नागकेसर का पौधा (nagkesar plant) एक जड़ी बूटी है जिसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों को दूर करने में किया जाता है। आयुर्वेद में नागकेसर के प्रमुख गुणों के बारे में विस्तृत वर्णन मिलता है। इस पौधे के फल, फूल (nagkesar flower) बीज आदि सभी हिस्सों का इस्तेमाल औषधि के रुप में किया जाता है। इस लेख में हम आपको नागकेशर के फायदे, नुकसान और सेवन के तरीकों के बारे में विस्तार से बता रहे हैं। आइये जानते हैं :
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इसकी पत्तियां लाल रंग की होती हैं और उनका अगला हिस्सा चमकीले हरे रंग का होता है। इसके फूल (Nagkesar Flower) सफ़ेद और पीले रंग के होते हैं। इन फूलों के अन्दर पीले केसरी रंग के पुंकेसर गुच्छो में आते हैं, इन्हें ही ‘नागकेसर’ कहते हैं।
नागकेशर कसैला, तीखा, गर्म, लघु, रूक्ष, कफ-पित्तशामक, आमपाचक, व्रणरोपक तथा सन्धानकारक होता है। इसके पुंकेसर से बनने वाले एसेंशियल ऑयल में एंटी बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। इन्ही गुणों की वजह से इसका सेवन कई बीमारियों में लाभप्रद होता है। यह 18-30 मी ऊँचा, माध्यम आकार का हमेशा हरा रहने वाला एक वृक्ष (nagkesar tree) है।
नागकेशर के पौधे का वानस्पतिक नाम Mesua ferrea Linn. (मेसुआ फेरिआ) और इसके कुल का नाम Clusiaceae (क्लूसिऐसी) है। इसे अन्य भाषाओं में निम्न नामों से पुकारा जाता है।
Nagkesar in :
नागकेशर (Nagkesar Plant) में औषधीय गुण होने की वजह से कई तरह की बीमारियों में इसे घरेलू उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। यह बुखार, वात संबंधी रोगों, सिर दर्द, गले के रोगों और ह्रदय से जुड़े रोगों में काफी फायदेमंद है। इन गुणों के अलावा भी नागकेसर के कई फायदे हैं जिनके बारे में आगे हम आपको बहुत ही आसान भाषा में (nagkesar benefits in hindi) बता रहे हैं। आइये नागकेसर के प्रमुख फायदों के बारे में जानते हैं।
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हिचकियाँ कभी भी अचानक शुरु हो जाती हैं और फिर जल्दी रूकती नहीं है। हालांकि ऐसे कई घरेलू उपाय हैं जिनकी मदद से आप हिचकियों को रोक सकते हैं। नागकेशर का उपयोग करना भी उन्हीं में से एक है। इसके लिए 500 mg नागकेसर के सूक्ष्म चूर्ण (nagkesar churna) में 1-1 ग्राम शहद एवं मिश्री मिलाकर सेवन करके अनुपान में गन्ने या महुवे के रस का सेवन करने से हिचकी में लाभ होता है।
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नागकेसर में ऐसे गुण होते हैं जिनकी वजह से खांसी और सांसो से जुड़े रोगों में फायदा मिलता है। यह फेफड़ों की सूजन को कम करने में भी लाभकारी है। इसके लिए नागकेशर मूल और छाल का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में पिएं। जब तक समस्या से आराम न मिल जाए नियमित इस काढ़े का सेवन करते रहें।
खांसी दूर करने के अलावा नागकेसर का सेवन करने से सर्दी जुकाम में भी जल्दी आराम मिलता है। जुकाम होने पर नागकेसर के पत्तों के पेस्ट को सिर पर लगाएं। इसे लगाने से सर्दी-जुकाम में लाभ होता है।
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खराब खानपान, पेट में ज्यादा गर्मी या अन्य कारणों से दस्त के साथ-साथ खून भी निकलने लगता है। अक्सर बच्चे इस समस्या से ज्यादा पीड़ित रहते हैं, हालांकि बड़ों में भी यह समस्या होना आम बात है। दस्त में खून की समस्या से आराम दिलाने में नागकेशर बहुत कारगर है। इसके लिए 250-500 मिग्रा नागकेसर चूर्ण (nagkesar churna) को शहद युक्त मक्खन के साथ या चीनी-युक्त मक्खन के साथ सेवन करने से मल में खून निकलने की समस्या से आराम मिलता है।
आज कल की ख़राब जीवनशैली और खानपान की वजह से अधिकांश लोगों का हाजमा बिगड़ा हुआ रहता है। पाचन तंत्र के ठीक तरीके से काम ना करने की वजह से पेट से जुड़ी कई समस्याएं जैसे कि अपच, एसिडिटी या पेट में जलन जैसी समस्याएं होने लगती हैं। इन समस्याओं से आराम दिलाने में नागकेसर बहुत उपयोगी (nagkesar ke fayde) है. इसके लिए नियमित 0.5-1 ग्राम नागकेशर फल चूर्ण का सेवन करें।
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अगर आप दस्त से पीड़ित हैं तो नागकेसर का सेवन करें। आयुर्वेदिक विशेषज्ञों के अनुसार इसके सेवन से दस्त से जल्दी आराम मिलता है। दस्त से आराम पाने के लिए 500 mg पुष्पकलिका (nagkesar ka phool) चूर्ण का सेवन करें।
ल्यूकोरिया या श्वेत प्रदर महिलाओं से जुड़ी एक बीमारी है। जिसमें योनि से गाढ़ा सफ़ेद रंग का तरल निकलने लगता है। इसे सफ़ेद पानी की समस्या भी कहा जाता है। अगर आप इस ल्यूकोरिया से पीड़ित हैं तो नागकेसर आपके लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार नागकेशर के 500 mg चूर्ण को मट्ठा में मिलाकर सेवन करने से ल्यूकोरिया में लाभ होता है।
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कई महिलाओं को माहवारी के दौरान बहुत ज्यादा मात्रा में रक्त स्राव होने लगता है। हालांकि माहवारी में रक्तस्राव होना आम बात है लेकिन बहुत अधिक मात्रा में रक्तस्राव होना एक समस्या है। इस समस्या को मेनोरेजिया नाम से भी जाना जाता है। अगर आप इस समस्या से पीड़ित हैं तो इस प्रकार नागकेसर का उपयोग करें। इसके लिए 250-500 mg नागकेसर चूर्ण को मट्ठे के साथ तीन दिन तक सेवन करें। इसके अलावा रोजाना के आहार में मठ्ठे का सेवन करें। ऐसा करने से मेनोरेजिया की समस्या में जल्दी आराम मिलता है।
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बढ़ती उम्र के साथ जोड़ों में दर्द होना एक आम समस्या है लेकिन आज के दौर में युवाओं में भी यह समस्या होने लगी है। आर्थराइटिस के मरीजों की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। ऐसे में घरेलू उपायों की मदद से आप काफी हद तक जोड़ों के दर्द की समस्या को कम कर सकते हैं। इसके लिए नागकेसर के बीजों के तेल को जोड़ों पर या दर्द वाली जगह पर लगाएं और मालिश करें। इस तेल की मालिश से जोड़ों के दर्द से जल्दी राहत (nagkesar ke fayde) मिलती है।
अगर आपकी त्वचा पर कहीं घाव हो गया है तो नागकेसर के लाभ इस रोग में ले सकते हैं। इसके लिए घाव पर नागकेसर का तेल लगाएं। इस तेल को लगाने से घाव जल्दी भरने लगता है।
क्या आप भी कमर दर्द की समस्या से परेशान रहते हैं? अगर ऐसा है तो आपको नागकेसर का उपयोग करना चाहिए। नागकेसर में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो कमर दर्द से जल्दी राहत दिलाने में मदद करते हैं। कमर दर्द होने पर नागकेसर के बीज से बने तेल को कमर पर लगाएं और मालिश करें। इसकी मालिश से दर्द जल्दी दूर हो जाता है।
सांप द्वारा काट लेने पर लोग इतना घबरा जाते हैं कि वे समझ नहीं पाते कि उस समय किन चीजों का उपयोग किया जाए। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि नागकेसर के लाभ से साप के जहर के प्रभाव को कम किया जा सकता है। इसके लिए जिस जगह पर सांप ने काटा हो उस जगह पर नागकेशर के पत्तियों को पीसकर उसका लेप लगाएं। इस लेप को लगाने से दर्द और जलन से भी राहत (nagkesar ke fayde) मिलती है।
नागकेसर का औषधीय इस्तेमाल सामान्य तौर पर निम्न मात्रा के अनुसार करना चाहिए।
यदि आप किसी बीमारी के इलाज के रूप में नागकेशर का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह के अनुसार ही इसका सेवन करें।
नागकेसर का पौधा (Nagkesar Tree) विश्व में दक्षिण पूर्व, बांग्लादेश, श्रीलंका, म्यांमार, इण्डोनेशिया, मलेशिया, कम्बोडिया, वियतनाम, मलक्का तथा थाईलैण्ड में पाया जाता है। भारत में यह पूर्वोत्तर हिमालय प्रदेश, दक्षिण भारत पूर्वी एवं पश्चिमी प्रायद्वीप, आसाम, पूर्वी एवं पश्चिमी बंगाल, कोंकण, कर्नाटक, अण्डमान में 1600 मी की ऊँचाई पर पाया जाता है।
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