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महापुरुषों की जयंती तो हम सभी मनाते हैं, परंतु क्या आपने जयंती (sesbania sesban) वनस्पति का नाम सुना है? यह एक अद्भुत वनस्पति है। जयंती का उपयोग करके अनेक रोगों से छुटकारा पाया जा सकता है। यदि आप इसे पहचान लें और जयंती के प्रयोग करने के तरीके को जान लें तो बिना एक पैसा खर्च किए ही आप स्वस्थ रहने में इसका उपयोग कर सकते हैं।
जयन्ती (sesbania sesban) स्वाद में कड़वा तथा तीखा, पेट के लिए गरम और जल्द पचने वाली वनस्पति है। जयंती कफ तथा पित को शान्त करती है। आयुर्वेद की संहिताओं में जयंती के पत्तों के रस के प्रयोग का विशेष वर्णन प्राप्त होता है। पीले/सफेद, लाल और काले फूलों के आधार पर इसकी तीन प्रजातियां होती हैं। पीले फूलों वाली जंयती सभी जगह पाई जाती है, परन्तु सफेद फूलों वाली जयंती दुर्लभ होती है। सफेद जयंती के जड़ का प्रयोग कुष्ठ आदि त्वचा विकारों में अत्यन्त लाभकारी होता है।
जयंती दलहन प्रजाति का एक बहुउपयोगी पौधा है जो हमें भोजन, दवा और ईंधन तीनों उपलब्ध कराता है। हालांकि इसके बीज जहरीले होते हैं, परंतु इसे तीन दिनों तक पानी में भिगोने से इसका जहरीला प्रभाव जाता रहता है और तब इसे खाया जाता है।
भोजन के रूप में इसका प्रयोग सामान्यतः अफ्रीका के इलाकों में किया जाता है। यह 1.8-6 मी तक ऊँचा, अल्पायु, शीघ्र बढ़ने वाला पौधा होता है। इसका तना कोमल, लकड़ी के समान, लगभग 15 सेमी मोटा, बिना कांटों का, गोलाकार और हरे रंग का होता है। इसके पत्ते 7.5-15 सेमी लम्बे, 8-20 जोड़ों में, सघन, रेखाकार, आयताकार और पीलापन लिए हरे रंग के होते हैं।
जयंती के फूल 1.2-1.5 सेमी लम्बे, छोटे, पीले अथवा नारंगी रंग के तथा उन पर लाल अथवा बैंगनी रंग के धब्बे होते हैं। इसकी फली 12.5-22 सेमी लंबी, 2.5-3.8 मिमी व्यास की, बेलनाकार, पतली, हरे-भूरे रंग की तथा 20-30 बीजों से युक्त होती हैं। इस पर फूल और फल लगने का समय अक्टूबर-दिसम्बर से नवम्बर-जनवरी तक होता है।
जयंती (sesbania sesban) का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम सेस्बेनिया सेसबेन (Sesbania sesban (Linn.) Merr.) तथा Syn-Sesbania aegyptiaca Poir.है। यह फैवेसी (Fabaceae) कुल का पौधा है। अंग्रेजी में इसे कॉमन सेसबेन (Common sesban) तथा इजिप्सियन रैटल पॉड (Egyptian rattle pod) कहते हैं। अन्य भारतीय भाषाओं में इसे निम्न नामों से पुकारा जाता है।
Jayanti in –
जयन्ती (sesbania) के प्रयोग से गले की आवाज साफ होती है। इसके सेवन करने से माताओं के दूध में बढ़ोत्तरी होती है। जयन्ती विष के प्रभाव को नष्ट करती है। पेशाब करने में होने वाले दर्द तथा जलन में जयन्ती के सेवन से आराम मिलता है। गलगण्ड (ग्वायटर) यानी गले में सूजन और गाठों में भी यह वनस्पति बहुत लाभदायक होती है। इसके अलावा भी जयंती के और भी फायदे हैं। आइए सभी के बारे में जानते हैंः-
बाल झड़ने की समस्या आज बहुत आम हो गई है। काफी कम उम्र में ही लोगों के बाल झड़ते और उन्हें गंजा होते देखा जा सकता है। ऐसे में जयंती का प्रयोग काफी लाभकारी है। जयंती के पत्तों को पीसकर सिर में लगाने से या जयंती के पत्तों का काढा.बनाकर सिर को धोने से बालों का झड़ना बंद होता है और गंजापन भी दूर होता है।
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दूषित पानी के पीने या फिर संक्रमित भोजन करने से बार-बार दस्त होना यानी पेचिश की समस्या अक्सर हो जाती है। सफेद जयंती की छाल खून के विकारों को दूर करती है तथा पाचन क्रिया को सही करती है। 1-2 ग्राम जयन्ती के बीज का चूर्ण तथा 5 मिली जयन्ती की छाल के रस का सेवन करने से पेचिश तथा पाचन की समस्याओं में लाभ होता है।
छोटे बच्चों को पेट में कीड़े होने की समस्या अक्सर हो जाती है। इसके कारण उन्हें न तो भूख लगती है और न ही उनका शारीरिक विकास हो पाता है। ठीक भोजन करने पर भी उनके शरीर का विकास नहीं होता। ऐसे में जयंती (sesbania) के पत्तों का स्वरस 5-10 मिली की मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं।
टायफायड यानी मियादी बुखार का मुख्य कारण है तिल्ली का बढ़ जाना। तिल्ली के सामान्य होने से मियादी बुखार भी समाप्त हो जाता है। जयंती के बीज तथा छाल को पीसकर पेट पर लेप करने से बढ़ी हुई प्लीहा (तिल्ली) सामान्य हो जाती है।
अंडकोषों की सूजन पुरुषों में होने वाला एक कष्टप्रद गुप्त रोग है। जयंती के पत्तों को पीसकर अण्डकोषों पर लगाने से अण्डकोषों की सूजन मिटती है।
मासिक धर्म की अनियमितता अथवा मासिक धर्म में दर्द स्त्रियों में होने वाली एक आम समस्या है। इसके बीज का प्रयोग महिलाओं की मासिक धर्म की समस्याओं को ठीक करने में किया जाता है।
मासिक धर्म अनियमित हो या स्राव कम हो रहा हो या मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द हो रहा हो, जयन्ती (sesbania aegyptiaca) का बीज सारी समस्याओं को दूर करता है। जयन्ती के बीज का 1-2 ग्राम चूर्ण का सेवन करने से ऐसे सभी मासिक-विकारों में लाभ होता है।
बढ़ती आयु में जोड़ों में दर्द होना आम बात है, पंरतु आज युवाओं को भी घुटनों का दर्द सताने लगा है। जयन्ती के पत्तों को पीसकर घुटने आदि जोड़ों में लगाने से जोड़ों की सूजन तथा दर्द दोनों में ही आराम मिलता है।
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जयंती के बीज के चूर्ण तथा पत्तों के चूर्ण को मिलाकर घाव पर लगाने से घाव से बहने वाला रक्त बंद हो जाता है।
जयंती के पत्तों को हल्दी तथा लहसुन के साथ पीसकर सूजन वाली स्थान पर लगाने से सूजन कम हो जाती है।
जयंती (sesbania aegyptiaca) की जड़ के चूर्ण को बिच्छु के काटे हुए स्थान पर लगाएं। इससे बिच्छू के काटने से होने वाले दर्द, जलन आदि समाप्त होते हैं।
चूर्ण – 2-6 ग्राम
रस – 10-20 मिली
काढ़ा – 50-100 मिली
अधिक लाभ के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार जयंती का इस्तेमाल करें।
जयंती का पंचांग यानी जड़, बीज, पत्ते, छाल और फूल, सभी उपयोगी होते हैं।
जयंती (sesbania aegyptiaca) का पौधा भारत में सभी स्थानों पर विशेषतः दक्षिण भारत में 1200 मीटर की ऊँचाई तक पाया जाता है और मुख्य रूप से सूखे क्षेत्रों में उगता है। यह आपको खेत, खलिहान, नदी, नाला हर जगह मिल जायेगा। यह विश्व में अफ्रीका, श्रीलंका एवं एशिया के अन्य उष्णकटिबंधीय भागों में पाया जाता है।
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