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प्याज का प्रयोग लगभग हर घर में किया जाता है। प्रायः प्याज का इस्तेमाल सब्जी को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है। अनेक लोग प्याज (onion in hindi) को सलाद के रूप में खाते हैं। क्या आपको पता है कि प्याज का प्रयोग सब्जी या सलाद के अलावा एक औषधि (onion ke fayde) के रूप में भी किया जाता है? नहीं ना!
दरअसल प्याज (onion in hindi) शाक (सब्जी) के रूप में उगायी जाने वाली एक वनस्पति है जिसका उपयोग प्राचीनकाल से ही औषधि तथा भोजन के घटक, दोनों के रूप में किया जाता रहा है। अनेक प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में प्याज के इसके गुण-धर्मों का वर्णन मिलता है। कई बीमारियों के लिए यह दवा का काम भी करता है। आयुुर्वेद में प्याज (pyaaz) के बारे में बहुत सारी अच्छी बातें बताई गई हैं। आइए प्याज से इस्तेमाल से होने वाले सभी फायदों के बारे में जानते हैं।
प्याज (onion in hindi) औषधीय गुणों वाला खाद्य पदार्थ है। इसकी दो प्रजातियाँ होती हैं। इसकी जड़ का प्रयोग सलाद या सब्जियों के पूरक के रूप में सबसे अधिक किया जाता है। प्याज का ऊपरी तना को भी खाया जाता है। इसकी जड़ और तने के रस (pyaz ka ras) का प्रयोग उपचारों के लिए किया जाता है।
रंगों एवं आकार के आधार पर प्याज की कई प्रजातियाँ होती हैं। रंगों में यह मुख्यतः दो प्रकार का होता है। एक लाल और एक सफ़ेद। कुछ विद्वान इसे ‘प्याज’ और ‘जंगली प्याज’ के रूप में भी दो वर्गों में बाँटते हैं। औषधि के रूप में प्रयोग के लिए सफ़ेद रंग की प्याज को उत्तम माना गया है। प्याज को विटामिन ‘ए’ का अच्छा स्रोत भी माना जाता है।
प्याज लिलिएसी (Liliaceae) कुल का पौधा है और इसका वानस्पतिक (वैज्ञानिक) नाम ऐलियम सीपा (Allium cepa Linn) या Syn-Allium angolense Baker है। जंगली प्याज को वनस्पति विज्ञान में (Urginea Indica) कहते हैं। सामान्य प्याज को अंग्रेजी में गार्डेन ओनियन और कॉमन अनियन जैसे नामों से भी जानते हैं। आइये, जानते हैं कि हिंदी समेत अन्य भाषाओं में प्याज के नाम क्या-क्या हैं: –
Onion in –
प्याज का औषधीय प्रयोग, प्रयोग की मात्रा और तरीका ये हैः-
प्याज के रस (pyaz ka ras) में हल्की मात्रा में सेंधा नमक मिलाकर, छानकर आँख में 2-2 बूँद डालने से रतौंधी में लाभ मिलता है। इसे प्रयोग से पहले चिकित्सक से परामर्श जरूर करें। प्याज के रस का फायदा आँखो के लिए बहुत ही लाभकारी साबित होता है।
प्याज के 5-10 मिली रस (pyaj ka ras) में बराबर मात्रा में शहद मिलाकर आँखों में लगाने से आँखों की ज्योति बढ़ती (pyaj ke fayde) है।
प्याज के 10-20 मिली रस में 1 चम्मच शहद मिलाकर दिन में दो-तीन बार चाटने से नजला मिटता है।
नाक से खून आने के कई कारण होते हैं। खून का थक्का जमाने का प्याज के औषधीय गुण होता है। नाक से खून आने की हालत में प्याज के पत्तों का 1-2 बूँद रस नाक में डालने से खून का थक्का जम जाता है और खून बहना बंद (pyaz ke fayde) हो जाता है।
कान में सूजन होने की स्थिति में अलसी को प्याज के रस (pyaj ke ras ke fayde) में पकाकर छान लें। इस रस को गुनगुना कर कान में इसकी 4 से 8 बूँद डालें। इससे कान में दर्द, सूजन और अन्य प्रकार की समस्याएँ दूर (pyaj ke fayde) होती हैं।
प्याज खाने के फायदे (pyaz ke fayde) ये हैं कि आप दांतों और मसूड़ों को स्वस्थ बना सकते हैं। दांतों में दर्द होने या मसूड़ों के फूलने की स्थिति में प्याज और कलौंजी को बराबर मात्रा में लेकर चिलम में रख दें। धीरे धीरे उसके धुएं का सेवन करें। ऐसा करने से मसूड़ों की सूजन दूर होती है और दांतों का दर्द भी मिट (onion benefits in hindi) जाता है।
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प्याज को सिरका के साथ पीसकर तरल तैयार कर लें। इसका नियमित सेवन करने से कंठ रोग की बहुत-सी समस्याएँ दूर (pyaj ke fayde) होती हैं।
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छोटे बच्चों में कफ से होने वाले रोगों में प्याज के 5-10 मिली रस (pyaz ka ras) में 10 ग्राम चीनी मिलाकर पिलाना चाहिए। ऐसा करने से कफ का प्रभाव दूर होता है। छोटे बच्चे की माताओं को कफ से होने वाले रोगों की हालत में 1-2 नग प्याज को पानी में उबालें।
इसे पिलाने से लाभ (pyaz ke fayde) होता है। इसका सेवन करने से वात की कमी होती है और कफ पतला होकर बाहर निकल जाता है, घबराहट कम हो जाती है और पित्त भी बाहर निकल जाता है।
सांसों के रोग जैसे दमा के रोगी को प्याज का काढ़ा बनाकर 40-60 मिली की मात्रा में सुबह शाम पिलाने से तुरंत लाभ होता है। प्याज की जड़ के रस का सेवन करने से तेज हिचकी तथा दमा में लाभ (onion ke fayde) होता है।
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प्याज खाने के फायदे (pyaz ke fayde) पाचनशक्ति विकार को ठीक करने में भी मिलते हैं। प्याज के रस के सेवन से या कच्चा प्याज खाने से पाचन शक्ति बढ़ती है और कमजोर पाचन के कारण होने वाली बीमारियां दूर (pyaz ke fayde) होती हैं।
प्याज के 20 मिली रस में 125 मिग्रा हींग और 1 ग्राम काला नमक व नींबू का रस मिला लें। इसे दिन में तीन बार पिलाने से पेट के दर्द में लाभ (pyaj ke fayde) होता है।
प्याज के 1-2 नग को 50 मिली सिरका के साथ मिलाकर खाने से आमाशय को बल मिलता है और पाचन सही तरह (onion benefits in hindi) से होता है।
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कामला (एक प्रकार का पीलिया) होने की स्थिति में प्याज या प्याज के रस का सेवन करें। इससे बहुत लाभ होता है। इनका सेवन प्लीहा या तिल्ली की वृद्धि (Spleenomegaly) में भी लाभ पहुंचाता है।
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प्याज के 10-20 मिली ताजा रस को दिन में तीन बार पीने से गुर्दे (Kidney) की पथरी चूर चूर हो जाती है और पेशाब के रास्ते बाहर निकल जाती है।
प्याज का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से पेशाब में जलन की समस्या दूर होती है।
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हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता, सूजाक तथा डायबिटीज (Diabetes) जैसे रोगों में प्याज काफी फायदा देता है। इसके लिए 6 मिली रस में 4 ग्राम गाय का घी और 3 ग्राम मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम चाटने से तथा रात को दूध पीने से बहुत लाभ होता है।
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प्याज के कंदों को कुचलकर सुंघाने से सामान्य मिर्गी से होने वाली बेहोशी आदि दूर हो जाती है।
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आजकल के व्यस्त जीवन के कारण अक्सर महिलाओं को मासिक चक्र की समस्या होती है। कच्चे प्याज का नियमित सेवन करने से मासिक चक्र भी नियमित होता है।
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प्याज खाने के फायदे (pyaz ke fayde) नपुंसकता की परेशानी में भी मिलता है। हस्तमैथुन के कारण आयी नपुंसकता, सूजाक तथा प्रमेह (Diabetes) जैसे रोगों में प्याज से लाभ होता है। इसके लिए प्याज के 6 मिली रस में 4 ग्राम गाय का घी और 3 ग्राम मधु मिलाकर सुबह और शाम चाटें। इसके बाद रात को दूध पीने से बहुत लाभ होता है।
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प्याज (pyaz)के कंदों को कुचलकर सुंघाने से सामान्य हिस्टीरिया (Hysteria) में लाभ होता है।
प्याज के बीजों (pyaz) की बनाई हुई चाय अनिद्रा रोग को दूर करती है। चिड़चिडे बच्चों को जब किसी अन्य साधन से कुछ फायदा नहीं होता और नींद नहीं आती, तब यह पेय लाभ पहुंचाती है।
प्याज (pyaz) के 10-15 मिली रस में बराबर मात्रा में घी मिला कर पीने से शारीरिक शक्ति बढ़ती है और स्फूर्ति आती है।
प्याज के 50 मिली रस में 10 ग्राम मिश्री तथा 1 ग्राम भुने हुए सफ़ेद जीरे को मिला लें। इसे रोज सेवन करने से खून साफ होता है।
खून के विकारों के कारण होने वाली छाजन, पामा (Scabies) आदि समस्याएँ दूर होती हैं।
बुखार, जलोदर (Ascitis), सर्दी-जुकाम तथा पुरानी खाँसी में प्याज का नियमित प्रयोग लाभदायक है। प्याज को काटकर उसपर काली मिर्च छिड़क कर दिन दो बार खाने से वात विकार के कारण आया बुखार कम होता है।
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लू लगने की हालत में प्याज के ताजे रस को शरीर पर मलने से लू का प्रभाव तुरंत समाप्त हो जाता है।
प्याज से बने काढ़ा में समान मात्रा में सरसों तेल मिला लें। इसे सूजन पर लगाने से सूजन कम होने लगती है।
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जहाँ कीड़ा कटा हो, उस स्थान पर प्याज का रस मलें। इससे जलन धीरे धीरे खत्म हो जाती है।
बिच्छू के काटने पर प्याज को काटकर उस पर बुझा हुआ चूना लगा लें। इसे काटे हुए स्थान पर रगड़ने से बिच्छू के विष के प्रभाव खत्म होने लगते हैं।
दमा, कास (खांसी), कामला (एक प्रकार का पीलिया) आदि रोगों से ग्रसित व्यक्ति को जंगली प्याज के 10-15 बूँद रस पिलाने से आराम मिलता है।
इसका सेवन करने से श्वासन नली की सूजन भी दूर होने लगती है।
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जंगली प्याज का नियमित सेवन करने से पेट के कई तरह के रोगों में लाभ होता है। इसके सेवन से पेट के कीड़े भी नष्ट होते हैं।
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त्वचा में खुजली, तिल निकलना आदि विकारों व गठिया की समस्या में जंगली प्याज को पीसकर अथवा इसका रस निकाल लें। इसे लगाने से खुजली कम होती और अन्य समस्याएँ भी दूर होती हैं।
जंगली प्याज को पीसकर पैरों के तलुओं में लगाने से तलुवों की जलन शांत होती है।
हवा के माध्यम से शीघ्र फैल जाने वाले रोगों से बचने के लिए प्याज (pyaj) को काट कर इसके टुकड़े पास में रख लेना चाहिए। आप इन टुकड़ों को दरवाजे पर भी बाँध सकते हैं। ऐसा करने से ये रोग बढ़ते नहीं हैं।
सफेद प्याज (pyaj) का 10 मिली रस, अदरक का 10 मिली रस, नींबू का 10 मिली रस लें। इन्हें 50 मिली शहद में मिलाकर रखें। इस घोल को नियमित रूप से 2-2 बूँद आखों में डालने से मोतियाबिन्द कट जाता है।
ये दवा पतंजलि आयुर्वेद में दिव्य दृष्टि आई ड्राप के नाम से तैयार की जाती है, जिसके प्रयोग से अनेक रोगी लाभ पा चुके हैं।
औषधि के रूप में प्याज (payaz) का सेवन इतनी मात्रा में करना चाहिएः-
अधिक लाभ के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार प्याज का इस्तेमाल करें।
प्याज (payaz) के इन भागों और रूपों का प्रयोग ऊपर बताए गए तरीकों से किया जा सकता है:-
प्याज से ये नुकसान (pyaz ke nuksan) हो सकते हैंः-
प्याज (onion in hindi) में तीव्र दुर्गन्ध होती है। यह पुरुषों में कामुकता और महिलाओं में रजोगुण को बढ़ा करके कम भावना को तेज करता (pyaj khane ke nuksan) है।
इन कारणों से मनुस्मृति आदि ग्रन्थों में प्याज का आहार के रूप में उपयोग करने से मना (pyaz ke nuksan) किया गया है।
इसलिए औषधि के रूप में इसके विशिष्ट प्रयोग के लिए चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए।
पूरे भारत में मुख्यतः गुजरात, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश एवं दक्षिण भारत में प्याज (payaz) की खेती की जाती है। प्याज की खेती सामान्य सब्जियों की तरह ही होती है।
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