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Moringa (Sahajan): सहजन के हैं कई जादुई लाभ – Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

Contents

सहजन का परिचय (Introduction of Sahijan/Drumstick)

सहजन (Sahajan) की सब्जी के बारे में तो आप जानते ही होंगे। यह एक मौसमी सब्जी है। आमतौर पर लोग सहजन का प्रयोग केवल उसकी सब्जी  के लिए करते हैं क्योंकि लोगों को यह पता है कि सहजन का सेवन स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। क्या आपको पता है कि सहजन का इस्तेमाल एक औषधि के रूप में भी किया जाता है? नहीं ना!

जी हां, आपने सही पढ़ा है। सहजन का उपयोग एक औषधि के रूप में भी किया जाता है। केवल सहजन (moringa in hindi) के फल की ही नहीं बल्कि सहजन के पत्ते, छाल आदि का इस्तेमाल भी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। सहजन की छाल और पत्तों का लेप जलन कम करने वाला, सूजन नाशक और फोड़ों को नष्ट करने वाला है। सहजन के बीज का तेल दर्दनिवारक और सूजननाशक है।

 

सहजन क्या है? (What is Drumstick?)

सहजन  के लिए यह कहावत मशहूर है- ‘‘सहजन अति फूले-फले, तबहुं डारपात की हानि।’’ सहजन की फली हरे रंग की तथा अंगुली के समान मोटी होती है। जंगली वृक्षों की फलियाँ और लगाए हुए वृक्षों की फलियाँ सब्जी (Drumstick vegetable) के रूप में प्रयोग की जाती हैं। यह स्वास्थ्यवर्धक आहार भी है और औषधि के रूप में  प्रयोग भी की जाती है।

फूलों के रंग के भेद से शास्त्रकारों ने सहजन (Moringa in hindi) के सफेद और लाल दो भेद किए हैं। सफेद जाति कड़ुआ और लाल जाति मीठी होती है। कड़ुआ सहजन हर जगह मिल जाता है लेकिन मीठा सहजन कम ही पाया जाता है। सहजन के छोटे या मध्यम आकार के वृक्ष होते हैं। छाल और तना सुपाच्य होता है। जब वृक्ष फलियों से लद जाते हैं तो डालियां अक्सर टूट जाती हैं।

 

अनेक भाषाओं में सहजन के नाम (Drumstick Benefits and Uses)

सहजन का लैटिन नाम मोरिङ्गा ओलिफेरा (Moringa oleifera Lam.), Syn-Moringa pterygosperma Gaertn. है और यह Moringaceae (मोरिंगेसी) कुल का है। सहजन को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो ये हैंः-

Sahijan/Drumstick in –

  • Hindi (drumstick in hindi) – सहजन, सहजन, सहजना, सैजन, मुनगा
  • English – Drum stick tree (ड्रम स्टिक ट्री), इण्डियन हौर्स रेडिश (Indian horse radish), हौर्स रेडिश ट्री (Horse radish tree)
  • Sanskrit – शोभाञ्जन, शिग्रु, तीक्ष्णगन्ध, अक्षीव, मोचक, सौभाञ्जन
  • Oriya – मुनीया (Muniya), सजीना (Sajina)
  • Konkani – मेइसिंग (Maissing), मोरिंग (Moring)
  • Kannada – नुग्गे (Nugge), नुग्गी (Nuggi)
  • Gujarati – सेगते (Segato), सरगवो (Saragavo)
  • Telugu – मुनगा (Munaga)
  • Tamil – मंरुगाई (Murungai), मुंकाई (Murunkai)
  • Bengali – सजिना (Sajina)
  • Nepali – सज्योन (Sajyon)
  • Punjabi – सोंहजना (Sohanjana), सैन्जन (Sanjan)
  • Marathi – शेवगी (Shevgi), शेगटा (Shegata)
  • Malayalam – सहिजनो (Sahijano), सर्हिजणो (Sarhijano)
  • Persian – सर्वकोही (Sarvkohi)

 

सहजन के फायदे (Drumstick Benefits and Uses in Hindi)

अब तक आपने जाना कि सहजन के कितने नाम हैं। आइए अब जानते हैं कि सहजन का औषधीय प्रयोग कैसे और किन बीमारियों में किया जा सकता हैः-

 

सिर दर्द में सहजन का सेवन फायदेमंद (Use Drumstick for Headache relief  in Hindi)

  • सहजन की जड़ के रस में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसे छानकर 1-1 बूंद नाक में डालने से सिर दर्द (Headache) में लाभ होता है।
  • सहजन के पत्तों के रस में काली मिर्च को पीस लें। इसे मस्तक पर लेप करने से मस्तक पीड़ा ठीक होता है।
  • सहजन के पत्तों को पानी के साथ पीस लें। इसका लेप करने से सर्दी की वजह से होने वाला सिर का दर्द ठीक होता है।

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टाइफाइड में सहजन से फायदा (Drumstick is Beneficial in Typhoid in Hindi)

सहजन की छाल को जल में घिस लें। इसकी एक दो बूंद नाक में डालने से तथा सेवन करने से मस्तिष्क ज्वर यानी दिमागी बुखार या टॉयफाइड में लाभ होता है।

सहजन के 20 ग्राम ताजे जडों को 100 मि.ली. पानी में उबालें। इसे छानकर पिलाने से टॉयफॉयड ख़त्म हो जाता है।

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आंखों के रोगों  में सहजन का प्रयोग लाभदायक (Drumstick Uses to Cure Eye Disease in Hindi)

  • कफ के कारण आँख से पानी बहने की समस्या में सहजन के पत्तों को पीसकर टिकिया बनाकर आंखों पर बांधने से लाभ (drumstick benefits) होता है।
  • सहजन के पत्ते के 50 मि.ली. रस में 2 चम्मच शहद मिला लें। इसे आँखों में काजल की तरह लगाने से आंखों के धुंधलेपन जैसी सभी प्रकार के आंखों की बीमारी (Eye Problems) में लाभ होता है।
  • सहजन के पत्तों के रस में समान मात्र में मधु मिला ले। इसे 2-2 बूंद आंख में डालने से आँखों का दर्द (Eye Pain) कम होता है तथा लाभ होता है।

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कान से जुड़े रोगों में सहजन का उपयोग फायदेमंद (Drumstick Benefits in Cure Eye Disease in Hindi)

20 मि.ली. सहजन की जड़ रस में एक चम्मच मधु और 50 मि.ली. तेल को मिला लें। इसे गर्मकर, छानकर, कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान का दर्द (Ear Pain) कम होता है।

सहजन की गोंद को तिल के तेल में गर्म कर छान लें। इसे कान में 2-2 बूंद टपकाने से कान दर्द में लाभ (drumstick benefits)  होता है।

सहजन की छाल और राई को पीसकर लेप करें। इससे कान की जड़ में सूजन की परेशानी ठीक हो जाती है।

 

आवाज के बैठने (स्वरभंग) की बीमारी में सहजन से लाभ (Drumstick is Beneficial in Sore Throat Problem in Hindi)

सहजन की जड़ का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से आवाज के बैठने (स्वरभंग) की परेशानी में लाभ होता है।

 

दांतों के रोग में सहजन के सेवन से फायदा (Drumstick Benefits in Cure Dental Disease in Hindi)

सहजन की गोंद को पानी में घोलकर गरारा करने से दांतों की बीमारियां (Dental Problems) दूर होती हैं।

 

सांसों के रोग में सहजन का इस्तेमाल लाभदायक (Benefits of Drumstick in Asthma)

सहजन और अदरक के रस को बराबर मात्रा में मिला लें। इसे 10-15 मि.ली. की मात्रा में रोज सुबह और शाम पिलाने से सांसों के रोग में लाभ होता है।

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पेट के रोग में करें सहजन का इस्तेमाल (Drumstick Uses in Abdominal Disease Treatment in Hindi)

  • सहजन की ताजी जड़, सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें। इस 2-2 गोली का सुबह और शाम सेवन करने से जठराग्नि सक्रिय हो जाती है जिससे मन्दाग्नि दूर होती है।
  • सहजन के 10-20 मि.ली. काढ़े में 2 ग्राम सोंठ डालकर सुबह-शाम पिलाने से पाचन शक्ति (Digestive Power) बढ़ती है।
  • पेट की गैस या पेटदर्द की स्थिति में सहजन की जड़ की 100 ग्राम छाल में 5 ग्राम हींग और 20 ग्राम सोंठ मिला लें। इसे जल के साथ पीसकर 1-1 ग्राम की गोलियां बना लें। इनमें से 1-1 गोली दिन में 2-3 बार खाने से पेट दर्द में लाभ (drumstick benefits)  होता है।
  • इसके पत्तों को पानी के साथ पीसकर गुनगुना गरम कर लें। इसे पेट पर लेप करने से भी पेट का दर्द ठीक होता है।
  • सहजन की फलियों की सब्जी (drumstick vegetable) बनाकर खाने से पेट की आंत के कीड़ों का नाश होता है।
  • सहजन की 50 ग्राम की जड़ को 200 मि.ली. पानी में मिला लें। इसकी चटनी बनाकर थोड़ी-थोड़ी मात्रा में पिलाने से जलोदर (पेट में पानी भर जाने की समस्या) में लाभ होता है।
  • सहजन की जड़ और देवदारू की जड़ को बराबर मात्रा में लें। इसे कांजी के साथ पीसकर गुनगुना कर लेप करे। इसे अपच की समस्या ठीक हो जाती है।

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किडनी विकार में सहजन का सेवन लाभदायक (Benefits of Sahajan in Kidney Disorder in Hindi)

  • सहजन के 5 ग्राम गोंद को रोज 7 दिन तक दही के साथ खाने से पेशाब की समस्या में लाभ होता है।
  • सहजन की जड़ की छाल के 20 मि.ली. काढ़ा को दिन में 3 बार पिलाने से गुर्दे की पथरी (Kidney Stone) चूर-चूर होकर निकल जाती है।
  • इसके प्रयोग से मिरगी में भी लाभ होता है।

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शारीरिक कमजोरी दूर कर ताकत पहुंचाता है सहजन (Drumstric Cure Body Weakness and Increase Stamina in Hindi)

सहजन के 8-10 फूलों को 250 मि.ली. दूध में उबाल लें। इसे सुबह-शाम पीने से शारीरिक कमजोरी दूर होती है और पौरुष शक्ति (Stamina) में बढ़ोतरी होती है।

सहजन के प्रयोग से गठिया का इलाज (Uses of Sahajan to Cure Arthritis in Hindi)

  • सहजन की गोंद का लेप करने से गठिया की बीमारी ठीक होती है।
  • सहजन के पत्तों (moringa leaves) को तेल के साथ महीन पीस लें। इसे गुनगुना कर लेप करने से घुटनों की पुराना दर्द ठीक होता है।
  • सहजन की ताजी जड़, सरसों और अदरक को समान मात्रा में लें। इसे पीसकर 1-1 ग्राम की गोली बना लें। इसकी 2-2 गोली सुबह और शाम सेवन करने से भी गठिया में लाभ होता है।
  • सहजन की बीज के तेल की मालिश करने से जोड़ों के दर्द और गठिया में लाभ होता है।
  • सहजन और वरुण की जड़ की छाल को धान्याम्ल से पीसकर लेप करें। इसेसे वातरक्त से होने वली पीड़ा दूर होती है।
  • सहजन (shajan) के पत्तों को तेल के साथ पीसकर लेप करने से और धूप में बैठने से चोट व मोच की पीड़ा ठीक होती है।

 

फाइलेरिया (हाथीपांव) में करें सहजन का इस्तेमाल (Sahajan Benefits in Filariasis in Hindi)

सहजन की की जड़ को पीसकर गर्म करके लेप करने से फाइलेरिया या हाथीपांव रोग में लाभ होता है।

 

सहजन के प्रयोग से चर्म रोग का इलाज (Sahajan Uses in Fighting with Skin Disease in Hindi)

सहजन की जड़ की छाल को जल में घिस ले। इससे लेप करने से दाद (Ring Worm) का नाश होता है।

सहजन की जड़ को कुचल कर सरसों के तेल में पकाकर लगाने से खुजली (Itching) में लाभ होता है।

 

सूजन कम करने के लिए सहजन का प्रयोग लाभदायक (Benefits of Sahajan in Reducing Swelling in Hindi)

सहजन की छाल को जल में घिसकर 10 ग्राम की मात्रा में सेवन करें। इससे सूजन कम होती है। (इसकी छाल को स्वदेशी पेन्सिलीन कहा जाता है।)

 

फोड़े को ठीक करता है सहजन (Uses of Sahajan to Cure Fester in Hindi)

  • सहजन की जड़ की छाल और वत्सनाभ को पीसकर लेप करने से फोड़े ठीक होते हैं। इससे फोड़ा फट जाता है और पीव बह जाता है।
  • सहजन के पत्तों के रस और सर्जरस को पीसकर पूरे शरीर पर लेप करने से फूंसियां खत्म हो जाती हैं।
  • सहजन के पत्ते (moringa leaves) और तिल को समान मात्रा में मिला लें। इसे पीस लें। इसमें थोड़ा घी मिलाकर लेप करने से घाव जल्दी भर जाता है।

 

कुष्ठ रोग के इलाज में सहजन से लाभ (Sahajan Benefits in Treatment of Leprosy in Hindi)

कुष्ठ रोगी को सहजन (shajan) तथा आम की गुठली का तेल लगाने से लाभ होता है।

सहजन छाल के पेस्ट को गुनगुना कर लेप करने से ग्रन्थियों को लाभ होता है।

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लकवा में सहजन से फायदा (Sahajan Uses in Paralysis in Hindi)

सहजन के पके रस (5-10 मि.ली.) में मधु मिलाकर सेवन करें। इससे लकवा (Paralysis), मासिक धर्म आदि में लाभ होता है।

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कैंसर में सहजन से लाभ (Drumstick is Beneficial in Cancer in Hindi)

लिवर कैंसर की बीमारी के लिए सहजन की 20 ग्राम छाल का काढ़ा बना लें। इसे आरोग्यवर्धिनी वटी (2 गोली) के साथ दिन में तीन बार सेवन करे। इससे लिवर कैंसर जैसी समस्या में लाभ होता है।

 

कुत्ते के काटने पर सहजन का प्रयोग लाभदायक (Sahajan is Beneficial in Dog Biting in Hindi)

सहजन के पत्ते (moringa leaves), लहसुन, हल्दी, नमक तथा काली मिर्च को बराबर मात्रा में एक साथ पीस लें। इसे कुत्ते के काटे गए स्थान पर लगाने से सूजन कम हो जाती है और बुखार ठीक हो जाता है।

इस पेस्ट की 10-15 ग्राम की मात्रा का सुबह-शाम सेवन करने से भी लाभ होता है।

 

सहजन के अन्य फायदे (Other Benefits of Drumstick)

कुटकी, देवदारु, वच, सहजन का अर्क की जड़ की छाल तथा दशमूल का काढ़ा बना लें। इसे 10-20 मि.ली. मात्रा में पिलाने से सभी प्रकार के रोगों का नाश होता है।

न्यूमोनिया, पसलियों का दर्द, पेट दर्द आदि में सहजन की छाल का लेप करने से लाभ होता है।

लीवर की समस्या, प्लीहा रोग, रक्तवाहिनी नसों की समस्या, स्नायु की कमजोरी, किसी अंग का सूनापन, पीवयुक्त फुन्सी और कुष्ठ रोग में सहजन की फलियों की सब्जी का सेवन करना बहुत लाभकारी है।

 

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सहजन के सेवन का तरीका (How to Use Drumstick)

औषधि के रूप में अधिक लाभ (drumstick benefits) लेने के लिए किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक के परामर्शानुसार सहजन (shajan) का इस्तेमाल करें।

सहजन के सेवन की मात्रा (How Much to Consume Drumstick)

काढ़ा – 50-100 मि.ली.

चूर्ण – 1-3 ग्राम

सहजन कहां पाया या उगाया जाता है (Where is Drumstick is Found or Grown?)

सहजन के वृक्ष हिमालय की तराई में जंगली अवस्था में बहुत पाए जाते हैं। इसके अलावा सहजन की खेती भी की जाती है। सहजन के पेड़ घरों के आस-पास या बाग-बगीजे में भी देखे जाते हैं।

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