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Karweer (Kaner): करवीर (कनेर) के हैं अनेक अनसुने फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

आप कनेर (Karweer) के फूल को पहचानते ही होंगे। कनेर के वृक्ष अक्सर बाग-बगीचों, मंदिरों या सड़कों के किनारे देखे जाते हैं। आयुर्वेद में कनेर (करवीर) के फूलों के रंगों के आधार पर तीन भेद बताए गए हैं। ये सफेद, लाल तथा पीला कनेर हैं। आमतौर पर लोग कनेर के फूल या वृक्ष के फायदे के बारे में अधिक नहीं जानते हैं, इसलिए इसे केवल पूजा-पाठ के लिए कनेर का इस्तेमाल में लाते हैं, लेकिन सच यह है कि कनेर के पौधे में कई सारे औषधीय गुण होते हैं। क्या आप यह जानते हैं कि कनेर एक जड़ी-बूटी भी है, और बवासीर, गंजेपन की समस्या, सिफलिस जैसी बीमारियों में कनेर के इस्तेमाल से फायदे (Karweer benefits and uses) मिलते हैं। इतना ही नहीं, लिंग संबंधी समस्या, कुष्ठ रोग, त्वचा विकार में भी कनेर के औषधीय गुण से लाभ मिलता है।

आयुर्वेद में कनेर के गुण के बारे में कई सारी अच्छी बातें बताई गई हैं जो आपके लिए बहुत जरूरी है। आप खुजली, फोड़ा होने पर कनेर के औषधीय गुण के फायदे ले सकते हैं। आप दर्द और घाव में भी कनेर से लाभ ले सकते हैं। आइए यहां जानते हैं कि कनेर के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, साथ ही यह भी जानते हैं कि कनेर से नुकसान (Karweer side effects) क्या-क्या हो सकता है। 

 

Contents

कनेर क्या है? (What is Karweer (Kaner) in Hindi?)

कनेर का पौधा लगभग 3 मीटर ऊँचा और हमेशा हरा रहता है। यह मजबूत, सीधी शाखाओं वाला होता है। कनेर का वृक्ष बहुत जहरीला पौधा होता है। जहरीला होने से कनेर का सेवन बहुत कम किया जाता है। आयुर्वेद में घाव और कुष्ठ रोग के इलाज के लिए इसके इस्तेमाल की जानकारी दी गई है। इसके अलावा कई आयुर्वेदिक किताबों में पथरी और पेट के लिए भी इसके प्रयोगों का वर्णन मिलता है।

फूलों के रंग के अनुसार यह तीन प्रकार का होता है। यहां कनेर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Karweer benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कनेर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कनेर का सेवन करने या कनेर का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से ज़रूर सलाह लें।

 

अन्य भाषाओं में कनेर के नाम (Name of Karweer (Kaner) in Different Languages)

कनेर का वानस्पतिक नाम Nerium indicum Mill. (नीरियम इण्डिकम)  Syn-Nerium odorum Soland; Nerium oleander (Linn. f.) Druce है, और यह  Apocynaceae (ऐपोसाइनेसी) कुल का है। कनेर को देश-विदेश में इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Karweer in –

  • Hindiकनेर, कनैल, कनेर
  • Urduकनीर (Kanir)
  • English– Sweet-scented oleander (स्वीट सेन्टेड ओलिएन्डर), कॉमन ओलिएन्डर (Common oleander), सीलोन रोज (Ceylon rose), रोजबे (Rosebay)
  • Sanskritकनेर, अश्वमारक, हयमारक, शतप्राश, शतकुम्भ, अश्वमारक
  • Oriyaकोनेरो (Konero), कोरोबीरो (Korobiro)
  • Kannadaकणगिले (Kangile)
  • Gujaratiकणेर (Kaner), करेण (Karen), कणहेर (Kanher)
  • Tamilअलरी (Alari)
  • Teluguकस्तूरिपट्टा (Kasturipatta), गन्नेरू (Ganneru)
  • Bengaliकराबी (Karabi), करबी (Karbi)
  • Nepaliकनेर (Kaner)
  • Punjabiकनेर (Kaner)
  • Marathiकण्हेर (Kanher), कनेरी (Kaneri)
  • Malayalam-मलयालम-कनेरम (Karviram)
  • Arabicदिफ्ली (Difli), सुमेलहीमर (Sumelhimar)
  • Persianखरजाह्राह (Kharzahrah), दिफेली (Dephali)

 

कनेर के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Karweer (Kaner) in Hindi)

कनेर के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

लाल कनेर कटु, तिक्त, कषाय, उष्ण, लघु, तीक्ष्ण, वातकफशामक, शोधक, ग्राही, चक्षुष्य तथा कुष्ठघ्न होता है। यह अक्षिरोग, कम्प, कण्डू, व्रण, प्रमेह, कृमिरोग, कुष्ठ, अर्श, विस्फोट, ज्वर, शोफ, त्वग्रोग, रक्तदोष तथा शिरशूल नाशक है।

गुलाबी कनेर शिरशूल, कफ तथा वात शामक होता है। इसके पुष्प कटिशूल, शिरशूल तथा विचर्चिका नाशक होते हैं। यह बलकारक, मूत्रल, विष-प्रतिरोधी, जीवाणुरोधी, कर्कटार्बुदरोधी, कृमिरोधी, केन्द्राrय-तंत्रिकातंत्र अवसादक तथा कामोत्तेजक होता है। सफेद कनेर कटुरस युक्त, तीक्ष्ण, कुष्ठ रोग तथा कण्डू का ठीक करने वाला है। यह व्रण, विषजन्य विकार तथा विस्फोट का ठीक करता है।

 

कनेर के फायदे और उपयोग (Karweer (Kaner) Benefits and Uses in Hindi)

कनेर के औषधीय गुण, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

 

सफेद बालों को काला करने में कनेर के औषधीय गुण फायदेमंद (Benefits of Karweer to Treat Grey Hair Problem in Hindi)

  • सफेद बालों की समस्या से परेशान हैं तो कनेर से लाभ ले सकते हैं। सिर से सफेद बालों को उखाड़ लें, या बालों को जड़ से काट लें। इस स्थान पर दूध में पिसे हुए कनेर की जड़ के पेस्ट का लेप करें। इससे बालों के सफेद होने की समस्या में लाभ होता है।
  • बराबर मात्रा में हरीतकी, बहेड़ा, आँवला, कनेर की जड़ लें। इसके साथ ही विजयसार, भृंगराज तथा गुड़ लें। इसकी मसी बनाकर बालों पर लेप करने से सफेद बालों की समस्या में लाभ होता है।

 

Karweer (Kaner) Benefits and Uses in white hair problem

और पढ़ेंः गंजेपन की सम्सया को दूर करने के घरेलू उपाय

 

सिफलिस में कनेर (करवीर) का औषधीय गुण फायेदमंद (Karweer (Kaner) Benefits for Syphilis Treatment in Hindi)

  • सिफलिस वाले घाव के लिए कनेर के पत्तों का काढ़ा बना लें। इसका लेप करें। इसे सिफलिस के घाव ठीक होते हैं।
  • कनेर की जड़ का पेस्ट लगाने से भी सिफलिस जैसे गंभीर घाव ठीक होते हैं।

और पढ़ेंः सिफलिस रोग में विधारा से लाभ

 

कनेर (करवीर) के औषधीय गुण से लिंग संबंधी समस्या का इलाज (Benefits of Karweer (Kaner) to Treat Penis Related Disorder in Hindi)

लिंग संबंधी समस्या जैसे लिंग में दर्द  हो तो कनेर की जड़ को जल में पीस लें। इसे लिंग में लेप करने से लिंग का दर्द ठीक होता है।

और पढ़ेंः लिंग के ढीलेपन की समस्या में मूली के फायदे

 

बवासीर में कनेर (करवीर) के फायदे (Karweer (Kaner) Uses to Treat Piles in Hindi)

बवासीर एक गंभीर बीमारी है, और इस बीमारी के हो जाने पर लोग बहुत परेशान रहते हैं। ऐसे में आप कनेर से लाभ ले सकते हैं। कनेर की जड़ को पीसकर बवासीर के मस्सों पर लगाने से लाभ होता है।

 

Karweer (Kaner) Uses to Treat Piles

और पढ़ेंः बवासीर के लिए घरेलू इलाज

 

कुष्ठ रोग में कनेर के फायदे (Karweer Uses to Treat Leprosy in Hindi)

  • आरग्वध, काकमाची (मकोय) तथा कनेर के पत्तों को छाछ में पीस लें। इसे कुष्ठ रोग के स्थान पर लेप करें। इससे कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
  • कनेर की जड़ के चूर्ण का लेप और मालिश आदि करने से कुष्ठ रोग में लाभ होता है।
  • कनेर आदि द्रव्यों को तेल या घी में पकाकर कुष्ठ रोग वाले स्थान पर लगाने से लाभ मिलता है।
  • बराबर मात्रा में सफेद कनेर की जड़ का रस और गोमूत्र लें। इसके साथ ही चौथाई भाग चित्रक की जड़ एवं विडङ्ग बीज को मिला लें। इसे पीसकर तेल में पका लें। इस तेल को नियमित लगाने से कुष्ठ रोग का इलाज होता है।

और पढ़ेंः कुष्ठ रोग में करंज के फायदे

 

त्वचा विकार में कनेर का औषधीय गुण फायेदमंद (Karweer Benefits for Skin Disease in Hindi)

कनेर के नए पत्ते, जड़, छाल आदि का पेस्ट बना लें। चौथाई भाग पेस्ट और चार गुना गोमूत्र में पेस्ट को पकाएं। एक भाग सरसों के तेल की मालिश करने से त्वचा विकार और कुष्ठ रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः त्वचा रोग में मूली के फायदे

 

कनेर के औषधीय गुण से घाव का इलाज (Benefits of Karweer to Healing Wound in Hindi)

  • चिरबिल्व, चित्रक, कनेर आदि द्रव्यों को पीस लें। इसे पके हुए घाव या सूजन वाले घाव पर लगाने घाव ठीक हो जाता है। इसे लगाने से पके हुए घाव का पस निकल जाता है, और सूजन वाले घाव की सूजन खत्म हो जाती है।
  • शंखिनी, अंकोठ, सुमन, कनेर, सुवर्चला (हुरहुर) तथा आरग्वधादि वर्ग के द्रव्यों का काढ़ा बना लें। इससे घाव को धोने से घाव ठीक होता है।
  • कनेर जड़ को पीसकर घाव में लगाने से घाव जल्दी भर जाता है।

 

Benefits of Karweer (Kaner) in Wound Healing

और पढ़ेंः घाव के इलाज के लिए घरेलू उपाय

 

गर्भवती महिलाओं के स्ट्रैच मार्क्स में कनेर के फायदे (Karweer Uses to Treat Stretch Marks in Hindi)

प्रायः गर्भवती महिलाओं के शरीर पर स्ट्रैच मार्क्स हो जाते हैं, और महिलाएं स्ट्रैच मार्क्स के इलाज के लिए अनेक उपाय करती हैं। इसके लिए कनेर के पत्ते से तेल को पका लें। तेल का स्ट्रैच मार्क्स पर लगाने और मालिश करने से गर्भवती स्त्रियों के शरीर पर होने वाले स्ट्रैच मार्क्स में लाभ होता है।

और पढ़ेंः गर्भवती महिलाओं को होने वाले स्ट्रैच मार्क्स को दूर करने के लिए घरेलू उपाय

 

फोड़ा होने पर कनेर के फायदे (Karweer Uses to Treat Boil in Hindi)

कनेर की जड़, वत्सनाभ तथा गोमूत्र को तेल में पका लें। इस तेल की मालिश करने से चर्म रोग, खुजली, फोड़ा, कीड़ों वाले घाव, सोयरायसिस और कुष्ट रोग आदि ठीक होते है। 

और पढ़ेंः फोड़ा का घरेलू इलाज

 

एक्जिमा में कनेर (करवीर) का औषधीय गुण फायेदमंद (Karweer (Kaner) Benefits for Eczema Treatment in Hindi)

लाल कनेर के फल और मरिच को मिलाकर पीस लें। इसे तेल में पकाकर छान लें। इसका लेप करने से खुजली रोग ठीक होती है।

 

Karweer (Kaner) Benefits for Eczema Treatment

और पढ़ेंः एक्जिमा के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

 

कनेर (करवीर) के औषधीय गुण से मिर्गी का इलाज (Benefits of Karweer (Kaner) to Treat Epilepsy in Hindi)

सफेद कनेर के पत्ते के रस को 1-2 बूंद नाक के रास्ते लें। इससे मिर्गी रोग में लाभ होता है।

और पढ़ेंः गोरखमुंडी के उपयोग से मिर्गी का इलाज

 

कनेर के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Karweer (Kaner) in Hindi)

कनेर के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • जड़
  • जड़ की छाल
  • पत्ते

 

कनेर का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Karweer (Kaner) in Hindi?)

कनेर को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

चूर्ण- 30-125 मिग्रा

 

कनेर से नुकसान (Karweer (Kaner) Side Effects in Hindi)

यह बहुत ही जहरीला होता है। इसकी जड़ के इस्तेमाल से गर्भपात होता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए।

यहां कनेर के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Karweer benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप कनेर के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए कनेर का सेवन करने या कनेर का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

 

कनेर कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Karweer (Kaner) Found or Grown?)

भारत के प्रायः सभी स्थानों में कनेर पाया जाता है। कनेर हिमालय में काश्मीर से नेपाल तक लगभग 2000 मीटर की ऊँचाई तक प्राप्त होता है। यह विश्व में अफगानिस्तान, पाकिस्तान, चीन तथा जापान में भी होता है।

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