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क्या आपने चिलगोजा का नाम सुना है? शायद नहीं सुना होगा, क्योंकि बहुत कम लोगों को यह पता होता है कि चिलगोजा क्या होता है, चिलगोजा खाने के फायदे क्या हैं, और चिलगोजा का उपयोग कैसे किया जाता है? अगर सचमुच आपको चिलगोजा के फायदे के बारे में जानकारी नहीं है, तो यह जानकारी आपके लिए बहुत जरूरी है। अगर आप जानते हैं कि किस काम में चिलगोजा का इस्तेमाल किया जाता है, तो भी यह जानकारी आपके लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आपको चिलगोजा से होने वाले एक-दो फायदे की जानकारी होगी, लेकिन सच यह है कि चिलगोजा के अनेकों फायदे हैं।
चिलगोजा पिस्ता, बादाम की तरह ही एक ड्राई फ्रूट है। आयुर्वेद के अनुसार, चिलगोजा एक बहुगुणी औषधि है। चिलगोजा के सेवन से एक-दो नहीं बल्कि कई बीमारियों का इलाज किया जा सकता है। चलिए जानते हैं चिलगोजा खाने के फायदे क्या होते हैं।
चिलगोजा का इस्तेमाल मेवे के रूप में होता है। यह एक पौष्टिक तथा स्वादिष्ट फल होने के साथ-साथ एक औषधि भी है। चिलगोजा के तेल का भी प्रयोग औषधि के रूप में होता है। चिलगोगा के वृक्ष लगभग 24 मीटर ऊंचे, एवं 3 मीटर चौड़े, तथा मध्यम आकार होते हैं। पेड़ की छाल पतली, चिकनी, खुरदरी, और भूरे रंग की होती है। इसके पत्ते तीन गुच्छों वाले और कठोर होते हैं।
चिलगोजा (pine nuts) के फल 2.5 सेमी लम्बे, चपटे, और भूरे रंग के होते हैं। इस फल को ही चिलगोजा कहते हैं। इसके बीज 2-2.5 सेमी लम्बे, गहरे भूरे रंग के होते हैं। फलों के अन्दर की गिरी सफेद, मीठी होती है। चिलगोजा के वृक्ष में फरवरी से दिसम्बर तक फूल, और फल होते हैं। चिलगोजा के बीज वृक्षों से नीचे गिरते हैं। इन्हीं बीजों को बाजार में बेचा जाता है।
चिलगोजा का वानस्पतिक नाम पाइनस जेरार्डिआना (Pinus gerardiana wall. ex D.Don, Syn-Pinus gerardii Forbes) है, और यह पाइनेसी (Pinaceae) कुल का है। चिलगोजा को देश-विदेश में अन्य इन नामों से भी बुलाया जाता हैः-
Chilgoza in-
आयुर्वेद के अनुसार, चिलगोजा खाने के फायदे (chilgoza benefits), औषधीय प्रयोग, इस्तेमाल की मात्रा, एवं विधियां ये हैंः-
कोई व्यक्ति उल्टी से परेशान है, तो उसे 18-18 ग्राम त्रिफला, त्रिकटु, दालचीनी, चित्रक, ककुभ मूल, सालिम लेना है। इसके साथ ही बाबूना पुष्प, 100 ग्राम द्राक्षा, 4 ग्राम चिलगोजा मज्जा, तथा 6 ग्राम नारियल लेना है। इनका पेस्ट बना लेना है। इसे पकाकर गाढ़ा करना है। इसमें 375 ग्राम मधु मिलाकर जेली (चटनी) बनाना है। इस जेली (चटनी) को 5-10 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम सेवन करने से उल्टी रुक जाती है। [Go to: Benefits of Pine Nuts]
आप जो खाना खाते हैं, उसे पाचनतंत्र पचाने का काम करता है। जब पाचनतंत्र स्वस्थ रहता है, तो भोजन को सही से पचाता है। इसी तरह पाचनतंत्र के बीमार हो जाने पर स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ने की संभावना बन जाती है। चिलगोजा खाने के फायदे (Benefits of Chilgoza) इसमें भी होता है। पाचन क्रिया खराब होने पर चिलगोजा का सेवन करना चाहिए। इससे पाचनतंत्र स्वस्थ रहता है, और सही तरह से काम करता है। [Go to: Benefits of Pine Nuts]
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दुनिया भर में दमा रोग से हजारों ग्रस्त हैं। यह एक गंभीर रोग है। चिलगोजा की 5-10 ग्राम गिरी को पीस लें। इसमें शहद मिलाकर सेवन करने से दमा में फायदा होता है। इसे पीने से खांसी में भी आराम मिलता है। [Go to: Benefits of Pine Nuts]
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चिलगोजा (pine seeds) के तेल को लगाने से गठिया का दर्द ठीक होता है। [Go to: Benefits of Pine Nuts]
शारीरिक कमजोरी की शिकायत है तो चिलगोजा का सेवन करें। बच्चे भी चिलगोजा का प्रयोग कर सकते हैं। चिलगोजा की गिरी का सेवन करने से हाथ-पैर की कमजोरी दूर होती है, और शरीर स्वस्थ होता है। [Go to: Benefits of Pine Nuts]
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बुखार से पीड़ित मरीज चिलगोजा का सेवन कर स्वास्थ्य लाभ ले सकते हैं। बुखार होने की स्थिति में 18-18 ग्राम त्रिफला, त्रिकटु, दालचीनी, चित्रक, ककुभ मूल, सालिम लें। इनके साथ ही बाबूना का फूल, 100 ग्राम अंगूर, 4 ग्राम चिलगोजा मज्जा, तथा 6 ग्राम नारियल लें। इनका पेस्ट बनाकर पका लें। इसे गाढ़ा बना लें। इसमें 375 ग्राम मधु मिला लें, और जेली (चटनी) बना लें। इस जेली (चटनी) को 5-10 ग्राम सुबह और शाम सेवन करें। इससे बुखार में लाभ होता है। [Go to: Benefits of Pine Nuts]
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चिलगोजा का सेवन इस तरह किया जा सकता हैः-
चिलगोजा का सेवन इस तरह किया जा सकता हैः-
आप चिलगोजा का इस्तेमाल कर भरपूर फायदा लेना चाहते हैं, तो इसके इस्तेमाल से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के सलाह जरूर लें।
जिस तरह अच्छी चीजों को खाने से शरीर में लाभ होता है, और सामान्य से अधिक मात्रा में सेवन करने से नुकसान हो सकता है। उसी तरह चिलगोजा के अत्यधिक सेवन से भी कुछ हानि हो सकती है, जो ये हैः-
आप उपरोक्त रोगों की रोकथाम में चिलगोजा का पूरा इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन बेहतर परिणाम के लिए डॉक्टर की सलाह से चिलगोजा का इस्तेमाल करना चाहिए।
चिलगोजा की खेती कई स्थानों पर की जाती है। भारत में उत्तर-पश्चिम में चिलगोजा की खेती होती है। हिमालय में 1800-3000 मीटर की ऊंचाई पर देवदार व चीड़ के वृक्षों के साथ-साथ चिलगोजा भी पाया जाता है। यह विश्व में अफगानिस्तान, बलूचिस्तान एवं पाकिस्तान में भी पाया जाता है।
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