यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन (Urinary tract infection) या यू.टी.आई एक बहुत ही आम समस्या है। ये समस्या पुरुषों और महिलाओं दोनों में ही देखी जाती है लेकिन महिलाओं में इसका असर ज्यादा देखा जाता है। यूटीआई होने पर सबसे आम समस्या पेशाब करने में होती है। अधिकांशत यूटीआई संक्रमण ई-कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है।
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यू.टी.आई तब होता है जब मूत्राशय और इसकी नली बैक्टीरिया से संक्रमित हो जाती है। ई-कोलाई बैक्टिरीया का संक्रमण इसका मूल कारण होता है। इस समस्या के कुछ कारण है जैसे, सेक्स, लम्बे समय तक पेशाब रोके रखना, गर्भावस्था, रजोनिवृत्ति और शुगर। मूत्र पथ के संक्रमण, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में अधिक आम है। आधी महिलाओं को उनके जीवन में कम से कम एक बार संक्रमण होता है।
मूत्र मार्ग संक्रमण मूत्र तंत्र के किसी भी हिस्से में होने वाला संक्रमण है।
मूत्राशय का संक्रमण (Cystitis or Bladder infection)– यह मूत्राशय के भीतर होने वाला बैक्टीरिया संक्रमण है। कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों में यीस्ट भी मूत्राशय के संक्रमण का कारण है।
मूत्रमार्ग संक्रमण (Urethritis or Urethra infection)– इसमें मूत्रमार्ग में सूजन होने की वजह से मूत्र त्यागने में दर्द की अनुभूति होती है।
गुर्दा संक्रमण (Pyelonephritis or Kidney infection)– यह किडनी में होने वाला संक्रमण जिससे किडनी में गंभीर रूप से इन्फेक्शन हो जाता है। इस स्थिति में अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ सकती है। इसमें बुखार, पेशाब में खून और श्रोणि में दर्द होता है। गर्भवती महिलाओं को यह संक्रमण होने की सम्भावना अधिक होती है।
वैसे तो यूटीआई का संक्रमण ई-कोलाई बैक्टीरिया के कारण होता है, लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं जो इस बीमारी के होने की वजह होते हैं-
-विशेषकर यदि संभोग अधिक बार, तीव्र और कई या बहुत लोगों के साथ किया जाये तो यू.टी.आई हो सकता है।
-शुगर के रोगियों को यू.टी.आई होने का खतरा अधिक होता है।
-अस्वच्छ रहने की आदत।
-मूत्राशय को पूरी तरह से खाली न करना।
-दस्त आना।
-मूत्र करने में बाधा उत्पन्न होने पर।
-पथरी होने के कारण।
-गर्भनिरोधक का अत्यधिक उपयोग करने से।
-रजोनिवृत्ति काल में।
-कमजोर प्रतिरोधक प्रणाली होने से।
-एंटीबायोटिक दवाओं का अधिक उपयोग करने से।
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वैसे तो यूटीआई की समस्या होने से सबसे पहले मूत्र संबंधी समस्याएं होती है,लेकिन इसके अलावा और भी लक्षण होते हैं।
-मूत्राशय में संक्रमण होने पर मूत्रमार्ग और मूत्राशय की परत में सूजन आ जाना।
-पेशाब त्याग करते समय दर्द या जलन महसूस होना।
-बार-बार पेशाब करने के लिए उठना और बहुत कम मात्रा में मूत्र त्याग होना।
-एकदम पेशाब हो जाने का डर लगना।
-पेशाब से बदबू आना।
-पेशाब से खून आना।
-पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
-हल्का बुखार आना।
-ठण्ड लगना या कभी-कभी ठण्ड के साथ कंपकंपी लगना।
-जी मिचलाना।
-छोटे बच्चों में बुखार, पीलिया, उल्टी, दस्त और चिड़चिड़ापन आदि लक्षण नजर आते हैं।
-बुजुर्गो में बुखार, भूख न लगना, सुस्ती और मूड बदलना आदि लक्षण नजर आते हैं।
यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन होने पर जीवनशैली और आहार में कुछ बदलाव लाने पर इस बीमारी से कुछ हद तक बचा जा सकता है।
-अधिक से अधिक पानी पीने और मूत्र त्याग करने की आदत डालनी चाहिए।
-शराब और कैफीन के सेवन से दूर रहे, ये मूत्राशय में संक्रमण पैदा कर सकते हैं।
-सम्भोग के पश्चात् तुरन्त बाद मूत्र त्याग करिये।
-जननांगो को साफ रखें।
-नहाने के लिए बाथ टब का उपयोग करने से बचे।
-माहवारी के दौरान, टेम्पॉन की जगह सेनेटरी पैड का उपयोग करें।
-जन्म नियंत्रण बनाए रखने के लिए शुक्राणु नाशकों का उपयोग न करें।
-जननांगों में किसी भी प्रकार के सुगन्धित उत्पादों का उपयोग करने से बचें।
-कॉटन के अंडरवियर पहनें।
-यूटीआई को नियंत्रित करने में योगासन लाभकारी होते हैं, क्योंकि ये पेल्विक क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करते हैं और मूत्र को न रोक सकने की समस्या को कम करते हैं। निम्नलिखित आसनों से मूत्र मार्ग के संक्रमणों को रोकने और ठीक करने में सहायता मिलती है-पद्यासन,वज्रासन,भुजंगासन,मत्स्यासन। प्रतिदिन कम-से-कम 30 मिनट का व्यायाम हर दिन करें। इसमें कोई भी एरोबिक व्यायाम जैसे पैदल चलना, दौड़ना आदि हो सकता है।
आहार-
–बादाम, ताजा नारियल, स्प्राउट्स, अलसी के बीज, बिना नमक का मक्खन, दूध, अंडा, मटर, आलू, लहसुन, सादा दही, भूरा चावल, फल और सब्जियों के रस का सेवन करें।
-कच्ची सब्जियां जैसे गाजर, नींबू, ककड़ी और पालक का रस।
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-उच्च रेशे वाला आहार आधिक लें, जैसे- फलियां, जई, जड़ वाली सब्जियां।
–टमाटर और टमाटर से बने उत्पाद जैसे टोमेटो सॉस और पिज्जा सॉस आदि।
-चॉकलेट इत्यादि का अधिक सेवन न करें।
-चॉय, कॉफी या कैफीन युक्त आहार।
-मसालेदार आहार और पेय न लें।
सामान्यतः यूटीआई की समस्या से निजात पाने के लिए सबसे पहले घरेलू नुस्ख़ों को ही अपनाया जाता है। यहां हम पतंजली के विशेषज्ञों द्वारा पारित कुछ ऐसे घरेलू उपायों के बारे में बात करेंगे जिनके प्रयोग से यूरीनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन की समस्या से राहत पाया जा सकता है-
सेब का सिरका पोटेशियम और अन्य फायदेमंद खनिजों से समृद्ध होता है जो बैक्टीरिया से बचाता है, जिसकी वजह से यूरीन ट्रैक्ट इन्फेक्शन पनपने लगता है। जो लोग यूरिन इन्फेक्शन से पीड़ित होते हैं वह दो चम्मच सेब के सिरके को एक गिलास पानी में मिला कर इसका सेवन करने से लाभ मिलता है। इस मिश्रण में आप नींबू का जूस और शहद भी मिला सकते हैं।
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आँवला विटामिन-सी से समृद्ध होता है और ये बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है। एक चम्मच आँवला पाउडर और हल्दी पाउडर को मिला लें। अब इस मिश्रण को एक कप पानी में उबालने को रख दें और तब तक उबालें जब तक मिश्रण आधा न हो जाए। इस मिश्रण को दिन में चार से पाँच बार पिएँ।
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रोजाना आधा गिलास क्रैनबेरी जूस पीने से यूरिन इन्फेक्शन से राहत मिलने और बैक्टिरीया को बढ़ने से रोकने में मदद मिलती है।
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बेकिंग सोडा एसिडिक यूरिन के एसिड को संतुलित करता है और दर्द से राहत दिलाने में मदद करता है। इससे यूरिन में एसिड न्यूट्रिलाइज होता है और इलाज में तेजी लाने में मदद करता है।
टी ट्री ऑयल में एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। सबसे पहले टी ट्री ऑयल की दस बूंदों को नहाने के पानी में मिला दें और इसे मूत्र स्थान पर उपयोग करें।
ब्लूबेरी में बैक्टीरिया को कम करने के गुण मौजूद होते हैं जो यू.टी.आई के इलाज के लिए बेहद फायदेमंद है। आप अपने ब्रेकफास्ट में ताजी ब्लूबेरी को मिलाकर खा सकते हैं।
अनानास में एन्जाइम होते हैं जिन्हें जिसमें सूजतरो धी गुण होते हैं। जिसके कारण यूटीआई के लक्षणों को दूर किया जा सकता है। प्रतिदिन एक कप अनानास खाने से यूटीआई से बचा जा सकता है। इसके अलावा आप इसका ताजा जूस भी पी सकते हैं।
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रोजाना गर्म पानी के सेक से मूत्राशय का प्रेशर कम होता है और संक्रमण से होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। गर्म सेंक सूजन को कम करता है और बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है।
यदि आप यूरिन इन्फेक्शन से पीड़ित हैं तो रोजाना ज्यादा से ज्यादा पानी पिये इससे राहत मिलने से आसानी होती है।
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यूटीआई होने पर डॉक्टर से मिलने में देर नहीं करनी चाहिए। यदि किसी भी व्यक्ति को यू.टी.आई होता है तो उसको मूत्र परीक्षण कराने की सलाह देते है। अगर किसी व्यक्ति को बार-बार यू.टी.आई होता है तो डॉक्टर उसे निम्न जाँच कराने को कहता है-
इमेजिंग- इसमें अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन, एम.आर.आई स्कैन या एक्स-रे तकनीक का उपयोग करके मूत्र पथ का मूल्यांकन किया जाता है।
यूरोडायनामिक्स
सिस्टोस्कोपी
इंट्रावेनस पयलोग्राम
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