मंजिष्ठा (Rubia Cordifolia or Manjistha plant) एक ऐसा जड़ी बूटी है जिसका आयुर्वेद में तरह-तरह के बीमारियों के लिए उपचार औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है। मंजिष्ठा या मजीठ के जड़, तना, फल और पत्ता का औषधि के लिए इस्तेमाल किया जाता है। मंजिष्ठा सौन्दर्य संबंधी समस्या, नारी संबंधी शारीरिक समस्याओं के उपचार स्वरूप काम करने के साथ-साथ तरह-तरह के बीमारियों से राहत दिलाने में भी सहायता करता है। आईये जानते हैं मंजिष्ठा के फायदे।
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मंजिष्ठा की लता लम्बी तथा विस्तृत रूप में फैलने वाली होती है, इसलिए इसे योजनवल्ली तथा इसका प्रयोग कपड़ो को रंगने के काम में किया जाता है, इसलिए इसे वस्त्ररंजिनी भी कहते हैं।
चरक संहिता के वर्ण्य, विषघ्न तथा ज्वरहर महाकषाय में विसर्प या हर्पिज़ की चिकित्सा के लिए इसका उल्लेख मिलता है। सुश्रुत संहिता के प्रियंग्वादिगण व पित्तसंशमन द्रव्य में इसकी गणना की गई है। इसका तना चारों कोणों से शाखा प्रशाखाओं से युक्त तथा जड़ की ओर कठोर होती है। इसकी जड़ अत्यधिक लम्बी, बेलनाकार, चिकनी, ताजी अवस्था में लाल तथा सूखने पर कुछ काली रंग की होती है।
आयुर्वेद के अनुसार मंजिष्ठा के फायदे अनगिनत होते हैं और ये एक ऐसी जड़ी बूटी है जो रक्त को साफ करके त्वचा को सेहतमंद बनाने में मदद करती है। मंजिष्ठा प्रकृति से मधुर, कड़वी, गर्म, हजम करने में भारी, कफ को कम करने में सहायता करती है। यह विष, कफरोग, सूजन, योनिरोग, नेत्ररोग, कान का रोग, कुष्ठ, रक्तदोष,, प्रमेह या मधुमेह, स्वरभंग, यूरीनरी प्रॉब्लम, बुखार, अर्श या पाइल्स तथा कृमिरोग नाशक होती है। इसका साग मधुर, लघु, स्निग्ध तथा वातपित्त को कम करने वाला होता है। मंजिष्ठा का फल प्लीहा विकारों या स्पलीन के बीमारी को ठीक करने में सहायता करता है। इसकी जड़ त्वक्-विकार (चर्मरोग) को ठीक करने में मदद करती है। (Manjistha Benefits in Hindi)
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मंजिष्ठा का वानास्पतिक नाम Rubia cordifolia Linn. (रूबिया कॉर्डिफोलिया) Syn-Rubia munjista Roxb. Gallium cordifolium (Linn.) Kuntze और कुल : Rubiaceae (रूबीएसी) होता है।
मंजिष्ठा का अंग्रेज़ी नाम : Madder root (मैडर रूट) होता है लेकिन अन्य भाषाओं में अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे-
Majistha in –
मंजिष्ठा ऐसी जड़ी-बूटी है जिसकी सेहत, सौन्दर्य और बीमारियों के उपचार के लिए आयुर्वेद में औषधि के रुप में प्रयोग की जाती है। चलिये ये कौन-कौन से रोगों के लिए फायदेमंद हैं, जानते हैं।
आजकल बाल संबंधी ऐसे समस्याओं से सब जुझ रहे हैं। मंजिष्ठा का प्रयोग बालों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। मंजिष्ठा की जड़ का काढ़ा बनाकर, उससे बालों को धोने से बालों का झड़ना तथा पकना कम होने लगता है।
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आँख संबंधी बीमारियों में बहुत कुछ आता है, जैसे- सामान्य आँख में दर्द, आँख लाल होना, आँखों या पलकों का सूज जाना आदि। इन सब तरह के समस्याओं में मंजिष्ठा से बना घरेलू नुस्ख़ा बहुत काम आता है। मंजिष्ठा जड़ से बने काढ़े से आंखों को धोने से आँख का जलन और पलकों के रोगों से छुटकारा मिलता है।
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दाँत संबंधी समस्याओं से कौन नहीं परेशान रहता है लेकिन मंजिष्ठा मुँह और दांत संबंधी समस्याओं से राहत दिलाने में मदद करती है। मंजिष्ठा जड़ से बने काढ़ा से गरारा करने से मुँह और दांत संबंधी समस्याओं से राहत मिलती है।
अगर मौसम के बदलाव के कारण खांसी या दमा से परेशान है और कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है तो मंजिष्ठा से इसका इलाज किया जा सकता है। मंजिष्ठा के सूखे जड़ तथा भूमिगत तने के चूर्ण (1-2 ग्राम) का चीनी के साथ सेवन करने से खाँसी, सांस के नली में सूजन तथा गले के दर्द से राहत मिलती है।
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मंजिष्ठा के जड़ को पीसकर छाती में लेप करने से तथा मंजिष्ठा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से छाती की सूजन आदि रोगों में लाभ होता है।
अगर अपौष्टिक और असंतुलित खान-पान के कारण व्रण या गैस्ट्रिक अल्सर की समस्या से जुझ रहे हैं तो 10-20 मिली मंजिष्ठा की जड़ के काढ़े का सेवन करने से पेट के घाव, अल्सर तथा पेट के दर्द में से छुटकारा दिलाने में मदद करती है।
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बच्चे सबसे ज्यादा पेट के कीड़ों से परेशान रहते हैं। मंजिष्ठा का औषधीय गुण पेट से कीड़े निकालने में मदद करती हैं। मंजीठ के पत्ते एवं तने के काढ़े (10-20 मिली) का सेवन करने से पेट के कीड़ा कम होता है।
अगर ज्यादा मसालेदार, तीखा खाने के आदि है तो पाइल्स के बीमारी होने की संभावना बढ़ जाती है। उसमें पाइल्स का घरेलू उपाय बहुत ही फायदेमंद साबित होता है। मंजीठ, शिग्रु आदि के काढ़े से घी को पकाकर 5 ग्राम की मात्रा में सेवन करने से रक्तार्श या खूनी बवासीर ठीक होता है।
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अगर आपको पीलिया हुआ है और आप इसके लक्षणों से परेशान हैं तो मंजिष्ठा का सेवन इस तरह से कर सकते हैं। 1-2 ग्राम मंजीठ की जड़ का चूर्ण में मधु मिलाकर सेवन करने से पीलिया में लाभ होता है।
मूत्र संबंधी बीमारी में बहुत तरह की समस्याएं आती हैं, जैसे- मूत्र करते वक्त दर्द या जलन होना, मूत्र रुक-रुक कर आना, मूत्र कम होना आदि। मंजिष्ठा इस बीमारी में बहुत ही लाभकारी साबित होता है। 10-20 मिली मंजीठ के काढ़े का सेवन करने से गुर्दे की पथरी, किडनी में पथरी तथा अन्य मूत्र संबंधी रोगों से राहत मिलती है। इसके अलावा मंजिष्ठा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पीने से मूत्र रोगों से राहत मिलती है व स्पर्म काउन्ट बढ़ता है।
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आजकल महिलाओं के व्यस्त और असंयमित जीवनशैली के कारण उनमें मासिक धर्मचक्र की समस्या आम हो गई है। मंजीठ की जड़ के जलीय सार का प्रयोग मासिकधर्म न आना तथा कठिनाई से मासिकधर्म आना आदि की चिकित्सा में किया जाता है।
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मंजीठ तथा मुलेठी को अम्ल पदार्थ के साथ पीसकर भग्न स्थान या फ्रैक्चर के स्थान पर लेप करने से उस जगह का घाव और फ्रैक्चर जल्दी ठीक हो जाता है।
अक्सर उम्र बढ़ने के साथ जोड़ों में दर्द होने की परेशानी शुरू हो जाती है लेकिन मंजिष्ठा का सेवन करने से इससे आराम मिलता है। मंजीठ को पीसकर लगाने से आमवातजन्य संधिशूल या जोड़ों में दर्द तथा सूजन कम होता है।
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हाथी पांव या फाइलेरिया के इलाज में लाभकारी मंजिष्ठा (Manjista Benefits to Get Relief from Filariasis in Hindi)
हाथी पांव के कारण पैरों में जो सूजन होती है मंजिष्ठा उससे राहत दिलाने में मदद करते हैं। मंजीठ, मुलेठी, रास्ना, हिंस्रा तथा पुनर्नवा को समान मात्रा में लेकर काञ्जी के साथ पीसकर लेप करने से हाथी पाँव में लाभ होता है।
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दाग-धब्बों के साथ कुष्ठ के कष्ट से राहत दिलाने में मंजिष्ठा फायदेमंद होती है-
-10-20 मिली लघुमञ्जिष्ठादि को काढ़ा को पीने से वातरक्त (गठिया), पामा या खुजली तथा कपाल कुष्ठ में लाभ होता है।
-10-20 मिली बृहद् मंजिष्ठादि काढ़ा को पीने से 18 प्रकार के कुष्ठ (कोढ़), वातरक्त (गठिया), उपदंश, अर्दित (मुख का लकवा), श्लीपद या हाथीपांव, पक्षाघात या लकवा, नेत्ररोग या आँख के रोग , मेददोष या मोटापा आदि से राहत मिलती है।
-मंजिष्ठा को मधु के साथ पीसकर लेप करने से कुष्ठ व त्वचा के दाग धब्बों में लाभ होता है।
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क्या आपकी चेहरे की रौनक दिन-ब-दिन कम होती जा रही है तो प्रतिदिन मुख पर मंजिष्ठादि तेल की मालिश करने से चेहरे की कांति बढ़ती है।
मंजीठ के पत्ते तथा जड़ को पीसकर क्षत तथा व्रण (ulcer) पर लेप करने से तथा काढ़े से धोने पर शीघ्र व्रण या घाव ठीक हो जाता है।
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अगर किसी चोट के कारण या बीमारी के वजह से किसी अंग में हुए सूजन से परेशान है तो मंजिष्ठा के द्वारा किया गया घरेलू इलाज बहुत ही फायदेमंद होता है। मंजिष्ठा जड़ को पीसकर सूजन वाले स्थान पर लेप करने से सूजन कम होती है।
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मिर्गी के कष्ट से आराम दिलाने में मंजिष्ठा का औषधीय गुण इस तरह से प्रयोग करने पर काम करता है।
मंजीठ की जड़ एवं भौमिक तने का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से (अपस्मार) मिरगी, मानसिक अस्थिरता, अनिद्रा आदि मानसिक विकारों में लाभ होता है।
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अगर लंबे बीमारी के कारण या पौष्टिकता की कमी के वजह से कमजोरी महसूस हो रही है तो मंजिष्ठा का इस तरह से सेवन करने पर लाभ मिलता है। आर्द्रक एवं दूध के साथ मंजीठ की जड़ के चूर्ण (1-2 ग्राम) का सेवन करने से बीमारी के कारण जो कमजोरी होती है वह कम होती है।
आजकल उच्च रक्तचाप की समस्या से सब परेशान हैं लेकिन मंजिष्ठा का इस तरह से सेवन करने पर हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में आसानी होती है। मंजीठ की जड़ के चूर्ण या काढ़ा आदि का सेवन करने से उच्च-रक्तचाप या हाई ब्लड प्रेशर को नियंत्रण करने में लाभ होता है।
मंजिष्ठा के जड़, पत्ता, तना तथा फल का प्रयोग औषधि के रुप में की जाती है।
बीमारी के लिए मंजिष्ठा के सेवन और इस्तेमाल का तरीका पहले ही बताया गया है। अगर आप किसी ख़ास बीमारी के इलाज के लिए मंजिष्ठा का उपयोग कर रहे हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ज़रूर लें।
चिकित्सक के परामर्शानुसार-
-10-20 मिली काढ़ा और
-1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन कर सकते हैं।
मंजिष्ठा समस्त भारत के पर्वतीय प्रदेशों में लगभग 2450 मी की ऊँचाई तक पाई जाती है।
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