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क्या आपको पता है कि लवंगादि वटी (divya lavangadi vati) क्या है और प्रभारक वटी का प्रयोग किसमें किया जाता है? लवंगादि वटी एक बहुत ही गुणी औषधि है जिसका इस्तेमाल खांसी और सांसों के रोग को ठीक करने के लिए किया किया जाता है।
आयुर्वेद में लवंगादि वटी के उपयोग (divya lavangadi vati uses) के बारे में बहुत सारी अच्छी बातेें बताई गई हैं। खांसी और सांसों के रोग को ठीक करने के साथ-साथ लवंगादि वटी का प्रयोग अन्य कई रोगों में भी किया जा सकता है। आइए सभी के बारे में जानते हैं।
लवंगादि वटी (lavangam uses) खाँसी की प्रमुख एवं उत्तम दवा है। यह सूखी तथा गीली दोनों प्रकार की खाँसी में यह लाभ करती है। यह पतंजलि द्वारा खांसी सम्बन्धी उपचारों के लिए दी जाने वाली (Patanjali Medince for Cough) सर्वाधिक महत्वपूर्ण औषधियों में से एक है।
आप लवंगादि वटी का इस्तेमाल इस तरह से कर सकते हैंः-
ह्रदय संबंधी बीमारी जैसे- ह्रदय की धड़कनों में तेजी, छाती में दर्द हो तो लवंगादि वटी का प्रयोग लाभ पहुंचाता है। इसके इस्तेमाल से ह्रदय स्वस्थ (lavangam uses) बनता है।
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खांसी का दौरा बार–बार आना, कफ का न निकलना या बहुत खाँसने पर जरा सा पीले कफ का टुकड़ा निकलना आदि की परेशानी में लवंगादि वटी का प्रयोग करें। यह बहुत लाभ देती है। इससे श्वासनली साफ (divya lavangadi vati uses) हो जाती है।
बहुत लोगों को प्रायः सिर दर्द की शिकायत रहती है। इसमें भी लवंगादि वटी का उपयोग लाभ पहुंचाता है। इसके प्रयोग की जानकारी किसी आयुर्वेदिक चिकित्सक से जरूर ले लें।
वे लोग जो मुंह के छाले की परेशानी से ग्रस्त हैं वे लवंगादि वटी का प्रयोग करेंगे तो लाभ मिलेगा। लवंगादि वटी को मुँह में रख कर चूसने से बहुत आराम (divya lavangadi vati benefits) मिलता है।
आप इतनी मात्रा में लवंगादि वटी का प्रयोग कर सकते हैंः-
1 ग्राम,
अनुपान- गर्म पानी
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लवंगादि वटी के बारे में आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है –
तुल्या लवङ्गमरिचाक्षफलत्वच स्यु सर्वैः समो निगदित खदिरस्य सार।
बब्बूलवृक्षजकषाययुं च चूर्णं कासान्निहन्ति गुटिका घटिकाष्टाकान्ते।।
भैषज्य रत्नावली 15/35, वैद्य.जी.
इसके अनुसार लवंगादि वटी में निम्न द्रव्य हैं –
क्र.सं. | घटक द्रव्य | उपयोगी हिस्सा | अनुपात |
1. | लवंग (Syzygium aromaticum Linn. merr. & Per.) | फूल | 1 भाग |
2. | मरिच (Piper nigrum Linn.) | फल | 1 भाग |
3. | अक्षफल (बिभीतक) (Terminalia bellirica Roxb.) | फली | 1 भाग |
4. | खदिरसार (खदिर) (Acacia catechu Willd.) | सार | 3 भाग |
5. | बब्बूल कषाय (Acacia arabica Willd.) | छाल | Q.S मर्दनार्थ |
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