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कालमेघ के फायदे और नुकसान (Kalmegh Benefits and Side Effects in Hindi)

Contents

कालमेघ का परिचय (Introduction of Kalmegh)

आपने कालमेघ के पौधे (kalmegh plant) को अपने आस-पास जरूर देखा होगा, लेकिन शायद कालमेघ को पहचानते, या कालमेघ के फायदे (kalmegh benefits in hindi )के बारे में नहीं जानते होंगे। कालमेघ एक ऐसा पौधा है, जो जड़ी-बूटी के गुणों से भरपूर होता है। वैसे तो कालमेघ दिखने में बहुत ही साधारण-सा पौधा लगता है, लेकिन जब आप कालमेघ के गुणों के बारे में जानेंगे, तो आश्चर्य में पड़ जाएंगे।

आयुर्वेद के अनुसार, कालमेघ के इस्तेमाल से आप शरीर में होने वाले विकारों की रोकथाम  कर सकते हैं। कालमेघ का प्रयोग कर कई रोगों का उपचार भी कर सकते हैं। आइए कालमेघ के बारे में विस्तार से जानते हैं।

कालमेघ क्या है? (What is Kalmegh in Hindi?)

कालमेघ एक जड़ी-बूटी है। यह चिरायते जैसी होती है। इसके पत्ते हरे मिर्च के पत्ते जैसे हरे, और पीले होते हैं। फल के दोनों सिरों पर नुकीलापन होता है। इसकी जड़ छोटी, पतली, लम्बी, तथा स्वाद में बहुत ही कड़वी होती है। कालमेघ (nilavembu) की मुख्य प्रजाति के अलावा एक और प्रजाति पाई जाती है। यह कालमेघ से कम गुणों वाली होती है।

अन्य भाषाओं में कालमेघ के नाम (Kalmegh Called in Different Languages)

कालमेघ का वानस्पतिक नाम  Andrographis paniculata (Burm. f.)  एन्ड्रोग्रैफिस पेनीकुलेटा (Nees, Syn-Andrographis paniculata var. glandulosa Trimen), है, और यह एकेन्थेसी (Acanthaceae) कुल से है। इसे इन नामों से भी जाना जाता हैः-

Kalmegh in –

  • Hindi- कालमेघ, कालनाथ, महातिक्त
  • Sanskrit- भूनिम्ब, कालमेघ
  • English (nilavembu in english)- कॉमन एन्ड्रोग्रैफिस (Common andrographis), करीयत (Kariyat), क्रीएट (Creat), किंग ऑफ बिटर (King of bitter); ग्रीन चिरेता (Green Chiretta)
  • Kannada- नेलबेवीनगीडा (Nelabevinagida), क्रीएता (Kreata)
  • Gujarati- लिलु (Lilu), करियातु (Kariyatu), ओलीकिरियत (Olikiriyat)
  • Tamil- नीलवेम्बु (Nilavembu), पीतउम्बे (Pitumbe)
  • Telugu- नेलवमु (Nelavamu), नीलावीनू (Nilavinu)
  • Bengali- कालमेघ (Kalmegh), महातीता (Mahatita)
  • Nepali- कालानाथ (Kalanath), तिक्ता (Tikta)
  • Malayalam- नेलवेप्पु (Nelaveppu), किरियता (Kiriyata), किरीयट्टु (Kiriyattu)
  • Marathi- ओलेनकिरायत (Olenkirayat)
  • Arabic- क्वासाबुज्जारिराह (Qasabuzzarirah), क्वासाभुवा (Qasabhuva)
  • Persian- नेनेहेवण्डी (Nainehavandi)

कालमेघ के फायदे (Kalmegh Benefits and Uses in Hindi)

कालमेघ के औषधीय प्रयोग, प्रयोग के तरीके, प्रयोग की मात्रा ये हैंः-

कालमेघ के सेवन से दूर होती है शारीरिक कमजोरी (Kalmegh (Nilavembu) Benefits for Body Weakness in Hindi)

कई लोग शारीरिक कमजोरी की शिकायत करते हैं। इसमें कालमेघ का इस्तेमाल किया (kalmegh uses in hindi) जा सकता है। इसके लिए 10-20 मिली भूनिम्ब पत्ते का काढ़ा पिएं। इससे शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है।

कालमेघ के सेवन से एसिडिटी में लाभ (Kalmegh (Nilavembu) Benefits for Acidity in Hindi)

  • भूनिम्ब, नीम छाल, त्रिफला, परवल पत्ते, वासा, गिलोय, पित्तपापड़ा, तथा भृङ्गराज आदि औषधियों से काढ़ा बना लें। काढ़ा में 10 मिली मधु मिलाकर पीने से एसिडिटी में लाभ होता है।
  • 1-2 मिली कालमेघ पत्ते (kalmegh pata) के रस को पिलाने से बालकों के पाचन सम्बन्धी, तथा अन्य पेट के रोगों में लाभ होता है।

पेट के रोग में फायदेमंद कालमेघ का सेवन (Kalmegh Plant (Nilavembu) Powder Uses for abdominal Disease in Hindi)

पेट के रोग में 1-2 ग्राम कालमेघ पंचांग चूर्ण का सेवन करें। इससे पेट के साथ-साथ डायबिटीज आदि बीमारी में भी लाभ (kalmegh benefits in Hindi) होता है।

पाचनतंत्र और अपच में फायदेमंद कालमेघ का उपयोग (Kalmegh Plant(Nilavembu) Uses for Indigestion in Hindi)

  • अपच में कालमेघ पत्ते का काढ़ा सेवन करें। इसमें काढ़ा को 10 मिली मात्रा में पिएं। अपच में लाभ होता है।
  • पाचनतंत्र को स्वस्थ बनाने के लिए 1-1 भाग भूनिम्ब, कुटकी, व्योष (सोंठ, मरिच, पीपल), नागरमोथा, इन्द्रयव लें। इनके साथ 2 भाग चित्रकमूल, तथा 16 भाग कुटज की छाल भी लें। इनको बारीक चूर्ण बना लें। इसे 1-2 ग्राम मात्रा में लेकर, गुड़ के शरबत के साथ खाएं। इससे पाचनतंत्र विकार में लाभ मिलता है। इसके साथ-साथ पीलिया, बुखार, एनीमिया, और दस्त में फायदा है।
  • भूनिम्ब, कुटकी, परवल की पत्तियां, नीम की छाल, तथा पित्तपापड़ा लें। इनमें इतना ही भैंस का मूत्र मिला लें। मूत्र के सूख जाने तक इसे धीमी आग पर पकाएं, और पीस लें। इसे 65-125 मिग्रा मात्रा में प्रयोग करने से ग्रहणी (आईबीएस) रोग में लाभ होता है।

और पढ़े: अपच में करिश्माई के फायदे

कालमेघ के इस्तेमाल से त्वचा रोग में फायदा (Benefits of Kalmegh Plant in Skin Disease Treatment in Hindi)

  • भूनिम्ब, सैरेयक, पटोल आदि औषधियों से काढ़ा बनाकर पीने से उल्टी, बुखार, कफ के साथ-साथ खुजली आदि त्वचा की बीमारी भी ठीक होती है।
  • खुजली को ठीक करने के लिए 2 ग्राम धमासा, तथा 4 ग्राम भूनिम्ब को रात भर पानी में भिगो दें। इसे सुबह और शाम पेस्ट बनाकर दूध के साथ सेवन करें। इससे खुजली की गंभीर बीमारी भी ठीक हो जाती है।

और पढ़े: गोरे होने के घरेलू नुस्खे

सोरायसिस में फायदेमंद कालमेघ का इस्तेमाल (Benefits of Kalmegh (Nilavembu) in Psoriasis Treatment in Hindi)

कालमेघ (Kalmegh Nilavembu Powder) के इस्तेमाल से सोरायसिस में भी फायदा मिलता है। कालमेघ के चूर्ण को ग्लिसरीन के साथ मिलाकर मलहम बना लें। इसे लगाने से सोरायसिस में लाभ होता है।

कालमेघ के प्रयोग से दस्त में फायदा (Kalmegh Benefits to Stop Diarrhea in Hindi)

  • पाठा, गुडूची, भूनिम्ब, तथा कुटकी को समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। इस काढ़ा का 10 मिली मात्रा में सेवन करें। इससे आम का पाचन होकर, दस्त में लाभ होता है।
  • नागरमोथा, इन्द्रयव, भूनिम्ब, तथा रसाञ्जन, अथवा चन्दन, सुंधबाला, नागरमोथा, भूनिम्ब तथा दुरालभा को समान मात्रा में मिला लें। इसका काढ़ा बनायें। काढ़ा का 10-20 मिली सेवन करने से पित्त विकार के कारण होने वाले दस्त में लाभ होता है।

पेट में कीड़े होने पर करें कालमेघ का इस्तेमाल (Kalmegh (Nilavembu) Benefits to Treat Abdominal Worms in Hindi)

पेट में कीड़े हो जाने पर कालमेघ पंचांग (kalmegh in hindi) का काढ़ा बनाकर 10-20 मिली मात्रा में सेवन करने से लाभ होता है।

कालमेघ से गर्भावस्था की उल्टी का इलाज (Kalmegh Plant Uses to Stop Vomiting in Pregnaऔर पढ़ें – एनीमिया कम करने के घरेलू उपचारncy in Hindi)

गर्भावस्था में महिलाओं को बहुत अधिक उल्टी होने की शिकायत रहती है। इसमें 2 ग्राम भूनिम्ब पेस्ट में इतनी ही मात्रा में चीनी मिलाकर सेवन करें। इससे गर्भावस्था में बार-बार होने वाली उल्टी बंद हो जाती है।

और पढ़े: उल्टी में अतीस के फायदे

कालमेघ के इस्तेमाल से स्तनों के विकार में लाभ (Benefits of Kalmegh or Siriyanangai for Breast Related Problem in Hindi)

पित्त के कारण होने वाले स्तन संबंधी विकार में हरड़, बहेड़ा, आंवला, नागरमोथा, भूनिम्ब, तथा कुटकी लें। इनसे काढ़ा बना लें। इसे 20-30 मिली मात्रा में पीने से लाभ होता है।

और पढ़ें: आंवला के फायदे

कालमेघ के सेवन से सूजन में फायदा (Kalmegh Plant (Nilavembu) Uses in Reducing Inflammation in Hindi)

सूजन को ठीक करना है, तो भूनिम्ब, तथा सोंठ को बराबर-बराबर मात्रा में लेकर पेस्ट बना लें। इसके 2 ग्राम मात्रा को गुनगुने जल के साथ सेवन करने से सूजन में लाभ होता है। कालमेघ का इस्तेमाल (nilavembu uses)सूजन को कम करने में मदद करता है।

जलन में कालमेघ का प्रयोग (Uses of Kalmegh in Burning Sensation in Hindi)

मिट्टी के एक घड़े में भूनिम्ब के पत्ते बिछा लें। इसके ऊपर धनिया के पत्ते बिछाकर, पानी से भिगो कर, रात भर छोड़ दें। सुबह रस निकालकर सेवन करें, तथा हाथ-पैर पर लेप करें। इससे जलन खत्म होती है।

कालमेघ के सेवन से मूत्र रोग में लाभ (Nilavembu Powder Benefits for Urinary Disease in Hindi)

मूत्र रोग में 1-2 ग्राम भूनिम्ब पंचांग चूर्ण को 10-20 मिली बड़ी लोणी (Portulaca oleracea) काढ़ा के साथ सेवन करें। इससेऔर पढ़ें – एनीमिया कम करने के घरेलू उपचार मूत्र रोग जैसे पेशाब में दर्द होना, पेशाब रुक-रुक कर आने जैसी परेशानी ठीक होती है।

और पढ़े: पेशाब की समस्या में खीरा के फायदे

बवासीर में लाभदायक कालमेघ का इस्तेमाल (Kalmegh or Nilavembu Powder Uses in Piles Treatment in Hindi)

बवारीस में कालमेघ (kalmegh in hindi) का उपयोग किया जा सकता है। इन्द्रयव, कलिहारीकन्द, पिप्पली, चित्रकमूल, अपामार्ग के बीज लें। इनके साथ भूनिम्ब, तथा सेंधा नमक लें। सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण बनायें। चूर्ण में बराबर मात्रा में गुड़ मिला लें। इसकी 125 मिग्रा की वटी बनाकर रोज सुबह और शाम सेवन करें। आपको 1-1 वटी का सेवन करना है। इससे बवासीर रोग में लाभ होता है।

और पढ़ें: पिप्पली के फायदे

एनीमिया और पीलिया में कालमेघ का उपयोग (Benefits of Kalmegh or Siriyanangai in Fighting with Anemia and Jaundice in Hindi)और पढ़ें – लिवर रोग में चंद्रशूर के फायदे

  • एनीमिया, या पीलिया रोग में वासा, गुडूची, हरड़, बहेड़ा, आंवला लें। इनके साथ कुटकी, भूनिम्ब, तथा नीम की छाल को भी समान मात्रा में मिलाकर काढ़ा बनायें। 10-20 मिली काढ़ा में मधु मिलाकर पीने से एनीमिया, और पीलिया जैसे रोग ठीक होते है।
  • इसी तरह 5 मिली पंचांग के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से भी पीलिया में लाभ होता है।

और पढ़ें एनीमिया कम करने के घरेलू उपचार

बुखार के लिए कालमेघ का प्रयोग (Benefits of Kalmegh or Siriyanangai in Fighting with Fever in Hindi)

कफज विकार के कारण होने वाली बुखार के लिए चिरायता, निम्ब छाल, पिप्पली, कचूर, शुण्ठी, शतावरी लें। इनके साथ गुडूची, तथा बृहती को समान मात्रा में लें। इसका काढ़ा बनाकर (10-20 मिली) पीने से कफज दोष के कारण हुए बुखार में फायदा होता है।

टीबी रोग में लाभदायक कालमेघ का सेवन (Uses of Kalmegh in Fighting with  TB disease in Hindi)

टीबी एक गंभीर बीमारी है, लेकिन अगर आप टीबी रोग में कालमेघ (kalamegha) का सेवन करते हैं, तो इससे काफी फायदा मिलता है। टीबी रोग में 2 ग्राम पंचांग चूर्ण में 1 ग्राम काली मिर्च का चूर्ण मिला लें। इसे 1 माह तक सेवन करने से टीबी रोग में लाभ होता है।

लिवर से जुड़े रोगों को ठीक करता है कालमेघ (Nilavembu or Kalmegh Benefits for Liver Disease in Hindi)

लिवर के विकारों में भी कालमेघ (kalamegha)का प्रयोग करने से फायदा मिलता है। कालमेघ पंचांग के रस, या पंचांग का काढ़ा बनाकर सेवन करें। इससे लिवर के विकार ठीक होते हैं।

और पढ़ेंलिवर रोग में चंद्रशूर के फायदे

सांप के कांटने पर कालमेघ का उपयोग लाभदायक (Kalmegh or Nilavembu is Beneficial for Snake Bite in Hindi)

सांप काटने पर भूनिम्ब के पत्तों (kalmegh pata) को पीसकर, सांप के काटने वाले स्थान पर लेप करें। इससे सांप के जहर के साथ-साथ बिच्छू के विष, दर्द, और जलन में फायदा (kalmegh benefits) होता है।

और पढ़ें: सांप के काटने पर नागकेसर के फायदे

कालमेघ के उपयोगी भाग (Useful Parts of Kalmegh)

कालमेघ (kalamegha)का उपयोग इस तरह किया जा सकता हैः-

  • पंचांग
  • पत्ते
  • जड़

कालमेघ का इस्तेमाल कैसे करें? (How to Use Kalmegh?)

कालमेघ (Kalmegh tree) के इस्तेमाल की ये मात्रा होनी चाहिएः-

  • चूर्ण- 1-3 ग्राम
  • रस- 5-10 मिली
  • काढ़ा- 20-40 मिली
  • तरल सत्त- 0.5-1 मिली

कालमेघ का भरपूर लाभ (nilavembu uses)लेने के लिए चिकित्सक के परामर्शानुसार इसका सेवन करें।

कालमेघ के साइड इफेक्ट (Kalmegh Side Effects)

कालमेघ (kalmegh tree) का अधिक मात्रा, और ज्यादा दिनों तक उपयोग करने पर ये नुकसान हो सकते हैंः-

  • चक्कर आना
  • पेट फूलना
  • अरुचि
  • उल्टी
  • ह्रदय विकार

इसमें प्रजनन संस्थानगत विषाक्त प्रभाव तथा शुक्रजनन रोधक क्रिया देखी गयी है। साइटोकाईनेसिस के कारण स्पर्मेटोजेनिक कोशिका का विभाजन भी हो सकता है।

कालमेघ सेवन के साइड इफेक्ट (Side Effect of Kalmegh?)

कालमेघ (nilavembu in hindi)के सेवन से जितने लाभ होते हैं उतने नुकसान (nilavembu side effects)भी, जैसे- गर्भस्रावी प्रभाव के कारण कालमेघ का प्रयोग गर्भावस्था में नहीं करना चाहिए।

और पढ़ेंगर्भावस्था में खांसी के लिए घरेलू उपचार

कालमेघ कहां पाया या उगाया जाता है? (Where is Kalmegh (Nilavembu) Found or Grown?)

कालमेघ के पौधे (kalmegh tree) की खेती पूरे भारत में की जाती है। खासकर भारत के वन्य-प्रदेशों, एवं मैदानी क्षेत्रों में कालमेघ की खेती अधिक होती है।

आचार्य श्री बालकृष्ण

आचार्य बालकृष्ण, आयुर्वेदिक विशेषज्ञ और पतंजलि योगपीठ के संस्थापक स्तंभ हैं। चार्य बालकृष्ण जी एक प्रसिद्ध विद्वान और एक महान गुरु है, जिनके मार्गदर्शन और नेतृत्व में आयुर्वेदिक उपचार और अनुसंधान ने नए आयामों को छूआ है।

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