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Chavya: चव्य के हैं अनेक अनसुने फायदे- Acharya Balkrishan Ji (Patanjali)

चव्य (Chavya) को चाब, चाभ, चब आदि नाम से भी जानते हैं। क्या आप जानते हैं कि चव्य एक जड़ी-बूटी है, और चव्य के बहुत सारे औषधीय गुण हैं। आप बवासीर, बदहजमी, दस्त, मूत्र रोग आदि में चव्य के इस्तेमाल से लाभ (Chavya benefits and uses) ले सकते हैं।

आयुर्वेद के अनुसार, चव्य के औषधीय गुण के फायदे मिर्गी, डायबिटीज, नशे की लत छुड़ाने में भी मिलते हैं। यहां जानते हैं कि चव्य के सेवन या उपयोग करने से कितनी सारी बीमारियों में फायदा होता है, और चव्य से क्या-क्या नुकसान (Chavya side effects) हो सकता है।

Contents

चव्य क्या है ? (What is Chavya in Hindi?)

कई विद्वान् काली मिर्च की जड़ को चव्य मानते हैं, लेकिन यह सही नहीं है। चव्य के फलों को बड़ी पिप्पली मानकर भी प्रयोग किया जाता है। चव्य की लता फैली हुई और मोटी होती है। इसके तने मोटी होते हैं। इसकी शाखाएँ टेढ़ी-मेढ़ी, गोलाकार, कठोर और फूली हुई ग्रन्थियों से युक्त होती हैं।

इसके पत्ते 12.5-17.5 सेमी लम्बे एवं 6.2-8.0 सेमी चौड़े, पान के जैसे होते हैं। इसके फूल छोटे, लाल रंग के होते हैं। इसके फल बहुत छोटे, अण्डाकार या गोलाकार होते हैं। फल लगभग 3 मिमी व्यास के, सुगन्धित और चरपरे होते हैं। चव्य के बीज एकल, गोलाकार होते हैं।

चव्य के पौधे में फूल और फल अगस्त से मार्च तक होता है। यहां चव्य के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Chavya benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप चव्य के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं।

अन्य भाषाओं में चव्य के नाम (Name of Chavya in Different Languages)

चव्य का वानस्पतिक नाम Piper retrofractum Vahl (पाइपर रेट्रोप्रैंक्टम)? Syn-Piper chaba Hunter है और यह  Piperaceae (पाइपरेसी) कुल का है। इसके अन्य ये भी नाम हैंः-

Chavya in –

  • Hindi- चव्य, चाब, चाभ, चब
  • English- Java long pepper (जावा लाँग पेपर)
  • Sanskrit- चव्यम्, चविका, ऊषणा
  • Kannada- चव्य (Chavya)
  • Malayalam- च्व्यम (Chavyam)
  • Gujarati- चवक (Chavak)
  • Telugu- सवासु (Saevasu), चक्राणी (Chakrani), चव्यमु (Chavayamu), चायिकामा (Chaikama)
  • Tamil- चव्यं (Chavyam), अनाई तिप्पली (Anai Tippali)
  • Bengali- चब्या (Chabya), चई (Chai), चोई (Choi)
  • Nepali-  चाबो (Chabo)
  • Marathi-  चवक (Chavak), चाबचीनी (Chabchini), मिरविला (Miravela)
  • Arabic- दार फुलफुल (Dar fulful)
  • Persian- बड़ी पिप्पली (Badi peepli)

चव्य के औषधीय गुण (Medicinal Properties of Chavya in Hindi)

चव्य के आयुर्वेदीय गुण-कर्म एवं प्रभाव ये हैंः-

चव्य कटु, उष्ण; लघु, रूक्ष, तीक्ष्ण होती है। इसके फूल श्वास, कास, विष और क्षय नाशक होते हैं। इसके फल उत्तेजक, वातानुलोमक, कृमिरोधी और कफनिसारक होते हैं। इसकी जड़ विषनाशक (Alexeteric) होती है।

चव्य के फायदे और उपयोग (Chavya Benefits and Uses in Hindi)

चव्य के फायदे, प्रयोग की मात्रा एवं विधियां ये हैंः-

बदहजमी में चव्य के सेवन से लाभ (Chavya Benefits for Indigestion in Hindi)

बदहजमी में चाभ के औषधीय गुण से फायदा मिलता है। चाभ की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बदहजमी में लाभ होता है।

और पढ़ेंः बदहजमी (अपच) के कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

सर्दी-खांसी में चव्य के सेवन से लाभ (Chavya Benefits in Fighting with Cough and Cold in Hindi)

  • आप सर्दी-खांसी के इलाज में चाब में फायदा ले सकते हैं। इसके लिए 500 मिग्रा चव्य की जड़ का चूर्ण बना लें। इसमें 250 मिग्रा सोंठ चूर्ण और 250 मिग्रा चित्रक का चूर्ण मिलाकर शहद के साथ खाएं। इससे सर्दी और खांसी में लाभ होता है।
  • पिप्पली, चव्य, चित्रक, सोंठ और मरिच को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 500 मिग्रा चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।

और पढ़ें: सर्दी-जुकाम में अजवाइन का उपयोग लाभदायक

सांसों की बीमारियों में चव्य के सेवन से लाभ (Chavya Benefits for Respiratory Disease in Hindi)

चव्य की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से दमा और फेफड़ों की सूजन में लाभ होता है। इससे गले की खराश खत्म होती है।

और पढ़ें: सांसों (दमा या अस्थमा) की बीमारी में जड़ी खाने के फायदे

टीबी की बीमारी में चव्य के फायदे (Chavya Uses to Treat TB Disease in Hindi)

चव्य, सोंठ, मरिच, पीपल और वायविडंग की बराबर मात्रा लें। इसके चूर्ण को 3-4 ग्राम मात्रा में लेकर मधु और घी के साथ मिलाकर सेवन करें। इससे टीबी की बीमारी में लाभ होता है।

और पढ़ेंः टीबी में फायदेमंद अर्जुन

मूत्र रोग के इलाज की आयुर्वेदिक दवा है चव्य (Uses of Ayurvedic Medicine Chavya for Urinal Disease in Hindi)

5-10 ग्राम चव्यादि घी का सेवन करने से पेचिश, गुदभ्रंश (गुदा से कांच निकलना), मूत्र रोग, गुदा दर्द होना (गुदशूल), नाभि और मूत्राशय के बीच के दर्द आदि विकारों में लाभ होता है।

और पढ़ें: मूत्र रोग में लाभ दिलाता है भुई-आंवला का सेवन

पेट के रोग की आयुर्वेदिक दवा है चव्य (Uses of Ayurvedic Medicine Chavya for Abdominal Disease in Hindi)

  • चब और सोंठ का पेस्ट बना लें। 1-2 ग्राम पेस्ट को दूध के साथ पीने से पेट की बीमारियों में लाभ होता है।
  • चब, चित्रक, शुण्ठी और देवदारु से काढ़ा बना लें। 10-20 मिली काढ़ा में 500 मिग्रा त्रिवृत्चूर्ण और गोमूत्र मिलाकर पीने से पेट की बीमारियों में लाभ होता है।
  • पिप्पली, पिप्पली-जड़, चित्रक, चव्य और सोंठ को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बना लें। 1 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करने से पेट के रोगों में लाभ होता है।

और पढ़ेंः अजवाइन के प्रयोग से पेट दर्द से राहत

दस्त की आयुर्वेदिक दवा है चव्य (Uses of Ayurvedic Medicine Chavya to Stop Diarrhea in Hindi)

  • चाभ की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पीने से बदहजमी, पेट दर्द और दस्त में लाभ होता है।
  • 1-2 ग्राम चव् फल का चूर्ण लें। इतना ही आम की गुठली की गिरी मिला लें। इसे पानी में मिलाकर छाने लें। इसे पिलाने से दस्त में लाभ होता है।
  • चाब, श्वेतजड़ा और क्षीरीवृक्ष के नए कोमल पत्तों को पीसकर तेल के साथ पका लें। इसका सेवन करने से दस्त बन्द हो जाते हैं।

और पढ़ेंः दस्त को रोकने के लिए असरदार घरेलू नुस्खे

पेट फूलने (गैस की समस्या) की बीमारी चव्य का औषधीय गुण फायेदमंद (Chavya Benefits for Acidity Treatment in Hindi)

आप गैस की समस्या में भी चाभ से फायदा ले सकते हैं। 500 मिग्रा चव्य फल के चूर्ण में शहद मिलाकर खाने से पेट फूलने या गैस की सम्सया में लाभ होता है।

और पढ़ें : गैस दूर करने के घरेलू उपाय

उल्टी में चव्य के सेवन से फायदा (Chavya Benefits to Stop Vomiting in Hindi)

अतीस, कूठ, कच्ची बेलगिरी, सोंठ, कुटज-छाल, इन्द्रयव और हरीतकी का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली मात्रा में पिलाने से उल्टी और दस्त में लाभ होता है।

और पढ़ेंः उल्टी को रोकने के घरेलू उपाय

पेचिश में चव्य का औषधीय गुण फायेदमंद (Chavya Benefits for Dysentery Treatment in Hindi)

चाब, चित्रक, बेलगिरी और सोंठ की बराबर मात्रा लेकर चूर्ण बना लें। चूर्ण की 2-4 ग्राम मात्रा में लेकर छाछ के साथ सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है।

और पढ़ेंः पेचिश में शमी का उपयोग

पाचनतंत्र विकार में चव्य के फायदे (Chavya Uses to Treat Dygestive System in Hindi)

पाचनतंत्र विकार के इलाज के लिए चव्य फल के चूर्ण में चव्य रस और मधु मिला लें। इसे सुबह और शाम सेवन करने से पाचनतंत्र विकार ठीक होता है। इससे सांसों की बीमारियों में भी लाभ होता है।

और पढ़ेंः पाचनतंत्र विकार में नारियल के फायदे

चव्य के औषधीय गुण से डायबिटीज पर नियंत्रण (Benefits of Chavya to to Controlling Diabetes in Hindi)

चव्य, अरणी, त्रिफला और पाठा का काढ़ा बना लें। 10-30 मिली काढ़ा में शहद मिलाकर पीने से डायबिटीज में लाभ होता है।

और पढ़ेंः डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए घरेलू उपाय

चव्य के औषधीय गुण से बवासीर का इलाज (Benefits of Chavya to Treat Piles in Hindi)

  • 1-2 ग्राम चव्य फल के चूर्ण का सेवन करने से बवासीर में लाभ होता है।
  • चव्य की जड़ का काढ़ा बनाकर 10-15 मिली मात्रा में पिलाने से बवासीर में लाभ होता है।

और पढ़ेंः बवासीर के लिए घरेलू इलाज

नशे की लत छुड़ाने (मद्य विकार) में चव्य का औषधीय गुण फायेदमंद (Chavya Benefits to Treat Drug Addiction in Hindi)

चव्य, काला नमक, बिजौरा नींबू का गूदा (सुखाया हुआ) और सोंठ की बराबर मात्रा लें। इनका चूर्ण बना लें। 2-4 ग्राम चूर्ण को गर्म जल के साथ सेवन करने से मद्यपान (शराब की लत) को छोड़ने में मदद मिलती है।

और पढ़ेंः हैंगओवर उतारने के घरेलू उपाय

मिर्गी में चव्य के फायदे (Chavya Uses to Treat Epilepsy in Hindi)

मिर्गी के इलाज में भी चाभ के इस्तेमाल से लाभ मिलता है। चाब के चूर्ण को नाक से लेने पर मिर्गी में लाभ होता है।

और पढ़ेंः गोरखमुंडी के उपयोग से मिर्गी का इलाज

चव्य के औषधीय गुण से मोटापे का इलाज (Benefits of Chavya to Treat Obesity in Hindi)

चव्य, श्वेत जीरा, सोंठ, मिर्च, पीपल, हींग, काला नमक और चित्रक की बरबार-बराबर मिलाकर चूर्ण बना लें। 1-2 ग्राम चूर्ण को यव के सत्तू में मिला लें। सत्तू को दही के पानी के साथ अच्छी तरह मिला लें। इसे पीने से मोटापे का इलाज होता है।

और पढ़ेंः मधुमेह और मोटापा को नियंत्रित करने के लिए आसन

चव्य के उपयोगी भाग (Beneficial Part of Chavya in Hindi)

चव्य के इन भागों का इस्तेमाल किया जाता हैः-

  • जड़
  • फल

चव्य का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Chavya in Hindi?)

चव्य को इतनी मात्रा में इस्तेमाल करना चाहिएः-

  • चूर्ण- 1-4 ग्राम
  • चूर्ण- 10-30 मिली

यहां चव्य के फायदे और नुकसान की जानकारी बहुत ही आसान भाषा (Chavya benefits and side effects in Hindi) में लिखी गई है ताकि आप चव्य के औषधीय गुण से पूरा-पूरा लाभ ले पाएं, लेकिन किसी बीमारी के लिए चव्य का सेवन करने या चव्य का उपयोग करने से पहले किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर सलाह लें।

चव्य कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Chavya Found or Grown?)

भारत के अनेक प्रान्तों में चव्य पाया जाता है। मुख्यतः पश्चिम बंगाल, आसाम, केरल, पश्चिमी घाट एवं नीलगिरी के पहाड़ी स्थानों में चव्य की खेती की जाती है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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आचार्य श्री बालकृष्ण

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