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Sarpgandha: सर्पगंधा के ज़बरदस्त फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

कहते हैं कि साँप अगर काट ले तो जहर से पहले आदमी डर से ही मर जाता है, लेकिन यदि आप सर्पगंधा के उपयोग (sarpagandha uses) के बारे में जानते हों तो आप न तो डर से मरेंगे और न ही जहर से। सर्पगंधा (sarpagandha benefits) की जड़ी साँप के विष को उतारने की एक अच्छी दवा है। सर्पगंधा के बारे में अनेक रोचक कथाएं प्रचलित हैं। उदाहरण के लिए कहा जाता है कि कोबरा से लड़ने से पहले नेवला सर्पगंधा की पत्तियों का रस चूस कर जाता है। पहले इसे पागलों की दवा भी कहा जाता था क्योंकि सर्पगंधा के प्रयोग से पागलपन भी ठीक होता है।

Sarpagandha Plant

यह कफ और वात को शान्त करता है, पित्त को बढ़ाता है और भोजन में रुचि पैदा करता है। यह दर्द को खत्म करता है, नींद लाता है और कामभावना को शान्त करता है। सर्पगंधा घाव को भरता है और पेट के कीड़े को नष्ट (sarpagandha uses) करता है। यह अनेक प्रकार चूहे, साँप, छिपकिली आदि पशुओं के विष, गरविष (खाए जाने वाले जहर का एक प्रकार जो धीरे-धीरे असर करता है) को खत्म करता है। वात के कारण होने वाले रोग, दर्द, बुखार आदि को समाप्त करता है। इसकी जड़ अत्यंत तीखी तथा कड़वी, हल्की रेचक यानी मल को निकालने वाली और गर्मी पैदा करने वाली होती है।

Contents

सर्पगंधा क्या है? (What is Sarpagandha?)

पारंपरिक औषधियों में सर्पगंधा एक प्रमुख औषधि है। भारत में तो इसके प्रयोग (Sarpagandha Medicinal Uses) का इतिहास 3000 साल पुराना है। सर्पगंधा स्वाद में कड़ुआ, तीखा, कसैला और पेट के लिए रूखा तथा गर्म होता है। सर्पगंधा एक छोटा चमकीला, सदाबहार, बहुवर्षीय झाड़ीनुमा पौधा है जिसकी जड़े मिट्टी में गहराई तक जाती हैं। जड़े टेढ़ी-मेढ़ी तथा करीब 18-20 इंच लम्बी होती है। जड़ की छाल भूरे-पीले रंग की होती है। जड़ गंधहीन और काफी तीखी तथा कड़वी होती है। पौधे की छाल का रंग पीला होता है।

इसकी पत्तियां गुच्छेदार, 3-7 इंच लम्बी, लेन्स की आकार की तथा डन्ठलयुक्त होती हैं। पत्तियां ऊपर की ओर गाढ़े हरे रंग की तथा नीचे हल्के रंग की होती है। इसमें आमतौर से नवंबर-दिसंबर माह में फूल (Sarpagandha Flower) लगते हैं। फल छोटे, मांसल तथा एक या दो-दो में जुड़े हुए होते हैं। हरे फल पकने पर बैंगनी-काले रंग के हो जाते हैं।

सर्पगंधा की जड़ का प्रयोग रोगों की चिकित्सा में किया जाता है। सर्पगंधा की मुख्य प्रजाति के अतिरिक्त और भी दो प्रजातियाँ होती हैं जिनका दवा के रूप में प्रयोग (sarpagandha uses) किया जाता है। इनमें से एक है वन्य सर्पगन्धा  (Rauvolfia tetraphylla L.)। यह एक छोटा झाड़ीदार पौधा (sarpagandha plant uses) होता है। इसकी पत्तियां एक साथ चार-चार की संख्या में लगी हुयी होती हैं। फूल गुच्छों में लगते हैं और हरे-सफेद रंग के होते हैं। फल गोलाकार, कच्ची अवस्था में हरे तथा पकने पर जामुनी-गुलाबी रंग के हो जाते हैं। इसकी जड़ लम्बी तथा भूरे-सफेद रंग की होती है। सर्पगंधा की जड़ में इसकी मिलावट की जाती है।

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अनेक भाषाओं में सर्पगंधा के नाम (Name of Sarpagandha in Different Languages)

सर्पगंधा के पौधे का वानस्पतिक यानी लैटिन नाम रौवोल्फिया सर्पेन्टाइना (Rauvolfia serpentina Linn.) Benth. ex Kurz Syn Rauvolfia trifoliata (Gaertn.) Bail है। यूरोपवासियों को इसकी जानकारी (Sarpagandha Plant Information) वर्ष 1582 में लियोनार्ड रौल्फ ने लगाया था। उसके नाम पर ही इसे रौवोल्फिया कहते हैं। यह एपोसाइनेसी (Apocynaceae) कुल का पौधा है और इसका अंग्रेजी नाम (Sarpa gandha in English) सर्पेन्टाइन रूट (Serpentine root), जावा डेविल पिप्पर (Java devil pepper) है। इसका अन्य भारतीय भाषाओं में नाम निम्नानुसार हैः-

Sarpagandha in –

  • Hindi – नकुलकन्द, सर्पगन्धा, धवलबरुआ, नाकुलीकन्द, हरकाई चन्द्रा, रास्नाभेद
  • Sanskrit – सर्पगन्धा, धवलविटप, चद्रमार, गन्ध नाकुली 
  • Oriya – धनबरुआ (Dhanbarua), सनोचेडो (Sanochado), पातालगरुर (Patalgarur)
  • Konkani – पातालगरुड (Patalagarud)
  • Kannada – चन्द्राrके (Chandrike), सर्पगन्धी (Sarpagandhi), शिवरोकिबल्ला (Shivarokiballa)
  • Tamil – चीवनमेलपोडी (Chivanamelpodi), कोवन्नामीलपूरी (Covannamilpori)
  • Telugu – पालालागानी (Palalagani), पातालगंधि (Patalagandhi), डुमपासन (Dumpasana)
  • Bengali – छोटा चाँद (Chota chand), चन्दरा (Chandara) 
  • Nepali – चांदमरुवा (Chandmaruva)
  • Marathi – हरकी (Harki), अडकई (Adakayi), हरकय (Harkaya) 
  • Malayalam – तूलून्नी (Tulunni), चुवन्ना अविलपूरी (Chuvanna avilpori)
  • Persian – छोटाचान्दा (Chotachanda)

 

 

सर्पगंधा के फायदे (Sarpagandha Benefits and Uses in Hindi)

इसका प्रयोग मैनिया, ब्लडप्रेशर (रक्तचाप) आदि रोगों में किया जाता है। यह मासिक धर्म को ठीक करता है, पेशाब संबंधी रोगों को दूर करता है। सर्पगंधा बुखार को ठीक करता है। रोगानुसार इसके लाभ और प्रयोग (medicinal uses of sarpagandha) की विधि नीचे दिए जा रहे हैं।

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कुक्कुरखाँसी (काली खांसी) में सर्पगंधा का प्रयोग फायदेमंद (Benefits of Sarpagandha in Whooping Cough Treatment in Hindi)

कुक्कुर खांसी (Whooping cough) को काली खांसी भी कहते हैं। बच्चों में होने वाली यह एक संक्रामक बीमारी है। ज्यादातर 5 से 15 वर्ष आयु तक के बच्चों को होती है। कुक्कुर खांसी होने पर काफी तेज तथा लगातार खांसी उठती है। लगातार खांसने से रोगी घबरा जाता है। अंत में उसे उलटी हो जाती है।

सर्पगंधा के प्रयोग से इसे ठीक (sarpagandha benefits) किया जा सकता है। 250-500 मि.ग्राम सर्पगंधा चूर्ण को शहद के साथ सेवन कराने से कुक्कुर खाँसी या काली खांसी में लाभ होता है।

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सांस उखड़ने की बीमारी में करें सर्पगंधा चूर्ण का सेवन (Sarpagandha Plant Medicinal Uses to Cures Bronchitis in Hindi)

दौड़ने से दम फूलना यानी सांसों का तेज चलने लगना एक सामान्य बात है, लेकिन यदि चलने से भी दम फूलने लगे तो यह एक बीमारी है। दम फूलने या सांस उखड़ने की परेशानी में एक ग्राम सर्पगंधा चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें। अवश्य लाभ होगा।

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हैजा में फायदेमंद सर्पगंधा का उपयोग (Sarpagandha Beneficial in Cholera in Hindi)

पतले दस्त और उल्टी यानी हैजा होने पर 3-5 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को गुनगुने जल के साथ सेवन करें। इससे हैजा यानि विसूचिका में निश्चित लाभ होता है।

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पेचिश में फायदेमंद सर्पगंधा का उपयोग (Sarpagandha Plant Medicinal Uses to Stops Blood Dysentery in Hindi)

10-30 मिली कुटज की जड़ के काढ़े में 500 मि.ग्राम सर्पगंधा चूर्ण मिला लें। इसे पिलाने से खूनी पेचिश यानी पतले दस्त के साथ खून जाने की बीमारी में लाभ (sarpagandha benefits) होता है।

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पेट दर्द मिटाए सर्पगंधा का सेवन (Sarpagandha Beneficial to Get Relieve from Stomach Pain in Hindi)

सर्पगंधा अपच और कब्ज को दूर करता है। यह गैस को समाप्त करता है। इन कारणों से होने वाले पेट के दर्द में सर्पगंधा की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-30 मिली मात्रा में पीएं। अवश्य लाभ होगा।

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सामान्य प्रसव के लिए करें सर्पगंधा का प्रयोग (Sarpagandha Helps in Normal Delivery in Hindi)

आजकल प्रसव होने में थोड़ी सी भी कठिनाई होने पर सिजेरियन यानी ऑपरेशन से प्रसव कराया जा रहा है। यह डॉक्टरों के लिए अच्छी आय का साधन भी बन जाता है लेकिन इससे स्त्री के स्वास्थ्य को जीवन भर के लिए नुकसान होता है। ऐसे में अगर आप सर्पगंधा का प्रयोग (sarpagandha medicinal uses) करेंगे तो प्रसव आसानी से होता है।

यदि प्रसव के दौरान दर्द हो रहा हो और प्रसव नहीं हो रहा तो सर्पगंधा की जड़ के काढ़े का सेवन कराना चाहिए। इससे गर्भाशय में संकोचन होना प्रारंभ हो जाता है जिससे प्रसव होने में आसानी हो जाती है।

2-3 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण में बराबार भाग शक्कर मिला लें। इसे शहद के साथ सेवन कराने से भी सामान्य प्रसव में सहायता मिलती (sarpagandha medicinal uses) है।

sarpagandha flower

मासिक धर्म विकार में सर्पगंधा से फायदा (Sarpagandha Uses in Menstrual Problems in Hindi)

सर्पगंधा के सूखे फल के चूर्ण को काली मिर्च तथा अदरक के साथ पीस लें। इसे खाने से मासिक धर्म नियमित होने लगता है। इससे मासिक धर्म के दौरान दर्द होना, कम या अधिक स्राव होना आदि आर्तव विकार भी ठीक होता है।

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गर्भपात की समस्या या गर्भस्रावजन्य समस्याएं दूर करे सर्पगंधा का सेवन (Sarpagandha Beneficial in Post Miscarriage Problems in Hindi)

गर्भावस्था के शुरुआती 3-4 महीनों में भ्रूण का मांस पूरी तरह नहीं बना होता है। इस अवस्था में यदि किसी कारण से गर्भपात हो जाए केवल खून ही गिरता है। इसे ही गर्भस्राव कहते हैं। गर्भस्राव होने के बाद यदि दर्द तथा खून का निकलना बंद न हो तो 2-4 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण में शहद मिलाकर सेवन करें। अवश्य लाभ होगा।

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मैनिया तथा मिर्गी में सर्पगंधा से लाभ (Sarpagandha Plant Medicinal Uses in Mania & Epilepsy in Hindi)

मैनिया या उन्माद और मिर्गी दोनों ही मस्तिष्क से जुड़े हुए रोग हैं। सर्पगंधा इन जोनों ही बीमारियों में लाभकारी है। 1-2 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण का सेवन करने से उन्माद या मैनिया तथा मिर्गी में लाभ होता है। 2-4 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को गुलाब जल के साथ सेवन कराने से उन्माद में लाभ (sarpagandha medicinal uses) होता है।

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ब्लड प्रेशर (रक्तचाप) को कम करने में सर्पगंधा वटी का प्रयोग लाभदायक (Sarpagandha Vati Beneficial in High Blood Pressure in Hindi)

रक्तभार और रक्तदाब दो लगभग समान लेकिन खून से जुड़ी दो थोड़ी भिन्न समस्याएं हैं। रक्तभार के बढ़ जाने से मस्तिष्क को सही मात्रा में ऑक्सीजन मिलना बंद हो जाता है, जिससे ब्रेन हैमरेज तक होने का खतरा होता है। उच्च रक्तचाप से हृदय में समस्या होती है।

सर्पगंधा दोनों को ही ठीक करने में लाभकारी है। सर्पगंधा हमारे हृदय की गति को नियमित करता है। इसकी जड़ों का अर्क उच्च रक्तचाप यानी हाई बल्ड प्रेशर की एक अच्छी दवा है। यह धमनियों को सख्त होने से रोकता (medicinal uses of sarpagandha) है।

सर्पगंधा से बनी वटी का सेवन करने से उच्च रक्तभार ठीक होता है। 1-2 सर्पगंधा घन वटी (Sarpagandha Ghan Vati) का सेवन करने से उच्चरक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर ठीक होता है। हालांकि सर्पगंधा घन वटी का सेवन आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के बाद ही करना चाहिए।

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नींद ना आने की परेशानी (अनिद्रा) में सर्पगंधा के सेवन से लाभ (Benefits of Sarpagandha in Insomnia in Hindi)

अच्छे स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद का आना जरूरी है। यदि आपको अच्छी नींद नहीं आती हो तो सर्पगंधा आपके लिए काफी लाभकारी हो सकती है। यह तनाव को दूर करके मांसपेशियों को आराम दिलाने में सहायता करता है। इससे अच्छी नींद आती है।

अच्छी नींद के लिए 1-3 ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण को पानी के साथ सेवन करें। दो ग्राम सर्पगंधा की जड़ के चूर्ण में दो ग्राम खुरासानी अजवायन का चूर्ण और बराबर मात्रा में शक्कर मिला लें। इसे रात को सोने से पहले सामान्य जल के साथ सेवन करने से भी नींद अच्छी आती (medicinal uses of sarpagandha) है।

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त्वचा से विषाक्त पदार्थों को निकालने में लाभकारी सर्पगंधा (Benefits of Sarpagandha to Get Rid of Toxins from the Body in Hindi)

सर्पगंधा में वात शामक, उष्ण एवं विषघ्न गुण होने के कारण यह त्वचा से विष बाहर निकालने में मदद करता है। 

गैस्ट्रोइंटेस्टिनल बीमारियों से राहत दिलाने में फायदेमंद सर्पगंधा (Sarpgandha Beneficial to Treat Gastrointestinal Diseases in Hindi)

सर्पगंधा के उष्ण गुण के कारण यह पाचकाग्नि को स्वस्थ बनाए रखता है जिससे पाचन तंत्र मजबूत बना रहता है और गैस्ट्रोइंटेस्टिनल रोगों के लक्षणों से राहत मिलने में मदद मिलती है। 

हृदय के लिए गुणकारी सर्पगंधा (Sarpgandha Beneficial for Healthy Heart in Hindi)

सर्पगंधा के ह्रदयावसादक गुण होने के कारण यह ह्रदय को स्वस्थ रखने में भी मदद करता है। 

विष का प्रभाव दूर करे सर्पगंधा (Benefits of Sarpagandha in Snake and Insect Bite in Hindi)

सर्पगंधा का प्रयोग विभिन्न प्रकार के विषों को समाप्त करने के लिए भी किया जाता है। साँप के काटने पर सर्पगंधा की जड़ को पानी में घिस कर 10-20 ग्राम पिलाने से लाभ (medicinal uses of sarpagandha) होता है।

साँप के काटे हुए स्थान पर इसकी जड़ के चूर्ण को लगाना भी चाहिए।

सर्पगंधा की ताजी पत्तियों को कुचल कर पाँव के तलुओं में लगाने से भी साँप के काटने में आराम मिलता है।

सर्पगन्धा, चोरक, सप्तला, पुनर्नवा आदि द्रव्यों का एकल या मिश्रित प्रयोग करने से विभिन्न प्रकार के विष के दुष्प्रभाव दूर होते हैं।

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सर्पगंधा के इस्तेमाल के उपयोगी हिस्से (Useful Parts of Sarpagandha)

फल

जड़ का चूर्ण

 

सर्पगंधा के सेवन की मात्रा और सेवन विधि (How Much to Consume Sarpagandha?)

चूर्ण 3-5 ग्राम

काढ़ा – 10-30 मिली

अधिक लाभ के लिए सर्पगंधा का इस्तेमाल चिकित्सक के परामर्शानुसार करें।

 

सर्पगंधा के नुकसान (Side Effects of Sarpagandha)

सर्पगंधा के अधिक इस्तेमाल से ये नुकसान हो सकते हैंः-

सर्पगंधा का अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से घबराहट, हृदय में भारीपन, ब्लड प्रेशर का कम होना आदि समस्याएं पैदा होती हैं।

कई बार इससे पेट में जलन या हाइपर एसिडिटी की समस्या भी पैदा होती है।

इसलिए इसका सेवन उचित मात्रा में और चिकित्सक के परामर्श के अनुसार ही करना चाहिए।

Sarpgandha ka paudha

किसे सर्पगंधा का सेवन नहीं करना चाहिए (Who Should Not Use Sarpagandha?)

इन लोगों को सर्पगंधा का सेवन नहीं करना चाहिएः-

  • स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती स्त्रियों को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • बच्चों को इसका सेवन कराने से भी बचना चाहिए।
  • शराबी को भी इसका सेवन नहीं कराना चाहिए।

 

सर्पगंधा कहाँ पाया या उगाया जाता है (Where is Sarpgandha Found or Grown?)

दुनिया भर में सर्पगंधा की कई प्रजातियां पाई जाती हैं। भारतवर्ष में समतल एवं पर्वतीय प्रदेशों में इसकी खेती होती है। पश्चिम बंगाल एवं बांग्लादेश में सभी जगह स्वाभाविक रूप से सर्पगंधा के पौधे (sarpgandha plant) उगते हैं। समस्त भारत में लगभग 1200 मीटर की ऊचाईं तक इसकी खेती की जाती हैं।

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