकरंज के बीज की मींगी को पानी में पीसकर नाभि पर टपकाएं। इससे बुखार से जल्दी आराम मिलता है।
बुखार ठीक करने के लिए पूतिकरंज की 3 कोपलें और 2 काली मिर्च को पानी में पीसकर नाभि पर लगाएं।
आइये लताकरंज के फायदों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
लताकरंज के तने और भुने हुए फलों का काढ़ा बनाकर पीने से या इनको पीसकर आंखों के बाहर चारों तरफ लगाने से आंखों से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।
अगर आप कान बहने की समस्या से परेशान रहते हैं तो लताकरंज का उपयोग करें। इसके लिए एक से दो बूंद लताकरंज के बीज के तेल को कान में डालें। इसके उपयोग से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए चिकित्सक से संपर्क करें।
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किडनी की पथरी के मरीजों के लिए यह जड़ी बूटी बहुत उपयोगी है। लताकरंज मूल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से किडनी की पथरी के इलाज में मदद मिलती है।
लताकरंज की पत्तियों और तने को पीसकर सूजन वाली जगह पर लगाने से सूजन कम होती है।
पूतिकरंज के निम्न भागों का उपयोग किया जा सकता है।
आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार पूतिकरंज बीज मज्जा चूर्ण का 1-3 ग्राम मात्रा में उपयोग करना चाहिए लेकिन अगर आप किसी बीमारी के घरेलू इलाज के रूप में इसका इस्तेमाल करना चाहते हैं तो चिकित्सक की सलाह अनुसार ही इसका उपयोग करें।
पूतिकरंज की लताएं मध्य एवं पूर्वी हिमालय पर पाए जाते हैं। नदियों और तालाबों के किनारों पर यह लताएं अधिक पायी जाती हैं।
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