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तुलसी (Tulsi Barbari) के पौधे के बारे में कौन नहीं जानता होगा। हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत पवित्र पौधा माना गया है। लगभग हर घर में तुलसी की पूजा भी की जाती है। आमतौर पर लोगों को तुलसी के पौधे के बारे में बहुत अधिक जानकारी नहीं है। शायद आप भी नहीं जानते होंगे कि तुलसी एक नहीं बल्कि कई प्रकार की होती हैं। बर्बरी तुलसी भी तुलसी के पौधे का एक प्रकार है, जिसके बारे में आप नहीं जानते होंगे। बर्बरी तुलसी को जंगली तुलसी भी कहा जाता है, जो एक बहुत ही गुणी औषधी है। आप कई रोगों को ठीक करने में बर्बरी तुलसी के फायदे ले सकते हैं।
आयुर्वेदिक किताबों के अनुसार, तुलसी बर्बरी के फायदे वात-पित्त-कफ विकार दोषों को दूर करने, भूख को बढ़ाने और ह्रदय को स्वस्थ बनाने में मिलते हैं। आप खुजली, रक्तविकार, कुष्ठ रोग, विसर्प और मूत्र संबंधित बीमारियों में भी तुलसी बर्बरी से लाभ ले सकते हैं। आइए जानते हैं कि तुलसी बर्बरी के औषधीय गुण (Tulsi Barbari Benefits) क्या-क्या हैं।
तुलसी बर्बरी 60-90 सेमी ऊंचा, सीधा और अनेक शाखाओं वाला होता है। इसके तने बैंगनी रंग के होते हैं, जो हमेशा रहते हैंं। इसके पत्ते सीधे, विपरीत, 2.5-5 सेमी लम्बे होते हैं। इसके फूल सुगन्धित, सफेद-गुलाबी अथवा बैंगनी होते हैं। इसके फल 2 मिमी लम्बे, थोड़े नुकीले, श्यामले रंग के, चिकने अथवा लगभग झुर्रीदार होते हैं। इसके बीज श्यामले रंग वर्ण के, अंडाकार तथा आयताकार होते हैं। तुलसी बर्बरी के पौधे में फूल और फल सालों भर होते हैं।
तुलसी बर्बरी का वानस्पतिक नाम Ocimum basilicum Linn. (ओसीमम बेसिलीकम) Syn-Ocimum caryophyllatum Roxb. है, और यह Lamiaceae (लेमिएसी) कुल की है। इसे अन्य इन नामों से भी जानते हैंः-
Tulsi Barbari in –
तुलसी बर्बरी का औषधीय प्रयोग (kali tulsi ke fayde), प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
वनतुलसी के पत्ते के रस को नाक से देने से बेहोशी, सिर के दर्द, साइनस में फायदा होता है।
वन तुलसी के पत्ते के रस को आंखों में लगाने से आंखों की बीमारी (नेत्राभिष्यंद) में लाभ होता है।
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वनतुलसी पत्ते के रस को नाक से लेने से नाक से बहने वाला खून रुक जाता है।
5-10 मिली वन तुलसी के पत्ते के रस में शहद मिलाकर चाटें। इससे कण्ठ विकार तथा कुक्कुर कास ठीक होते हैं।
वन तुलसी के पत्ते के 5-10 मिली रस में शर्करा मिलाकर सेवन करने से पेट दर्द ठीक होता है।
वनतुलसी के 10 मिली पत्ते के रस में मिश्री मिलाकर पिलाने से मूत्र रोग में लाभ होता है।
वनतुलसी के बीजों का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली की मात्रा में पिएं। इससे किडनी से संबंधित विकारों में लाभ होता है।
वन तुलसी की पत्तियों का काढ़ा बना लें। 15-30 मिली काढ़ा में 1 ग्राम सोंठ चूर्ण तथा 500 मिग्रा मरिच चूर्ण मिला लें। इसे पिलाने गठिया का दर्द ठीक होता है।
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वन तुलसी पत्ते के रस को लगाने से मोच ठीक होता है।
वनतुलसी के पत्तों को पीसकर घाव पर लगाने से घाव तुरंत भर जाता है।
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वन तुलसी के पत्तों को पीसकर लगाने से साइनस में फायदा होता है।
वात-कफज बुखार में यदि अधिक ठंड महसूस हो रहा हो तो पलाश, तुलसी, सफेद बर्बरी तथा सहिजन के पत्तों का पेस्ट का लेप करें।
वनतुलसी को पीसकर लगाने से बुखार के कारण होने वाली शरीर की जलन ठीक होती है।
वन तुलसी के पत्तों को पीसकर सूजन वाले स्थान पर लेप करें। इससे सूजन और दर्द ठीक होता है।
बर्बरी तुलसी के बीज के चूर्ण को बकरी के दूध से पीस लें। इसे बिच्छू के डंक मारने वाले स्थान पर लेप करें। इससे बिच्छू के डंक मारने से होने वाला दर्द, जलन औस सूजन में लाभ होता है।
पत्ते का रस – 5-10 मिली
काढ़ा – 10-15 मिली
बेहतर लाभ पाने के लिए तुलसी बर्बरी का उपयोग चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।
भारत के गर्म प्रदेशों में तुलसी बर्बरी (Tulsi Barbari) की खेती होती है। यह प्रायः सभी जगह जैसे- बाग-बगीचों में मिलती है। सिंध, पंजाब, उत्तराखण्ड आदि प्रदेशों के पहाड़ी भागों पर यह अपने आप उत्पन्न होती है।
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