लैक्रिमेशन का नाम सुना है? लैक्रिमेशन का मतलब आँखों से पानी आना होता है।आँखों से पानी बहना वैसे तो आम बात होता है, लेकिन जब बीमारी का रूप ले लेता है तब उसको लैक्रिमेशन कहते हैं।
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वैसे तो दिल से दुखी होने में आँखों से पानी बहने लगता है लेकिन जब यह बीमारी का रूप ले लेता है तो कारण भी बहुत तरह के हो जाते हैं, जैसे- कम रोशनी के कारण आँखों में पानी आता है, कमजोरी के कारण आँखों से अधिक पानी बहने लगता है। इसके अलावा आंखों से अधिक पानी निकलने की अन्य वजह भी होती है जैसे आंखों में सूजन होना व अधिक मात्रा में आंसुओं का बनना आदि। यह एक गंभीर समस्या है जिसका समय पर इलाज होना जरूरी है।
लैक्रिमेशन या आँखों से पानी आने के कुछ आम कारण तो होते ही हैं साथ ही बीमारियों के कारण भी होते हैं, तो चलिये इनके वजहों के बारे में विस्तार से जानते हैं-
आंसू के नलिकाओं का बंद हो जाना-अवरुद्ध नलिकाएं वयस्कों में आंखों में पानी आने का सबसे आम कारण होता है। कुछ लोग अविकसित आंसू नलिकाओं के साथ पैदा होते हैं। नवजात शिशुओं में अक्सर आँखो में पानी की समस्या होती है जो कुछ हफ्तों के भीतर साफ होती है, क्योंकि नलिकाएं विकसित होती है। वयस्कों और बड़े बच्चों में आँखों से पानी आने का कारण नलिकाओं का बंद होना या नलिकाओं का संकीर्ण होना होता है। नलिकाएं सूजन के कारण संकीर्ण हो जाती हैं।
आंसुओं का अत्यधिक उत्पादन-दुखी या उदास आँखों में सामान्य से अधिक आंसू की मात्रा का उत्पादन होता है। निम्न उत्तेजक के कारण आंसू का अत्यधिक उत्पादन हो सकता है-
कुछ रसायन जैसे कि धुँआ या प्याज
संक्रमित कंजंक्टिवाइटिस
एलर्जिक कंजंक्टिवाइटिस
आँख में चोट लगना
लोमता, जिसमें पलकें अन्दर की ओर बढ़ती हैं।
बहिर्त्वर्त्मता, जिसमें नीचे वाली पलक बाहर की ओर मुड़ जाती है।
किन बीमारियों के कारण आँसूओं का उत्पादन होता है-
कंजक्टिवाइटिस-जब गन्दगी, बैक्टीरिया या धूल कण कंजक्टिवा को प्रभावित करते हैं, तो कंजक्टिवाइटिस की संभावना बढ़ जाती है, जिसमें आंखों से पानी आना, सफेद डिस्चार्ज होना व लाल आंखें होना आम बात है।
एंकाथामोएबा कैराटाइटिस-कॉर्निया पर होने वाले इस इन्फेक्शन से भी यह समस्या होती है जो खतरनाक है। इसका कारण कंटेक्ट लेंस की गंदगी या पानी लगना आदि भी हो सकते हैं।
फंगल कैराटाइटिस-फंगस के कारण कॉर्निया में सूजन आ जाने पर यह समस्या होती है, जिसके कारण आंखों से सफेद डिस्चार्ज के साथ ही अन्य समस्याएं भी होती हैं।
कंजक्टीवाइटिस-आंखों से जुड़ी यह एक आम समस्या होती है। बच्चे और वयस्कों को होने वाली इस समस्या का कारण कंजक्टीवा या आईबॉल के बाहरी झिल्ली में सूजन होता है। इसमें आंखें लाल या पिंक हो जाती हैं।
यूवाइटिस-ये आंख के रेटिना और सफेद हिस्से के बीच की परत पर सूजन होने की वजह से होता है। इसके लक्षणों में धुंधला दिखना, दर्द और दूर की नजर कमजोर होना शामिल होता है।
कॉर्नियल अल्सर- इस रोग में कॉर्निया प्रभावित होता है, जो कि कॉन्टेक्ट लेंस के अनुचित प्रयोग या इन्फेक्शन के कारण होता है। इसके लक्षणों में आंखों से पानी बहना, दर्द, सूजन और दूरदृष्टि शामिल है।
ड्राई आई सिंड्रोम- लूब्रिकान के लिए आंखों द्वारा पर्याप्त आंसू नहीं पैदा कर पाने के कारण ये समस्या होती है। कई मामलों में खराब आंसू ड्राई आई का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा आंखो का लाल होना और खुजली भी हो सकती है।
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आई हर्पीज- हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस द्वारा होने वाले इस इन्फेक्शन का प्रभाव कॉर्निया पर पड़ता है, जिसके कारण सफेद गंदा पदार्थ आंखों से निकलता है, साथ ही जलन, सूजन आदि समस्याएं भी होती हैं।
कहते हैं कि बीमारी के खतरे को कम करने के लिए पहले से बचाव अपनाना बेहतर होता है-
ज्यादा टीवी देखना- ज्यादा देर तक टीवी देखने या कम्प्यूटर पर काम करने से आंखें लाल हो सकती हैं। इससे बचने के लिए बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें।
बार-बार आंखें छूना- आपकी ये आदत आंखों में इन्फेक्शन पैदा कर सकती है। इस के अलावा शराब, लो क्वालिटी वाले मेकअप प्रोडक्ट से इन्फेक्शन हो सकता है।
हर्पीज- ओक्युलर हर्पीज एक वायरल इन्फेक्शन है, जो टाइप-1 हर्पीज सिंप्लेक्स वायरस की वजह से होता है, जो कॉर्निया के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। इससे आंखे लाल होना, सूजन, दर्द और पानी बहने की समस्या भी हो सकती है।
एलर्जी- धूल, कैमिकल और कांटेक्ट लेंस से कई लोगों को एलर्जी हो सकती है, जिससे आंखें लाल हो सकती हैं।
कोल्ड और फ्लू- सर्दी और फ्लू होने पर आपकी आंखें लाल हो सकती हैं। इस दौरान छींकने या खांसने से आपकी आंखे लाल हो जाती हैं।
आई ड्रॉप- लम्बे समय तक आई ड्रॉप का इस्तेमाल करने से आपकी आंखें लाल हो सकती हैं।
स्टाइ- ये एक दर्दनाक फुंसी होती है जो पलक के ऊपर या नीचे हो जाती है। इससे आपकी आंखें लाल हो सकती हैं। इससे बचने के लिए आपको सोने से पहले मेकअप रिमूव कर लेना चाहिए।
परहेज– इस प्रदूषण और धुंध से भरे वातावरण में आंखों की देखभाल के लिए जितना संभव हो उतना आंखों को प्रदूषण या स्मॉग के सामने आने से बचाना चाहिए। खासकर उन क्षेत्रों में जाने से बचना चाहिए जहां काफी कल-कारखाने हैं। साथ ही कार से चलने वाले लोग ट्रैफिक पर रुकने के दौरान अपने कार के शीशों को बंद रखकर अपनी आंखों को और नुकसान से बचा सकते हैं।
धूम्रपान न करें-स्मोकिंग करने वालों को स्मोकिंग न करने वालों की तुलना में आंखों के धब्बेदार विकार के होने की आशंका अधिक होती है। इसलिए धूम्रपान करने से बचना चाहिए।
स्वस्थ आहार-खाने में ताजे फल, हरी और पत्तेदार सब्जियों को शामिल कीजिए। गोभी, पालक, मटर, ब्रोक्कोली जैसी सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट के साथ ल्यूटीन होता है। इनका सेवन करके इस प्रकार की बीमारियों से बचाव किया जा सकता है।
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मछली और अखरोट का सेवन-अपने डायट चार्ट में मछली और सूखे मेवे को शामिल कीजिए। मछली में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो ड्राई मैकुलर डिजीज होने की संभावना को कम करता है। अखरोट में भी ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो आंखों के इस विकार को दूर करने में मददगार होता है।
आम तौर पर लैक्रिमेशन के लिए सबसे पहले घरेलू उपायों का ही सहारा लिया जाता है, लेकिन आयुर्वेद के अनुसार कौन-से उपाय सबसे ज्यादा कारगर तरीके से काम करते हैं, इसके बारे में जानने के लिए आगे बढ़ते हैं-
आंखों से पानी निकलने की समस्या को हर्बल टी बैग के जरिए ठीक किया जा सकता है। इसके लिए ग्रीन टी या कोमोमाइल या पेपरमिंट की चाय की पत्तियों को थोड़ी देर गर्म पानी में रखें और थोड़ी-थोड़ी देर दोनों आंखों पर इसकी सिकाई करें। यह उपाय बहुत ही आराम से करें। ध्यान रहे पानी अधिक गर्म न हों।
आंखों से अधिक पानी आने का एक और कारण होता है वह है आंखों में खुजली और जलन का होना। इस समस्या से बचने के लिए एक गिलास पानी में एक छोटा चम्मच नमक मिलाकर किसी साफ कपड़े से आंखों की सिकाई करें। नमक का पानी एंटी बैक्टीरियल होता है जो आंखों की जलन व खुजली करने वाली चीजों को बाहर कर देता है। इस उपाय को आप दिन में तीन बार करें और कुछ दिनों तक नियमित करते रहे।
आंखों में गंदगी या धूल मिट्टी चले जाने पर कभी भी हाथों व उंगलियों से आंखों को न रगड़ें, ऐसा करने से आंखों का संक्रमण हो सकता है। इसके लिए आप साफ पानी में एक साफ कपड़े को भिगोकर आंखों की सफाई करें। गीले कपड़े से आंखे साफ करने से आंखों में किसी भी तरह का इंफेक्शन लगने का खतरा खत्म हो जाता है।
आंखों से पानी निकलने की वजह का मुख्य कारण होता है, आंखों की नसों में रूकावट आना। यह रूकावट जहरीले पदार्थ की परत के जमने की वजह से होती है। ऐसे में यदि आप अपनी आंखों की गर्म या ठण्डे कपड़े से दबाते हैं तो यह परत हट जाती है और आंखों की मुख्य समस्या जैसे अधिक पानी निकलना, जलन, आंखों का लाल होना आदि की समस्या ठीक हो जाती है।
आंखों से जुड़ी ज्यादातर परेशानियों को आप कैस्टर ऑयल के इस्तेमाल से दूर कर सकते हैं। रूई के एक टुकड़े को कैस्टर ऑयल में डुबोकर हल्के हाथों से निचोड़ लें, इसके बाद इन्हें आंखों पर रखकर लेट जाएं। आप चाहें तो उंगलियों में कैस्टर ऑयल लगाकर हल्के हाथों से मसाज भी कर सकते हैं।
पीपल की 5-6 कोंपलों को लेकर उसको पानी में भीगों दें, सुबह उस पानी के साथ आँखों को धोएँ तथा इन कोंपलों को कूटकर इसके रस को आँखों में सलाई से लगाए। इस प्रयोग से नेत्रों से पानी आना बन्द हो जाता है और आँखों की रोशनी बढ़ती है।
जब कोई भी बीमारी हो उसको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए क्योंकि शुरूआत के स्थिति में ही डॉक्टर को दिखा देना अच्छा होता है। जब जलन एवं पानी के साथ-साथ आँखे कमजोर हो रही हो, धुंधला दिखाई देता है, आँखों में ज्यादा दर्द हो रहा हो तो बिना देर किए डॉक्टर के पास जाना चाहिए।
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