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Jayanti: जयंती के हैं अनेक अनसुने फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

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जयंती का परिचय (Introduction of Jayanti)

महापुरुषों की जयंती तो हम सभी मनाते हैं, परंतु क्या आपने जयंती (sesbania sesban) वनस्पति का नाम सुना है? यह एक अद्भुत वनस्पति है। जयंती का उपयोग करके अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि आप इसे पहचान लें और जयंती के प्रयोग करने के तरीके को जान लें तो बिना एक पैसा खर्च किए ही आप स्वस्थ रहने में इसका उपयोग कर सकते हैं।

जयन्ती (sesbania sesban) स्वाद में कड़वा तथा तीखा, पेट के लिए गरम और जल्द पचने वाली वनस्पति है। जयंती कफ तथा पित को शान्त करती है। आयुर्वेद की संहिताओं में जयंती के पत्तों के रस के प्रयोग का विशेष वर्णन प्राप्त होता है। पीले/सफेद, लाल और काले फूलों के आधार पर इसकी तीन प्रजातियां होती हैं। पीले फूलों वाली जंयती सभी जगह पाई जाती है, परन्तु सफेद फूलों वाली जयंती दुर्लभ होती है। सफेद जयंती के जड़ का प्रयोग कुष्ठ आदि त्वचा विकारों में अत्यन्त लाभकारी होता है।

जयंती क्या है (What is Jayanti?)

जयंती दलहन प्रजाति का एक बहुउपयोगी पौधा है जो हमें भोजन, दवा और ईंधन तीनों उपलब्ध कराता है। हालांकि इसके बीज जहरीले होते हैं, परंतु इसे तीन दिनों तक पानी में भिगोने से इसका जहरीला प्रभाव जाता रहता है और तब इसे खाया जाता है।

भोजन के रूप में इसका प्रयोग सामान्यतः अफ्रीका के इलाकों में किया जाता है। यह 1.8-6 मी तक ऊँचा, अल्पायु, शीघ्र बढ़ने वाला पौधा होता है। इसका तना कोमल, लकड़ी के समान, लगभग 15 सेमी मोटा, बिना कांटों का, गोलाकार और हरे रंग का होता है। इसके पत्ते 7.5-15 सेमी लम्बे, 8-20 जोड़ों में, सघन, रेखाकार, आयताकार और पीलापन लिए हरे रंग के होते हैं।

जयंती के फूल 1.2-1.5 सेमी लम्बे, छोटे, पीले अथवा नारंगी रंग के तथा उन पर लाल अथवा बैंगनी रंग के धब्बे होते हैं। इसकी फली 12.5-22 सेमी लंबी, 2.5-3.8 मिमी व्यास की, बेलनाकार, पतली, हरे-भूरे रंग की तथा 20-30 बीजों से युक्त होती हैं। इस पर फूल और फल लगने का समय अक्टूबर-दिसम्बर से नवम्बर-जनवरी तक होता है।

अनेक भाषाओं में जयंती के नाम (Names of Jayanti in Different Languages)

जयंती (sesbania sesban) का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम सेस्बेनिया सेसबेन (Sesbania sesban (Linn.) Merr.) तथा Syn-Sesbania aegyptiaca Poir.है। यह फैवेसी (Fabaceae) कुल का पौधा है। अंग्रेजी में इसे कॉमन सेसबेन (Common sesban) तथा इजिप्सियन रैटल पॉड (Egyptian rattle pod) कहते हैं। अन्य भारतीय भाषाओं में इसे निम्न नामों से पुकारा जाता है।

Jayanti in –

  • Sanskritजयन्ती, जया, सूक्ष्मलता, सूक्ष्मपत्रा
  • Hindiजयन्ती, जैतज्ञ
  • Urdu जैत (Jait)
  • Oriyaजोयोंति (Joyonti), तेन्तुआ (Tentua)
  • Kannadaअरिनिन्तजिनांगि (Arinintjinangi)
  • Gujarati रायशीघ्रनी (Rayasingani)
  • Telugu जालुगु (Jalugu), सोमिंता (Sominta)
  • Tamil अस्नापन्नी (Asnapanni), सितागट्टी (Sittagatti)
  • Bengali जयन्ती (Jayanti)
  • Nepali जाईता (Jayita)
  • Punjabi जैनतार (Jaintar), झंझन (Jhanjhan)
  • Marathi सेवरी (Sevari), शेवरी (Shewari) जायत (Jayat)
  • Malayalam किटन्नू (Kitannu), शेम्पा (Shempa)
  • Arabic सेसाबेन (Saisaban), सासबेन (Sasaban)
  • Persian सिसिबेन (Sisiban)

जयंती के फायदे (Jayanti Benefits and Uses)

जयन्ती (sesbania) के प्रयोग से गले की आवाज साफ होती है। इसके सेवन करने से माताओं के दूध में बढ़ोत्तरी होती है। जयन्ती विष के प्रभाव को नष्ट करती है। पेशाब करने में होने वाले दर्द तथा जलन में जयन्ती के सेवन से आराम मिलता है। गलगण्ड (ग्वायटर) यानी गले में सूजन और गाठों में भी यह वनस्पति बहुत लाभदायक होती है। इसके अलावा भी जयंती के और भी फायदे हैं। आइए सभी के बारे में जानते हैंः-

गंजापन दूर करे जयंती का प्रयोग (Jayanti Cures Baldness in Hindi)

बाल झड़ने की समस्या आज बहुत आम हो गई है। काफी कम उम्र में ही लोगों के बाल झड़ते और उन्हें गंजा होते देखा जा सकता है। ऐसे में जयंती का प्रयोग काफी लाभकारी है। जयंती के पत्तों को पीसकर सिर में लगाने से या जयंती के पत्तों का काढा.बनाकर सिर को धोने से बालों का झड़ना बंद होता है और गंजापन भी दूर होता है।

और पढ़ें : बालों का झड़ना रोकने के घरेलू उपाय

जुकाम मिटाए जयंती का सेवन (Jayanti Benefits in Fighting with Cough & Cold in Hindi)

  • सर्दी-जुकाम एक आम बीमारी है जो मौसम के बदलने या फिर प्रदूषण के कारण अक्सर हो जाया करती है। जयन्ती के फूलों का चूर्ण बनाकर 1-2 ग्राम मात्रा में सेवन करने से जुकाम में लाभ होता है।
  • जयंती के फूलों को तिल के तेल में पकाकर, छानकर, उस तेल को छाती और मस्तक पर लगाने से जुकाम तथा उसके कारण होने वाले सिरदर्द दोनों ठीक होते हैं।
  • जयन्ती (sesbania) के पत्तों का काढा.बनाकर 15-20 मिली मात्रा में पिलाने से गले का बैठना जुकाम, बार-बार पेशाब आना आदि रोगों में लाभ होता है।
  • जयन्ती के पत्ते का काढ़े को आटे में मिलाकर उसकी रोटी बनाकर सेवन करने से जमा हुआ कफ निकल जाता है।

पेचिश में फायदेमंद जयंती का प्रयोग (Benefits of Jayanti to Stop Dysentery in Hindi)

दूषित पानी के पीने या फिर संक्रमित भोजन करने से बार-बार दस्त होना यानी पेचिश की समस्या अक्सर हो जाती है। सफेद जयंती की छाल खून के विकारों को दूर करती है तथा पाचन क्रिया को सही करती है। 1-2 ग्राम जयन्ती के बीज का चूर्ण तथा 5 मिली जयन्ती की छाल के रस का सेवन करने से पेचिश तथा पाचन की समस्याओं में लाभ होता है।

जयंती के सेवन से खत्म होते हैं पेट के कीड़े (Jayanti Kills Intestinal Worms in Hindi)

छोटे बच्चों को पेट में कीड़े होने की समस्या अक्सर हो जाती है। इसके कारण उन्हें न तो भूख लगती है और न ही उनका शारीरिक विकास हो पाता है। ठीक भोजन करने पर भी उनके शरीर का विकास नहीं होता। ऐसे में जयंती (sesbania) के पत्तों का स्वरस 5-10 मिली की मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।

तिल्ली के बढ़ने की परेशानी में जयंती से लाभ (Jayanti Benefits in Enlarged Spleen in Hindi)

टायफायड यानी मियादी बुखार का मुख्य कारण है तिल्ली का बढ़ जाना। तिल्ली के सामान्य होने से मियादी बुखार भी समाप्त हो जाता है। जयंती के बीज तथा छाल को पीसकर पेट पर लेप करने से बढ़ी हुई प्लीहा (तिल्ली) सामान्य हो जाती है।

अण्डकोषों की सूजन में जयंती के उपयोग से लाभ (Jayanti Benefits in Enlarged Testicles in Hindi)

अंडकोषों की सूजन पुरुषों में होने वाला एक कष्टप्रद गुप्त रोग है। जयंती के पत्तों को पीसकर अण्डकोषों पर लगाने से अण्डकोषों की सूजन मिटती है।

जयंती के इस्तेमाल से मासिक-विकारों में लाभ (Jayanti Helps in Menstruation Problems in Hindi)

मासिक धर्म की अनियमितता अथवा मासिक धर्म में दर्द स्त्रियों में होने वाली एक आम समस्या है। इसके बीज का प्रयोग महिलाओं की मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में किया जाता है।

मासिक धर्म अनियमित हो या स्राव कम हो रहा हो या मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द हो रहा हो, जयन्ती (sesbania aegyptiaca) का बीज सारी समस्याओं को दूर करता है। जयन्ती के बीज का 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से ऐसे सभी मासिक-विकारों में लाभ होता है।

और पढ़े: मासिक धर्म विकार में नागरमोथा के फायदे

जोड़ों के दर्द में जयंती के उपयोग से फायदा (Jayanti Benefits in Joints Pain Treatment in Hindi)

बढ़ती आयु में जोड़ों में दर्द होना आम बात है, पंरतु आज युवाओं को भी घुटनों का दर्द सताने लगा है। जयन्ती के पत्तों को पीसकर घुटने आदि जोड़ों में लगाने से जोड़ों की सूजन तथा दर्द दोनों में ही आराम मिलता है।

और पढ़े- घुटनों में दर्द होने पर घरेलू इलाज

चर्म रोगों में करें जयंती का इस्तेमाल (Benefits of Jayanti to Cure Skin Problems in Hindi)

  • चर्म रोगों में जयंती काफी लाभकारी है। जयंती के बीज के रस को लगाने से खुजली तथा अन्य चर्म रोग ठीक होते हैं।
  • जयंती के पत्तों तथा बीजों को पीसकर लगाने से खुजली मिटती है।
  • जयन्ती के बीज के चूर्ण को आटे में मिलाकर उबटन करने से खुजली दूर होती है।
  • जयंती की छाल के 5 मिली रस में शहद मिलाकर पीने से चर्म रोगों में लाभ होता है।
  • जयन्ती के बीजों में चक्रमर्द (पवांड) के बीज मिलाकर, दोनों को पीसकर त्वचा पर लगाने से त्वचा के रोग ठीक होते हैं।
  • जयंती की जड़ को एक ग्राम की मात्रा में दूध के साथ पीसकर सेवन करने से सफेद दाग मिटते हैं।
  • जयन्ती के बीजों को गाय के घी में पीसकर लगाने से फोड़े-फुंसियों आदि विकारों में लाभ होता है।
  • त्वचा के विकारों के कारण होने वाले फोड़ों को जल्दी पकाने के लिए जयन्ती के पत्तों की पुल्टिस बांधनी चाहिए।
  • जयंती (sesbania aegyptiaca) के पत्तों से बनी पुल्टिस बांधने तथा जयंती की छाल के स्वरस को फोड़ों तथा सूजन में लगाने से लाभ होता है।

और पढ़ेचर्म रोगों में अपामार्ग के फायदे

घावों से खून बहना रोके जयंती का प्रयोग (Jayanti Stops Bleeding from Wounds in Hindi)

जयंती के बीज के चूर्ण तथा पत्तों के चूर्ण को मिलाकर घाव पर लगाने से घाव से बहने वाला रक्त बंद हो जाता है।

सूजन में लाभ दिलाए जयंती का लेप (Jayanti Benefits in Reducing Swelling in Hindi)

जयंती के पत्तों को हल्दी तथा लहसुन के साथ पीसकर सूजन वाली स्थान पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।

बिच्छू का जहर उतारे जयंती का उपयोग (Jayanti Benefits for Scorpion Bite in Hindi)

जयंती (sesbania aegyptiaca) की जड़ के चूर्ण को बिच्छु के काटे हुए स्थान पर लगाएं। इससे बिच्छू के काटने से होने वाले दर्द, जलन आदि समाप्त होते हैं।

जयंती के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Jayanti?)

चूर्ण – 2-6 ग्राम

रस – 10-20 मिली

काढ़ा – 50-100 मिली

अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार जयंती का इस्तेमाल करें।

जयंती के सेवन का तरीका (How to Use Jayanti?)

जयंती का पंचांग यानी जड़, बीज, पत्ते, छाल और फूल, सभी उपयोगी होते हैं।

जयंती कहाँ पाया या उगाया जाता है (Where is Jayanti Found or Grown?)

जयंती (sesbania aegyptiaca) का पौधा भारत में सभी स्थानों पर विशेषतः दक्षिण भारत में 1200 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है और मुख्य रूप से सूखे क्षेत्रों में उगता है। यह आपको खेत, खलिहान, नदी, नाला हर जगह मिल जायेगा। यह विश्व में अफ्रीका, श्रीलंका एवं एशिया के अन्य उष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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