बड़ानल को नरकट (Giant bamboo reed or Narakat) भी कहा जाता है। नरकट एक जड़ी-बूटी है, और इसके कई सारे औषधीय गुण हैं। क्या आप यह जानते हैं कि मूत्र रोग, मासिक धर्म विकार, दाद-खाज-खुजली आदि में नरकट के इस्तेमाल से फायदे (Giant bamboo reed benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, त्वचा रोग, विसर्प रोग, टाइफाइ़ड, कुत्ते या कीड़े-मकौड़ों के काटने पर भी नरकट के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।
आयुर्वेद में नरकट के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं। आइए यहां नरकट से फायदे और नुकसान (Giant bamboo reed benefits and side effects) के बारे में जानते हैं।
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आयुर्वेदिक ग्रंथों में नरकट के दो भेद किए हैं जो ये हैंः–
इसमें से नल को शीतवीर्य एवं रक्तपित्तहर कहा है। इसके पौधे जल प्रचुर, दलदली स्थानों में अधिक पाए जाते हैं। इसके झुप 3-8 मीटर ऊँचे, बांस जैसे, लेकिन बांस से थोड़े छोटे होते हैं। यहां नरकट के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Giant bamboo reed benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप नरकट के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।
बड़ानल का वानस्पतिक नाम Phragmites karka (Retz.) Trin. ex Steud. (प्रैंग्माइटीज कर्का) है, और यह Poaceae (पोएसी) कुल का है। इसके अन्य ये भी नाम हैंः-
Giant bamboo reed or Narakat in –
नरकट के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-
नल मधुर, तिक्त, कषाय, शीत, किञ्चित् उष्ण, लघु, स्निग्ध और त्रिदोषहर होता है। यह दीपन, मूत्रशोधक, वृष्य, वीर्यवर्धक और रुचिकारक होता है। इसका प्रकन्द मृदुकारी, मूत्रल, बलकारक, उत्तेजक और स्तन्यस्रावनाशक होता है।
नरकट के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-
चन्दन, रास्ना, इलायची, हरेणु, नल, वञ्जुल, कूठ, लामज्जक लें। इसके साथ ही तगर, नल लें। इससे बने अगद का इस्तेमाल करने से कीड़े-मकौड़ों के काटने से होने वाली परेशानी में फायदा होता है। लूता दंशजन्य विषाक्त प्रभावों ठीक होता है।
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मासिक धर्म विकार में बड़ानल के सेवन से फायदा मिलता है। इसके लिए 20 मिली नल की जड़ काढ़ा में 2 पिप्पली मिला लें। इसका सेवन करें। इससे लाभ होता है।
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गठिया के रोग में भी नरकट से फायदा ले सकते हैं। इसके लिए आपको नल की जड़ को पीस लेना है। इसे गुनगुना करके दर्द वाले स्थान पर लेप करना है। इससे बीमारी ठीक होती है।
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त्वचा रोग जैसे दाद-खाज या खुजली होने पर नरकट के गुण लाभ पहुंचाते हैं। इसके लिए नरकट की जड़ को पीसकर बीमारी वाले अंग पर लगाएं। इससे दाद-खाज- खुजली आदि त्वचा विकार ठीक होते हैं।
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बराबर मात्रा में नल, वेतस, मूर्वा और देवदारु की जड़ लें। इससे काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा का सेवन करने से टाइफाइड बुखार में लाभ होता है। उपाय करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर परामर्श लें।
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कुत्ते के काटने पर शरीर में जो विष आता है उसके उपचार के लिए नरकट का इस्तेमाल कर सकते हैं। 2-4 ग्राम नल की जड़ को पीस लें। इसका सेवन करें। इसके साथ ही कुत्ते के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे विष के असर को कम करने में मदद मिलती है।
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कई महिलाओं को स्तनों में दूध की कमी होती है। आप बड़ानल (नरकट) के सेवन में दूध को बढ़ा सकती हैं। नल की जड़ का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
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नरकट के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-
जड़
नरकट को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-
यहां नरकट के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Giant bamboo reed benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप नरकट के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए नरकट का सेवन करने या नरकट का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।
बड़ानल भारत के हिमालय क्षेत्र में पाया जाता है। यह उष्ण घाटियों में 1000 मीटर की ऊँचाई तक एवं दलदलों में या नदियों के किनारे पर पाया जाता है।
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