आप कनेर (Karweer) के फूल को पहचानते ही होंगे। कनेर के वृक्ष अक्सर बाग-बगीचों, मंदिरों या सड़कों के किनारे देखे जाते हैं। आयुर्वेद में कनेर (करवीर) के फूलों के रंगों के आधार पर तीन भेद बताए गए हैं। ये सफेद, लाल तथा पीला कनेर हैं। आमतौर पर लोग कनेर के फूल या वृक्ष के फायदे के बारे में अधिक नहीं जानते हैं, इसलिए इसे केवल पूजा-पाठ के लिए कनेर का इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन सच यह है कि कनेर के पौधे में कई सारे औषधीय गुण होते हैं। क्या आप यह जानते हैं कि कनेर एक जड़ी-बूटी भी है, और बवासीर, गंजेपन की समस्या, सिफलिस जैसी बीमारियों में कनेर के इस्तेमाल से फायदे (Karweer benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, लिंग संबंधी समस्या, कुष्ठ रोग, त्वचा विकार में भी कनेर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में कनेर के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप खुजली, फोड़ा होने पर कनेर के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप दर्द और घाव में भी कनेर से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां जानते हैं कि कनेर के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि कनेर से नुकसान (Karweer side effects) क्या-क्या हो सकता है।
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कनेर का पौधा लगभग 3 मीटर ऊँचा और हमेशा हरा रहता है। यह मजबूत, सीधी शाखाओं वाला होता है। कनेर का वृक्ष बहुत जहरीला पौधा होता है। जहरीला होने से कनेर का सेवन बहुत कम किया जाता है। आयुर्वेद में घाव और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए इसके इस्तेमाल की जानकारी दी गई है। इसके अलावा कई आयुर्वेदिक किताबों में पथरी और पेट के लिए भी इसके प्रयोगों का वर्णन मिलता है।
फूलों के रंग के अनुसार यह तीन प्रकार का होता है। यहां कनेर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Karweer benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कनेर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कनेर का सेवन करने या कनेर का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।
कनेर का वानस्पतिक नाम Nerium indicum Mill. (नीरियम इण्डिकम) Syn-Nerium odorum Soland; Nerium oleander (Linn. f.) Druce है, और यह Apocynaceae (ऐपोसाइनेसी) कुल का है। कनेर को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-
Karweer in –
कनेर के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
लाल कनेर कटु, तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, वातकफशामक, शोधक, ग्राही, चक्षुष्य तथा कुष्ठघ्न होता है। यह अक्षिरोग, कम्प, कण्डू, व्रण, प्रमेह, कृमिरोग, कुष्ठ, अर्श, विस्फोट, ज्वर, शोफ, त्वग्रोग, रक्तदोष तथा शिरशूल नाशक है।
गुलाबी कनेर शिरशूल, कफ तथा वात शामक होता है। इसके पुष्प कटिशूल, शिरशूल तथा विचर्चिका नाशक होते हैं। यह बलकारक, मूत्रल, विष-प्रतिरोधी, जीवाणुरोधी, कर्कटार्बुदरोधी, कृमिरोधी, केन्द्राrय-तंत्रिकातंत्र अवसादक तथा कामोत्तेजक होता है। सफेद कनेर कटुरस युक्त, तीक्ष्ण, कुष्ठ रोग तथा कण्डू का ठीक करने वाला है। यह व्रण, विषजन्य विकार तथा विस्फोट का ठीक करता है।
कनेर के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
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लिंग संबंधी समस्या जैसे लिंग में दर्द हो तो कनेर की जड़ को जल में पीस लें। इसे लिंग में लेप करने से लिंग का दर्द ठीक होता है।
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बवासीर एक गंभीर बीमारी है, और इस बीमारी के हो जाने पर लोग बहुत परेशान रहते हैं। ऐसे में आप कनेर से लाभ ले सकते हैं। कनेर की जड़ को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।
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कनेर के नए पत्ते, जड़, छाल आदि का पेस्ट बना लें। चौथाई भाग पेस्ट और चार गुना गोमूत्र में पेस्ट को पकाएं। एक भाग सरसों के तेल की मालिश करने से त्वचा विकार और कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
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प्रायः गर्भवती महिलाओं के शरीर पर स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं, और महिलाएं स्ट्रैच मार्क्स के इलाज के लिए अनेक उपाय करती हैं। इसके लिए कनेर के पत्ते से तेल को पका लें। तेल का स्ट्रैच मार्क्स पर लगाने और मालिश करने से गर्भवती स्त्रियों के शरीर पर होने वाले स्ट्रैच मार्क्स में लाभ होता है।
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कनेर की जड़, वत्सनाभ तथा गोमूत्र को तेल में पका लें। इस तेल की मालिश करने से चर्म रोग, खुजली, फोड़ा, कीड़ों वाले घाव, सोयरायसिस और कुष्ट रोग आदि ठीक होते है।
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लाल कनेर के फल और मरिच को मिलाकर पीस लें। इसे तेल में पकाकर छान लें। इसका लेप करने से खुजली रोग ठीक होती है।
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सफेद कनेर के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक के रास्ते लें। इससे मिर्गी रोग में लाभ होता है।
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कनेर के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
कनेर को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
चूर्ण- 30-125 मिग्रा
यह बहुत ही जहरीला होता है। इसकी जड़ के इस्तेमाल से गर्भपात होता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।
यहां कनेर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Karweer benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कनेर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कनेर का सेवन करने या कनेर का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
भारत के प्रायः सभी स्थानों में कनेर पाया जाता है। कनेर हिमालय में काश्मीर से नेपाल तक लगभग 2000 मीटर की ऊँचाई तक प्राप्त होता है। यह विश्व में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन तथा जापान में भी होता है।
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